तालाब का पानी जो अभी तक तक सिर्फ लाल था, अब उसमें भयानक हलचल होने लगी थी। तालाब की सतह से बुलबुले उठ रहे थे, और बीच-बीच में काले धुएं की लकीरें हवा में घुल रही थीं।

तालाब के चारों ओर घना अंधेरा फैलने लगा। पास की झाड़ियों से भयानक आवाजें आने लगीं। एक पत्ते पर गिरने वाली ओस की बूंदें भी तालाब में गिरते ही लाल हो जातीं।

अचानक, तालाब के बीचों-बीच एक तेज रोशनी उभरी, और उसके साथ ही एक बड़ी सी परछाई पानी में दिखने लगी।

पास के पेड़-पौधे मुरझाने लगे, और तालाब के किनारे पड़ी सूखी घास जलकर राख में बदल गई। ऐसा लग रहा था जैसे उस तालाब ने अब अपनी प्यास मिटाने के लिए कुछ बड़ा करने की ठान ली हो।

तालाब (गूंजती आवाज़)  : खून... और खून चाहिए।

इस गूंजती आवाज के साथ ही तालाब के चारों ओर हवा में हलचल तेज हो गई। ऐसा लग रहा था, मानो तालाब किसी को पुकार रहा हो ।  जैसे तालाब के अंदर कोई volcano फूटने को तैयार था। तभी भूतिया घोड़ा जिसका रंग काला और भूरे के बीच का था, जो देखने में ऐसा लग रहा था, जैसे उसकी खाल पर सदियों की धूल चढ़ी थी। उसके लंबे, घने बाल हवा में लहरा रहे थे, और उसके पैरों के खुर इतने लंबे थे कि वो ज़मीन पर खुरचते हुए चल रहे थे।

उसके तालाब से बाहर निकलते ही  चारों तरफ  माहौल बदल गया । क्योंकि उस भूतिए घोड़े पर एक अंग्रेजी फौजी बैठा था। जिसकी आँखें, लाल और चमकती हुई, मानो आग से भरी थी, वो किसी जंगली जानवर की तरह दिख रहा था। उसका चेहरा पतला और लंबा था, लेकिन उसकी आंखो में एक अलग सी ताकत थी। जो सामने खड़़े हर इंसान को डरा सकती थी। उसने एक पुरानी अंग्रेज़ी आर्मी यूनिफॉर्म पहनी थी, जो पूरी तरह से खून से सनी हुई थी,  उसके एक हाथ में लम्बी और धारदार तलवार थी, जो चाँद की रोशनी में चमक रही थी।

जैसे उस पर खून की बूंदें अब भी टपक रही हों। अचानक से वो भूतिया घोड़ा एक बार ज़ोर से हिनहिनाते हुए तालाब से बाहर निकला और अंग्रेजो के ज़माने की बिछी रेलवे लाइन की ओर बढ़ गया। रात के अंधेरे में, वो भूतिया घोड़ा एक खौफनाक आवाज़  के साथ चल रहा था और वो रेलवे लाइन से, किलोरी गांव की तरफ बढ़ रहे थे।

वही दूसरी तरफ साधुपुल गांव में अब काका अहलूवालिया शराब के नशे में चूर रहते थे, जहां गांव में एक तरफ अब धीरे धीरे शांति आ रही थी। मोहन के भूत को गए हुए भी एक महीना बीत चुका था, लेकिन काका अभी भी अपने पुराने पापो के पछतावे में शराब पीते रहते थे और नशे में रहते थे।

सोनू और अन्नू ने धीरे धीरे काके दी हवेली को भी संभाल लिया था, लेकिन काका को संभाल नही पा रहे थे।और हवेली के बाहर लगे पेड़ के ऊपर बैठा सोचते रहते थे

काका अहलूवालिया : ये शराब की बोतल ही है, जो मेरी जिंदगी आसान कर रही है, बस झूम बराबर झूम करते रहो और मज़े लेते रहो, बूराहह ( buuraaahhh )

काका अहलूवालिया ने शराब की बोतल फिर मुंह से लगा ली। कुछ दिन बाद काका ने कुछ सोचा ।

सोनू और अन्नू के पास लड़खड़ाते हुए गए। दोनो काके दी हवेली का काम देख रहे थे।

काका अहलूवालिया : पुत्तर, मुझे कुछ दिनो से अच्छा नही लग रहा, शायद थोड़ी तबियत भी अब खराब है।

सोनू : काका, भूत की भी तबियत खराब होती है क्या भला?

काका अहलूवालिया : पता नही पुत्तर जब इंसान था, तब कौनसे इंसानों वाले काम किए मैने। अब भूत हूं तो लगता है की दुबारा इंसान बनकर अपने सारे बुरे काम ठीक कर दूं। लेकिन ये अब मेरा बस में नहीं। इसलिए मैं कुछ समय के लिए किसी और जगह जाना चाहता हूं।

अन्नू : लेकिन काका, जाओगे कहां?

काका अहलूवालिया : पुत्तर, भूतो का कोई एक ठिकाना नहीं होता। देखता हूं मंजिल कहां लेकर जाती है। कुछ समय में फिर वापिस आ जाऊंगा।।

सोनू : और आपकी अंग्रेजी शराब?

काका अहलूवालिया : पुत्तर जिंदगीभर शराब के पीछे ही भागा हूं, अब थोड़ा रूकना चाहता हूं। आराम करना चाहता हूं। वैसे भी 2 बोतल लेकर जा रहा हूं, बाकी शिमला में शराब तो हर जगह पानी की तरह मिलती है। जहां मन करेगा वहां पर पी लूंगा। चल अब मैं चलता हूं, जल्दी मिलूंगा। ध्यान रखना दोनो काके दी हवेली का।

ये बोलकर काका अहलूवालिया वहां से गायब हो गए, सोनू और अन्नू अकेले खड़े रह गए। दोनो को काका अहलूवालिया के जाने का बहुत दुख था, जिसमे सबसे ज्यादा दुख सोनू को था लेकिन वो ये मानना नही चाहता था। इसलिए दोनो इस गम को भुलाने के लिए दुबारा से काम में ध्यान लग गए और अपना सारा ध्यान काके दी हवेली पर लगा दिया।

सोनू : हवेली की दीवारें इतनी भीड़ होने के बाद भी चुप है, जब काका  होते थे  तो पूरा रेस्टोरेंट चहक उठता था।

अन्नू : पता नही वो वापिस कब आयेंगे। तुझे क्या लगता है सोनू, वो आएंगे भी या नहीं?

सोनू : ये तो मुझे भी नही पता लेकिन अब हमें अपना सारा ध्यान अपने रेस्टोरेंट पर लगाना होगा, हमें लोन भी चुकाना है और इस रेस्टोरेंट को शिमला का नंबर 1 restaurant बनाना है। काके दी हवेली का नाम पूरे वर्ल्ड में बनाना है।

ये बोलकर दोनो रेस्टोरेंट के काम में मशगूल हो गए।

जहां एक तरफ साधुपुल गांव में अब सब कुछ शांत हो गया था।

वही दूसरी तरफ साधुपुल गांव के बगल वाले किलाेरी गांव में एक पुराने खंडहर मे कुछ खतरनाक हो रहा था। पहाड़ो की ऊँचाइयों पर ये पुराना खंडहर चाँद की धुंधली रोशनी में चमक रहा था। खंडहर अंग्रेजो के ज़माने का था, जो हर जगह से खराब हालत में था। खंडहर के आसपास ठंडी हवाएं चल रही थी। तभी खंडहर के पीछे से एक घोड़े की खुर की खड़खड़ाहट सुनाई देने लगी। धीरे धीरे खंडहर के सामने वही भूतिया घोड़ा आता हुआ दिखा, जिसपर वो अंग्रेजी फौजी बैठा हुआ था। उसका चेहरा अभी भी काफी डरावना लग रहा था।

अंग्रेजी भूत(भयानक आवाज में) : You indians, अपना देश आजाद चाहते थे न। मैं तुम्हे फिर से गुलाम बनाऊंगा।

अंग्रेज़ी भूत की आवाज़ हवा में घुलने लगी। वो धीरे-धीरे किलोरी गाँव की ओर बढ़ रहा था, सुनसान सड़क, आसपास के घर, खंडहर और पुराने दिख रहे थे।। सड़क पर कुछ समय से कोई नहीं दिख रहा था, तभी एक बाइक पर एक कपल राज और सीमा दिखे, जो अपने घर जा रहे थे।

राज : तुमने कभी इस इलाके में भूत के बारे में सुना है?

सीमा : तुम्हें भी रात में ही ऐसे ही कहानियाँ सुनने की आदत है। तुम कब सुधरोगे राज, वैसे भी ये सब मनगढ़ंत बातें होती हैं।

राज : अरे मैं सच कह रहा हूं, यहाँ के लोग मानते हैं कि एक घोड़े पर एक भूत रात में घूमता है।

सीमा : ये सब बाते सिर्फ डराने के लिए, ऐसा कुछ नहीं होता।

तभी ठंडी हवा ज़ोर से चलने लगी। तभी सीमा को सड़क पर साइड में एक धुंधला सा साया दिखा।

सीमा : राज, वो क्या है? वो मुझे घोड़े जैसा दिख रहा है।

राज(हंसते हुए) :  यहां पर घोड़?  अब तुम भी शुरू मत हो जाओ। मैं तो बस मजाक कर रहा था। ऐसा कोई भूत नही है यहां पर, न कोई घोड़ा है। अभी मैंने ये बाते बोली इसलिए तुम्हारे मन में ये बैठ गया, ये सब बस तुम्हारा वहम है।

सीमा ने भी राज की इस बात यकीन कर लिया और उसने राज को पीछे से और अच्छे से पकड़ लिया। दोनो खाली सड़क पर, बाइक पर आगे बढ़ते जा रहे थे। तभी एकदम से उन्हें घोड़े की खड़खड़ाहट तेज़ी से बढ़ती सुनाई दी जैसे वो उनकी तरफ ही आ रहा था।

सीमा : राज, कुछ सुनाई दिया?

राज : हाँ, लगता है कि कोई गाड़ी आ रहा होगी, उसी की आवाज होगी। तुम बेकार का सोच रही हो।

तभी अचानक वो भूतिया घोड़ा उनके सामने आ गया। वो एक कोने से बाहर आया।। ये देखकर राज ने घबराकर बाइक रोकी, उसकी धड़कनें तेज हो गईं। उनके सामने, भूतिये घोड़े पर बैठा अंग्रेजी भूत था, जिसका चेहरा अंधेरे में चमक रहा था। उसकी आंखें खून के लाल रंग से भरी थीं। वो धीरे-धीरे घोड़े को राज और सीमा की ओर बढ़ाने लगा, और घोड़े के पैरों की आवाज़ रात की सन्नाटे को चीरते हुए उनकी ओर बढ़ने लगी। ये देखकर राज और सीमा की सांसें थम गईं। घोड़ा धीरे धीरे आगे बढ़ा, तभी

सीमा ने डर के मारे राज का हाथ पकड़ लिया। अंधेरे में, घोड़े की परछाई बड़ी और डरावनी लग रही थी। जैसे वो और पास आया, राज ने देखा कि घोड़े की आंखों में एक अलग सी चमक थी, जैसे वो किसी गहरे राज़ को छिपा रहा हो। भूत का चेहरा अब और करीब था, और वो घोड़े की लगाम खींचते हुए उन्हें घूर रहा था। ऐसा लगा जैसे वो उनके दिलों की धड़कनें सुन सकता हो। उस पल में, वक्त थम गया, और सन्नाटा हर तरफ छा गया।

अंग्रेजी भूत (भयानक आवाज में) : You Indians are so stupid even today, जो खुद अपनी मौत के सामने आते हो।

दोनो ये सुनकर काफी डर गए और एकदूसरे को देखने लगे। तभी घोड़े ने एकदम से आगे वाले पैरो से अपनी दोनो टांगे उठाई।

राज डर गया था, बाइक शुरू करने की कोशिश करने लगा लेकिन बाइक स्टार्ट नही हो रही थी।

सीमा : राज जल्दी..

राज : मैं ट्राई कर रहा हूं सीमा।

तभी दोनो बाइक से उतरकर पैदल ही भागने लगे। राज और सीमा तेजी से सड़क पर दौड़ रहे थे, लेकिन घोड़े की स्पीड और भी तेज थी।

राज : सीमा तुम आगे भागो! मैं उसे रोकने की कोशिश करता हूं।

ये बोलकर राज रुक गया और सीमा आगे भाग गई। घोड़ा आकर राज के पास रुका और घोड़े पर बैठे अंग्रेजी भूत ने राज को देखा, अंग्रेजी भूत के हाथ में तलवार थी, उसने अपना हाथ तेज़ी से उठाया और राज की गर्दन पर वार कर दिया। राज ज़मीन पर गिर गया और उसकी गर्दन उसकी बॉडी से अलग होकर गिर गई। सीमा ये दूर से देख रही थी

सीमा : राज! नहीं, नहीं!

सीमा की आँखों में डर साफ दिख रहा था। वो कांपते हुए अंग्रेजी भूत की ओर देखने लगी, और उसकी सासें उखड़ने लगी।

अंग्रेजी भूत : अब तुम्हारी turn है।

भूतिया घोड़ा अब सीमा की तरफ बढ़ने लगा। सीमा घोड़े और उस अंग्रेजी भूत को अपनी तरफ आता देख और जोर से चिल्लाने लगी। एकदम से उसकी चीखें धीरे धीरे अंधेरे में समाने लगी और अंग्रेजी भूत का चेहरा उसके डर को और बढ़ा रहा था। एक बार फिर तलवार की आवाज आई और सीमा की चीखे उस में ही दब गई।

अंग्रेजी भूत (डरावनी आवाज में) : एक बार फिर इन Mountains पर बस मेरा ही रूल चलेगा।

अंग्रेजी भूत और उसका भूतिया घोड़ा अब धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा। देखते ही देखते घोड़े के साथ अंग्रेजी भूत भी अंधेरे में गायब हो गया, लेकिन उसके घोड़े के पैरो की आवाज़ हवा में गूंज रही थी। आखिर कौन सा था ये अंग्रेजी भूत और आखिर चाहता क्या था? अब काका अहलूवालिया के बिना कैसे करेगे सोनू और अन्नू इस अंग्रेजी भूत का सामना? क्या काका वापिस आयेगे?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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