चार लोगों से मिलकर बनता है समाज और फिर ये समाज उन्हीं चार लोगों को बारी बारी से दूसरे चार लोगों का डर दिखा कर उन्हें कमजोर बनाने लगता है। चार लोग क्या कहेंगे के डर से इंसान अपनी और अपने परिवार की खुशियां तक दबाने लगता है। इन चार लोगों का मैथ्स समझने में इंसान की पूरी ज़िंदगी निकल जाती है। इंसान को लगता है वो ये सब अपने सेटिस्फेक्शन के लिए कर रहा है लेकिन असल में ये सब इस समाज का प्रेशर होता है। फिर हर कोई अपने बारे में सोचना छोड़ ये सोचने में बिज़ी हो जाता है कि चार लोग क्या कहेंगे।

राजेंद्र मिश्रा भी इन्हीं चार लोगों के प्रेशर में थे। उन्हें लग रहा था कि ये वो अपनी satisfaction के लिए कर रहे थे लेकिन असल में ये सब कुछ चार लोगों के बीच अपनी नाक ऊँची करने के लिए हो रहा था क्युकी उन्हें लग रहा था कि अगर वो अपनी बात पूरी नहीं करेंगे तो इन्हीं चार लोगों के बीच उनकी नाक भी काट जाएगी। इन्हीं चार लोगों में एक थे गोरख यादव, हाँ वही यादव जिनके यहां अपनी कहानी का धीरज किरायेदार बन कर रहता था। राजेंद्र और गोरख के बीच में भयंकर दुश्मनी थी। हालांकि ये शरीफों वाली दुश्मनी थी, जिसमें लड़ाई झगड़ा बिल्कुल नहीं था, इनकी लड़ाई एक दूसरे को नीचा दिखाने भर तक सीमित थी। राजेंद्र गोरख को उनके बेटे के बारे में पूछ कर शर्मिन्दा करते रहते थे।

दरअसल, गोरख यादव को अपने इकलौते बेटे अर्णव उर्फ आरू पर बहुत गर्व था। वो कहते थे कि अपने बेटे अर्णव को को खूब लायक़ बनायेंगे, उनका बेटा उनके कहने में है, वो जैसा कहेंगे वैसा करेगा वो। उन्हें यकीन था कि उनके बेटे को कितनी भी बड़ी जॉब मिले वो कभी उन्हें छोड़ कर बाहर नहीं जाएगा लेकिन अर्णव ने जैसे ही अपनी पढ़ाई पूरी की उसने कोलकाता में जॉब ज्वाइन कर ली। फिर कुछ साल बाद वहीं एक लड़की से शादी कर के अपना परिवार वहीं बसा लिया। गोरख को इस बात का बहुत धक्का लगा। इधर उनके मुँह से हमेशा बेटे की बढ़ाई सुनते आ रहे राजेंद्र मिश्रा ने मौके का फायदा उठाया और उन्हें सुनाने लगे, ‘’आज कल माँ बाप भले ही ये कहें कि उनका बच्चा उनकी मुट्ठी में है लेकिन ऐसा होता नहीं। सब अपने मन की करते हैं।''

राजेंद्र के ताने हर रोज बढ़ते रहे। वो जब भी मिलते तब उनसे आरू के बारे में ज़रूर पूछते क्योंकि राजेंद्र जानते थे गोरख उसका नाम लेने भर से ही चिढ़ जाते हैं।

लेकिन समय सबका आता है ना, गोरख का भी समय आया। जब शालू ने अपने पसंद के लड़के से शादी कर ली तो गोरख ने राजेंद्र से अपना सारा बदला निकाल लिया। फिर कौन सा दिन नहीं था जब गोरख ने राजेंद्र को सुनाया ना हो। अब तो दोनों का जब भी आमना सामना होता है तो दोनों अपनी अपनी भड़ास निकालने लगते हैं। आज पार्क में टहलते हुए एक बार फिर से गोरख और राजेंद्र का सामना हो गया था।

हाल चाल पूछने की फॉर्मेलिटी के बाद राजेंद्र ने गोरख से कंप्लेन की कि वो बैचलर लड़कों को रूम देना बंद करें क्योंकि ये लड़के मोहल्ले की लड़कियों को छेड़ते हैं। गोरख उनकी इस शिकायत पर हँसने लगे, उन्होंने कहा कि उनके यहाँ जो भी लड़के रहते हैं सब बेहद शरीफ हैं। राजेंद्र के ज़ख़्मों पर नमक छिड़कने की कोशिश करते हुए गोरख ने कहा कि उन्हें कुछ ज़्यादा ही डर रहता है लड़कों से क्योंकि एक बार उनके साथ हादसा हो चुका है। सरकारी दामाद खोजने का दावा करने वाले राजेंद्र की बेटी ने एक मामूली से MR से शादी कर ली।

गोरख ने कहा कि इतने अच्छे अच्छे रिश्ते सबने बताये थे लेकिन राजेंद्र ने सबको मना कर दिया। जिसके बदले में उन्हें एक फटीचर दामाद मिला। उन्होंने राजन की जमकर बुराई की और ये भी कहा कि ऐसे लोगों की नौकरी का क्या ही भरोसा। कल को जब बेरोजगार हो गया तो घर कैसे चलाएगा। दूसरा कोई होता तो गोरख को जवाब देता कि उसका उनके फैमिली मैटर में बोलने का कोई हक नहीं लेकिन इस लड़ाई की शुरुआत राजेंद्र ने ही तो की थी फिर भला वो अब आगे से क्या ही बोल सकते थे। उसके साथ ही उन्हें ये भी लग रहा था कि गोरख ठीक ही तो कह रहा था। एक MR की भला क्या ही औक़ात होती है। भले आज उसके दामाद के पास अपना घर गाड़ी सब है लेकिन कल को उसकी जॉब चली गई तो वो खर्चे कैसे उठाएगा।

गोरख ने आगे कहा कि राजेंद्र तो अपनी दूसरी बेटी के लिए भी अभी तक सरकारी लड़का नहीं ढूँढ पाये हैं। गोरख की आख़िरी बात राजेंद्र को इतनी चुभ गई कि वो वहाँ से उठ कर चल दिए। गोरख ने कहा था कि क्या पता उनकी छोटी बेटी भी ख़ुद से ही लड़का पसंद कर ले। गोरख का कहना था कि राजेंद्र बेकार में परेशान हो रहे हैं, अगर उनकी दूसरी बेटी भी ख़ुद की पसंद से शादी कर लेती है तो इसमें क्या दिक्कत होगी। उनकी एक चिंता खत्म होगी, क्योंकि राजेंद्र से सरकारी दामाद नहीं ढूंढा जाएगा।

इस बात से राजेंद्र के अंदर ऐसा गुस्सा भड़का कि उनका मन हुआ गोरख का मुँह तोड़ दें लेकिन लिहाज़ की वजह से वो चुप रहे और वहाँ से उठ कर चले गए। सुनने वालों को लग रहा होगा गोरख राजेंद्र से ऐसी बातें कैसे कह सकते हैं लेकिन जो इन दोनों को पहले से जानते हैं उन्हें पता है कि इनके बीच ऐसी नोकझोंक आम बात है। राजेंद्र ने तो गोरख को इससे भी ज़्यादा तीखी बातें कहीं हैं। इसलिए अब उन्हें उनकी बातें भी सुननी पड़ीं।

वो घर आते सीधा अपने रूम में चले गए और गोरख की कहीं बातों के बारे में सोचते रहे। उन्हें लगा कि गोरख ने सच ही तो कहा है, उनकी ही कोशिश में कमी है इसीलिए वो प्रतिभा के लिए सरकारी नौकरी करने वाला लड़का नहीं ढूंढ पा रहे हैं। उन्हें अपनी कोशिश के तरीक़े बदलने होंगे। कोई भी रिश्ता उनके घर तक चल कर नहीं आयेगा। उन्हें ही कुछ अलग करना होगा। बहुत देर सोचने के बाद उनकी नज़र न्यूज़पेपर पर गई। तभी उनके दिमाग़ में एक आइडिया आया।

वो तैयार होने लगे। उन्होंने प्रतिभा से कहा कि वो ज़रूरी काम से बाहर जा रहे हैं इसलिए उनका नाश्ता ना बनाए। वो लंच तक वापस आ जाएँगे। किसी को आइडिया नहीं था कि वो जा कहाँ रहे हैं। प्रतिभा और दादी दोनों हैरान थे क्योंकि कुछ भी हो जाये वो कभी भी नाश्ता किए बिना घर से बाहर नहीं निकलते थे मगर आज बात ही कुछ ऐसी थी कि उन्हें नाश्ता करने तक का होश नहीं रहा। कुछ देर तक दादी पोती ने अपना दिमाग़ दौड़ाया कि वो आख़िर जा कहाँ रहे हैं, फिर हार कर दोनों अपने अपने काम में लग गईं।

राजेंद्र जी ने अपनी बाइक स्टार्ट की और निकल गए। उनकी बाइक सीधा लोकल न्यूज़ पेपर अखंड भारती के ऑफ़िस के सामने जा कर रुकी। उन्होंने बाइक पार्क की और ऑफ़िस में एंटर होते ही अख़बार के एडिटर जगमोहन भाटिया के केबिन में घुस गए। भाटिया उन्हें देख हैरान हो गया। वो दोनों दोस्त थे लेकिन बहुत टाइम से दोनों की मुलाक़ात नहीं हुई थी। दोनों ने हाथ मिलाया और एक दूसरे का हाल पूछा। भाटिया ने राजेंद्र से दफ़्तर आने की वजह पूछी तो उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी बेटी के रिश्ते के लिए ऐड देनी है। भाटिया ने कहा ये तो छोटा सा काम है हो जाएगा। इतना कहते हुए भाटिया ने बाहर से एक लड़के को बुलाया और उसे राजेंद्र से सारी डिटेल ले लेने को कहा।

राजेंद्र उस लड़के के साथ उसकी डेस्क पर चले गए। कुछ देर में ही उन्होंने लड़के को सारी डिटेल्स लिखवा दी। जिसे पढ़ने के बाद डिटेल लिखने वाला वो लड़का भी हैरान रह गया। वो राजेंद्र के साथ फिर से भाटिया के कैबिन में गया और उन्हें डिटेल दिखाते हुए बोला कि वो एक बार इसे चेक कर लें क्योंकि उसने आज से पहले ऐसा विज्ञापन कभी नहीं देखा। क्या इसे अपने अख़बार में पब्लिश करना सही रहेगा?

भाटिया जी ने जब विज्ञापन पढ़ा तो वो भी हैरान रह गए। उन्होंने राजेंद्र से पूछा कि क्या पक्का उन्हें अपनी बेटी के लिए ऐसा ही लड़का चाहिए। राजेंद्र ने कहा, ‘’बिल्कुल, उनकी बेटी से शादी करने के लिए जिस भी लड़के में ये सब क्वालिटीज़ हों वो उनसे कांटेक्ट कर सकता है। ‘’

भाटिया जी ने भी अपना सिर पीट लिया। राजेंद्र ने विज्ञापन कुछ यूं लिखवाया था।

राजेन्द्र- मुझे अपनी सुंदर सुशील और पढ़ी लिखी लड़की के लिए एक योग्य वर की तलाश है। मैथ्स से मास्टर्स कर चुकी मेरी लड़की के लिए मैं जिस तरह का दुल्हा खोज रहा हूं उसको लेकर मेरी कुछ शर्तें हैं। शर्तें कुछ इस तरह हैं कि

हमें सिर्फ़ और सिर्फ़ सरकारी दामाद चाहिए, प्राइवेट नौकरी, बिजनेस या किसी भी तरह का प्राइवेट काम करने वाले लड़के के लिए कोई भूल कर भी फ़ोन ना करें। इससे आपका और हमारा दोनों का समय खराब होगा।

दूसरी शर्त ये है कि लड़के में शराब सिगरेट या कोई भी और नशे करने वाली आदत ना हो।

लड़का किसी भी तरह की सरकारी नौकरी में होना चाहिए, फिर भले ही वो प्यून क्यों ना हो।

भाटिया जी ने राजेंद्र से मज़ाक़ में कहा कि इससे अच्छा एक यही लाइन लिख देते हैं कि लड़का सरकारी नौकरी में हो और ज़िंदा हो बाक़ी कोई शर्त नहीं है। राजेंद्र ने उन्हें घूरा जिसके बाद उनकी हँसी बंद हो गई। राजेंद्र ने भाटिया से कहा कि उन्हें ये विज्ञापन फ्रंट पेज पर चाहिए। भाटिया ने बताया कि फ्रंट पेज का रेट काफ़ी ज़्यादा है। राजेंद्र ने जवाब दिया कि उन्हें इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। उनका कहना था कि ये विज्ञापन पूरे जिले के सरकारी नौकरी करने वाले लड़कों तक पहुँचना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने फुल पेमेंट एडवांस में ही कर दी। भाटिया को पैसे मिल रहे थे, इसलिए अब उन्हें इस विज्ञापन से कोई दिक्कत नहीं थी।

भाटिया ने कहा कि कल ये विज्ञापन छप जाएगा। जिसके बाद राजेंद्र एक जीत भरी मुस्कान के साथ वापस घर लौट आए। प्रतिभा और दादी ने उनसे पूछा कि वो छुट्टी लेकर कहाँ गए थे। जिसके जवाब में राजेंद्र ने बस इतना ही कहा कि उन्हें कुछ ज़रूरी काम निपटाने थे इसीलिए उन्होंने आज छुट्टी ली थी। इससे ज़्यादा उन्होंने जवाब नहीं दिया और अपने कमरे में आ गए।

कमरे में आने के बाद उन्होंने नई डायरी निकाली और उसे देख कर खुश होने लगे। ये डायरी उन्होंने उन लड़कों की डिटेल लिखने के लिए निकाली थी जिनके कल से फ़ोन आने वाले थे। उन्हें पूरा भरोसा था कि इस विज्ञापन को पढ़ने के बाद उन्हें अपनी बेटी के लायक़ एक अच्छा सरकारी दामाद ज़रूर मिल जाएगा। कपड़े बदल कर वो बाहर गए और प्रतिभा से खाना निकालने के लिए कहा। प्रतिभा और दादी देख रही थीं कि आज राजेंद्र कुछ ज़्यादा ही खुश लग रहे हैं। दादी ने पूछा भी कि वैसे तो वो सारा दिन सड़ा सा मुँह बनाए रहता है मगर आज क्या बात है जो वो इतना खुश है।

राजेंद्र ने मुस्कुराते हुए कहा कि आज के बाद वो हमेशा इसी तरह से खुश दिखेंगे। आज उन्होंने एक बहुत बड़ा काम किया है। दादी ने कहा कि उन्हें भी बताए कि ऐसा क्या काम कर लिया उन्होंने, इस पर राजेंद्र ने जवाब दिया कि उन लोगों को ख़ुद ही पता चल जाएगा। फ़िलहाल ये सरप्राइज़ है।

प्रतिभा के लिए शादी की ऐड देखने के बाद फैमिली का क्या रिएक्शन होगा? क्या इस ad से राजेंद्र अपने लिए सरकारी दामाद खोज पाएंगे? 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

 

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