मित्रों और हमारी पोटेंशियल गर्लफ्रेंडों!

खुली बाहों से तो शहर ने हमारा क्या ही स्वागत करना था, जैसे ही हमने अंगड़ाई लेने के लिए अपनी बाजू खोली, किसी ने स्टेशन पे ही हमारी जेब काट ली। पैसे का दुख नहीं था हमें, लेकिन महीने भर का बीड़ी, गुटखा और जर्दा का जो स्टॉक लुट गया उसका बहुत गहरा सदमा लगा था। हमारे गाँव बखेड़ा में अगर आप किसी से एड्रेस पूछोगे तो वो इंसान आपको घर तक छोड़कर आएगा। पर बड़े शहर में ऑटोरवाला भी घर तक छोड़के आने के लिए नहीं मानता। इतना तो सरकार देश के गरीबों की मांगों के लिए मना नहीं करती जितना शहर के ऑटोरवाले सवारी को मना करते हैं। इन ऑटोवालों का एटीट्यूड किसी पापा की परी से कम नहीं है महाराज, और ये तो बस शुरुआत थी.. जब शहर में एक कमरे का किराया पता चला तो हमारी तो हार्टबीट ही रुक गई। हमारे गाँव के ज़मींदार की दो गज़ की कोठी बेचकर भी शहर के 1 बीएचके का साल का किराया नहीं भरा जा सकता और जितने छोटे शहर वालों के दिल.. उससे ज्यादा छोटे शहर के कमरे! जिसे ये शहर वाले बड़ी चौध से वन बाथरूम हॉल किचन कहते हैं ना उससे बड़ी जगह में तो गाँव में हमारे बैल के गोबर के उपले रखे जाते हैं। शहर भले ही साइज में गाँव से बड़ा हो पर जिंदगी गाँव वाले ही बड़ी जीते हैं। ऐसे हमें और भी बहुत सारे शॉक लगे शहर में आके और टाइम टू टाइम शहर हमको नया-नया शॉक देता ही रहता है। इस समय बहुत बड़ा शॉक लगा है शौर्य को जो की भूंड की सवारी करते हुए अपने दादाजी के साथ दूसरे गाँव आया है और भूंड से उतरते ही उसने देखा कि इस दूसरे गाँव के बाहर बहुत सारे लोग हाथ में थाली लिए उसका स्वागत कर रहे हैं.. उसे फूलों की माला पहना दी जा रही है और उसका मुँह मीठा किया जा रहा है। इससे पहले शौर्य कुछ समझ पाता कि उसके साथ क्या हो रहा है.. एक 50 साल का आदमी आया और उन्होंने शौर्य के हाथ में 11 रुपये शगुन के रखे और हरिश दद्दा के गले लगकर कहा… “हरिश जी हमें लड़का पसंद है। हमारी तरफ से रिश्ता पक्का।”
यह सुनते ही शौर्य की आँखें शॉक के मारे फटी की फटी रह गईं और उसने मिठाई से ओवरलोडेड अपने मुँह से कहा…

शौर्य: रिश्ता? दादा जी ये अंकल कौन हैं? और ये कौनसे रिश्ते की बात कर रहे हैं?

हरीश: अंकल नहीं बउआ.. ई बाब्बन है और अबसे तुम इन्हें ससुर जी कहने की आदत डाल लो। तुम्हरा रिश्ता पक्का कर दिये हैं हम.. बब्बनवा की लड़की के साथ! अब बस पंडित जी से शादी का मुहूर्त निकलवाना बाकी है।

अब शौर्य को समझ आया कि उसे हरिश दादा इस दूसरे गाँव क्यों लाना चाहते थे!

शौर्य: व्हाट! शादी! दादा जी आर यू आउट ऑफ योर माइंड! ये कोई उम्र है मेरी शादी की?

हरीश: 32 के हो गए हो! उम्र तो तुम्हरी 7 साल पहले ही निकल गई थी शादी की। सुक्र मनाओ.. कि अभी भी हमारी आस पास के 7 गाँव में थोड़ी बहुत इज्जत है तो इस उम्र में भी बब्बन तुमका अपनी लड़की देने के लिए मान गवा, वरना तुम्हरी शक्ल देख कोई तुमका गाली भी ना दे!

शौर्य: ... पर दादा जी दिस इज़ रौंग। आप मेरी मर्जी जाने बिना मेरा रिश्ता कैसे फिक्स कर सकते हैं?

हरीश: बउआ हम तुमहरे बाप के भी बाप हैं, अगर हम लोगन की मर्जी पूछें खातिर बैठे रहते ना तो इस दुनिया मा ना तो तुम्हरा बाप आता और ना ही फिर तुम पैदा होते। तो ई जो कॉन्सेंट का टॉपिक है ना ई फालतू का इक्स्क्यूज़ बनाना बंद करो और ए खाऔरतों की सुरक्षा के लिए छोड़ दो। तुम तो बस अब सेहरा बांधने की तैयारी करो।

शौर्य: दादा जी जिस लड़की को मैं जानता नहीं.. जिससे मैं मिला नहीं.. जिसका मुझे नाम भी नहीं पता। उससे मैं शादी कैसे कर सकता हूँ?

हरीश: बउआ कभी कभी ज्यादा जानकारी सेहत के लिए बहुत हानिकारक भी होती है। तुम्हरी दादी से तो हम सीधा सुहागरात पे ही मिले थे और उनका नाम तो हमें तोहार पिताजी के पैदा होने के बाद पता चला था। शादी के लिए इंसान को जानने की नहीं उसे समझने की जरूरत होती है और दो तीन बच्चन के बाद तुम अपनी धर्मपत्नी का अच्छे से समझ जाओगे।

शौर्य: दादा जी आपको जो कहना है कह लीजिए मैं किसी रैंडम लड़की से गाँव में शादी करने के लिए नहीं मानने वाला और मुझे तो इस गाँव का नाम भी नहीं पता। आप दूसरा गाँव, दूसरा गाँव कहते हुए मुझे धोखे से यहाँ ले आए।

हरीश: पढ़े लिखे गवार का प्राइम इग्ज़ैम्पल हो तुम। जितनी फर्राटेदार अंग्रेजी बोलत हो उससे आधी स्पीड में भी हिंदी पढ़ना सीख लेते तो ये फालतू का सवाल नहीं पूछते..

तभी हरिश दद्दा ने शौर्य का ध्यान गाँव के बाहर लगे बोर्ड पर शिफ्ट किया जिस पर बड़ा बड़ा लिखा हुआ था कि “आपका दूसरे गाँव में हार्दिक स्वागत है।” तब शौर्य को समझ में आया कि इस गाँव का नाम ही दूसरा गाँव है। शौर्य को अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था। उसने शहर में किसी हॉट सुंदर लड़की के साथ अम्बानी लेवल की शादी के सपने देखे थे पर उसके दादाजी उसे यहाँ एक छोटे से गाँव में एक ऐसी लड़की से अरेंज्ड मैरेज करवाने ले आए हैं जिसका ना तो उसे नाम पता है और ना ही उसने उसकी शक्ल देखी है। शौर्य छोटे बच्चों की तरह अपने दादाजी के आगे रोने लगा…

शौर्य: दादा जी प्लीज़ मुझे शादी नहीं करनी है!

हरीश: मारेंगे लप्पड़ सात फेरों के साथ साथ 'कुबूल है, कुबूल है' भी बोलन लगियो। लच्छन देखे हो अपने? जितने तुम बिगड़े हुए हो ना तुमका कोई बेलन वाली ही सुधार सकत है। हमको तो समझ नहीं आ रहा की तुमहरा बाप तुमका इतनी उम्र तक कुंवारा कैसे रहने दिया? अगर पहले ही तुमरी शादी करवा देता तो तुमें शहर से ऐसा फरार होके गांव नहीं आना पड़ता।

शौर्य: दादा जी ये कैसा लॉजिक हुआ?

हरीश: बउआ, घोड़ा का अगर रेस जीतनी है तो ऊकी आँखन के दोनों तरफ पट्टी बांधनी पड़त है तभी ऊ अपन गोल पर फोकस कर पात है। बस समझ लो की जिंदगी की ई रेस मा तुम घोड़ा हो और बीवी तुम्हरी आंखों के दोनों तरफ बंधी हुई पट्टी। एक बार घर में बहु आ गई ना तो तुम्हरे दिमाग में भी अकल आ जाएगी।

फिरसे बहुत डीप बात कर गए। सच में ज्ञान की गंगा है हमारे हरिश दद्दा, पर शौर्य को हरिश दद्दा के ज्ञान का अमृत ज़हर लग रहा है। क्योंकि उसे शादी बिलकुल भी नहीं करनी, पर अब उसके पास कोई ऑप्शन भी नहीं है क्योंकि वह इस दूसरे गांव से कहीं भागकर जा भी नहीं सकता। इसलिये उसने थक हारकर कहा…

शौर्य: ठीक है दादा जी, पर मेरी एक रिक्वेस्ट है। कम से कम मुझे उस लड़की से एक मीटिंग तो कर लेने दीजिए।

हरिश दद्दा ने बब्बन की ओर देखा क्योंकि गांव में लड़की से मिलने से पहले लड़की के बाप की परमिशन लेना बहुत जरूरी है। बब्बन चाचा ने हंसते हुए कहा, "हरिश जी हम भी दामाद जी की तरह मोर्डन खयाल वाले हैं। दामाद जी हमारी बेला से मिल सकते हैं।"

लड़की का नाम बेला सुनकर शौर्य का मुँह ही उतर गया। उसे लगा जिस लड़की के नाम पे ही उसे उल्टी जैसी आ रह है, उसके साथ वो ज़िंदगी कैसे बिताएगा? शहरवालों की पुरानी आदत है.. सिर्फ नाम सुनते ही इंसान की एजुकेशन, उसका पैसा, उसका सोसाइटी में स्टेटस सब जज कर लेते हैं। इनसे तो लाख गुना अच्छे हम गांव वाले हैं जो नाम सुनकर सिर्फ इंसान की जात ही जज करते हैं। बब्बन चचा शौर्य को अपनी बेला से मिलवाने अपने घर ले गए जहाँ शौर्य और बेला ने प्राइवेटली बात की बेला के कमरे में जो कि बब्बन चचा के घर का आंगन भी है। इसलिये हरिश दद्दा और बब्बन चचा की फैमिली और पूरा दूसरा गांव भी उस आंगन में मौजूद था। वह क्या है ना गांव में प्राइवेसी और कोरोना कभी पहुंच ही नहीं पाए, पर शौर्य ने बेला के बारे में जो भी जज किया था वह सब गलत निकला क्योंकि बेला तो दूसरे गांव की सबसे सुंदर लड़की निकली जो कि जीन्स और टॉप में बहुत ही मोर्डन लग रही थी। ज़ोया एक्स-भौजी के आगे तो बेला भौजी कहर हैं कहर! सुंदर, सुशील, संस्कारी और सेक्सी का परफेक्ट कॉम्बिनेशन हैं बेला भौजी। सही कहते हैं.. बड़े बुजुर्ग जो भी फैसला लेते हैं हमारी भलाई के लिए ही लेते हैं।

शौर्य: सो बेला जी आप...

बेला भौजी मोर्डन सिर्फ दिखती नहीं, बोली से भी कोशिश करती हैं बनने की, बेला नाम सुनते ही तपाक से बोलीं, "यू कैन कॉल मी जैस्मिन!"
आये हाये भौजी तो अंग्रेजी भी बोलती हैं। गज़ब!

शौर्य: बेला.. आई मीन जैस्मिन आप ये शादी क्यों करना चाहती हैं?

जैस्मिन भौजी बोलीं, “पापा ने कहा शादी की उम्र हो गई है तो शादी तो अब करनी ही पड़ेगी ना।”
आये हाये आज्ञाकारी भी हैं ये तो! डबल गज़ब! जैस्मिन भौजी ने फिर शौर्य से सवाल किया, “वैसे इफ यू डोंट माइंड क्या मैं हमारी ये मीटिंग रिकॉर्ड कर सकती हूं?”

शौर्य: रिकॉर्ड? क्यों?

जैस्मिन भौजी ने कहा, “मेरे सब्सक्राइबर्स के लिए.. पूरे 515 सब्सक्राइबर्स हैं मेरे। अगर मैं रोज़ व्लॉग न डालूं ना तो मेसेज करके मेरा डीएम भर देते हैं। मेरे सब्सक्राइबर्स मुझसे प्यार ही इतना करते हैं क्या करूं!”
इससे पहले शौर्य कुछ कह पाता बेला उर्फ जैस्मिन भौजी ने अपना कैमरा निकाला और वीडियो बनानी शुरू कर दी। “हैलो फ़्रेंड्स! आप सबका स्वागत है आज के व्लॉग में। आज मुझे देखने बखेड़ा गांव से लड़के वाले आए हुए हैं”

शौर्य: तुम व्लॉगर हो?

बेला भौजी ने कहा, “व्लॉगर, डिजिटल क्रिएटर, इंफ्लुएंसर सब कुछ हूँ मैं।”
ये सुनकर हरिश दद्दा छाती चौड़ी करके बोले…

हरीश: देखा बउआ, पढ़ी लिखी मोर्डन कमाऊ लड़की ढूंढी है तुम्हरे लिए। मानत हो ना हमरी चॉइस का!

बेला भौजी का वीडियो चालू रहा, “तो शौर्य जी बताइए आपको रील बनानी आती है?”

शौर्य: नहीं.. मैंने कभी रील नहीं बनाई।

बेला भौजी ने फिर एक सवाल दागा, “कभी रील नहीं बनाई! फिर आप हमारी हनीमून की रील्स कैसे एडिट करोगे!”
ये सुनके शौर्य समझ गया कि बेला भौजी के साथ शादी मतलब.. उसकी जिंदगी बेला के सब्सक्राइबर्स की पसंद नापसंद से चलेगी और उसका अपनी जिंदगी पर कोई कंट्रोल नहीं रहेगा। ये सोचकर शौर्य समझ गया कि ये शादी डिवोर्स में ही खत्म होगी। बेला भौजी लोगों की सिम्पैथी गेन करके बड़का बॉस में चली जाएंगी और शौर्य पर एक ज़ुल्मी पति का टैग लग जाएगा और वो जेल चला जाएगा। अपनी जिंदगी को बर्बाद होने से बचाने के लिए शौर्य ने बेला भौजी के कान में कुछ फुसफुसाया जिसे सुनते ही बेला भौजी चक्कर खाकर बेहोश हो गईं। 

ऐसा क्या बोल दिया शौर्य ने बेला भौजी के कान में जो वह बेहोश हो गईं? 

क्या शौर्य इस शादी से बच पाएगा? 

क्या बेला भौजी बनाएंगी अपनी सुहाग रात का भी व्लॉग? 

सब कुछ बताएंगे महाराज.. गांववालों के अगले चैप्टर में!

 

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