यह देखकर कुछ लोग हैरान हुए, लेकिन अंततः सबको समझ आ गया कि उन दोनों के बीच सिर्फ़ दोस्ती का पाक़ीज़ा रिश्ता था। हालाँकि अपनी ज़िन्दगी के हर छोटे-बड़े फ़ैसले की तरह ही, अनाया ने अर्जुन को पसंद करने और उसे हाँ कहने से पहले अर्जुन के बारे में वीर की मंशा जानी और उससे हरी झंडी मिलने के बाद ही अनाया ने इस रिश्ते को स्वीकार करने की बात कहकर बात आगे बढ़ाई। और देखते-देखते ही अर्जुन और अनाया शादी के पवित्र बंधन में बंध गए। वीर अपनी नौकरी के सिलसिले में वहाँ से बाहर चला गया। अनाया की शादी के कुछ समय बाद ही कुलदीप जी इस दुनिया से चल बसे। इस कठोर समय में अनाया को वीर की कमी बहुत ज्यादा महसूस हुई, लेकिन क्योंकि वीर भी अपने फ़र्ज़ के हाथों मजबूर था, तो वह चाहकर भी उस वक़्त उसके पास नहीं पहुँच सका।
मगर इस नाजुक वक़्त में अर्जुन ने उसका पूरा साथ दिया। और शायद अर्जुन के प्यार और साथ की वजह से ही अनाया इस सदमे से उबर पाई। धीरे-धीरे ही सही, लेकिन वह अपने गम को भूलकर अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ने के लिए अग्रसर हुई। अनाया के लिए यह उसकी ज़िन्दगी की खुशकिस्मती ही थी कि अर्जुन जैसा प्यारा और अच्छा इंसान उसकी ज़िन्दगी में उसका हमसफ़र बनकर आया, और जो उसे अपनी जान से भी ज़्यादा चाहता था। और उसी के प्यार की वजह से अनाया इतने बड़े गम से उबर कर बाहर निकल पाई थी। और बढ़ते वक़्त के साथ ही वह अतीत की कड़वी यादों को भूलकर अपनी शादीशुदा ज़िन्दगी में आगे बढ़ने लगी थी। और उसका जीवन फिर से खुशियों से भर उठा जब उसकी बेटी अनन्या ने जन्म लिया। उसकी बेटी के जन्म के साथ ही जैसे उसके सारे गम और तकलीफ दूर हो चुके थे, और उसके और अर्जुन के जीवन में खुशियों की एक नई बहार, उनकी बेटी के रूप में, खिलकर उनकी ज़िन्दगी में शामिल हुई थी।
लेकिन अर्जुन के लिए किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था, और एक बार फिर उसके और अनाया के प्यार को ग्रहण लग चुका था। और अचानक ही सात जन्मों का वचन देने और साथ निभाने का वादा तोड़कर अनाया इस दुनिया से अर्जुन को बीच राह में ही छोड़कर चली गई। अनाया से अचानक यूँ बिछड़ जाना अर्जुन के लिए जीते जी मौत के बराबर था, और अनाया की जुदाई से वह बिल्कुल टूटकर बिखर गया था। और अवंतिका के साथ ही उसकी भी जीने की इच्छा बिल्कुल ख़त्म हो चुकी थी। और उसका मन करता था कि बस वह अपनी प्राण त्याग कर अपनी मिष्टी के पास जल्द से जल्द पहुँचकर उससे मिलन कर ले, लेकिन यहाँ भी मजबूरियों और जिम्मेदारियों की बेड़ियों ने उसे जकड़ रखा था, और वह ना चाहते हुए भी जीने के लिए मजबूर था। और सिर्फ़ अपनी बेटी की जिम्मेदारी के लिए उसने खुद को ना सिर्फ़ तब संभाला, बल्कि आज तक वह अपनी इस जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा के साथ निभाते हुए आगे बढ़ रहा था, इस उम्मीद के साथ कि कभी तो, कहीं ना कहीं, ज़िन्दगी और मौत के बीच किसी मुक़ाम पर, वह अपनी अनाया से दुबारा ज़रूर मिलेगा।
ध्रुवी ने अवंतिका की ज़िन्दगी पर लिखी इस संक्षिप्त सी किताब को पढ़कर उसे बंद किया, और फिर कुछ देर यूँ ही उस किताब में लिखी बातों को सोचते हुए उसने पास रखी एल्बम को उठाया, जिसमें अनाया के जन्म से लेकर उसके बड़े होने तक उसके लगभग सारे फ़ोटोग्राफ़ मौजूद थे। कह सकते थे कि अनाया की ज़िन्दगी के हर स्टेज को बखूबी तस्वीरों में उतारा गया था; उसकी ज़िन्दगी की छोटी-बड़ी खुशियों को कैमरे में कैद करके इन तस्वीरों में ढाला गया था।
ध्रुवी ने अनाया की तस्वीरों पर अपनी उंगलियों को फिराया और फिर अपने चेहरे को छूते हुए वह महसूस करने लगी कि वे दोनों असल में कितना मेल खाती थीं, और ना सिर्फ़ एक-दूसरे से पूरी तरह मिलती थीं, बल्कि एक-दूसरे के सामने आईने के समान थीं। उनके नैन-नक्श, चेहरा, बॉडी सब कुछ बिल्कुल समान था, बस अनाया के बाल डार्क ब्लैक कलर के थे, तो वहीं ध्रुवी के बाल ब्राउनिश कलर के थे। इसके अलावा इन दोनों में कोई भी असमानता नहीं थी। ध्रुवी ने उन सारी तस्वीरों पर अपनी उंगलियाँ फिराते हुए उन सबको बड़े ही गौर से देखा।
ध्रुवी (तस्वीरों पर हाथ फिराते हुए अपनी चुप्पी तोड़ते हुए): “आखिर ये कैसे मुमकिन है? और ऐसा कैसे हो सकता है कि दो अलग-अलग जगह पर पैदा हुए इंसान, जिनका एक-दूसरे से दूर-दूर तक भी कोई ताल्लुक नहीं है, वो इस कदर एक-दूसरे से मेल खाते हों? इट्स रियली स्ट्रेंज!”
कुछ देर तक ध्रुवी उन तस्वीरों को यूँ ही गौर से देखती रही, और फिर उस बैग से एक पेनड्राइव निकालकर उसने वहाँ रखे लैपटॉप से उसे कनेक्ट किया और उसमें मौजूद अनाया की ज़िन्दगी से जुड़ी वीडियोज़ देखने लगी। इसमें भी अनाया के जीवन से जुड़ी यादें और खुशियाँ ही मौजूद थीं; जिसमें कहीं वह अपने माँ-बाप से लाड लड़ा रही थी, तो कहीं उसके हँसती-खिलखिलाती वीडियो रिकॉर्ड थीं, तो कहीं वीर और उसकी दोस्ती की खूबसूरत यादें मौजूद थीं, तो कहीं अनाया का अपनी ज़िन्दगी के नए सफ़र में कदम रखना और अर्जुन के साथ सात जन्मों के लिए बंध जाना मौजूद था। यह सब कुछ उस पेनड्राइव में रिकॉर्ड था। ध्रुवी ने लगभग आधा दिन इन सब चीजों को देखने और समझने में ही बिता दिया था।
ध्रुवी को वक़्त का अंदाज़ा ही नहीं हुआ था। ध्रुवी ने घड़ी में वक़्त देखा तो उसने लैपटॉप को बंद किया और वहीं बिस्तर पर लेट गई और उसने अपना फ़ोन उठाया, जिसकी सिम अर्जुन पहले ही बदल चुका था, और उसके ऑलमोस्ट वो सारे कॉन्टैक्ट नंबर भी वह डिलीट कर चुका था। ध्रुवी के पास अब इस फ़ोन में फिलहाल अभी किसी का भी कोई कॉन्टैक्ट नंबर नहीं था, सिवाय अर्जुन के। ध्रुवी ने अपने फ़ोन की गैलरी खोली और उसमें से आर्यन और अपने फ़ोटोज़ देखने लगी। फ़ोटोज़ देखते हुए उसकी आँखों में एक गहरी उदासी छा गई, और अनायास ही उसकी नज़र एक फ़ोटो पर रुक गई, जिसमें ध्रुवी ने नाराज़गी से आर्यन के कान को ऐंठ रखा था और आर्यन दर्द से मुँह बनाए हुए था।
ध्रुवी को इस तस्वीर को देखकर वो दिन याद आ गया जब आर्यन उसे चिढ़ाने के लिए किसी दूसरी लड़की की तारीफ़ कर रहा था, जिसे सुनकर ध्रुवी नाराज़गी से उस पर बरस पड़ी थी। और जब आर्यन ने उसे लगातार टीज़ किया, तो ध्रुवी ने उसकी शरारत समझते हुए उसका कान मरोड़ दिया, जिससे आर्यन दर्द से आड़े-टेढ़े मुँह बनाते हुए उसे लगातार सॉरी बोलने लगा। तभी यह पिक्चर ध्रुवी की दोस्त दिशा ने चुपके से ले ली थी और बाद में उसे ध्रुवी को सेंड कर दिया था, जिसे देखकर ध्रुवी खुशी से मुस्कुरा उठी थी। ऐसे ही और भी बहुत सारी यादें आर्यन और उसके हर फ़ोटो के साथ जुड़ी थीं और ध्रुवी के फ़ोन में मौजूद थीं, जिन्हें देखकर वह अतीत को याद कर रही थी, और अतीत को याद करते हुए अनायास ही दर्द और उदासी से उसकी आँखें भर आई थीं।
ध्रुवी (आर्यन की तस्वीर को भावुकता से अपने गले से लगाते हुए): “आई मिस यू आर्यन। आई मिस यू सो मच। मैं नहीं रह पाऊँगी तुम्हारे बिना, नहीं रह पाऊँगी!”
ध्रुवी अभी आर्यन की तस्वीर से अपने जज़्बातों को जाहिर करने में बिज़ी थी कि तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई। तो ध्रुवी फ़ौरन अपने आँसू पोछकर बिस्तर से उठ बैठी और दरवाज़े पर खड़े शख्स को अंदर आने की इज़ाजत दी।
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