ये कैसा साया है जिसने इस जंगल और शहर के ज्यादातर इलाके को अपनी कैद में जकड़ लिया है? इस जगह रहने वाले इंसान ही नहीं बल्कि जानवर तक, चाहे वो जंगली हो या पालतू, सबकी आँखों में इस साये का डर साफ-साफ दिख रहा था। प्रकृति का हर जीव जो यहां था पेड़-पौधे फूल पत्ते सब डरे और मुरझाए हुए से थे। किसी आम भूत प्रेत की कहानियों में अक्सर कोई रूह किसी खास मकसद के लिए वहाँ रुक जाती है और तंत्र विद्या से उस पर काबू पा ही लिया जाता है लेकिन यहां बात कुछ और थी। ये वो साया था जो आत्मा हर लेता था और उसने इस जगह को अपना घर बना लिया। शायद कोई था जिसने उसे यहां बुलाया और उसे ये जगह तोहफे में दे दी।

अगली सुबह, समीर उठता है और खुद को किसी नयी जगह पाता है। ये कमरा, ये होटल सब अलग। यहाँ समान भी नहीं है उसका और ना ही किसी और का। समीर भाग कर उस होटल लॉबी में जाता है और reception पर खड़ी औरत से पूछता है -

समीर - कल.. यहां क्या हुआ था? मैं यहां कैसे आया? आप बता सकती हैं कुछ?

वो औरत बिना कुछ बोले बस उसे घूर रही थी। समीर को समझ आ गया कि यहाँ उसके सवालों के जवाब नहीं मिलेंगे। वो भाग कर अपने होटल गया जहां उसका कमरा खुला था और उसकी डायरी गायब थी। वो पागलों की तरह उस डायरी को हर जगह खोज रहा था तभी उसकी नजर उस खिड़की पर पड़ी जहां से वो सुरंग दिखती है। उसे पहले भी लगा था कि शायद यहाँ उसको उसके सवालों के जवाब मिल सकते हैं। उसने जल्दी से अपनी जेब से वो कांच निकाला जो उस बूढ़ी औरत ने उसे दिया था और देख कर दंग रह गया। उस कांच पर भी वो निशान था जो समीर ने हर जगह देखा था। कल क्या हुआ ऐसा जिससे ये कांच अंदर से टूट गया? समीर को कुछ याद नहीं था।

उसने बिना समय गंवाए ये फैसला किया कि सुरंग की तरफ जाना चाहिए और कुछ ही देर में वो अपना bag उठाए उस सुरंग के बाहर खड़ा हो गया जहां एक बोर्ड पर लिखा था -

जंगली जानवरों से सावधान! यहां किसी भी इंसान का प्रवेश निषेध है। आदेश ना मानने पर आप आदमखोर जानवरों का शिकार हो सकते हैं।

समीर जैसे ही अपना कदम उस सुरंग की ओर बढ़ाता है उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा। समीर का शरीर कुछ देर के लिए सुन्न पड़ गया जैसे किसी शक्ति ने उसे छू लिया हो।

हिम्मत जुटा कर समीर पलटता है और देखता है कि वो बूढ़ी औरत, जिसने उसे वो कांच दिया था, उसकी डायरी हाथ में लिए खड़ी है।

समीर(हैरानी से) - आ.. आप के पास ये डायरी कैसे? मैं वो आपको बताने ही वाला था वो आपका दिया कांच..  वो खुद टूट गया और उसपर ये निशान...

बूढ़ी महिला ने समीर से कहा,  “शांत हो जाओ। मुझे पता था वो सिर्फ उसी कांच में दिख सकता है और उसका सामना कर सके इतना मजबूत कोई कांच नहीं बना इस दुनिया में। तुम्हें पता नहीं है तुमने किसे देखा है और अगर उसने तुम्हें देख लिया हो तो तुम्हारा बच पाना नामुमकिन है।”

उस बूढ़ी औरत की आँखों में डर साफ दिख रहा था। उसने अपने गले से एक तिलिस्मी पत्थर की माला निकाल कर समीर के गले में पहना दी और बोली, “मैंने ये डायरी पढ़ ली है। मैं बस तुम्हें आगाह करने आयी थी कि जिस चीज़ को तुम खोज रहे हो वो मौत है। उस दिन दुकान में ही मैंने तुम्हारे मकसद को समझ लिया था पर इस साये से लड़ पाना आसान नहीं होगा तुम्हारे लिए। तुम मेरे साथ चलो।”

समीर उस औरत के साथ उसके घर तक जाता है जहां वो उसे किताबों और पहाड़ी औषधियों से भरे एक कमरे में ले जाती है और समीर को बताती है वो राज़ जिस से ज्यादातर लोग अंजान थे। एक ऐसा परिवार जो बरसों से श्रापित है। वो परिवार जिसे श्राप है कि उनके साथ रहने वाला एक  सदस्य अपनी पूरी उम्र नहीं जी पाएगा और उस साये की कहानी जो यहां खुद नहीं आया बल्कि उसे बुलाया गया है। ये एक आत्मा हरता है जिसे अंग्रेजी में सोल हंटर भी कहा जाता है। जब भारत अंग्रेजो का गुलाम था तब इसे किसी फिरंगी परिवार ने एक प्राचीन किताब की मदद से यहां बुलाया। इस साये के यहां आते ही हर तरफ मातम फैल गया था। यहां के अंग्रेज़ सिपाही तक इस जगह को छोड़ कर भाग गए कुछ साल बाद वो परिवार भी यहां से हमेशा के लिए चला गया। उनके जाने के बाद इस साये की शक्तियां कम होने लगी. उस बूढ़ी औरत के पति जो शहर के जाने माने इतिहास के प्रोफेसर थे उन्होंने वो किताब ढूँढ ली और उस आत्मा हारता को वापस उसी दुनिया में कैद कर दिया जहां से वो आया था। उसके बाद उन्होंने उस किताब को उसी तरीके से वापस रख दिया जिस तरीके से उसे पहले रखा गया था। कुछ साल बीते और उस शहर में फिर से सुकून के कुछ पल आए मगर लालच इंसान से क्या नहीं करवाती? उस श्रापित परिवार में कोई तो था जो इस किताब के बारे में जानता था। कुछ साल पहले फिर किसी ने उस किताब को खोज कर और उस विधि को दोहरा कर इसे न्योता भेजा अमरत्व के लालच में। उसने आते ही सबसे पहले बलि स्वीकार की और उसके बाद इस बूढ़ी औरत के पति की जान लेकर अपना बदला पूरा किया और अब उनके शहर छैल को अपना घर बना लिया है। जिसने भी इसे पाला है उसे ये अमरत्व यानी कि कभी ना मरने की मुराद देता है बदले में इसे एक आत्मा की बलि हर हफ्ते देनी होती है। इस बार इतनी बलि मिली है उसे जिससे इसकी ताकत पहले से सौ गुनी बढ़ चुकी है।

बूढ़ी औरत की बात सुन समीर उससे पूछता है -  

समीर - उस सुरंग से इसका क्या नाता है? क्या वहाँ कोई राज़ है?

बूढ़ी औरत बोली, “उस सुरंग में उस आत्मा हरता की शक्तियाँ काम नहीं करती। इसलिए अक्सर वहाँ उसका पहरा रहता है। जिसने भी इसे रोकने की कोशिश की उसने अपनी जान गंवाई।”

समीर - वो किसे मारता है?

बूढ़ी औरत ने जवाब दिया, “वो अपना शिकार खुद चुनता है। हफ्ते के बाकी दिन वो किसी बच्चे के सहारे अपने शिकार पर नजर रखता है। हर बार जब वो आता है एक बच्चा चुन लेता है। कोई बच्चा जिसकी उम्र 15 साल से कम हो उसकी आंखें और आवाज साये की कैद में रहती हैं।”

समीर - पर अब तक तो उसने मुझे देख लिया होगा और कोई तो उपाय होगा उसे वापस कैद करने का?

बूढ़ी औरत ने कहा, “जब तक तुम्हारे गले में ये पत्थर है तुम्हें छू नहीं सकता वो। ये पत्थर मेरे पति ने मुझे दिया था और उसे रोकने का उपाय उस प्राचीन किताब में हैं जिसे ढूँढने का नक्शा उस सुरंग में कहीं…”

बूढ़ी औरत समीर को कुछ बता ही रही होती है कि उसका गला घुटने लग जाता है। वो तड़पने लग जाती है और एक पल में उसकी आँखों की पुतलियाँ सफेद पड़ जाती हैं और वो ज़मीन पर गिर जाती है। समीर ने जैसे ही उस को उठाने के लिए उसे छुआ, एक परछाई सी वहाँ से निकल कर चली गई जैसे वहाँ कोई और भी था जो उनकी बातें सुन रहा था।

समीर आसपास के लोगों को बुलाता है और लोग उसे बताते हैं कि वो बूढ़ी औरत मर चुकी है। लोग समीर को बताते हैं कि वो औरत पागल थी और उसका यहां कोई परिवार नहीं था इसलिए समीर चाहे तो उसका संस्कार कर सकता है। समीर उस औरत के घर को बंद कर उसका संस्कार करने चला जाता है। संस्कार के बाद उसके घर की चाभी उस औरत की दुकान के बाहर टांग कर सीधा उस सुरंग की ओर चल पड़ता है।

सूरज ढलने में बस कुछ घंटे बाकी थे। समीर के दिमाग में सवालों का पहाड़ खड़ा था। समीर बार बार ये सोच रहा था कि उस बूढ़ी औरत ने समीर के लिए अपनी जान दे दी। वो जानती थी कि अगर ये माला उसने अपने गले से निकाली तो वो खुद सुरक्षित नहीं है फिर भी उसने समीर की जिंदगी को चुना। ये बातें समीर की आँखें नम कर रही थी और दूसरी तरफ उसको अपने कंधों पर एक बड़ी ज़िम्मेदारी का एहसास हो रहा था। उसने ठान लिया कि अब वो इस पहेली को सुलझा कर ही रहेगा और दुनिया के सामने छैल का रहस्य और लापता tourists का सच ला कर रहेगा।

जैसे जैसे समीर उस सुरंग के नजदीक पहुंच रहा था, बर्फीली ठंडी हवा के झौंके उसे रोकने की कोशिश करने लगे। समीर पूरी ताकत लगा कर उस सुरंग के पास जैसे ही पहुंचा, उसे कुछ अजीब लगने लगा। समीर को कुछ भूली बातें याद आने लगीं। वो अपने बैग को खोलकर देखता है तो उसकि डायरी उसे मिलती है जिसमें जो पन्ने खाली थे उनपर अब सबकुछ लिखा दिख रहा था। जबसे वो छैल आया है, तब से जितने शुक्रवार गुज़रे, उसे सब याद आने लगा। उसे याद आता है जब उसने उस साये को देखा था। समीर के जीवन का सबसे भयानक दृश्य जिससे उसकी रूह दहल उठी थी पर जो उसको सबसे ज़्यादा झकझोर देने वाला था, वो था अथर्व! अथर्व उस साये का गुलाम है ये बात डॉक्टर रवि को पता है? अगर हाँ तो उन्होंने अपने बेटे को बचाने के लिए कुछ किया क्यूँ नहीं? उस पहले शुक्रवार को डॉक्टर रवि के हाथ में वो थैला, क्या था उस थैले में जिसे वो बैटरी बता रहे थे? समीर ये सब सोच ही रहा था कि अचानक उसे उस सुरंग की दीवार पर कुछ चिन्ह दिखाई दिए। उसने सोचा कि जरूर ये वो चिन्ह हैं जो उसे नक्शे की ओर ले जाएंगे जिसका जिक्र बूढ़ी औरत ने मरने से पहले किया था। समीर फौरन अपने बैग से एक टार्च निकालता है और जैसे ही उन निशानों की तरफ रोशनी करता है तभी अचानक कुछ चमगादड़ वहाँ से उड़ कर समीर की तरफ आते हैं। वो संभलता है और चमगादड़ उड़ के बाहर निकल जाते हैं। समीर देखता है दीवारों पर प्राचीन भाषा में कुछ लिखा था उन्हें समझना किसी आम आदमी के बस की बात नहीं। तभी उसे एहसास होता है कि एक चमगादड़ उसके पैर से चिपका हुआ तड़प रहा था जैसे वो घायल हो। समीर दो कदम पीछे हटता है और उस टार्च की रोशनी में दिखता है उसे एक साया जो ठीक उसके सामने खड़ा था। इतना घना साया जिसे टार्च की रोशनी भी नहीं भेद पा रही थी। समीर जैसे ही उस साये को देखता है वो साया वहाँ से गायब हो जाता है।

समीर को अब ये बात समझ आ गई कि उसने उस साये से दुश्मनी मोल ले ली है। वो आत्मा हरता जिससे पूरा शहर कांपता है समीर ने उसे देखा है और उसकी नजर हर वक़्त समीर पर है। 5 दिन बाद शुक्रवार आने वाला है। क्या समीर किसी अनहोनी को रोक पाएगा? क्या डॉक्टर रवि के पास अब समीर के सवालों का जवाब होगा?


जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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