राजेंद्र आज काफ़ी परेशान थे। वो अकेले बैठे सोच रहे थे आख़िर वो अपनी बेटी के लिए सरकारी दुल्हा कैसे ढूँढ पाएंगे। उन्हें जो भी लड़का मिलता है उसमें कोई ना कोई ऐसी कमी दिख जाती है जिसके बारे में जानते हुए वो अपनी बेटी का हाथ उसके हाथ में नहीं दे सकते। नितेश एक बैंक मैनेजर था, देखने में भी अच्छा था, ऐसे रिश्ते जल्दी नहीं मिलते लेकिन उसकी चापलूसी राजेंद्र को पसंद नहीं आई। ऐसे लोग सिर्फ़ अपने बारे में सोचते हैं और उसके लिए वो किसी भी हद तक जा सकते हैं। दूसरी तरफ़ कौशिक जैसा लड़का ख़ुद उनके पास चल कर आया था लेकिन वो रिश्वतखोर था। 

उसकी नौकरी का क्या भरोसा कल को किसी केस में फंस जाये तो उनकी बेटी की तो ज़िंदगी ख़राब हो जाएगी। वैसे भी उन्हें ऐसे लोग बिल्कुल नहीं पसंद थे जो अपने काम के लिए ईमानदार नहीं होते। राजेंद्र अपना करियर याद कर प्राउड फील करते हैं कि उन्होंने कभी कोई ग़लत काम नहीं किया। लेकिन शायद आज उन्हें ख़ुद पर प्राउड फील नहीं करना चाहिए था वो भी ईमानदारी को लेकर तो बिल्कुल भी नहीं क्योंकि आज उनकी ईमानदारी के घमंड पर बड़ा झटका लगने वाला था।  

राजेंद्र यही सब सोच रहे थे तभी उनके मोबाइल स्क्रीन पर एक अननोन नंबर फ़्लैश होने लगा। उन्होंने इस नंबर को पहचानने की कोशिश की लेकिन ये उनके किसी जानपहचान वाले का नंबर नहीं था। फ़ोन कट गया लेकिन फिर दोबारा उसी नंबर से कॉल आने लगा। राजेंद्र ने फ़ोन उठा लिया। उधर से किसी ने भारी आवाज़ में कहा कि उनकी ज़िंदगी तो बड़े मज़े में कट रही होगी। राजेंद्र समझ नहीं पाये कि वो कौन बोल रहा है और ऐसा क्यों कह रहा है। राजेंद्र ने कहा लगता है उन्होंने ग़लत नंबर लगा दिया है। सामने वाले ने कहा कि उसने जल विभाग के पूर्व क्लर्क राजेंद्र मिश्रा को कॉल लगाया है और वो जानता है कि इस वक्त उसकी बात उन्हीं से हो रही है। राजेंद्र ये सुनकर शॉक्ड रह गए कि आख़िर उनके बारे में इतना कुछ जानने वाला ये अजनबी आख़िर है कौन। 

राजेंद्र इतना तो समझ ही गए थे कि जो भी बात कर रहा है वो उनको अच्छी तरह से जानता है। उन्हें लगा शायद उनका कोई पुराना दोस्त उनसे मज़ाक़ कर रहा है। इसलिए उन्होंने बड़े प्यार से कहा कि माफ करें भाई साहब पहचाना नहीं। सामने वाले ने हँसते हुए जवाब दिया कि हाँ जिसके पास इतना पैसा हो वो भला किसी को क्यों पहचानेगा। राजेंद्र को अब गुस्सा आ रहा था। उन्होंने कहा कि वो एक रिटायर क्लर्क हैं उनके पास पैसा कहाँ से आएगा। सामने वाले ने कहा कि दुनिया के लिए वो एक मामूली क्लर्क रहे होंगे लेकिन उसे पता है कि उस पोस्ट से उन्होंने कितना नोट छापा है। राजेंद्र को अब गुस्सा आने लगा। उन्होंने कहा कि वो जो भी है हद में रह कर बात करे, उन्होंने अपने पूरे करियर में ग़लत काम से एक रुपया भी नहीं कमाया।

सामने वाले ने फिर से हँसते हुए कहा कि दुनिया तो सच में यही समझती है लेकिन उसके पास कुछ सबूत हैं जो साबित कर देंगे कि उसने अपनी नौकरी में कैसे कैसे कांड किए हैं। राजेंद्र ने कहा कि वो खुली चौनौती देते हैं, वो जो भी है वो उन्हें बेईमान साबित कर के बता दे। सामने वाले ने कहा कि वो तो इस बात को बड़ी आसानी से साबित कर देगा लेकिन राजेंद्र ये सोच लें कि उसके बेईमान साबित होने के बाद अपनी बेटी के लिए जो सरकारी दामाद ढूँढने का सपना वो देख रहा है उसे पूरा कैसे करेगा वो तो जानता ही है कि दुनिया भले बेईमानी से पैसा कमा रही हो लेकिन वो किसी ऐसे परिवार में रिश्ता नहीं करेंगे जो जिस पर बेईमानी का ठप्पा लग गया हो। 

उसने कहा कि बेईमान तो हम सब हैं लेकिन जो पकड़ा जाता है असल में बेईमान वही कहलाता है। बाक़ी छुपे रहने वाले ईमानदार ही होते हैं। राजेंद्र अब सच में घबरा गए थे। लेकिन फिर भी उन्होंने अकड़ के कहा कि उसे जो भी करना है कर ले, उन्होंने जब कुछ किया ही नहीं तो वो डरे क्यों। सामने वाले ने कहा वो MP खुशवंत मौर्या वाला केस याद है या वो भी भूल गए। ये नाम सुनते ही राजेंद्र के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। वो इकलौता ऐसा केस था जो उनके पूरे करियर पर कालिख पोतने के लिए काफ़ी था। वो समझ नहीं पाये कि आख़िर ये शख्स कौन है जिसे इतनी सीक्रेट बात पता है। वो उनसे पूछने लगे कि आख़िर वो है कौन? ये सुनकर सामने वाला ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा। उसने कहा कि क्या वो अब अपनी ईमानदारी का ढोल नहीं पीटेगा? अब तक तो वो बहुत चौड़ में कह रहा था कि उसने अपनी पूरी ज़िंदगी में ऐसा कोई काम नहीं किया फिर अब क्यों घबरा रहा है। 

सामने वाले ने एक बार फिर से धमकी दी कि वो ये बात हर जगह फैला देगा और फिर उसे सरकारी दामाद नहीं मिलेगा क्योंकि कोई भी अपने लड़के का रिश्ता उस लड़की से नहीं करेगा जिसके बाप ने इतना बड़ा घपला किया हो। राजेंद्र अब उसके सामने गिड़गिड़ाने लगा और कहने लगा कि इसमें भला उसकी बेटी का क्या कसूर, वो जो भी है प्लीज़ ऐसा ना करे। इसके बदले में वो कुछ भी करने के लिए तैयार है। राजेंद्र को लगा कि वो पैसे माँगेगा, उन्होंने कहा कि उसे जितने भी पैसे चाहिए वो देने के लिए तैयार है। सामने वाले ने जवाब दिया कि उसे कोई पैसा नहीं चाहिए। उसे जो भी चाहिए वो अगले कॉल में बतायेगा। तब तक वो इंतज़ार करे। इसके साथ ही उसने फ़ोन काट दिया। राजेंद्र ने दोबारा भी उसे कॉल किया लेकिन फ़ोन बंद आ रहा था। साफ़ था कि किसी ने उसे ब्लैकमेल करने के लिए ही ये नंबर यूज़ किया था। 

ये सच था कि राजेंद्र बहुत ईमानदार इंसान था। उसने अपनी ज़िंदगी भर में कोई ग़लत काम नहीं किया था लेकिन एक ऐसा काम था जो उससे ज़बरदस्ती करवाया गया था और वही एक काम उसके पूरे करियर की ईमानदारी पर भारी पड़ गया था। हालांकि इस बारे में सिर्फ़ उस वक्त के बड़े बाबू को ही पता था और वो पिछले साल ही इस दुनिया से चल बसे। दरअसल, पैंतीस साल पहले उनके टेबल पर बार बार एक फ़ाइल आ रही थी। वो फ़ाइल उस वक्त के एमपी खुशवंत मौर्या की थी। वो नया नया एमपी बना था और उसे अपनी फैक्ट्री का वाटर स्प्लाई बिल माफ कराना था। जिसके बदले में राजेंद्र को मोटी रकम ऑफ़र हुई थी लेकिन राजेन्द्र ने मना कर दिया था। राजेंद्र तो किसी का एक रुपया बिल माफ नहीं करते थे, यहाँ तो पूरे ढाई करोड़ का बिल था। उन्हें एमपी के आदमियों की तरफ़ से बहुत धमकियां मिलीं लेकिन उन्होंने किसी की बात को सीरियस नहीं लिया। 

फिर एक दिन उन्हें बड़े बाबू ने अपने केबिन में बुलाया, बड़े बाबू बुरे इंसान नहीं थे लेकिन वो इतने ईमानदार भी नहीं थे कि ईमानदारी के चक्कर में अपनी नौकरी गँवा लेते। वो राजेंद्र को काफ़ी मानते थे। उन्होंने उन्हें अपने केबिन में बुला कर कहा कि उन्हें एमपी खुशवंत की तरफ़ से प्रेशर दिया जा रहा है कि वो उसका काम किसी भी तरह करवायें। राजेंद्र ने कहा कि वो जानते हैं ये गैरकानूनी है। अगर उन्होंने बिल माफ कर दिया तो उस बिल की भरपायी कहीं से तो करनी ही पड़ेगी। बड़े बाबू ने कहा वो सब हो जाएगा बस वो इस काम को करने के लिए राजी हो जाये क्योंकि उसके साईंन के बिना इस बिल का क्लियरेंस आगे नहीं बढ़ेगा। राजेंद्र ने साफ़ मना कर दिया। 

जिसके बाद बड़े बाबू ने उन्हें समझाया कि वो भी इस काम को नहीं करना चाहते लेकिन उन पर ऊपर से प्रेशर डाला जा रहा है। उन्हें साफ़ साफ़ कह दिया गया है कि ये काम तो हो कर रहेगा फिर भले उनकी कुर्सी पर कोई और बैठ कर ये काम करे। इसका सीधा मतलब है कि अगर उन्होंने ये करने से मना किया तो उनकी नौकरी पक्का जाएगी। वो किसी भी केस में फँसाये जा सकते हैं। वो इतने ईमानदार भी नहीं हैं कि अपनी नौकरी छोड़ कर अपने बच्चों का फ्यूचर खतरे में डाल दें। वैसे भी उन पर कोई आरोप लगा कर ही उन्हें डिसमिस किया जाएगा, बिना कुछ किए बदनामी उठाने से अच्छा है कि उनकी बात मान कर नौकरी बचा ली जाये। 

बड़े बाबू की बातें सुन कर राजेंद्र के सामने उनकी दोनों बेटियों का चेहरा घूमने लगा। नौकरी जाने के बाद भला वो क्या करेंगे, उन्हें कैसे पालेंगे, उनकी पढ़ाई फिर उनकी शादी का खर्चा ये सब कैसे होगा। ये सब कुछ सोचते ही राजेंद्र अंदर से कांप गए। उन्होंने हाँ कर दी और इस तरह उन्होंने अपनी ज़िंदगी का पहला और आख़िरी ग़लत क़ाम किया। एमपी का ढाई करोड़ का बिल माफ कर दिया गया। बड़े बाबू के कहने पर वो सारा बिल फर्जी खातों पर डाल दिया गया। उन दिनों सारा काम रजिस्टर पर था इसलिए सारी फ़ाइलें कागजो का ढेर बन गईं। राजेंद्र को डर था कि अब उसे और भी ग़लत काम करने को कहे जाएँगे लेकिन जिस एमपी का उन्हें डर था वो साल भर बाद ही एक बड़े केस में अपराधी पाया गया और उसे उम्र क़ैद हो गई। जिसके बाद उन्हें किसी ने तंग नहीं किया। इस काम के लिए उन्हें दो लाख रुपए मिले थे जो उस समय बहुत बड़ी रकम थी। उन्हें बड़े बाबू के कहने पर वो पैसे लेने पड़े लेकिन उन पैसों का बंडल आज भी उनकी अलमारी में पड़ा हुआ था। अब तो नोट बंदी के बाद वो पैसे रद्दी हो गए थे। 

लेकिन बाहर कोई उनकी बात नहीं मानता कि उन्होंने रिश्वत के पैसों को पड़े पड़े सड़ा दिया। हालांकि राजेंद्र को दुनिया की परवाह बाद में थी पहले वो इस बात से डर रहे थे कि वो अपनी बेटियों की नज़रों में गिर जायेंगे। अपनी बेटियों को उन्होंने हमेशा ईमानदारी का पाठ पढ़ाया था, वही बेटियां जब जानेंगी कि उनके पिता ने रिश्वत ली थी तो उनके बारे में कितना ग़लत सोचेंगी। उनसे ये सब बर्दाश्त नहीं होगा। वो सोचने लगे कि आख़िर वो कौन हो सकता है जिसे इतना बड़ा राज़ पता हो। बड़े बाबू ख़ुद इसमें इन्वॉल्व्ड थे इसलिए वो किसी से भी इस बारे में ज़िक्र नहीं करते। एमपी के किसी आदमी को इतने साल बाद उससे क्या ही लेना होगा और अगर होता भी तो कोई उनसे पैसे माँगता मगर यहाँ तो पैसों की डिमांड भी नहीं थी। 

इसी सब सोच के बीच उन्होंने खाना भी सही से नहीं खाया था। आज पूरा दिन वो ख़ुद में ही उलझे रहे थे। ये सब देख प्रतिभा और दादी ने उनसे पूछा भी कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है क्या लेकिन राजेंद्र ने किसी को सही से जवाब नहीं दिया। उन्हें ऐसे परेशान देख प्रतिभा और दादी भी परेशान हो गईं। 

राजेंद्र दो दिन इस बात से परेशान रहे, फिर उन्होंने सोचा कि अगर ये पता चल जाये कि ये फ़ोन कौन कर रहा है तो शायद उनकी परेशानी दूर हो सकती है। लेकिन वो कैसे पता लगाएंगे कि वो नंबर किसका है। फिर उन्हें एक शख्स का ख्याल आया जो ये काम कर सकता था। 

क्या राजेंद्र निकल पाएंगे इस मुसीबत से? कौन करेगा उनकी मदद? क्या उनकी फैमिली को पता चल जाएगा उनका सच? 
 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।   

 

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