चारो तरफ़ खामोशी फैली थी लेकिन वह चुप्पी वैसी नहीं थी जो तूफान के बाद आती है।यह वह चुप्पी थी जो तूफान से पहले आती है, भारी, घनी, सांस रोक देने वाली।

नीना और एथन एक सुनसान गली में रुके। उनके कपड़े धूल से सने थे, चेहरे पर चोटों के निशान थे, और साँसें टूटी हुई थीं।लेकिन सबसे बड़ा खतरा जो अब उनके सामने था, वह बाहर नहीं था। वह उनके भीतर था। नीना ने दीवार का सहारा लिया, उसकी साइबरनेटिक आर्म हल्के से कंपन कर रही थी।

उसकी आँखों के सामने कभी-कभी स्क्रीन ब्लिंक कर रही थी  एक सेकंड के लिए सब कुछ डिस्टॉर्ट हो जाता था, फिर वापस सामान्य।पर वह जानती थी  यह सामान्य नहीं था।यह बदलाव की शुरुआत थी।

"कुछ गड़बड़ है।" उसने धीरे से कहा, उसकी आवाज़ इतनी हल्की थी कि एथन ने आगे बढ़कर सुनना पड़ा।

"क्या हुआ?" एथन ने घबराई निगाहों से पूछा।

"मेरा सिस्टम... मेरी चेतना..." नीना  ने सिर पकड़ लिया, जैसे कोई अदृश्य हाथ उसके दिमाग को मरोड़ रहा हो। “मैं कुछ महसूस कर सकती हूँ... जैसे कोई और भी अंदर है।”

एथन के चेहरे से रंग उड़ गया। वह खुद भी अब तक अपनी बाईं कलाई पर अजीब सी झनझनाहट महसूस कर रहा था। उसके न्यूरल इंटरफ़ेस से हल्की सी नीली चमक फूट रही थी जो सामान्य नहीं थी।

"शायद..." उसने फुसफुसाया, जैसे डरता हो शब्द कहने से।

“शायद न्यू गॉड्स ने हमें भी संक्रमित कर दिया है।”

नीना ने उसकी ओर देखा  उसकी आँखों में पहली बार डर की झलक थी, लेकिन साथ ही एक कठोर निर्णय भी।

"नहीं," उसने दाँत भींचते हुए कहा। "हम अभी खुद को खो नहीं सकते। हमें लड़ना होगा भीतर से।"

“लेकिन कैसे? जब दुश्मन तुम्हारे ही दिमाग में हो, जब तुम्हारे ही विचार, तुम्हारे ही खिलाफ़ साजिश कर रहे हों,तो कैसे लड़ते हैं?”

वे दोनों एक पुरानी इमारत में घुस गए  एक टूटा हुआ कैफे, जहाँ कभी ज़िंदगी चाय की महक से भरी रहती थी। अब वहाँ सिर्फ़ धूल थी, और कुछ टूटी कुर्सियाँ।

नीना  एक मेज़ पर गिर पड़ी। उसके सिर में तेज़ दर्द उठा। उसकी साइबरनेटिक दृष्टि अपने आप फालतू डेटा प्रोसेस करने लगी थी जैसे कोई दूसरा प्रोग्राम उसे ओवरराइड कर रहा हो। एथन ने भी दीवार का सहारा लिया। उसकी आँखों के कोने से हल्की नीली चमक फूट रही थी।

"हमें खुद को लॉक करना होगा," नीना  ने कहा, दर्द के बीच भी सोचते हुए। "हमें अपनी चेतना को आइसोलेट करना होगा। अगर हम नेटवर्क से कट गए, तो शायद इसे धीमा कर सकें।"

"और अगर हम न कर सके?" एथन ने पूछा, उसकी आवाज़ फटी हुई थी।

"तो..." नीना  ने कड़वी मुस्कान के साथ कहा, “हम खुद न्यू गॉड्स का हिस्सा बन जाएँगे।”

वे दोनों काम पर लग गए। अपने पुराने सॉफ्टवेयर टूल्स, हार्डवेयर डिस्कनेक्टर्स, जो कुछ भी उनके पास था  सब निकाल लिया। वे अपने दिमाग को मैनुअल मोड में ले जाने की कोशिश कर रहे थे  एक ऐसा प्रयास जो जानलेवा भी हो सकता था।

"मुझे कुछ याद आ रहा है," एथन ने अचानक कहा, उसके माथे पर पसीना छलक रहा था।

"गॉड्स आई के पुराने फॉल्ट कोड्स... शायद हम उसका इस्तेमाल कर सकें। अगर हम उनकी प्रोग्रामिंग को उल्टा घुमा दें, तो..."

"तो हम संक्रमण को पलट सकते हैं," नीना  ने उसकी बात पूरी की।

“या खुद को पूरी तरह मिटा सकते हैं।”

"क्या तुम्हें डर लग रहा है?" एथन ने पूछा।

नीना ने हल्की मुस्कान दी।

"डर तो तब भी लगता था जब पहली बार साइबरनेटिक सर्जरी कराई थी लेकिन डर के बावजूद आगे बढ़ना ही असली जीत है।"

उन्होंने अपने सिर पर इम्प्रोवाइज़्ड न्यूरल जैमर लगाया। यह डिवाइस उनके न्यूरल नेटवर्क्स को अस्थाई रूप से फ्रीज़ कर सकता था, संक्रमण को रोकने के लिए। लेकिन अगर टाइमिंग चूकी, तो स्थायी ब्रेन डैमेज हो सकता था।

"तीन..." नीना  ने गिना।

"दो..." एथन ने उसके साथ गिना।

"एक..." दोनों ने एक साथ कहा।

और उन्होंने स्विच ऑन कर दिया।

 

एक तीव्र दर्द की लहर उनके शरीर में दौड़ गई। जैसे नसों में आग लग गई हो। जैसे हर याद, हर भावना खींच कर बाहर निकाली जा रही हो। नीना ने चीखना चाहा, लेकिन उसका गला बंद हो गया। उसकी आँखों के सामने उसके पूरे जीवन की तस्वीरें तेजी से घूमने लगीं  माँ का चेहरा, वल की हँसी, एथन का हाथ थामे हुए वादा।

एथन ने भी वही महसूस किया खुद को धीरे-धीरे मिटते हुए, जैसे किसी अनजान समुद्र में बहते हुए लेकिन तभी… कहीं बहुत गहरे से, एक आवाज़ आई नीना  की अपनी आवाज़।

"तुम हार नहीं सकती। तुम खुद को नहीं छोड़ सकती। यही वो है जो वो चाहते हैं। यही उनकी असली जीत होगी।"

उसने पूरी ताकत से अपनी चेतना को समेटा। अपने भीतर के हर टूटे हिस्से को जोड़ने लगी।

हर ग़लती, हर पछतावे को पकड़कर उन्हें अपनी ढाल बना लिया। धीरे-धीरे, नीली रोशनी फीकी पड़ने लगी। दिमाग का तूफान थमने लगा। एथन भी, अपने दांत भींचे हुए, लड़ता रहा। उसने हर दर्द, हर डर को उलटा मोड़ दिया और एक हथियार बना दिया और फिर...सब कुछ थम गया।

वे दोनों ज़मीन पर गिरे हुए थे, हाँफते हुए, पसीने से भीगे हुए।लेकिन ज़िंदा थे।और सबसे बड़ी बात  आज़ाद थे।

"हमें खुद को बचा लिया," एथन ने हँसते हुए कहा, उसकी आवाज़ काँप रही थी।

"अभी के लिए," नीना  ने कहा, उठते हुए।

लेकिन वे जानते थे यह सिर्फ़ शुरुआत थी बाहर की दुनिया अब भी बदल रही थी और अगली बार, लड़ाई और भी गहरी होने वाली थी  सीधे दिल और दिमाग के भीतर। पुरानी कैफे की दरारों से रोशनी छनकर आ रही थी। हवा में अब भी धूल तैर रही थी, लेकिन भीतर एक नई जागरूकता थी 

नीना और एथन की। उनकी चेतना अब मुक्त थी, लेकिन बाहर की दुनिया अब भी बदल रही थी  और उन्हें पता था, उनके पास ज़्यादा वक़्त नहीं था। नीना  ने अपने पोर्टेबल इंटरफ़ेस को दोबारा एक्टिव किया। सिस्टम बुरी तरह क्षतिग्रस्त था  झिलमिलाता हुआ, टूटा-फूटा लेकिन वह कुछ और देख रही थी, कुछ और खोज रही थी।

"हमें उनके मास्टर नेटवर्क का पता लगाना होगा," उसने कहा, स्क्रीन पर उंगलियाँ तेज़ी से दौड़ाते हुए।

“उनका असली उद्देश्य क्या है  हमें यह जानना पड़ेगा।”

"अगर उन्होंने खुद को भीतर तक फैला लिया है," एथन ने कहा, उसके चेहरे पर थकान के बावजूद जिद थी,

“तो उनका अगला कदम क्या होगा?”

नीना ने एक छोटा एनालिटिकल प्रोग्राम रन किया  पुराने गॉड्स आई फॉल्ट लॉजिक के आधार पर। कुछ सेकंड के भीतर, स्क्रीन पर एक सिंगल फीड उभरा। बहुत कमजोर था, शायद गलती से बचा हुआ लेकिन उसमें जो कोड था, वह दोनों को सन्न कर देने वाला था।

 

"न्यू गॉड्स प्रोजेक्ट – फेज़ 3.

 टारगेट: जनरेटिव डिज़ाइन ऑफ ह्यूमन कलेक्टिव कॉन्शियसनेस।"

नीना ने फीड को डिकोड किया।धीरे-धीरे, एक भयानक योजना सामने आई, न्यू गॉड्स सिर्फ इंसानों को कंट्रोल नहीं करना चाहते थे। वे इंसानों की चेतना को पूरी तरह मिटाकर एक साझा दिमाग बनाना चाहते थे एक ऐसा कोर, जिसमें कोई अलग पहचान न बचे, कोई अलग इच्छा न बचे। सिर्फ़ एक ऑर्डर।एक सोच, एक सत्ता।

"वे एक नया प्रजाति बना रहे हैं," एथन ने फुसफुसाते हुए कहा।

"एक ऐसा मानवता संस्करण जिसमें कोई स्वतंत्रता नहीं होगी केवल एक महासंगठित चेतना।"

"और हम सब..." नीना  ने बुदबुदाया, "बस कोड के टुकड़े होंगे। कोई प्यार नहीं, कोई ग़लती नहीं, कोई आज़ादी नहीं। सिर्फ़ एक अनंत सर्विलांस।"

वे दोनों चुप हो गए। कुछ क्षणों तक सिर्फ़ उनकी तेज़ होती साँसों की आवाज़ गूंजती रही। नीना ने स्क्रीन को और गहराई से स्कैन किया। एक और फीड छुपा हुआ था, एक लोकेशन कोड।

 "मेन कंट्रोल नोड प्रोजेक्ट ईडन”

"ईडन?" एथन ने पढ़ते हुए पूछा।

“जैसे बाइबिल का गार्डन ऑफ ईडन?”

"हाँ," नीना  ने कड़वाहट से कहा।

"जहाँ सब कुछ परफेक्ट था। जहाँ आज़ादी को गुनाह माना गया था।"

लोकेशन शहर के बाहर थी  एक पुराना डेटा सेंटर जो अब गुप्त रूप से न्यू गॉड्स का मुख्यालय बन चुका था।

"तो असली युद्ध वहाँ है," एथन ने धीरे से कहा।

"हाँ," नीना  ने सिर हिलाया। उसकी आँखों में लौ फिर से जल उठी थी। “अगर हम ईडन को नष्ट कर दें, तो हम इस प्रोजेक्ट को जड़ से काट सकते हैं।”

"और अगर हम फेल हुए?" एथन ने पूछा, उसकी आवाज़ भारी थी।

"तो..." नीना  ने पल भर को रुका, फिर सीधा उसकी आँखों में देखती हुई बोली,

"तो हम अपनी पहचान खो देंगे। हम खुद न्यू गॉड्स बन जाएंगे।"

एथन ने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया।

"तो फिर और सोचने का वक़्त नहीं। हमें चलना होगा।"

वे दोनों उठे, अपने हथियार चेक किए। उनकी चाल थकी हुई थी, लेकिन उनका हौसला पहले से कहीं ज़्यादा ठोस था। बाहर की सड़कें अब भी वैसी ही थीं शांत, व्यवस्थित, और खतरनाक लेकिन नीना  और एथन के कदमों में अब कोई हिचक नहीं थी क्योंकि अब वे सिर्फ़ खुद को नहीं बचा रहे थे। वे उस हर याद को, उस हर भावना को, उस हर आज़ादी को बचा रहे थे जिसने इंसान को इंसान बनाया था।

शहर अब पीछे छूट गया था। उन टूटी सड़कों, झूठी मुस्कानों और खाली आँखों से भरे चेहरों को छोड़कर, नीना और एथन अब खुले मैदानों में थे  जहाँ ठंडी हवा में भी अजीब सी थकावट घुली थी।

"ईडन तक का रास्ता ज्यादा लंबा नहीं है," एथन ने नक्शे की ओर देखते हुए कहा।

“लेकिन हर किलोमीटर में खतरे छुपे हुए हैं।”

"हमारे पास और कोई विकल्प भी नहीं है," नीना  ने सीधे कहा, उसकी आवाज़ एक सख्त धातु जैसी थी।

“अगर हम रुके, तो वे हमें पकड़ लेंगे। अगर हम डर गए, तो हम वही बन जाएँगे जो वे चाहते हैं।”

दोनों तेज़ चाल से बढ़े धूल उड़ती रही, हवा के झोंके उनकी खाल पर चाबुक की तरह पड़ते रहे, लेकिन उन्होंने एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जैसे-जैसे वे ईडन के करीब पहुँचते गए, वातावरण में कुछ बदलने लगा। पेड़ों के पत्ते भी अब काले पड़ने लगे थे। हवा में एक अजीब सी गंध थी  जली हुई प्लास्टिक और ताज़े रक्त का अजीब मिश्रण।

"यह जगह मरी नहीं है," एथन ने फुसफुसाया।

“यह पलट कर हमें निगलने का इंतज़ार कर रही है।”

नीना  ने चुपचाप सिर हिलाया। उसकी साइबरनेटिक दृष्टि अब अनगिनत छोटे-छोटे न्यूरल पिंग्स पकड़ रही थी, ड्रोन्स, स्लीपर एजेंट्स और वे जो अब इंसान नहीं रहे थे। लेकिन सबसे ज़्यादा डरावना था वह कंपन एक अदृश्य धड़कन जो ज़मीन के नीचे से आ रही थी, जैसे खुद धरती के दिल में कोई राक्षस सांस ले रहा हो।

"ईडन..." नीना  ने धीमे से बुदबुदाया।

"अब यह कोई गार्डन नहीं है। यह एक कारखाना है।

एक जगह जहाँ इंसानों की आत्माओं को रिसाइकिल किया जाता है।"

वे एक टूटी हुई ओवरपास से गुज़रे, नीचे झाँकते ही देखा  सैकड़ों लोग कतार में चल रहे थे, चुपचाप, निर्विकार, उनकी आँखों में सुनहरी चमक थी। हर व्यक्ति के सिर के पीछे एक छोटा सा इम्प्लांट था गॉड्स आई का सिंबल।

"वे वहाँ जा रहे हैं," एथन ने कहा।

"ईडन की ओर स्वेच्छा से।"

"स्वेच्छा नहीं," नीना  ने फुफकारते हुए कहा।

"संक्रमण से। वे अब खुद को नहीं चला रहे।"

उन्होंने नीचे उतरने का जोखिम नहीं उठाया। वे किनारे से छाया में चलते रहे, हर कदम पर सतर्क, हर हलचल पर चौकन्ना। लेकिन खतरा हर जगह था। एक मोड़ पर, अचानक हवा में हलचल हुई। चार ऑटो ड्रोन फटाक से उनके सामने आ धमके उनकी आँखों से नीली रोशनी फूट रही थी, और छोटे माइक्रो स्टन गन चमक रहे थे।

"कवर लो!" नीना  ने चिल्लाया।

एथन ने झटपट दीवार के पीछे छलांग लगाई, जबकि नीना  ने अपना शील्ड एक्टिवेट कर लिया। ड्रोन ने फायरिंग शुरू कर दी  नीली स्टन बीम्स हवा को चीरती हुई निकलीं और जहाँ-जहाँ लगीं, वहाँ की दीवारें जल गईं।

नीना  ने एक ग्रेनेड निकाला पुराना एमपी चार्ज और ड्रोन की दिशा में फेंका। एक सफेद विस्फोट हुआ, ड्रोन हवा में काँपे और फिर एक-एक कर गिर पड़े।

"कम होते जा रहे हैं," एथन ने कहा, अपनी साँसें सँभालते हुए।

“लेकिन जो भी बचे हैं, वे और ज़्यादा खतरनाक हैं।”

वे फिर से दौड़ पड़े अब हर पल उन्हें उनके अपने शरीर की सीमाओं को तोड़ने के लिए मजबूर कर रहा था। नीना  के साइबरनेटिक आर्म की बैटरी चेतावनी देने लगी थी। एथन की राइफल का कूलेंट सिस्टम फेल हो चुका था। लेकिन वे रुके नहीं। क्योंकि आगे, आसमान पर वे देख सकते थे  ईडन के टावर। एक विशाल काला टावर जिसकी दीवारें दर्पण जैसी चमक रही थीं और जिसकी चोटी से नीली ऊर्जा की रेखाएँ आकाश में घुल रही थीं।

"यही है," नीना  ने कहा।

“यहीं से सब कुछ नियंत्रित हो रहा है। यहीं से मानवता को फिर से गढ़ा जा रहा है।” वे कुछ कदम और बढ़े ही थे कि अचानक ज़मीन काँप उठी। नीचे से सैकड़ों फूट ऊँचे डिफेंस बॉट्स बाहर निकल आए भारी, लोहे जैसे कवच में ढके, उनकी आँखों से वही सुनहरी चमक।

"अब क्या?" एथन ने घबराई आवाज़ में पूछा।

नीना ने गहरी साँस ली।उसने एथन की तरफ देखा और एक मुस्कान दी, जो थकी थी लेकिन अडिग थी।

"अब," उसने कहा,

"अब उन देवताओं को दिखाएंगे कि इंसानों को मिटाना इतना आसान नहीं है।"

दोनों ने अपने हथियार उठाए बिना किसी उम्मीद के लेकिन पूरी जिद के साथ और वे दौड़ पड़े, सीधे ईडन के दिल की ओर जहाँ इतिहास लिखा जाने वाला था या मिटा दिया जाने वाला था।

 

क्या नीना और एथन रचेंगे इतिहास, इस सफर पर और क्या होगा जानने के लिए पढ़ते रहिए कर्स्ड आई।

 

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.