हमज़ा की दादी को देखते हुए काव्या और आर्यन के चेहरों के एक्सप्रेशन बदल गए थे। काव्या जहाँ थोड़ा खुश थी, ये जानकर कि हमज़ा किसी बेबी नाम की लड़की के साथ रिलेशनशिप में नहीं थी, वहीं आर्यन काव्या के चेहरे पर आई एक मुस्कान को देख कर अपने सीने में एक जलन महसूस कर रहा था।
उसे लग गया था कि अकेला अब वही काव्या की ज़िन्दगी में ऑप्शन नहीं था। एक और फिर से वापिस आ चुका था। हमज़ा ने अपनी दादी का केक मंगवाया और तभी पीछे से "हैप्पी बर्थ डे" सॉन्ग बजने लगा।
काव्या की आंखें हमज़ा की तरफ़ ही देखे जा रही थीं। किस तरह हमज़ा अपनी दादी को प्यार जताए जा रहा था। केक कटने के बाद ही आस पास लोग दादी से मिलने उनके पास आए।
हमज़ा कुछ देर बाद काव्या और आर्यन के पास आया और उसने उन दोनों को उसकी बेबी से आ कर मिलने को बोला।
काव्या जहाँ उसकी बेबी दादी से मिलने के लिए एक्साइटेड थी। आर्यन का चेहरा लटका हुआ था। उसके मन में एक ही थॉट चल रहा था। "प्लीज़ भगवान मुझे ये शर्त हारने मत देना!"
काव्या दादी के पास आई तो उसने उन्हें बर्थडे विश किया। दादी ने काव्या को देखते ही बोला,
हमज़ा की दादी: "वाह! तुम तो बहुत सुंदर हो। जैसे कोहिनूर हो!"
दादी की बात सुन कर काव्या ब्लश करने लगी थी, वह धीरे से झुकी तो दादी ने उसके माथे पर प्यार किया। आर्यन को ये देख कर जलन हो रही थी कि दादी काव्या को ऐसे प्यार कर रही थी जैसे वह उनकी दुल्हन हो। तभी आर्यन ने दादी को विश किया। तो दादी ने उसके सिर पर भी एक हाथ रख दिया।
हमज़ा ने जब बताया कि आर्यन और काव्या उसके फ्लोर के नीचे वाले फ्लोर पर ही साथ में रह रहे थे। तो दादी ने दोनों के सिर पर हाथ रखकर बोला,
हमज़ा की दादी: "अल्लाह! तुम्हारी जोड़ी को किसी की नज़र ना लगे!"
ये सुनते ही आर्यन के चेहरे पर ख़ुशी तैर गई और तभी हमज़ा ने तुरंत हंसते हुए कहा,
हमज़ा: "नहीं बेबी! ये दोनों साथ में रहते हैं पर एक फ्लैटमेट की तरह बस!"
हमज़ा की दादी ने हंसते हुए कहा,
हमज़ा की दादी: "अच्छा! कोई नहीं! जोड़ी जिस भी रिश्ते में रहे पर बनी रहे!"
आर्यन को ऐसा लगा जैसे हमज़ा की दादी का बोलना भगवान का ही इशारा हो। काव्या की तरफ़ आर्यन ने देखा तो वह थोड़ी हिचकी हुई-सी लग रही थी। जैसे उसके अंदर क्या चल रहा था किसी को पता न चल जाए।
हमज़ा ने आर्यन से कहा,
हमज़ा: "आज रात आप हमारे यहाँ मेहमान हैं और यहाँ जी भर के खाने पीने का लुत्फ उठाइए!"
आर्यन मुस्कुराता हुआ खाने पीने के स्टॉल की तरफ़ चला गया। काव्या भी उसके साथ ही आने वाली थी तभी हमज़ा ने काव्या को अपने पास बुला कर कहा,
हमज़ा: "काव्या मैने बेबी के लिए एक डांस परफॉर्मेंस तैयार किया है! क्या तुम उसमें मेरा साथ देना चाहोगी?"
काव्या को समझ नहीं आया कि अचानक से वह हमज़ा के साथ कैसे डांस कर पाएगी। पर वह हमज़ा को मना भी नहीं करना चाहती थी। अपनी कंफ्यूजन को दिखाते हुए उसने पूछा,
काव्या: "मैं? पर अभी कैसे? मुझे कोई स्टेप्स नहीं आते! मैं कैसे तुम्हारे साथ कर पाऊंगी?"
हमज़ा ने बताया,
हमज़ा: "दरअसल अर्शी, मेरे मामू की लड़की पहले मेरे साथ डांस करने वाली थी पर उसके पांव में चोट लग गई है। इसलिए मैं तुमसे पूछ रहा हूँ। ज़रा-सी रिहर्सल करने पर तुम स्टेप जान जाओगी। बहुत बेसिक से हैं!"
हमज़ा को काव्या मना नहीं कर पाई और उसके साथ रिहर्सल करने वहाँ से निकल कर किसी रूम में चली गई।
वहीं आर्यन गुलाब जामुन, दही भल्ले की चाट, हलवे से अपनी ज़ुबान को संतुष्ट करने में लगा था। उसने आसपास काव्या को ढूँढा पर काव्या कहीं नज़र नहीं आई।
तभी अचानक से लाइट्स ऑफ हुईं और म्यूजिक बजने लगा। स्टेज पर हमज़ा आया और माइक ले कर सबकी तरफ़ देखकर बोला,
हमज़ा: "मेरी बेबी को बचपन से डांस का बहुत शौक था। पर बढ़ती उम्र के साथ उन्होंने व्हील चेयर को अपना दोस्त बना लिया। हालांकि उन्होंने बहुत समय से ख़ुद को नाचते हुए नहीं देखा था पर आज मेरे कदमों से वह ख़ुद को नाचता हुआ महसूस कर पाएँ। इस कोशिश में मेरी बेबी के लिए मैं एक डांस की पेशकश ऐसे गानों पर करूंगा! जो गाने उनके दिल के काफ़ी करीब रहा है!"
तभी बॉलीवुड के 70s-80s के गाने बजने शुरू हुए। हमज़ा की सोलो परफॉर्मेंस के बाद जब काव्या स्टेज पर डांस करती नज़र आई। आर्यन के मुंह से गुलाब जामुन निकल कर प्लेट में गिर गए। काव्या हमज़ा के साथ 'हम आपके हैं कौन' फ़िल्म के गानों पर डांस कर रही थी। उन दोनों को साथ में डांस करते हुए देख कर सब आस पास कहने लगे थे। "वाह! क्या जोड़ी है!"
ये सुनते ही आर्यन के सीने में जलन होने लगी थी। काव्या और हमज़ा को साथ में इस तरह नाचता देख कर वहीं दादी के चेहरे पर ख़ुशी उमड़ आई थी।
जब उन दोनों की परफॉर्मेंस ख़त्म हुई तो दादी ने दोनों को ख़ूब प्यार दिया। हमज़ा ने दादी के कान में फुसफुसाते हुए कहा,
हमज़ा: "काव्या की जोड़ी मेरे साथ कैसी लगी आपको?"
ये सुनते ही दादी समझ गई थी कि हमज़ा ने उस वक़्त काव्या को किसी और लड़के के साथ आशीर्वाद लेते हुए बीच में क्यों टोका था। उन्होंने हमज़ा के कान में फुसफुसा कर कहा,
हमज़ा की दादी: "लड़की पसंद आई मुझे, पर उसे तू पसंद है कि नहीं!"
हमज़ा ने दादी के हाथ पर हाथ रखते हुए ऐसा इशारा किया कि वह आगे जल्द ही काव्या के दिल का हाल जानने के लिए कुछ प्लान कर रहा है।
हमज़ा के साथ डांस करने के बाद काव्या के अंदर अलग-सा उत्साह जग गया था। वह आर्यन को इधर उधर ढूँढ रही थी पर कहीं पर भी उसे आर्यन नज़र नहीं आया। तभी अचानक लगा कि कहीं आर्यन उसे हमज़ा के साथ डांस करते देख कर बिना उसे लिए वापिस घर तो नहीं चला गया।
वो सोच ही रही थी तभी पीछे से आर्यन ने आ कर काव्या के कंधे पर हाथ रखा। काव्या मुड़ी, तो आर्यन को देखते ही बोल पड़ी।
काव्या: "ओह! तुम कहाँ चले गए थे? मुझे लगा शायद तुम..."
ये बोलते हुए ही काव्या चुप हो गई। आर्यन ने काव्या की बात को आगे पूरा करते हुए कहा,
आर्यन: "तुम्हे लगा...कि मैं घर वापिस चला गया हूँ। क्योंकि तुम हमज़ा के साथ डांस कर रही थीं! ऐसा लगा तुम्हें?"
ये सुनने के बाद काव्या ने आंखें नीचे कर लीं। जैसे आर्यन ने उसके दिल का हाल जान लिया हो और वह शर्मिंदा-सी हो गई।
आर्यन ने काव्या के और पास आते हुए कहा,
आर्यन: "मैं तुम्हें खुश देखते हुए क्यों नाराज होऊंगा। हाँ मुझे जलन हो रही थी पर इसके लिए मैं तुम्हे नहीं परेशान करूंगा! तुम जब तक मुझे अपने दिल से हाँ नहीं कहोगी, तब तक मुझे तुम्हें किसी और के साथ देखना बरदाश्त करना ही पड़ेगा!"
आर्यन की बात सुनकर काव्या के दिल में एक अलग-सी हलचल हुई। दोनों एक दूसरे को देख रहे थे तभी हमज़ा वहाँ पर आया और उसने कहा,
हमज़ा: "शुक्रिया काव्या! मेरा साथ देने के लिए! कैसा लगा हमारा परफॉर्मेंस, आर्यन?"
आर्यन ने गर्म जोशी से हमज़ा के गले लगते हुए कहा,
आर्यन: "बहुत ही शानदार! दिल ही जीत लिया। हालांकि मेरे और काव्या का साथ में डांस इससे ज़्यादा अच्छा था!"
आर्यन के इस तंज के बाद काव्या ने उसे घूरकर देखा। हमज़ा ने मुस्कुराते हुए पूछा,
हमज़ा: "ओह! तो आप दोनों ने भी जुगलबंदी में एक दूसरे को नचा रखा है? कमाल है, किसी दिन फिर हमें डांस का फेस ऑफ रखना पड़ेगा। हम भी तो देखें किसकी जोड़ी ज़्यादा अच्छी लगती है!"
आर्यन और हमज़ा का एक दूसरे को इस तरह तंज सुनाना काव्या को और नर्वस कर रहा था। दो लड़के कैसे उसके लिए एक दूसरे पर तंज कस रहे थे। ये किसी लड़की के लिए ख़्वाब की तरह हो सकता था पर काव्या के लिए ये सिर दर्द बन रहा था।
उसने माहौल को चेंज करते हुए कहा,
काव्या: "अब हमें चलना चाहिए, आर्यन! मुझे सुबह ऑफिस भी जाना है!"
आर्यन और हमज़ा खुले मैदान में आ चुके थे। आर्यन को लगा जैसे हमज़ा भी अब चुनौती देने के लिए खुल कर आ चुका था। आर्यन ने ठान ली थी कि वह काव्या का दिल जीतने के लिए और कोशिश करेगा!
काव्या और आर्यन, हमज़ा से विदा लेते हुए वहाँ से कैब ले कर निकल गए। पर दोनों पूरे रास्ते भर शांत बैठे थे।
काव्या को समझ नहीं आ रहा-रहा कि वह आर्यन से अपनी दुविधा के बारे में क्या बात करे!
दोनों चुप चाप घर आए और "गुड नाईट" कहते हुए अपने-अपने कमरे में चले गए।
अगले दिन काव्या को शैलजा मल्होत्रा के फार्म हाउस जाना था। जहाँ के इंटीरियर को डिजाइन करवाने के लिए उन्होंने काव्या को हाइर किया था।
काव्या सुबह-सुबह जब फार्म हाउस पर पहुँची तो ये देख कर हैरान हो गई थी कि फार्म हाउस पर कैसे तीन चार लोग मिल कर बड़े से गार्डन में लगे पेड़ों को काटे जा रहे थे।
ये देख कर उसे हैरानी हुई कि आख़िर कौन इतने हरे भरे पेड़ों को अपने घर से हटवाना चाहेगा। आजकल के हर बड़े से बड़े घर में लोग पेड़ पौधों को लगाते हैं जिससे उनका घर नेचर के बीचों बीच है, ऐसी फील दे सके।
जब वह फार्म हाउस के अंदर गई। तो कई सारे नौकर चाकर इधर उधर खाली पड़े कमरों में कुछ-कुछ सामान साफ़ करके रख रहे थे।
तभी लिविंग हॉल में काव्या की मुलाकात शैलजा से हुई। शैलजा जो फ़ोन में किसी से बात कर रही थी, उसने काव्या की तरफ़ एक नज़र देख कर उसको थोड़ा वैट करने का इशारा किया।
काव्या कुछ देर खड़ी रही। शैलजा दरअसल प्रज्ञा से ही बात कर रही थी। वह प्रज्ञा को समझा रही थी।
शैलजा: "बेटा! तुम्हे ये सब करने की क्या ज़रूरत है? ये विपासना, आर्ट ऑफ लिविंग फ्रॉड चीजें हैं? ये सब करके तुम सिर्फ़ अपना समय और दिमाग़ खराब करोगी! गो टू पेरिस, स्विट्जरलैंड! मूड फ्रेश हो जाएगा!"
काव्या वहीं खड़े ये सारी बातें सुन रही थी। पर उसे ये अंदाज़ा नहीं था कि शैलजा अभी आर्यन की एक्स, प्रज्ञा से ही बात कर रही हैं। फ़ोन पर बात ख़त्म होने के बाद, उन्होंने काव्या की तरफ़ देखते हुए कहा,
शैलजा: "येस! मिस काव्या! गुड कि आपने मेरे टाइम की वैल्यू समझी और सही समय पर आ गई। अब मैं आपको यहाँ की हर एक चीज से इंट्रो करा देती हूँ। जिससे आप इस फार्म हाउस की बॉडी में सोल डाल सकें।"
काव्या ने शैलजा को फॉलो करते हुए फार्म हाउस का कोना-कोना देख डाला। पूरा फार्म हाउस घूमते-घूमते उसे काफ़ी वक़्त गुजर गया था। वह इस प्रोजेक्ट में अपना बेस्ट देना चाहती थी। इसलिए वह दीवाल के टेक्स्चर को टच करते हुए, हर खिड़की और दरवाजे पर बनी डिजाइन को ग़ौर से देखते हुए आगे बढ़ती गई।
पूरा देखने के बाद उसने शैलजा से कहा,
काव्या: "इस फार्म हाउस में सोल डालने के लिए आप उन पेड़ों को बाहर क्यों कटवा रही हैं?"
काव्या के इस सवाल की शैलजा को उम्मीद नहीं थी। उसने आंखे चढ़ाते हुए कहा,
शैलजा: "क्योंकि वह काफ़ी पुराने हो चुके थे। वैसे भी मैं वहाँ पर एक पेट हाउस बनवाना चाहती हूँ।"
उनकी बात सुनकर काव्या को ताज़्जुब हुआ और उसने कहा,
काव्या: "पेड़ जब तक ख़ुद जड़ से न गिरे, उसका पुराना होना उसे ख़त्म नहीं कर देता!"
काव्या की बात सुनकर शैलजा ने तिरछी आंखों से उसे देख कर कहा,
शैलजा: "तुमको पोइट्री लिखने का शौक है क्या?"
काव्या हाँ में सिर हिला कर बोली,
काव्या: "थोड़ा बहुत! पर मैं ये बात सिर्फ़ पेड़ों के लिए नहीं कह रही हूँ! आपके लिए भी कह रही हूँ कि पेड़ों को यहाँ से हटाने के बाद आपके फार्म हाउस में गर्मी ज़्यादा रहने लगेगी। कहते हैं पेड़ों के इर्द गिर्द, साथ में रहने से पाज़िटिव वाइब्ज़ आती हैं।"
ये सुनकर शैलजा के चेहरे का रंग बदल गया था। काव्या को लगा शायद उसने कुछ ज़्यादा बोल दिया था। पर तभी शैलजा ने उससे कहा,
शैलजा: "तुम मेरे हसबैंड जैसी बातें करती हो!"
ये सुनकर काव्या ने चैन की सांस ली फिर उसने पूछा,
काव्या: "आपके हसबैंड? वह अभी कहाँ हैं?"
शैलजा जो किसी से अपनी निजी ज़िन्दगी के बारे में बात नहीं करती थी। उसने काव्या की तरफ़ देखते हुए कहा,
शैलजा: "वो अभी यहाँ नहीं है! ही लेफ्ट उस! अचानक से वह हमें छोड़कर चले गए। उसके बाद से मैंने ही अपनी पूरी कंपनी को खड़ा किया है और अपनी बेटी के लिए एक सिक्युर फ्यूचर बनाया है।"
शैलजा की बात सुनते हुए काव्या शैलजा को ऊपर से नीचे देखने लगी थी। शैलजा जिस तरह से ऊपर से प्रोफेशनल और कठोर लगती थी। अंदर से एक टूटी हुई औरत थी, जो अपने पति के जाने के बाद जमाने से अकेले लड़ी जा रही थी। शैलजा की बात सुनकर काव्या मोटिवेट हुई। वो खुद अपने सपनों को पूरा करने में और मेहनत करेगी। और एक ऊंचे मुकाम पर पहुंचेगी, जहां से उसके पापा उसको देख कर मुस्कुरा पाएंगे। और कह पाएंगे कि “मेरी बेटी को देखो! कितनी बड़ी इंसान हो चुकी है। कुछ सीखो उससे!”
काव्या शैलजा की बात सुनकर काफी मोटिवेट हो गई थी। तभी अचानक से उसके पास कॉल आया। उसने देखा तो उसकी मॉम का कॉल था। उसने पहले नहीं उठाया। फिर जब लगातार कॉल्स आती रही तो काव्या ने कॉल उठा कर पूछा,
काव्या: “क्या हुआ मॉम? मैं काम से बाहर आई हूं!”
उधर से काव्या की मॉम की आवाज़ आई जो काफी घबराई हुई थीं और उन्होंने कहा,
काव्या की मॉम: “काव्या! चंचल पता नहीं कहां चली गई है? दो दिन से घर ही नहीं आई। मुझे बहुत घबराहट हो रही है। तू जल्दी घर जा!”
मॉम को घबराते हुए देख कर काव्या भी घबराने लगी थी। पर उसने वापस घर जाने का डिसाइड नहीं किया था। पर अब इस हालत में काव्या के पास वापिस अपने घर जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। काव्या शैलजा से कुछ इमरजेंसी का काम बता कर अपने घर जाने की तरफ़ निकल पड़ी।
आखिर चंचल दो दिन से कहां गायब थी? क्या काव्या के दुबारा जाने से उसके और घरवालों के बीच की दूरी खत्म होगी? क्या होगा जब शैलजा और काव्या के बीच बढ़ते रिश्ते में प्रज्ञा सामने आएगी? जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड।
No reviews available for this chapter.