प्रतिभा मार्केट आई थी। इसी बहाने वो अपने फ़ेवरेट कैफ़े में कुछ देर के लिए चली आई थी। वो अकेली बैठी थी तभी उसने देखा कि उसके मोहल्ले का लड़का धीरज भी इसी कैफ़े में एंटर हो रहा है। उसे देख प्रतिभा की घबराहट बढ़ गई, उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा। धीरज उसकी टेबल तक आ गया और बिना पूछे उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया। प्रतिभा के होंठ काँपने लगे, उसका दिल इतनी ज़ोर से धड़क रहा था कि मार्केट का शोर अगर नहीं होता तो कोई भी आराम से उसकी धड़कनें सुन सकता था। धीरज ने उसका हाथ पकड़ लिया।

शरीफ़ से दिखने वाला इस लड़के के लिए कोई ये नहीं कह सकता कि वो किसी लड़की का हाथ पकड़ने की हिम्मत कर सकता है। प्रतिभा ने अपना हाथ पीछे कर लिया। ये देख धीरज गुस्से में आ गया। उसने कहा, ‘’ ये ग़लत है यार, यहां तो कम से कम हाथ पकड़ने दो। तुम्हारे चक्कर में अपनी माँ का एक शरीफ बच्चा लोफर कहलाने लगा है और तुम हो कि हाथ तक नहीं पकड़ने दे रही। ‘’

प्रतिभा (प्यार से)- मेरा बस चले तो मैं गले भी लगा लूँ लेकिन कम्बख़्त इस शहर में पापा को जानने वाले ही इतने हैं कि डर लगा रहता है कोई देख ना ले।

धीरज (चिढ़ कर)- यार 2025 में भी हम वो पुराने ज़माने वाला ही लुकन छुपाई वाला प्यार कर रहे हैं। आख़िर कब तक ऐसे चलता रहेगा?

प्रतिभा (नार्मल)- जब तक तुम्हें सरकारी नौकरी नहीं मिल जाती और तुम सीना चौड़ा कर के पापा से मेरा रिश्ता मांगने नहीं आ जाते। तब तक ऐसे ही चंद मिनटों की मुलाक़ात से गुज़ारा करना पड़ेगा। और तुम मुझ पर गुस्सा मत दिखाओ, जब तक एग्जाम क्लियर नहीं कर लेते तब तक अपने मम्मी पापा को भी तुम ये नहीं कह सकते कि तुमने अपने लिए लड़की पसंद कर ली है और उससे शादी करना चाहते हो। तो इसमें सिर्फ़ मेरी तरफ़ से ही रुकावट नहीं है।

धीरज को ख्याल आया कि उसके पापा भी कौन सा कम हैं। उसने कहा कि काश वो लोग खुल कर दुनिया को बता पाते कि दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और एक दूसरे से शादी करना चाहते हैं। प्रतिभा ने धीरज की बात का जवाब देते हुए कहा कि वो अभी भी ऐसा कर सकते हैं। अगर वो अपने माँ बाप की फ़िक्र छोड़ दें तो कौन उनका क्या बिगड़ लेगा लेकिन क्या वो ऐसा करेंगे? उसने समझाया कि जो अपने परिवार से लगाव नहीं रखते उनके लिए तो सब आसान है लेकिन उन्हें अपना परिवार और प्यार दोनों संभालने हैं।

कुछ देर एक दूसरे को देखते रहने के बाद धीरज ने सवाल किया कि अगर उसकी सरकारी जॉब नहीं लगी तो क्या वो शादी नहीं करेंगे। प्रतिभा ने कहा कि उसके पास इस बात का जवाब नहीं है। वो नहीं जानती कि आगे वो क्या करेगी। उसे धीरज से भी प्यार है और वो अपने पापा के ख़िलाफ़ भी नहीं जा सकती। इसलिए उसने इस जवाब की ज़िम्मेदारी समय पर छोड़ रखी है। धीरज को भी ये बात पता थी कि उनके पास इंतज़ार के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। कुछ देर बातें करने के बाद प्रतिभा ने कहा कि उसे अब जाना होगा। धीरज उदास हो गया। उसे उदास देख इस बार प्रतिभा ने अपना हाथ उसके हाथ पर रखते हुए कहा कि उनके पास एक होने का बस यही रास्ता है कि धीरज एग्ज़ाम क्रैक करे और सरकारी नौकरी पा ले।

बहुत बड़ी पोस्ट नहीं भी होगी तब भी चलेगा। वो बाक़ी बातों के बारे में सोचना छोड़ सिर्फ़ पढ़ाई पर ध्यान दे। उसने कहा कि वो उसके बिना नहीं रह सकती और अपने पापा के ख़िलाफ़ भी नहीं जा सकती। अगर उसकी शादी किसी और से हो गई तो वो ये सदमा सह नहीं पाएगी। धीरज ने कहा वो वादा करता है, वो पापा की शर्त पूरी कर उससे ही शादी करेगा। इसके बाद दोनों मुस्कुराए और फिर प्रतिभा चली गई। धीरज ने उसके जाने के बाद वहाँ बैठे बैठे चाय के तीन और कप खाली कर दिए। प्रतिभा इन तीन कप का भी बिल पहले ही पे कर चुकी थी। दोनों को एक दूसरे की हर आदत के बारे में पता था।  

जी हाँ, ये चश्मे वाला साधारण सा दिखने वाला ये लड़का ही अपना हीरो है। तगड़ी बॉडी, हैंडसम लुक वाले लड़के फ़िल्मों में हीरो होते हैं। आम ज़िंदगी के हीरो यही आम से दिखने वाले लड़के हैं। जो अपने घरों से मीलों दूर अपने सपने लिए शहरों में आते हैं। हज़ार तरह की परेशानियों से जूझते हुए दिन रात ख़ुद को काबिल साबित करने की दौड़ में भागते रहते हैं, यही लड़के हीरो हैं जिनकी जेब में सिर्फ़ एक सौ का नोट है लेकिन अपने पसंद की लड़की को दुनिया की हर ख़ुशी देने की कोशिश करते हैं, यही साधारण से लड़के असली ज़िंदगी के असली हीरो होते हैं जो अपने दर्द को पीछे छुपा कर अपने परिवार की परेशानियां सुनते हैं, ख़ुद को मेहनत की भट्ठी में झोंक कर अपने लिए ख़ुद रास्ता बनाते हैं। यही लड़के हीरो हैं जो लोगों के तानों को सहते हुए आगे बढ़ते रहने का दम रखते हैं। अपना हीरो भी ऐसा ही एक आम लड़का है।

आपको क्या लगता है इसने प्रतिभा को प्रपोज़ किया होगा? उसके आगे पीछे चक्कर काटे होंगे? नहीं ज़नाब ये लड़का तो लड़की ज़ात के नाम से दूर भागने वालों में से है। हाँ, ये ज़रूर हुआ था कि प्रतिभा से इसे पहली नज़र में ही प्यार हो गया था। प्रतिभा का हँसना और हँसते हुए उसके दांतों का मोतियों की तरह चमकना धीरज के दिल में घर कर गया था। लेकिन उसमें इतनी हिम्मत भी नहीं थी कि प्रतिभा को जा कर हैलो बोल सके। पहली बार तो उसने किसी लड़की को आँख भर देखा था। कुछ लव स्टोरीज़ ऐसी होती हैं जो वक्त के साथ अपने आप ही लिखी जाती है। उसमें लड़के को लड़की के चक्कर नहीं काटने पड़ते, महंगे गिफ्ट्स दे कर उन्हें इंप्रेस नहीं करना पड़ता, शो ऑफ़ नहीं होता, बस ये प्यार वक्त के साथ हो जाता है।

मौहल्ले में किसी जानवर को चोट लग जाए तो धीरज पर उनका ख्याल रखने की जिम्मेदारी होती थी, कुत्तों को बिस्कुट खिलाना, बिल्लियों को दूध देना, अपने जेब टटोले बिना किसी ग़रीब की मदद कर देना ये सब धीरज की आदत में शामिल था और उसकी इन आदतों पर चुपके से प्रतिभा ने पूरी नज़र बनाए रखी थी। शुरुआत में धीरज उसे कुछ ख़ास नहीं लगा लेकिन वक्त के साथ बिना कहे और दिखाये उसकी खूबियां सामने आती रहीं। प्रतिभा इतना भी समझ गई थी कि धीरज कभी भी सामने से अपने दिल की बात नहीं कहेगा। एक दिन चिढ़ कर प्रतिभा ने ख़ुद से एक चिट्ठी लिखी और धीरज को पकड़ा दी। धीरज को यकीन ही नहीं हुआ कि ये सब सच में हो रहा है। दो दिन तो वो उस चिट्ठी को खोलने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाया। इधर प्रतिभा को ख़ुद पर शर्मिंदगी होने लगी कि लड़की हो कर उसने पहले प्रपोज़ क्यों किया, पता नहीं धीरज उसके बारे में क्या सोच रहा होगा।

उसे क्या पता था कि इधर धीरज सदमे में चला गया है। वो बार बार उस लेटर को निहारता और फिर साइड में रख देता। उसे ये भी लगा था कि कहीं प्रतिभा ने उस लेटर में उसे सुनाया ना हो। दो दिन बाद आख़िरकार उसने हिम्मत कर के उस लेटर को खोल ही लिया। लेटर में लिखा था…

“सबसे पहले तो मैं ये क्लियर कर दूं कि अगर मैंने तुम्हें ये लेटर दिया है तो तुम मुझे ग़लत मत समझना। मुझे पता है तुम सामने से आ कर कभी मुझसे बात नहीं करोगे इसीलिए मुझे ये करना पड़ा। तुम्हें जब पहली बार देखा था तो बहुत आम से लगे थे, इतने आम कि तुम्हें देखकर आराम से इग्नोर किया जा सकता था लेकिन फिर धीरे धीरे तुम्हारी अच्छाइयां दिखने लगीं। जो लड़का गली मोहल्ले के जानवरों तक की इतनी फ़िक्र करता है वो भला उस लड़की के लिए क्या नहीं कर जाएगा जिसे वो प्यार करता हो

इतना तो मैं भी तुम्हारी आँखें पढ़ चुकी हूँ कि तुम भी मुझे प्यार करते हो। हाँ हमारा प्यार आज कल के मॉडर्न लव जैसा नहीं हो सकता कि हम हाथ में हाथ डाले मोहल्ले में घूमें या मैं सारा दिन फ़ोन पर तुमसे बात करती रहूं लेकिन हम एक अहसास का रिश्ता बना सकते हैं, जिसमें एक दूसरे को देखने भर से दिल को सुकून आ जाये, जिस प्यार में वादे सिर्फ़ कहने भर के लिए ना हों, जिसमें बहुत बातें और बहुत मिलना जुलना तो नहीं लेकिन एक दूसरे के लिए इज़्ज़त और फ़िक्र भरपूर हो। बोलो क्या तुम मुझसे अहसास वाला प्यार करते हो? क्या तुम्हें ऐसा रिश्ता मंज़ूर है जो सिर्फ़ हम दोनों तक रहे। हम तब ही दुनिया को बताएं कि हम एक दूसरे के हैं जब हमारी शादी हो रही हो? बोलो क्या तुम सात जन्मों का प्यार निभाने के लिए तैयार हो? अगर हाँ तो रात दस बजे के बाद कभी भी नीचे दिए नंबर पर मैसेज कर देना। और अगर ना मंज़ूर हो तो इस चिट्ठी को जला देना।“

चिट्ठी पढ़ते ही धीरज को बेहोशी छा गई थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जिस लड़की को वो इतना पसंद करता था उसने ख़ुद से इतनी बड़ी बात कैसे कह दी। उसे लगा कोई चमत्कार हुआ है क्योंकि वो सपने में भी नहीं सोच सकता था कि ऐसा भी हो सकता है। वो तो सारी उम्र एकतरफ़ा आशिक़ बन कर रहने के लिए भी तैयार था लेकिन यहाँ तो ख़ुद कुआं प्यासे के पास चल कर आ गया था। उसने बड़ी हिम्मत जुटा कर अपना फ़ोन उठाया और उस लेटर में दिए नंबर पर मैसेज किया।

क़रीब आधे घंटे बाद जवाब आया जिसमें लिखा था कि उसे तो लगा उसने लेटर जला दिया। जवाब देने में इतनी देर क्यों लगायी? धीरज ने लिखा कि वो बेहोश हो गया था उसे दो दिन बाद होश आया है। प्रतिभा ने हँसने वाला इमोजी भेजते हुए कहा कि क्या वो इतनी बुरी दिखती है कि उसका लेटर देख कर वो बेहोश हो गया? धीरज ने कहा नहीं ये सोच कर बेहोश हो गया कि जिस लड़की को वो छह महीने से पसंद करता है उसने अचानक उसे लेटर भेज कर अपने प्यार का इज़हार कैसे कर लिया। धीरज ने कहा कि उसे उस दिन से भी ज़्यादा ख़ुशी आज हो रही है जिस दिन उसने अपने पूरे कॉलेज में टॉप किया था।

बस ऐसे ही दोनों की बातें आगे बढ़ती रहीं, दोनों का एक दूसरे के लिए प्यार बढ़ता रहा। दोनों एक दूसरे से ज़्यादा मिल नहीं पाते थे, बातें भी ज्यादातर मैसेज तक ही थीं, वो भी एक फिक्स टाइम में। लेकिन फिर भी दोनों खुश थे। एक ही चैलेंज था उनके सामने और वो था राजेंद्र मिश्रा की शर्त को पूरा करना। वो प्रतिभा के लिए कोई सरकारी लड़का ढूंढते इससे पहले धीरज को सरकारी बाबू बनना था। जिसके लिए वो दिन रात मेहनत कर रहा था।

क्या धीरज राजेंद्र मिश्रा की शर्त पूरी कर पायेगा? धीरज प्रतिभा का ये प्यार दुनिया से कब तक छुपा रहेगा? 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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