चंद सेकेंड के अंदर मीरा की आंखो के सामने ट्रेन निकल गई, मीरा के दिल की पीड़ा आंसू बनकर लगातार आंखो से छलकते जा रहे थे। इस बार भी राघव चला गया, बिना कुछ बताए…फिर कभी न मिलने की बात कहकर।
सबकुछ वहीं का वहीं रह गया...मैं कितना भी आगे बढ़ने की कोशिश कर लूं पर कुछ तो है जो मुझे मेरे अतीत में लाकर बार-बार पटक देता है।
मीरा घर लौट आई, दिन भर की थकान के बाद भी आंखो से नींद कोसो दूर थी।
वह बालकनी में आकर खड़ी हो गई….चारो ओर बड़ी बड़ी बिल्डिंग खड़ी थी, कुछ एक घरों की लाइटें जल रही थी....नीचे रोड पर गाड़ियों की आवाजाही लगी हुई थी।
राघव ने ऐसा क्यों कहा की अपने पैरेंट्स के पास जाओ? लेकिन बिना बताए, इसमें क्या राज है...?
दिसंबर का महीना चल रहा है, मसूरी में तो कड़ाके की ठंड होगी....पर पापा नोएडा के फार्महाउस में क्या करने आए हैं? शायद मसूरी की भीषण ठंड से बचने के लिए नोएडा आए होंगे, पर ...अब तो उन्हें नोएडा नहीं भाता है।
मीरा अगले दिन दिल्ली के फ्लाइट की टिकट देखने लगी, दोपहर की टिकट मिल गई थी…शाम छ: बजे प्लेन लैंड होना था।
क्या मैं निहारिका मैम को बता दूं? छुट्टी के लिए अप्लाई कर दूं? पता नहीं कितने दिन लग जाएं और अगर मुझे कुछ पता ही न चले तो....सब चीजें वहीं के वहीं रहेंगी।
नहीं मैम को बताना ठीक नहीं रहेगा…राघव ने मना किया था। बाद में अगर आफिस से किसी का फोन आता है तो मैं बता दूंगी कुछ जरूरी काम था इसलिए निकलना पड़ा।
मीरा ने अपनी पैकिंग की...अगले दिन पूरे समय वह घर पर ही थी...दोपहर को फ्लाइट के ठीक दो घंटे पहले टैक्सी बुक कराई और एयरपोर्ट की ओर निकल गई।
यह पहली बार था जब वह बिना बताए अपने मम्मी पापा से मिलने जा रही थी...सिचुएशन ही ऐसी थी कि इस बार वह किसी के लिए कुछ ले भी नहीं पाई।
आखिर क्या है उस फार्महाउस में?
चुपचाप बिना किसी की नजरों में आए बिना राघव ने जाने के लिए क्यों कहा?
अब मुझे अपने ही फार्महाउस में चोरों की तरह घुसना होगा। फार्महाउस की चारों ओर दीवारें बहुत ही लम्बी है, पर मैं फांद लूंगी।
पूरे दो घंटे की फ्लाइट में मीरा फार्महाउस जाकर क्या करेगी यह सब प्लान करने लगी? उसके दिमाग में यही चल रहा था कि जरूर पापा के फार्महाउस में कोई इल्लीगल काम होता है। पर उसका ताल्लुक राघव के साथ हुए हादसे, कबीर, नैना राजवीर और सूर्या के साथ कैसे है? ओह गॉड सबकुछ बहुत उलझा हुआ है।
प्लेन में एनाउंस होने लगा कि अब हम कुछ ही मिनट में लैंड होने वाले हैं, बाहर का तापमान चार डिग्री सेल्सियस है...’’
दिसंबर के महीने में चार डिग्री सेल्सियस तो सामान्य तापमान है। उसने अपना जैकेट पहनकर अच्छे से बंद किया। सिर मफलर से अच्छे से लपेट लिया।
प्लेन का दरवाजा खुला और मीरा के चेहरे पर ठंडी हवा का तेज झोंका झकझोर गया, ऐसा लगा जैसे किसी ने बर्फ के टुकड़े चेहरे पर फेंक दिए।
इस समय तो जैकेट, मफलर और गलब्स भी कम लग रहे थे।
लोग जल्दी जल्दी उतरकर अपनी अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहे थे। मीरा ने भी फटाफट अपना सूटकेस लिया और बाहर निकल गई।
इस बार तो किसी को खबर भी नहीं किया था इसलिए कोई लेने नहीं आया। टैक्सी खुद से बुक कर के राघव के बताए जगह पर चल दी।
एकाएक उसका मन कहने लगा कि वह यह सब क्यों कर रही है...? अच्छी भली लाइफ में आगे बढ़ रही थी...अपनी खुद की पहचान भी बन गई है। एक तरह से लाइफ सेट हो गई है तो क्यों फिर अपनी बीती हुई जिंदगी के हादसे को दोहराने पर तुली हुई है?
कहीं ऐसा न हो कि सच जानने के बाद मेरी दुनिया ही बदल जाए...कहीं मैं बाद में पछताऊं नहीं...? राघव की कई लोगों से दुश्मनी होगी पर मुझसे तो नहीं है...मैं क्यों बेवजह अपना दिमाग खपा रही हूं?
पर जब तक मैं सच नहीं जान जाती मुझे शांति नहीं मिलेगी।
अचानक कार रूक गई, ड्राइवर ने मीरा से कहा…मैडम इसके आगे कार नहीं जा सकती, यहां चारों ओर कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है, रोड पर ईंट, बालू, सीमेंट रखे हैं, ऐसा लग रहा है जैसे रोड ही ब्लाक हो गया है।
मीरा ने देखा चारो ओर बिल्डिंग खड़ी थी - कहीं नींव खुदी पड़ी थी, कहीं आधी बनी बिल्डिंग थी। शाम के सात बज चुके थे, चारो ओर छोटी-छोटी झोपड़पट्टियां बनी थी, जो यहां काम करने वाले मजदूरों और उनके परिवार की थी।
सभी झोपड़ियों के बाहर चूल्हें जल रहे थे, मजदूर आग तापते हुए बातें कर रहे थे।
मीरा को जिस फार्महाउस में जाना था वह कहीं आसपास ही था, पर ड्राइवर को नहीं पता था…शायद इन मजदूरों को पता हो।
मीरा ने अपना पर्स संभाला और जाकर फार्महाउस के बारे में पता किया, फार्महाउस का नाम सुनते ही आग ताप रहे मजदूर हक्के बक्के रह गए।’’
‘’मैडम है तो यहां से दस मिनट की दूरी पर...पर वहां जाना तो मना है, कुछ बड़े लोग काम करते हैं।‘’
‘आप मुझे बस बता दीजिए कि वह किधर पड़ेगा?‘’
एक मजदूर ने एक निमार्णाधीन पांचमंजिला बिल्डिंग की ओर इशारा किया...इसके ठीक पीछे आपको एक जंगल जैसा दिखाई देगा....पैदल जाने वालों के लिए एक पतला सा रास्ता है, संभलकर जाइएगा...बड़ा ही उबड़ खाबड़ रास्ता है और कहीं कहीं छोटे मोटे गडढे भी हैं। दस मिनट बाद सफेद रंग की दीवार से घिरा फार्महाउस मिल जाएगा।
जी शुक्रिया कहकर मीरा उस ओर गई...सामने घना अंधकार फैला था।
पूरे शरीर में डर की सिहरन दौड़ गई...पता नहीं क्या हो अंदर.? कहीं रास्ते में सांप बिच्छु? नहीं अगर ऐसा होता तो वह मजदूर मुझे बता देता और अगर जंगली जानवर होते तो मजदूर अपने परिवार के साथ यहां क्यों रहते?‘’
मन में ढेर सारे सवाल और आशंकाओं के साथ मीरा आगे बढ़ने लगी उसने मोबाइल का टार्च ऑन कर रखा था।
ठीक दस मिनट बाद ही सफेद बाउंड्री से घिरा एक फार्महाउस नजर आया…दीवार फांदना मीरा के लिए कोई कठिन काम नहीं था। दो प्रयास में ही वह फार्महाउस के अंदर कूद पड़ी, तभी कुत्ते के भौकने की तेज आवाज मीरा को सुनाई दी…अंधेरे में भी उसने मीरा को देख लिया था।
वह दूसरी और भाग गई, उसी समय किसी परिचित की आवाज सुनाई दी..वह भौंक रहे कुत्ते को पुचकार रहा था....’’राॅकी शोर मत बचाओ…क्या हुआ?‘’
मीरा को खुद पर विश्वास नहीं हुआ...जैसा उसने सोचा था यह उसके अनुज मामा की आवाज नहीं थी।
फिर एक दूसरी आवाज...जो एक लड़की की थी...वह भी मीरा को परिचित सी लगी, पर वह अनन्या की नहीं थी..’’लगता है इसने कुछ देखा है, राॅकी ऐसे तो नहीं भौंकता। फार्महाउस के अंदर कोई बंदर तो नहीं आ गया जिसे देखकर वह भौंक रहा था?
फिर उस आदमी ने एक सिक्योरिटी गार्ड से कहा....धीरज जाकर चेक करो की क्या है।
तुम अंदर चलो रॉकी…उस लड़की ने कहा।
मीरा झाड़ियों के पीछे सांसे थामें बैठ गई....जैसा सोचा था यहां तो चीजें बहुत ज्यादा उलझी हुई हैं।
जब मीरा श्योर हो गई कि सिक्योरिटी गार्ड चारों ओर चेक कर के जा चुका है तो वह झाड़ी से निकली और दबे पांव फार्महाउस के अंदर जाने के लिए रास्ता ढूंढने लगी। यह फार्महाउस भी कोई छोटा मोटा घर नहीं था, बड़े ही लम्बे चौड़े एरिया में फैला था।
मीरा ने अपने मोबाइल को साइलेंट पर किया…वह सामने मेन गेट की ओर से नहीं जा सकती थी, वहां दो गार्ड बैठै थे।
अंदर से रॉकी के भौंकने की आवाजें लगातार आ रही थी और वही दोनों परिचित आवाजें उसे पुचकार रहे थे। वे आवाजे जो मीरा के लिए अविश्वसनीय थी या उसके दिल का भ्रम था.? शायद राघव ने उसे बताया था कि उसका कोई अपना है इसलिए मीरा को ऐसा आभास हो रहा था कि मेरा इतना करीबी मुझे बिना बताए चोरी छिपे यहां क्या करेगा..?
संयोग से मीरा को फार्महाउस के पीछे वाले हिस्से में एक दरवाजा खुला मिल गया।
उस दरवाजे के बाहर चार-पांच डस्टबिन रखे हुए थे, उस डस्टबिन में यूज किए हुए ढेर सारे इंजेक्शन, खून लगी सफेद पट्टियां, रूई और अजीबों गरीब नाम वाली दवाई की शीशियां थी।
मीरा अंदर घुस गई और सबकुछ कौतुहल भाव से देखते हुए आगे बढ़ने लगी। अंदर की गंध उसे कुछ अजीब सी लगी...फार्महाउस के इस हिस्से में वैसी ही गंध फैली हुई थी जैसी हास्पिटल में होती हैं, फिनाइल डिटाल और कहीं कहीं तो जैसे सड़े मांस की खूशबू।
क्या है यह सब..? मीरा एक लम्बे चौड़े गलियारे में खड़ी थी, गलियारे के दोनों ओर कांच के बड़े-बड़े डिब्बे रखे थे...उन सभी में जानवर थे....यह देखकर मीरा को कंपकपी छूट गई।
एक कांच के डिब्बे मे चार पांच सांप....किसी में बिच्छु....किसी में खरगोश किसी में ढेर सारे चूहे शोर मचा रहे थे।
एक डिब्बे में दो बिल्लियां औधे मुंह पड़ी हुई थी, और भी कुछ अजीबोगरीब समुद्री जीव थे जिन्हें मीरा ने न कभी देखा था और ना ही उनका नाम सुना था।
कहीं मैं किसी लैब में तो नहीं आ गई...मैं सही फार्महाउस में तो आई हूं न? पर ये जानवर ऐसे बंद कर के क्यों रखे गए हैं…क्या होता है यहां?
नाक पर रूमाल रखकर मीरा आगे बढ़ी…आगे से उसे किसी के बात करने की आवाज सुनाई दी और मीरा उसी आवाज की ओर बढ़ने लगी।
मीरा नजरें बचाकर उस कांच के अंदर देखने लगी, वे करीब सात लोग थे सभी ने व्हाइट कोट और लाइट ब्लू पैंट पहन रखी थी, सबने हाथों में गलब्स पहन रखे थे। वे सब डाक्टर लग रहे थे।
उन सभी की पीठ मीरा की ओर थी, वे सब शायद किसी को घेरकर खड़े थे, इन सातों के बीच से मीरा को किसी व्यक्ति के दो पंजे दिखाई दे रहे थे।
वह आदमी किसी कांच जैसी पारदर्शी बिस्तर पर लेटा हुआ था।
तभी एक आदमी अंदर आया, आदमी जिसने अपने चेहरे पर मास्क लगा रखा था... पर उसका चाल ढाल मीरा को जानी पहचानी लगी, उस आदमी को देखकर बाकी सारे सफेद कपड़े वाले आदमी एक ओर हो गए, ऐसा लग रहा था कि वह इन सबका हेड था, पर उसने एक कैजुअल टीशर्ट और ब्लैक कलर का ट्राउजर पहन रखा था। मीरा उस आदमी की पहचान करने के लिए झुकते हुए आगे बढ़ने लगी, वह कोई लैब थी, एक बड़े से स्टूल के पीछे मीरा ने अपने आप को ऐसे छुपा लिया कि वह अंदर सबको देख सकती थी पर उसे कोई नहीं देख सकता था।
‘’क्या हाल है इस लड़के का?’’ मास्क वाले आदमी ने पूछा।
मीरा का दिल धड़क उठा…यह यह तो मेरे पापा की आवाज है..पर मेरे पापा का लैब में क्या काम है?......नहीं नहीं शायद मेरा भ्रम है।
सफेद कपड़े पहने सातों व्यक्तियों में से एक ने कहा, ‘’सर वैक्सीन की टेस्टिंग शायद सफल नहीं हुई, अभी हम इसकी बॉडी का रिएक्शन देख रहे हैं, हार्टबीट थोड़ी कम हुई है और बॉडी पर अजीब तरह के काले काले दाने जैसे निकल रहे हैं।
कितने दिनों से हम एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं, अभी तक पॉजिटिव रिजल्ट क्यों नहीं निकला है?
जानवरो पर तो सक्सेस हो गया है पर इंसानो पर क्यों नहीं हो रहा है?
एक दूसरे सफेद कपड़े वाले ने कहा, ‘’सर एक तो हम इल्लीगल काम कर रहे हैं, चोरी छिपे नकली वैक्सीन बनाना बहुत बड़े खतरे का काम है..’’
मास्क वाले ने कहा, ‘’इसके लिए मैं तुम्हें अच्छी खासी रकम देता हूं और आज तक हमारा यह इल्लीगल काम किसी को पता चल पाया है।‘’
सर मुझे लगता हे कि हमें इस फार्महाउस की सिक्योरिटी बढ़ा देनी चाहिए…आसपास बहुत से मजदूर इसे शक भरी नजरों से देखते हैं, किसी दिन शक हो गया और पुलिस आ गई तो…?’’
‘’पुलिस को शांत करना हम जानते हैं, तुम चुपचाप अपना काम करो, अगले एक हफ्ते के अंदर अंदर हमें ये वैक्सीन मार्केट में उतारनी है, मैं अपना नुकसान नहीं कर सकता, इस आदमी के लापता होने की रिपोर्ट तो नहीं हुई?’’
एक डाक्टर जवाब देता कि तभी कांच पर लेटा आदमी तड़पने लगा, वह भयानक रूप से चीखने लगा, सब लोग पीछे हट गए, ऐसा दर्दनाक दृश्य देखकर मीरा की आंखे फटी रह गई। कुछ देर तड़पने के बाद वह आदमी बेदम होकर नीचे गिर गया।
एक डाक्टर ने कहा, ‘’ओह, यह भी मर गया।‘’
मास्क वाले ने अपना मास्क निकालते हुए कहा, ‘’इसकी बॉडी को ठिकाने लगा दो।‘’
मीरा ने उस मास्क वाले का पूरा चेहरा देखा, उसके पूरे शरीर की नसों में बिजली दौड़ गई। वह चीखना चाहती थी, लेकिन आवाज ने उसके गले का साथ छोड़ दिया, दिल की धड़कन पूरे रफ्तार से दौड़ने लगी। आंखे भय और आश्चर्य से फूट पड़ी, वह मास्क वाला आदमी कोई और नहीं बल्कि उसके पापा अमरीश थे।
तभी एक लड़की वहां आई...वह नैना थी...मीरा को विश्वास ही नहीं हो रहा था, उसके पापा...राघव की वाइफ नैना के साथ क्या कर रहे हैं?
फार्महाउस के बाहर मीरा ने इन्हीं दोनों की आवाज सुनी थी, वह मान नहीं सकती थी कि उसके पापा नैना के साथ ऐसी जगह पर होंगे। अचानक मीरा स्टूल के पीछे से निकलकर सामने आ गई.…अमरीश और बाकी सारे डाक्टर सकते में आ गए।
मीरा....मीरा…मेरी बेटी.....तुम तुम यहां कैसे? ….तुम्हें यहां नहीं होना चाहिए था।
मीरा बेबस होकर अपने पापा को देख रही थी......साथ में नैना खड़ी थी जिसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान फैली थी।
मीरा ने जो देखा उसकी सच्चाई क्या है?
इस गुप्त लैब में वैक्सीन के नाम पर क्या खेल खेला जा रहा है?
क्या असली खिलाड़ी अनुज नहीं बल्कि अमरीश हैं और नैना का अमरीश से क्या सम्बंध है?
जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया मोहब्बत।
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