दिल्ली का एक आलीशान घर, यह घर दिल्ली युनिवर्सिटी के एक नामी प्रोफेसर सुभाष त्यागी का था...जहां एक लग्जरी रूम में नैना अपनी मां के साथ बैठी थी। प्रोफेसर के चार नौकर थे जो इस समय नैना और उसकी मां की सेवा में लगे थे, जहां नैना बेहद परेशान और बेचैन थी, क्योंकि वह चीफ के निशाने पर थी। वहीं इससे उलट उसकी मां मस्त अंदाज में अपनी जिंदगी के मजे़ लूट रही थी।
नैना से एक नहीं कई सारी गलतियां हुई थी...एक तो वह राघव को ढूंढने में असफल हुई थी और दूसरा नोएडा के फार्महाउस में बना खुफिया लैब अब पुलिस की नजरों में आ चुका था।
शोभित के वहां से वापस आने के बाद भी शोभित ने अपनी जांच बंद नहीं की थी। कहीं ना कहीं उन्हें मीरा की बात पर विश्वास था…वैसे रातों रात लैब को एक खिलौने की फैक्ट्री में बदलना कोई कठिन काम नहीं था। अगर चालीस पचास लोग लगें तो एक दो घंटे में सबकुछ सेट हो सकता है।
चीफ ने तो ऐसा कुछ नहीं कहा था पर नैना को ऐसा लग रहा था कि अब यह लैब कहीं और सेट करनी होगी क्योंकि उस फार्महाउस के आसपास पुलिसवाले सादे कपड़ों में गस्त लगाने लगे थे, कहीं ना कहीं वे उन सैकड़ो गुम लोगों को ढूंढ रहे थे, जो बिना किसी कारण अचानक से लापता हो गए थे।
अब पुलिस पर दबाव पड़ रहा था कि इतने लोगों के गायब होने को इतने हल्के में नहीं ले सकते, कहीं से तो शुरूआत करनी होगी और अगर यह केस सीबीआई के पास चला जाता तो और भी मुश्किल हो जाती।
अमरीश ने चोरी छिपे कुछ पुलिसवालों को मोटी रिश्वत दे दी थी ताकि वे अपनी रिपोर्ट में यह लिख दें कि फार्महाउस के आसपास सबकुछ ठीक है वहां केवल खिलौने बनाने वाली चीजों के बेकार और यूजलेस चीजों के अलावा कुछ नहीं है।
पर शोभित को वे नहीं खरीद सकते थे, पहली बात वे अमरीश के दोस्त और मीरा के बहुत ही अच्छे अंकल थे और दूसरी बात ये कि वे अब रिटायर हो चुके थे, सारी जिम्मेदारियों से निपट चुके थे, अब उनके पास ऐसा कोई बहुत बड़ा खर्चे वाला काम नहीं रह गया था जिसके लिए अमरीश को उन्हें रिश्वत देने की जरूरत पड़े।
शोभित अपनी ओर से छोटी मोटी तहकीकात कर रहा था…अमरीश ने नैना को भरोसा दिलाया था कि शोभित यह सब कुछ दिन करेगा उसके बाद वह शांत बैठ जाएगा।
पर नैना यह सब मानने वालों में से नहीं थी, वह चाहती थी कि किसी तरह से शोभित को रास्ते से हटा दिया जाए, लेकिन अमरीश यह करने को तैयार नहीं था।
नैना की पैंतालीस साल की मां आराम से निश्चित होकर बेड पर बैठी थी.…उनके हाथ में उनकी फेवरेट रेड वाइन थी और दूसरे हाथ में उनका वह आई फोन था जिसे अभी कुछ दिन पहले उनके बॉयफ्रेंड और प्रोफेसर सुभाष त्यागी ने गिफ्ट किया था...वे फोन पर रील्स देख रही थी और वाइन पीते हुए ठहाके मारकर हंस रही थी। उनको ऐसे हंसते हुए देखकर नैना घृणा से भर उठी, उसका रोम रोम जल उठा।
‘’आप ऐसे आराम से अपनी लाइफ कैसे इंजॉय कर सकती हैं मम्मा, जबकी मेरे गरदन पर तलवार लटकी हुई है, आप जानती भी हैं कि चीफ मुझे किसी भी समय मार सकता है।‘’
नैना की मां लता ने सपाट नजरों से नैना को देखा, ‘’तुम तो इतनी चालबाज और स्वीट लड़की हो, चीफ भला तुमसे कैसे नाराज हो सकता है?‘’
मम्मा….नैना चीख उठी, मुझे भी अपने जैसा समझ रखा है, जहां कहीं मर्द देखा उस पर डोरे डालना शुरू कर दिया। यह नैना बोल रही थी जिसने खुद अपने बाप की उम्र के आदमी अमरीश को अपने रूपजाल में फंसा रखा था।
लता के चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट तैर गई…वे आगे बढ़कर नैना की ठोढ़ी पकड़ते हुए बोली, ‘ओह मेरी सीधी सादी प्यारी सी मासूम बेटी, जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं है।‘’
नैना ने लता का हाथ अपने चेहरे से हटाते हुए कहा, ‘’जानती हूं आपको सब पता है मैं भी गिरी हुई लड़की हूं पर आपके जैसी गई गुजरी नहीं हूं।‘’
लता ने कहा, ‘’अमरीश को तुम्हारी जैसी ताजी खिली हुई कली से कोई लगाव नहीं है क्या? या फिर तुम उसे आकर्षित ही नहीं कर पाई? मेरी मानों तो इस अमरीश को छोड़ो और चीफ को अपने हुस्नजाल में फसाओं.....वह अमीर है जवान है, एक लड़की को जिंदगी के मजे लेने के लिए यही तो चाहिए।‘’
‘’मम्मा मैंने आज तक उसका चेहरा ही नहीं देखा है, केवल आंखे देखी है आपको भी पता है कि उसके काम तो शैतानों वाले हैं क्या पता उन्हीं के जैसा भयानक दिखता हो?‘’
‘’ओहो कोई बात नहीं, अगर बदसूरत भी होगा तो क्या हुआ..? पैसे वाला तो है ना, अगली बार उसका फोन आए तो उससे मीठी-मीठी बातें करो, उससे मिलने की गुजारिश करो, अरे हां मिलने से याद आया मुझे कहीं जाना है।‘’
नैना ने लता को घूरते हुए देखा और कहा, ‘मैं आपको पास इसलिए आई हूं कि आप मेरी समस्या को थोड़ा सीरियसली लेंगी ओर उसके समाधान के लिए कोई उपाय निकालेंगी पर यहां तो केवल आप अपने ही बारे में सोच रही हैं, यह सब आप बंद क्यों नहीं कर देती हैं, एक जवान बेटी की मां को यह सब करते शोभा नहीं देता है।‘’
‘’तुम मुझे मत समझाओं की मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए? तुम्हें राघव और मीरा चाहिए ना…डोंट वरी बेबी, मेरे जान पहचान के एक पुलिस आफिसर हैं, वे राघव और मीरा को पाताल लोक से ढूंढकर तुम्हारे सामने लाकर खड़ा कर देंगे।‘
मीरा का नाम सुनकर नैना अपने चेहरे पर हैरानी का भाव लाते हुए बोली, ‘’मीरा.…किसने कहा कि मुझे मीरा चाहिए, वह मुंबई में है उसने अपनी जॉब ज्वाइन कर ली है, उससे मुझे कोई डर नहीं, सबसे बड़ा खतरा तो वह राघव है, जरूर कहीं छिपकर कोई बहुत बड़ी प्लानिंग कर के चीफ के खिलाफ बड़ा सबूत इकटठा कर रहा होगा, और अगर एक बार चीफ एक्सपोज हो गया तो उसके अगले ही पल में हम सब खत्म हो जाएंगे।‘’
‘’डोंट वरी बेबी ऐसा कुछ नहीं होगा तुम कुछ ज्यादा ही सोचने लगती हो, बिल्कुल अपने पापा शेखर शर्मा की तरह।‘’
शेखर का नाम सुनकर नैना का रोम रोम जल उठा.…‘’वह मेरा सौतेला बाप है या फिर कह सकती हो कि मेरा नाजायज बाप और वह राघव मेरा सौतेला भाई जिसे बरबाद करने की कसम मैंने बचपन में ही खाई थी।
‘’और तुम इसमें कामयाब भी हो गई हो‘’ लता ने नैना को प्रशंसा भरी नजरों से देखते हुए कहा।
‘कुछ हद तक, लेकिन मुझे नहीं लगता है कि यह सब बहुत ज्यादा था। मैं केवल राघव और मीरा को अलग करने में ही कामयाब रही..अब तक राघव ने किसी लड़की को पसंद नहीं किया है और ना ही मीरा को दोबारा प्यार हुआ है, इसका मतलब यही हुआ कि वे अब भी एक दूसरे से प्यार करते हैं।‘’
‘’प्यार अगर करते तो दोबारा मिलने पर एक न हो गए होते? चिंता मत करो, हम राघव की कमजोरी जानते हैं, तुम चीफ को पटाने के बारे में सोचो‘’ लता ने नैना को याद दिलाते हुए कहा।
‘’यह सब मुझसे नहीं होगा, थक गई हूं मैं यह सब करते करते....कभी कभी तो मैं खुद को कोसती हूं कि मैं आपकी कोख से पैदा ही क्यों हुई? जरूर पिछले जन्म में बहुत ज्यादा पाप किए होंगे तभी तो दुनिया की नजरों में मैं एक नाजायज औलाद से ज्यादा कुछ नहीं हूं।‘’
लता ने नैना को आंखे तरेर कर देखा, ‘’किसने कहा कि तुम नाजायज हो, तुम मेरे और शेखर के प्यार की निशानी हो।‘
‘’कैसा प्यार कैसी निशानी..? शादीशुदा आदमी से प्यार किया और जिंदगी भर मुझे उस परिवार से कितने ताने सुनने को मिले हैं, वह सब मैं नहीं भूल सकती…इसके लिए सिर्फ और सिर्फ आप जिम्मेदार हैं, एक शरीफ औरत की तरह किसी लड़के से शादी करके अगर घर बसा लेती तो मुझे इतनी जिल्लत भरी जिंदगी न जीनी पड़ती।‘’
नैना ने अपनी मां को झिड़कते हुए कहा, नैना इस तरह के ताने कई बार लता को सुनाती रहती थी। वह इसकी आदी हो चुकी थी, क्योंकि लता अपनी जवानी के दिनों से ही किसी एक इंसान से बंधकर रहने वाली औरत नहीं थी…उसे शादीशुदा लाइफ बोरिंग लगती थी। एक ही इंसान के साथ पूरी जिंदगी रहना, उसके लिए तीन टाइम रोटियां बनाना, उसे दुनिया की सबसे बड़ी सजा लगती थी।
लता कभी शादी करना ही नहीं चाहती थी...इसी दौरान वह शेखर से मिली, अपनी बातों से उसने शेखर को पूरी तरह से रिझा लिया था, चार बच्चों का बाप शेखर लता की सुंदरता में इस कदर खो गया कि उसे अपनी शादीशुदा जिंदगी के बारे में भी ख्याल नहीं आया।
लता शेखर से कब का अलग हो चुकी थी....पर शेखर ने नैना को पिता का प्यार देने की भरपूर कोशिश की लेकिन वे दुनिया और समाज का मुंह तो नहीं बंद कर सकते थे। बचपन से ही लोगों की कड़वी बातें और गंदी नजरों का सामना कर के बड़ी हुई नैना के दिल में केवल नफरत और वितृष्णा भरा हुआ था।
लता अपने उस अतीत के बारे में सोच रही थी जिसमें दुर्भाग्य से नैना पैदा हो गई। नैना के पैदा होने के बाद भी लता ने अपनी रंगीन जिंदगी को जीना नहीं छोड़ा था।
इस समय वह दिल्ली के एक प्रोफेसर के साथ रहती थी...जिनका अपनी पत्नी के साथ तलाक हो चुका था, और अब बुढ़ापा काटने के लिए एक औरत की जरूरत थी और वह जरूरत लता ने पूरी कर दी।
नैना की ओर से चिंतामुक्त होकर लता एक आलीशान जिंदगी जी रही थी, उसने नैना के लिए भी ऐसी ही लाइफ चाही थी कि वह किसी रईसजादे को अपने जाल में फंसा ले पर बदले की भावना दिल में लेकर घूमने वाली नैना को केवल राघव और उसके परिवार की बर्बादी चाहिए थी, इसके लिए उसने हर वो गलत काम किया जो उसे नहीं करना चाहिए था, चीफ से सम्पर्क हुआ, मीरा के पिता को अपने जाल में फंसा लिया।
नैना का बड़बड़ाना जारी था, ‘’मैं उस पूरे परिवार को मिट्टी में मिला दूंगी।‘’
लता ने खीजते हुए कहा, ‘’अब बस भी करो, तुम अपनी इतनी सुंदर लाइफ बरबाद कर रही हो, अरे राघव और मीरा की शादी टूटने के बाद वह शर्मा फैमिली वैसे ही टूट गई थी, उसके बाद तुम्हें अपने बारे में सोचना चाहिए था। खैर छोड़ो वो पुलिस आफिसर आता ही होगा, वह मेरा खास आदमी है। जैसा मैने बताया वह राघव को ढूंढने में तुम्हारी मदद करेगा।‘’
खास आदमी के नाम पर नैना ने लता को घूरा, मन मे आया की पूछ ले कि कितने खास आदमी हैं आपके, न जाने कितने मर्दों को फंसाकर रखा है इस औरत ने।
तभी डोरबेल बजी, ‘’नितिन आ गया, उसके सामने जरा तमीज से पेश आना, बहुत ही इंटेलिजेंट और खुरार्ट टाइप का इंस्पेक्टर है।‘’
नौकर ने डोर ओपन किया, लता ने अपनी साड़ी ठीक की और नैना के साथ हाल में आ गई।
हॉल में नैना ने देखा एक बेहद दुबला पतला और छ: फिट का आदमी पुलिस की वर्दी पहने सोफे पर बैठा है, वह बड़ी ही सतर्क नजरों से पूरे घर का मुआयना कर रहा था, लता को देखते ही उसका चेहरा खिल गया और खड़े होकर उसने नमस्ते किया।
नैना ने उसे देखते ही लता से धीरे से कहा, ‘’यह किस एंगल से आपको पुलिस वाला लगता है, मुझे तो यह जोकर लग रहा है।‘’
‘चुप रहो, तुम्हें राघव चाहिए या नहीं यही तुम्हारी मदद कर सकता है दिल्ली पुलिस का बहुत ही खासमखास है, अब तुम इसे राघव के बारे में सबकुछ बता देना, आखिरी बार वह कहां देखा गया था वह भी।‘’ लता ने नितिन को देखकर मुस्कुराते हुए धीरे से नैना से कहा।
निका ब्रांड का ऑफिस…
ऑफिस के कैंटीन में सन्नाटा पसरा था…जब से धैर्य सबको चेतावनी देकर गया किसी के मुंह से एक घूंट पानी तक नही पिया जा रहा था। धैर्य ने केवल चौबीस घंटे का वक्त दिया था, निका के नए बॉस का फोन भी स्विच ऑफ था...क्या उन्हें सब सच पता चल गया है.? हो सकता है इसलिए इस मुसीबत से पहले ही पल्ला झाड़ लिया।
पर बाकी स्टाफ का क्या होगा? सबकी नौकरी चली जाएगी? और धैर्य जैसा आदमी तो निका ब्रांड की ऐसी बदनामी करेगा कि इस स्टाफ के किसी मेंबर को कहीं और नौकरी भी नहीं मिलेगी। सभी के मन में यही सवाल था कि क्या किया जाए कि धैर्य अपना मन बदल ले और सबकी जॉब बच जाए?
आहना भी अपना फोन नहीं उठा रही थी कि उससे सच्चाई पता चल सके।
मीरा के मन में आया कि क्या वह आर्यन से बात करे.? एक वही है जो निका ब्रांड को बचा सकता है और धैर्य को सबक सिखा सकता है क्योंकि धैर्य की औकात आर्यन के सामने कुछ नहीं है, पर क्या यह सही रहेगा? उससे सम्पर्क कैसे करूं?
मीरा अपने ख्यालो में ही खोई थी कि ऑफिस की रिशेप्सनिस्ट दौड़ते हुए आई और अपने फोन पर एक वीडियो दिखाने लगी...’’ये देखिए सर यह तो कमाल हो गया‘’ वह शांतनु से बोली।
वह वीडियो देखते ही सबकी आंखे आश्चर्य से फैल गई।
आखिर क्या था उस विडियो में.?
क्या मीरा आर्यन से मदद लेगी?
क्या नैना अपने मकसद में कामयाब हो पाएगी?
लता और इंस्पेक्टर नितिन राघव को ढूंढने में उसकी मदद कर पाएंगे?
जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया मोहब्बत।
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