शादियां सिर्फ़ लड़का लड़की ढूँढने से हो जातीं तो फिर इतना लंबा इंतज़ार किसी को थोड़े ना करना पड़ता। शादी के लिए लड़का लड़की को पसंद करना भी ज़रूरी होता है। जिस तरह इधर राजेंद्र जी अपनी बेटी की शादी के लिए सरकारी दुल्हा ढूँढने में परेशान हो रहे थे वैसे ही बेचारे कितने लड़के सरकारी नौकरी होने के बावजूद एक सुंदर सुशील और पढ़ी लिखी लड़की नहीं ढूँढ पा रहे थे। मगर राजेंद्र जी के विज्ञापन ने उन सभी लड़कों को बता दिया था कि एक सुंदर सुशील और पढ़ी लिखी लड़की उनके इंतज़ार में पलकें बिछाए बैठी है। हालांकि यहाँ लड़की नहीं लड़की के पिता को सरकारी बाबू का इंतज़ार था। लेकिन ये बात विज्ञापन पढ़ने वालों को थोड़े ना पता थी कि ये इश्तिहार आख़िर दिया किसने है। उन्हें तो ये काम की बात लगी और उन्होंने नीचे दिए नंबर पर फ़ोन घुमाना चालू कर दिया।

नंबर था राजेंद्र जी का जो पिछले डेढ़ घंटे से वॉशरूम में बैठे अपनी कब्ज़ से एक अलग ही तरह की जंग लड़ रहे थे। पेट के खुलासे के लिए अलग अलग आसान करने में व्यस्त राजेंद्र जी को सुनायी ही नहीं दिया कि उनका फ़ोन बजना शुरू हो चुका है। राजेंद्र बाहर आ नहीं रहे थे और उनके मोबाइल की रिंग बंद होने का नाम नहीं ले रही थी। इसलिए प्रतिभा ने ही उनका फ़ोन उठा लिया। ये किसी अनजान नंबर से आई कॉल थी। प्रतिभा ने हैलो कहा। सामने वाले ने समझा कि शायद लड़की ने ख़ुद अपनी शादी के लिए अख़बार में विज्ञापन दिया होगा।

उसने अपना नाम मुकेश बताया और कहा कि वो रेलवे में असिस्टेंट प्वाइंटमैन है और अभी उसकी नौकरी यूपी के सहारनपुर में है। उसका घर यहीं आगरा में है। वो अभी छुट्टी में घर आया है। प्रतिभा को समझ नहीं आ रहा था कि कोई लड़का उसे अपना बायोडाटा क्यों दे रहा है। उसने सामने वाले से कहा कि शायद उसका नंबर ग़लत लग गया है। सामने से लड़के ने कहा कि उसने सही नंबर लगाया है। उसे प्रतिभा से शादी करनी है इसी रिलेटेड बात करने के लिए उसने फ़ोन किया है। उसकी उम्र 33 साल हो गई है इसलिए वो अब घर बसा लेना चाहता है। प्रतिभा ने सोचा ये अजीब आदमी है जो अपने बारे में इतना सब बताये जा रहा है। उसने उसे कुछ बातें सुनायीं और फ़ोन रख दिया।

फिर एक बार फ़ोन बजा इसबार प्रतिभा किचन से बाहर नहीं आई। अभी पूजा कर के उठी दादी ने बार बार बजते फ़ोन को शांत करने के लिए कॉल उठा ली। सामने से किसी ने कहा उसका नाम धर्मेंद्र है वो एक जानवरों का डॉक्टर है और यूपी के एक दूरदराज गांव में नौकरी कर रहा है, उसे शादी करनी है। दादी बोली, ‘’धर्मेंद्र बेटा शादी करनी है तो हेमा मालिनी को फ़ोन कर ना यहां क्या घुइयां लेने को फ़ोन कर रहा है? चल फ़ोन रख।‘’

अभी धर्मेंद्र ने फ़ोन रखा ही था कि राजेंद्र का फ़ोन फिर से भजन वाली रिंगटोन गुनगुनाने लगा। दादी ने फिर फ़ोन उठाया सामने से किसी ने कहा उसका नाम शशि है वो सचिवालय में एक चपरासी है। उसे उनकी सारी शर्तें मंज़ूर हैं। वो एक रुपया दहेज भी नहीं लेगा।

दादी(गुस्से में)- ओय, हमने कोई शर्त ही नहीं रखी तो तुझे मंज़ूर कहाँ से हो गई। अब अगर यहाँ फ़ोन किया तो फ़ोन में घुस के तेरी कुटाई करूँगी।

दादी ने फ़ोन काटा ही था कि एक बार फिर से फ़ोन रिंग करने लगा। इस बार कोई कन्हैया बोल रहा था जो सरकारी हॉस्पिटल में वार्ड बॉय की नौकरी करता है। उसे शादी के लिए लड़की चाहिए इसीलिए उसने फ़ोन किया है। दादी का पारा हाई हो चुका था उन्होंने कन्हैया को कहा कि वो कोई मैरिज ब्यूरो नहीं चला रही जो यहाँ फ़ोन किए जा रहे हैं सब। वो फ़ोन रखें नहीं तो दादी उसका नंबर पुलिस में दे देगी।

इस बार फ़ोन फिर से बजा दादी ने फ़ोन उठाते ही गालियां देनी शुरू कर दीं तब तक राजेंद्र बाथरूम से निकल आए और उन्होंने उनके हाथ से फ़ोन छीन लिया। गालियां खाने के बाद सामने वाला शख्स बहुत गुस्से में था। उसने राजेंद्र से कहा कि अगर बेटी की शादी नहीं करनी थी तो अख़बार में इश्तिहार क्यों दिया, अब फ़ोन कर रहे हैं तो कोई गालियाँ दे रहा है। राजेंद्र ने इसके लिए माफी माँगी और फ़ोन लेकर वहाँ से चले गए। उन्होंने सामने वाले से कहा कि उनकी माँ की दिमागी हालात कुछ ठीक नहीं इसलिए वो ऐसा बोल गईं। दादी और प्रतिभा को समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर ये सब चल क्या रहा है।

उधर राजेंद्र फ़ोन में बिजी हो गए थे और डायरी में पता नहीं क्या क्या लिखे जा रहे थे। तभी प्रतिभा के मोबाइल पर एक मैसेज आया। जो उसकी सहेली ज्योति के नाम से था, हालांकि ये धीरज का नंबर था जिसे उसने ज्योति के नाम से सेव कर रहा था। उसे ये देख कर शॉक लगा क्योंकि उसने धीरज से दिन में मैसेज फ़ोन कुछ भी करने से माना किया था। फिर भी उसने मैसेज खोला, अंदर एक अख़बार की कटिंग की फ़ोटो के साथ धीरज ने कितनी सारी गुस्से वाली इमोजी भेजी थीं। उसने लिखा था कि मुझे होल्ड पर रख कर शादी के विज्ञापन दिए जा रहे हैं और मुझे बताया भी नहीं जा रहा।

प्रतिभा को ऐसे किसी विज्ञापन के बारे में नहीं पता था। उसने वो फ़ोटो खोली तो देखा राजेंद्र मिश्रा के नाम से एक विज्ञापन दिया गया है, जिसमें उन्होंने अपनी बेटी के लिए सरकारी दूल्हे की तलाश के बारे में लिखवाया है। प्रतिभा अब समझी कि सुबह से इतने अजीब फ़ोन क्यों आ रहे थे। उसने आज का अख़बार उठाया और दादी को दिखाते हुए बताया कि पापा क्या कारनामा कर के आए हैं। उस विज्ञापन को पढ़ते दादी आग बबूला हो गई। वो राजेंद्र के रूम में गईं और ज़ोर से उनका नाम पुकारा। राजेंद्र ने उनकी तरफ़ देखते हुए चुप रहने का इशारा किया क्योंकि वो फ़ोन पर किसी कैंडिडेट से बात कर रहे थे। दादी ने उनके कान पर लगा फ़ोन ले लिया और कॉल काट दी। राजेंद्र ने पूछा कि वो बच्चों जैसे क्यों कर रही हैं। दादी ने जवाब देते हुए कहा कि वो पागलों जैसा काम सकता है तो वो भी बच्चों जैसी हो सकती हैं

राजेंद्र ने पूछा कि आख़िर उसने क्या किया है फिर दादी ने उन्हें अखवार का विज्ञापन दिखाते हुए पूछा कि ये क्या है? राजेंद्र जी ने अभूत नार्मल हो कर कहा कि प्रतिभा की शादी के लिए उसने ही ऐड दिया है अख़बार में और उसे अब कॉल भी आ रहे हैं। वो बिजी है, बाक़ी बातें शाम को ऑफ़िस से आने के बाद करेंगे । दादी ने चिल्लाते हुए कहा, ‘’राजेंद्र, तेरा दिमाग़ ख़राब हो गया है? क्या हमारी प्रतिभा को लड़कों की कमी है जो तू उसकी शादी के लिए अख़बार विज्ञापन दे कर आया है और ये विज्ञापन है? ये मिश्रा खानदान की नाक कटाने वाला विज्ञापन है। इसे पढ़ कर लोग सोचेंगे कि इनकी लड़की की शादी ही नहीं हो पा रही इसीलिए इन्होंने अब अख़बार में इश्तिहार दिया है और कैसे कैसे लड़कों के फ़ोन आ रहे हैं? तुझे अपनी बेटी की जरा फ़िक्र नहीं है क्या?''

राजेंद्र (नार्मल)- फ़िक्र है तभी तो ये विज्ञापन दे कर आया हूँ। कहाँ लगी है उसके लिए लड़कों की लाइन बताना? पिछले दो साल में हमने बस दो लड़के देखे हैं। ऐसे तो हो गई प्रतिभा की शादी। आपका क्या है आपको तो घर में रहना है बाहर तो मैं जाता हूँ ना लोग मुझसे पूछते हैं कि बेटी के लिए लड़का मिला या नहीं। मेरी बेटी है मुझे फ़िक्र नहीं होगी तो किसे होगी और अभी विज्ञापन दिया है, लड़के सलेक्ट करेंगे, उनसे मिलकर उनके बारे में जानेंगे तब जा कर शादी करेंगे। ऐसे ही नहीं किसी के साथ शादी कर देने वाला मैं।

दादी (गुस्से में)- दिख रहा है कितनी फ़िक्र है तुझे और कैसे कैसे लड़के शादी के लिए फ़ोन कर रहे हैं। कोई जानवरों का डॉक्टर है तो कोई किसी ऑफ़िस का प्यून। मैं सरकारी के नाम पर ऐसे ही किसी के साथ अपनी पोती की शादी नहीं होने दूँगी पहले ही बता रही हूँ। फिर बाद में मत कहना कि मैं कलेश कर रही हूँ।

इस बात पर राजेंद्र ने धीमे से कह दिया कि इसके सिवा उन्हें आता ही क्या है। जिसे सुन कर दादी को बहुत बुरा लगा। वो वहाँ से चली आई। प्रतिभा ये सब सुन रही थी। उसे भी अपने पापा का दादी से ऐसा बर्ताव अच्छा नहीं लगा। वो दादी के पीछे उन्हें मनाने चली गई। दादी की आँखें भर आई थीं ये सुन कर कि उनका बेटा उन्हें जवाब दे रहा था। प्रतिभा ने दादी को कहा कि उन्हें तो पता है गुस्से में पापा कुछ भी बोल जाते हैं। उनकी बात को ऐसे दिल पर ना लें। दादी कुछ भी नहीं बोल रही थीं।

प्रतिभा अपने पापा को जाकर डाँटने लगी और कहने लगी कि वो अभी जा कर दादी से माफी मांगे। उसे ये बिल्कुल अच्छा नहीं लगेगा कि दादी सारा दिन ऐसे उदास रहें। उसने अपने पापा से कहा कि वो उसके लिए लड़का देख रहे हैं, उसे उनपर पूरा भरोसा है कि वो जो करेंगे उसके अच्छे के लिए करेंगे फिर और कोई क्या कहता है उससे उन्हें फ़र्क़ नहीं पड़ना चाहिए। अगर दादी ने उन्हें कुछ कह ही दिया तो उन्हें चुपचाप सुन लेना चाहिए था ना, पलट कर जवाब देने की क्या ज़रूरत थी। प्रतिभा ने बताया कि अब वो रो रही हैं। उनके रोने की बात सुन कर राजेंद्र बेचैन हो गए। वो अच्छे से जानते थे कि उनकी माँ को जब कोई काम करवाना होता था तब वो रोने लगती थीं लेकिन इसके बावजूद वो उन्हें रोता हुआ नहीं देख सकते थे।

राजेंद्र दादी के पास गए और उनके पैर दबाने लगे। वो हर बार अपनी गलती के बाद ऐसे ही अपनी माँ को मनाया करते थे। दादी ने कहा उन्हें मनाने की कोई ज़रूरत नहीं वो तो हमेशा कलेश करती है ना, उनका रूठे रहना ही उसके लिए अच्छा होगा। अब दादी राजेंद्र को इमोशनल करने लगी थी। उसने कहा कि बस कुछ सालों की तो बात है वो मर जाएगी फिर उसके साथ कलेश करने वाली कोई नहीं रहेगी। दादी के मुँह से मरने की बात सुन कर राजेंद्र जी को बहुत बुरा लगा। वो कहने लगे, ‘’खबरदार माँ जो आज के बाद ऐसा बोला। क्या मैं सबको मरता देखने के लिए ही ज़िंदा हूँ? आपको जो कहना है कहिए मैं सब सुनूँगा लेकिन दोबारा मरने की बात मत करना। ‘’

बेटे को रोता देख दादी से भी नहीं रहा गया उन्होंने राजेंद्र को चुप कराया। फिर राजेंद्र कहने लगे कि वो सबके फ़ोन कॉल को सीरियस नहीं ले रहा बस जो अच्छे लड़के हैं उन्हीं की डिटेल नोट कर रहा है। उन्होंने बहुत कोशिश की है प्रतिभा के लिए अच्छा लड़का ढूँढने के लिए। एक कोशिश और सही।  उन्हें यकीन है कि इस बार उनकी कोशिश सफल होगी और उन्हें सरकारी दामाद मिल जाएगा। दादी भी समझ चुकी थीं कुछ भी हो जाए लेकिन उनके बेटे की सरकारी दामाद ढूँढने वाली ज़िद नहीं जाएगी।

क्या इस इश्तेहार से कोई अच्छा लड़का मिल पायेगा? प्रतिभा धीरज को इस इश्तेहार के बारे में कैसे समझायेगी? 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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