इंसान भले ही कितना बड़ा धर्मात्मा क्यों ना बन जाये लेकिन एक ना एक गलती ज़रूर होती है जिसका पछतावा उम्र भर नहीं खत्म होता। कुछ लोग सोच समझ कर गलती करते हैं तो किसी से हालात गलती करवा देते हैं। अपने राजेंद्र मिश्रा जी भी ऐसे ही इंसान थे जिनसे एक बार वक्त ने ऐसी गलती करवाई थी जिसकी भरपाई मुमकिन नहीं थी। उनके इस कांड के सामने आते ही उनकी छवि मिट्टी में मिल जाने वाली थी और वो ऐसा होने नहीं देना चाहते थे। फ़िलहाल उन्हें बस ये पता लगाना था कि आख़िर उन्हें ब्लैकमेल कर कौन रहा है।
तभी उन्हें एक शख्स का ख्याल आया जो उनकी मदद कर सकता था। वो था राजन, जी हाँ, राजेंद्र का बड़ा दामाद राजन, जिसका नाम सुनना भी उन्हें पसंद नहीं था। राजन का बेस्ट फ्रेंड सर्विलिअन्स में था, वो चाहे तो इस नंबर की पूरी कुंडली निकलवा सकता है। लेकिन राजेंद्र राजन से बात नहीं करना चाहते थे। जिसे वो हर बात पर ताने मारते रहते हैं उसे भला कैसे कह सकते हैं कि उन्हें उसकी मदद चाहिए। बहुत सोचने के बाद राजेंद्र ने फैसला लिया कि अपनी ईमानदारी पर बट्टा लगाने से अच्छा है राजन से मदद माँग लेना। वैसे भी उसे वो कहावत याद आ गई कि ज़रूरत पड़ने पर गधे को भी बाप बनाना पड़ता है।
बस यही सोच कर उन्होंने राजन को फ़ोन मिला दिया। राजन भले ही उस दिन की बेइजत्ती से नाराज था लेकिन अपने ससुर का फ़ोन देख कर वो ख़ुशी से उछल पड़ा। ऐसा बहुत कम होता था जब वो उसे फ़ोन करते थे। उसने एक्साइटमेंट में फ़ोन उठाते ही उन्हें प्रणाम किया। राजेंद्र ने भारी आवाज़ में खुश रहो का आशीर्वाद दिया, जो कि आमतौर पर वो देते नहीं थे इसलिए राजन के लिए ये बड़ी बात थी। उसने एक ग़ुलाम की तरह कहा कि उन्होंने उसे कैसे याद किया। ये कहते हुए राजेंद्र की ज़ुबान काँप रही थी कि उसे उसकी एक हेल्प चाहिए। लेकिन फिर भी उसने कह दिया। ये सुन कर तो राजन जैसे पागल ही होने लगा, उसे यक़ीन नहीं आ रहा था कि उसके ससुर को उससे हेल्प चाहिए। आज एक साथ पता नहीं कितनी खुशियां उसे मिलने वाली थीं।
राजेंद्र ने कहा कि लेकिन वो इस बारे में किसी से ज़िक्र न करें राजन ने कहा वो किसी को कुछ नहीं बतायेगा। राजेंद्र बोले कि उन्हें एक नंबर की पूरी डिटेल चाहिए। क्योंकि उसने बताया था कि उसका दोस्त सर्विलिअन्स में है। क्या वो उनके लिए ये काम कर सकता है। राजन ने कहा बिल्कुल करेगा, वो उसे जो भी कहेगा वो सब करेगा। राजन ने ये पूछना भी ज़रूरी नहीं समझा कि उनको किसी के नंबर के बारे में जानने की क्या ज़रूरत पड़ गई। उसने एक आज्ञाकारी सेवक की तरह उनके ऑर्डर पर हामी भरी और कहा कि वो शाम तक इसका पता लगा लेगा। राजन उनसे और बात करना चाहता था लेकिन निर्दयी राजेंद्र ने अपना काम बताते ही फ़ोन रख दिया।
राजन भी अपने काम पर लग गया। उसने अपने दोस्त को फ़ोन लगाया और उसे सारा मामला समझा दिया। उसके दोस्त ने कहा काम तो टेढ़ा है लेकिन वो उसकी ख़ातिर कर देगा। शाम तक उस नंबर की डिटेल राजन तक पहुँच चुकी थी। उसने तुरंत ही अपने ससुर को फ़ोन लगाया और बताया कि ये किसी सुरेंद्र पाल का नंबर है जो पिछले कई महीनों से बंद था लेकिन तीन दिन पहले ही इस पर रिचार्ज हुआ है जो कि 199 रुपए का था, इसमें एक महीने की वैलिडिटी और एक जीबी डाटा रोज़ मिला था कस्टमर को। राजेंद्र ने अपना सिर पकड़ लिया। उन्होंने राजन को डांटते हुए कहा कि वो ये जानकर क्या करेगा कि कितने का रिचार्ज हुआ था। उसे बस नाम और लोकेशन चाहिए। राजन ने कहा उसे लगा था शायद उन्हें सब जानना। राजेंद्र के गुस्साने के बाद राजन ने उन्हें बताया कि ये नंबर लोकल आगरा का ही है और किसी सुरेंद्र पाल के नाम पर रजिस्टर्ड है।
फ़ोन रखने के बाद राजेंद्र ये याद करने लगे कि सुरेंद्र पाल कौन हो सकता है। फिर उन्हें एक चेहरा याद आया। एक सुरेंद्र जल विभाग में उसी के साथ काम करता था। एक नंबर का कमीना इंसान था। अभी दो साल पहले ही तो अपने निकम्मे बेटे का प्रतिभा के लिए रिश्ता लेकर आया था, जब राजेंद्र ने उसे साफ़ मना कर दिया था। धीरे धीरे राजेंद्र को सब समझ आने लगा था। उन्हें लगभग यकीन हो गया था कि ये वही सुरेंद्र है और अब वो अपनी बेइज्जती का बदला ले रहा है।
अब राजेंद्र उसके फ़ोन का इंतज़ार करने लगा। अगले दिन उस नंबर से फिर दोबारा उसे कॉल आई। राजेंद्र ने उठाते ही कहा कि वो जानता है कि वो शख्स सुरेंद्र है, जो उसके साथ काम करता था। सुरेंद्र इस बात से शॉक्ड हो गया। उसने कहा कि उसे नहीं पता था राजेंद्र इतना तेज है। राजेंद्र उसे कहने लगा कि उसे खुशवंत वाले कांड के बारे में कैसे पता है? उसने कहा कि उसी ने तो खुशवंत के खास आदमी से कहा था कि उसका काम सिर्फ़ राजेंद्र करवा सकता है। बड़े बाबू से प्रेशर डलवाने का आइडिया भी उसी का था। राजेंद्र ने कहा कि आख़िर वो चाहता क्या है? उसने कहा कि वो अपनी बेटी की शादी उसके बेटे से कर दे, वो किसी से कुछ नहीं कहेगा। कोई भला अपने समधी की बुराई क्यों ही करेगा। ये सुनते ही राजेंद्र आग बबूला हो गए। उन्होंने उसे कहा कि अगर उसने दोबारा ऐसा कुछ कहा तो वो उसे ढूँढ कर मारेगा। सुरेंद्र ने कहा कि वो भूल रहा है कि उसके पास उसके घपले का काला चिट्ठा है। राजेंद्र ने कहा उसे पता है उसके पास कुछ भी नहीं है क्योंकि दस साल पहले लगी आग में स्टोर रूम में रखी सारी फ़ाइलें जल कर ख़ाक हो गईं। और अगर है भी तो उसने अभी की सारी बातें रिकॉर्ड कर ली हैं जिसमें उसने ख़ुद काबुल किया है कि उसने ही राजेंद्र से ग़लत काम करवाने के लिए उस पर प्रेशर डलवाया था। उसे उसकी गलती की सज़ा तो मिलेगी ही लेकिन सुरेंद्र भी बच नहीं पायेगा।
सुरेंद्र ने कुछ देर सोचा और कहा कि चलो मान लिया कि वो उसे सज़ा नहीं दिलवाएगा लेकिन उसकी फैमिली को बता कर उनके सामने उसकी ईमानदारी वाली इमेज को तो डाउन कर ही सकता है। राजेंद्र ने कहा कि वो क्या किसी को कुछ बतायेगा वो ख़ुद ही अपनी फैमिली को सब बता देंगे। सुरेंद्र के पास अब धमकाने को कुछ नहीं बचा था। वो समझ गया कि ये ढीठ आदमी नहीं मानने वाला। उसके पास सच में राजेंद्र के ख़िलाफ़ कोई सबूत नहीं था, अगर होता तो जब उसने उसके बेटे का रिश्ता ठुकराया था तभी उसे ब्लैकमेल कर लेता। वो दो साल से अपने बेटे के लिए रिश्ते ढूँढ कर थक चुका था लेकिन उसके आवारा बेटे को कोई अपनी लड़की देने को तैयार नहीं था। इसलिए उसने ये सारा प्लान बनाया था। उसे लगा कि शायद राजेंद्र उसके जाल में फंस जाये और डर कर उसकी बात मान ले लेकिन राजेंद्र बहुत ढीठ थे।
सुरेंद्र का फ़ोन कट चुका था। उन्हें पता था कि वो अब कुछ नहीं करने वाला लेकिन जिस गलती को वो अब भूल चुके थे सुरेंद्र ने उन्हें वो गलती याद दिला दी थी। अब उनके मन कर ये बोझ बन गया था कि उन्होंने अपनी फैमिली से ये राज छुपाया। उन्हें लगने लगा कि उन्हें सबको सच बता देना चाहिए। लेकिन वो शालू को कैसे बताते कि उसके पापा जो उसूलों की बात करते हैं, सरकारी नौकरी वालों को ईमानदार बताते रहते हैं, उन्होंने ख़ुद एक बार रिश्वत ली थी। वो पूरा दिन इसी बात से परेशान रहे कि वो सबको अपनी ये सच्चाई बतायें या ना बतायें। आख़िर में उन्होंने फैसला किया कि वो अपने पूरे परिवार को ये सच बता देंगे। उन्होंने सबसे पहले शालू को फ़ोन किया और रात को खाने पर घर आने को कहा।
शालू ने उनके मुँह पर ही मना कर दिया और कहा कि वो बार बार अपने पति की बेइज्जती कराने वहाँ नहीं आएगी। राजेंद्र ने कहा कि इस बार वो कुछ नहीं बोलेंगे। उन्हें बस अपनी फैमिली को एक सच बताना है इसलिए वो चाहते हैं कि सब लोग वहाँ मौजूद रहें। शालू को ये सुनकर अच्छा लगा कि वो राजन को भी फैमिली में गिन रहे हैं। उसने कहा ठीक है लेकिन वो प्रोमिस करें कि वो राजन को लेकर कुछ नहीं बोलेंगे। शालू को क्या पता था कि अभी वो ख़ुद पर ही इतने शर्मिंदा हैं कि किसी से कुछ नहीं कह सकते। उन्होंने कहा ठीक है ऐसा ही होगा।
राजेंद्र ने जब दादी और प्रतिभा को बताया कि उन्होंने शालू और राजन को डिनर पर बुलाया है तो दादी खिड़की से बाहर देखने लगीं। राजेंद्र ने कहा अभी नहीं डिनर पर बुलाया है, तो दादी ने कहा वो तो ये देख रही थीं कि आज सूरज कहीं पश्चिम से तो नहीं निकला है । ये चमत्कार कैसे हो गया। क्या फिर उनका उस बेचारे राजन को खरी खोटी सुनाने का मन है जो उसे खाने पर बुला रहा है? और ये शालू कैसे आने के लिए मान गई। दादी के ड्रामे से राजेंद्र परेशान हो गए। उन्होंने कहा जब वो आएगी तो उसी से पूछ लें। इतना कह कर वो अपने कमरे में जाने लगे। दादी ने पीछे से टोकते हुए उन्हें कहा कि अगर सब आ रहे हैं तो धीरज को भी बुला लें क्या?
राजेंद्र को गुस्सा आ गया, उन्होंने कहा वो फैमिली का मेंबर कब से बन गया जो उसे बुलाया जाये। उसे ज़्यादा सिर पर चढ़ाने की ज़रूरत नहीं है। दादी ने कहा वो भड़क क्यों रहा है, उन्होंने तो बस पूछा ही है। वो बेचारा इतने दिन तक उसकी सेवा करता रहा और उन्होंने उसे ढंग से खाना भी नहीं खिलाया इसलिए सोचा कि जब सब इकट्ठा हो ही रहे हैं तो उसे भी बुला लेते हैं। एक बार बुलाया भी था तो राजेंद्र ने उसे खरी खोटी सुना कर भगा दिया था। राजेन्द्र ने सोचा वो धीरज से डरते थोड़े ना हैं। वो अब किसी के भी सामने अपनी सच्चाई बताने के लिए तैयार हैं। उन्होंने दादी से कहा उन्हें जैसा ठीक लगता है कर लें बस उन्हें शांति से कुछ देर बैठने दें।
ये सुनकर दादी ऊपर से और प्रतिभा मन ही मन खुश हो गई। प्रतिभा को ये देख अच्छा लग रहा था कि दादी धीरज को पसंद करने लगी हैं। अब कोई तो है जो उनकी सपोर्ट में होगा। उसे क्या पता था कि दादी और धीरज पहले से ही एक टीम बन चुके हैं। 8 बजे तक हर कोई घर पर पहुँच गया था। राजेंद्र ने सबको बता दिया था कि उन्हें अपने पास्ट के बारे में कुछ ऐसा बताना है जो शायद उन्हें सुन कर अच्छा ना लगे लेकिन उन्होंने उस समय जो भी किया उसके लिए उन्हें मजबूर किया गया था। दादी ने अपना सिर पकड़ लिया और चिल्लाने लगी…
दादी(रोते हुए)- मुझे नहीं पता था तू ऐसा करेगा राजू।
राजेंद्र हैरान थे कि उन्होंने तो अभी कुछ बताया ही नहीं फिर ये दादी क्यों रोने लगीं?
आख़िर दादी बिना बात सुने क्यों रोने लगी थीं? क्या राजेंद्र अपना सच पूरे परिवार को बता पाएंगे?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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