Sarkari Damad | सरकारी दामाद

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आगरा जल विभाग के रिटायर्ड क्लर्क राजेन्द्र मिश्रा जी को चाहिए अपनी छोटी बेटी के लिए मनचाहा- सरकारी दामाद! प्राइवेट नौकरी करने वालों से इन्हें उतना ही परहेज़ है जितना कि किसी वेजिटेरीअन को अंडे से, लेकिन राजेन्द्र मिश्रा जी को ये नहीं पता कि उनके ही बगीचे में बगावत का बबूल जगह बना रहा है। देखना ये है कि ये फ़ैमिली ड्रामा एक पिता की जिद के साथ खत्म होगा या बेटी की प्रेम कहानी के साथ! क्या वाकई मिल पाएगा इतने कॉमपिटीशन में राजेन्द्र जी को उनका सरकारी दामाद?
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Chapter 1 - ये है मिश्रा परिवार

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Chapter 2 - डिनर पर बहस

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Chapter 3 - धीरज की एंट्री

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Chapter 4 - यही है हीरो

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Chapter 5 - गज़ब बेइज्जती है यार

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Chapter 6 - इश्तेहार का बवाल

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Chapter 7 - पहला कैंडिडेट

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Chapter 8 - दादी का फैसला

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Chapter 9 - घर का कलेश

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Chapter 11 - माँ बेटा आमने-सामने

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Chapter 12 - चलो जयपुर

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Chapter 13 - जयपुर का पहला दिन

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Chapter 14 - मुझे नहीं करनी शादी

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Chapter 15 - बाय बाय जयपुर

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Chapter 16 - 12 लाख का बिल

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Chapter 17 - सच हुआ सपना

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Chapter 18 - तानों का डिनर

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Chapter 19 - ये क्या हो गया?

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Chapter 20 - घर आने का लाइसेंस

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Chapter 21- प्रतिभा के बचपन का दोस्त

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Chapter 22 - धीरज और कौशिक

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Chapter 23 - लंच के बाद आना

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Chapter 24 - मोहब्बत वाला पार्सल

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Chapter 25 - फुल कान्फिडन्स

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Chapter 26 - मुसीबत की घंटी

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Chapter 27 - सच का सामना

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