दादी का नाराज होना, उनका रोना और मरने की बातें कहना ये सब से भले राजेंद्र दुखी हुए लेकिन इसके बावजूद वो अपने फ़ैसले पर अड़े रहे। उन्हें बिल्कुल भी इस बात का अफ़सोस नहीं था कि उन्होंने अख़बार में प्रतिभा की शादी का इश्तेहार देकर कुछ ग़लत किया था। अब वो हर कॉल को ख़ुद अटैंड कर रहे थे और लड़कों की डिटेल डायरी में नोट कर उन्हें क्रॉस चेक कर रहे थे। आफ़त तो तब हुई जब प्रतिभा ने देखा कि उन्होंने इश्तेहार में घर का एड्रेस तक दे दिया था। जब उसने इस बारे में अपने पापा से पूछा तो उन्होंने कहा कि वो टाइम वेस्ट नहीं करना चाहते अगर कोई सीधे घर मिलने आना चाहता है तो वो भी आ सकता है। प्रतिभा को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन वो अपने पापा को कुछ कह नहीं सकती थी। इसलिए वो चुपचाप वहाँ से चली गई। 

इधर वो धीरज को भी मना रही थी। उसने उसे मैसेज कर के बताया था कि घर में किसी को इस विज्ञापन के बारे में नहीं पता था उसके पापा ने ख़ुद से जा कर दिया। उन लोगों को तो ख़ुद ये सब पढ़ कर शर्मिंदगी हो रही है। उसने धीरज को दादी और पापा की लड़ाई के बारे में भी बताया। ये सब सुनने के बाद धीरज थोड़ा शांत हुआ था। दोनों के बीच में अभी सब सही था लेकिन दोनों को ये टेंशन भी थी कि कहीं ये विज्ञापन देख कोई अच्छा लड़का घर तक ना चला आए और राजेंद्र जी उसे पसंद ना कर लें। हालांकि इसके लिए उन्हें रोका नहीं जा सकता था। 

प्रतिभा ये सब बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी इसलिए वो अपनी सहेली ज्योति के घर चली गई। उसे पता था कि इश्तेहार देख कर कुछ लोग घर तक भी आ जाएँगे, इसलिए वो घर से निकल गई थी। दादी का बस चलता तो वो भी कहीं चली जातीं लेकिन उनके पैर का दर्द उन्हें बाहर जाने की इजाज़त नहीं दे रहा था। लेकिन उन्होंने सोच लिया था कि अगर कोई ऐसा वैसा लड़का घर तक पहुँचा तो वो किसी का लिहाज़ किए बिना उसकी अच्छी खबर लेगी। मिश्रा जी को दो चार ऐसे फ़ोन आए थे जिन्होंने बताया कि वो घर आ रहे हैं। इस लिए मिश्रा जी ने आज की भी छुट्टी ले ली थी। 

मिश्रा जी डायरी में नोट किए लड़कों की डिटेल चेक कर रहे थे तभी दरवाजे की बेल बजी। वो दरवाज़ा खोलने के लिए उठे। दादी भी छड़ी के सहारे चलती हुई अपने कमरे से बाहर आईं। उन्होंने देखा कि राजेंद्र किसी से हंस हंस कर बातें कर रहे थे। उन्होंने उन्हें अंदर बुलाया। तीन लोग थे जिसमें से एक शायद लड़का था और बाक़ी दोनों उसके माँ बाप। लड़के ने ऐसे कोट पेंट चढ़ाया था जैसे किसी कंपनी में इंटरव्यू देने आया हो। उसके सिर पर इतना तेल लगा हुआ था कि उसकी कनपट्टी से तेल की एक पतली धार बह रही थी। जिसे देख दादी का मुँह अपने आप बन गया। उन्हें पहली नज़र में ही लड़का पसंद नहीं आया था। लड़के ने उन्हें नमस्ते करनी चाही लेकिन उनका बना हुआ मुँह देखकर ही डर गया। 

मिश्रा जी ने सबको अंदर बिठाया और सबके लिए चाय बनाने लगे। मजबूरी में दादी को उनके पास बैठना पड़ा। लड़के के पापा ने बताया कि वो इश्तेहार देख कर अपने लड़के के लिए उनकी लड़की देखने आए हैं। दादी ने एक बार फिर लड़के को ऊपर से नीचे तक निहारा और उनका मुँह पहले से और ज़्यादा बन गया। वो देखने में ही एक नंबर का चंपू लग रहा था। लेकिन उसके चेहरे की ख़ुशी देखते बन रही थी। लग रहा था जैसे उसकी कोई मुँह माँगी मुराद पूरी हो गई हो। मिश्रा जी सबके लिए चाय नाश्ता ले आए थे। 

उन्होंने लड़के का इंट्रोडक्शन पूछा। लड़के ने शर्माते हुए बताया कि उसका नाम फ़ुलेंदर कुमार दुबे है। वो बिजली विभाग में लाइनमैन है। वो पहले भी इस मोहल्ले में कई बार आ चुका है। वो इतना शर्माने लगा कि इसके आगे कुछ बोल ही नहीं पाया। उसकी बाक़ी की बात उसके पापा ने चाय की चुस्कियां लेते हुए पूरी कीं। उन्होंने बताया कि उनका फूल राजेंद्र जी की बेटी को बहुत टाइम से पसंद करता है। वो इस मोहल्ले में अक्सर बिजली का काम करने आता है। असल में पसंद तो उसे उनकी बड़ी बेटी भी थी। वो उससे भी शादी करना चाहता था लेकिन कहने की हिम्मत नहीं कर पाया। अब जब उसने उनका दिया हुआ इश्तेहार देखा तब उसे हिम्मत मिली। उसके पापा उसकी तारीफ़ करते हुए आगे बोले कि वो इतना संस्कारी बच्चा है कि अपनी शादी की बात भी हमें चिट्ठी लिख कर बतायी। ये सब सुन कर फूल उर्फ फ़ुलेंदर कुमार और ज़्यादा शरमा गया। 

दादी ने taunt करते हुए कहा कि बड़ी और छोटी क्यों खानदान में और भी लड़कियां हैं सबसे उसके फूल की शादी करवा देते हैं। राजेंद्र जी को चिढ़ हो रही थी कि उनकी माँ ये क्या क्या बोले जा रही हैं। उन्होंने उनसे कहा कि उनकी माँ को मज़ाक़ करने की आदत है इसलिए वो ऐसा बोल रही हैं। दादी ये देखकर हैरान थीं कि राजेंद्र को उस लड़के से कोई दिक्कत नहीं थी। एक तो वो एक साधारण सा लाइनमैन था ऊपर से वो कह रहा था कि पहले उसे उनकी बड़ी बेटी पसंद थी अब छोटी पसंद है, इसके बावजूद राजेंद्र को उससे कोई दिक्कत नहीं थी। वो हंस हंस कर उनसे बातें कर रहे थे। लग रहा था जैसे उन्हें उनका दामाद मिल गया हो और मन ही मन उन्होंने ये रिश्ता भी पक्का कर दिया हो। दादी से ये सब बर्दाश्त नहीं हो रहा था। वो उठ कर अपने कमरे में चली गई। उन्हें जाता देख फ़ुलेंदर के मम्मी पापा मिश्रा जी का चेहरा देखने लगे। मिश्रा जी को भी दादी का ऐसे जाना अच्छा नहीं लगा लेकिन फिर भी उन्होंने उनकी इस हरकत को कवर करने के लिए कहा कि वो ज़्यादा देर बैठ नहीं पातीं इसीलिए आराम करने जा रही हैं।  

इसके बाद मिश्रा जी फ़ुलेंद्र से कुछ सवाल पूछने लगे जिनका जवाव वो शरमा कर दे रहा था। ये बात पक्की थी कि अगर प्रतिभा और फ़ुलेंदर में शरमाने का कंपीटिशन होता तो पक्का फूल ही उसमें बाजी मारता। मिश्रा जी ने पूछा कि वो कितना पढ़ा है? उसने कहा उसने बीए तक पढ़ाई की है। मिश्रा जी के पूछने पर उसने अपनी उम्र 31 साल बतायी। इसके साथ ही उसने अपनी पसंद ना पसंद भी बतायी। उन्होंने पूछा कि क्या उसे शराब या सिगरेट जैसी बुरी चीज़ों की आदत तो नहीं इस पर उसने अपने दोनों कान पकड़ते हुए कहा कि वो ऐसे नशे करने वाले लोगों के पास भी नहीं जाता। उसने बताया कि उसे सब जोड़ कर 40 हज़ार तक सैलरी मिलती है। भले ही ये सैलरी आज की महँगायी में कम थी लेकिन सरकारी नौकरी के आगे मिश्रा जी सैलरी को इम्पोर्टेंस नहीं दे रहे थे। 

मिश्रा जी फ़ुलेंद्र के हर जवाब को अपनी डायरी में नोट कर रहे थे। ऐसे लग रहा था जैसे उसका इंटरव्यू चल रहा हो। सब पूछने के बाद उन्होंने सबसे कहा कि उन्हें फ़ुलेंदर पसंद आया लेकिन उन्हें घर के बाक़ी लोगों से भी सलाह करनी पड़ेगी। इसलिए वो उन्हें सबसे सलाह करने के बाद अपना जवाब देंगे। जाते हुए लड़के की माँ ने कहा कि उनका लड़का इतना सीधा है कि जिस लड़की से उसकी शादी होगी वो रानी की तरह राज करेगी। और वो इस बात को भी याद रखें कि वो उनकी बेटी को पहले से पसंद करता है। मिश्रा जी ने कहा कि उन्होंने सारी बातें नोट कर ली हैं और वो उन सब बातों पर ध्यान देंगे। 

जिसके बाद वो लोग मिश्रा जी के यहां से चले गए। उनके जाने के बाद दो तीन लड़के अपनी फैमिली के साथ और आए। सबके साथ मिश्रा जी ने वही सब दोहराया जैसा फ़ुलेंदर के साथ किया था। उन्होंने सबकी डिटेल डायरी में नोट कर ली थी। दादी अपने कमरे में बैठी सब देख रही थी और रिश्ता लेकर आये लड़कों पर गुस्सा हो रही थी लेकिन मिश्रा जी ने उन्हें पूरी तरह इग्नोर किया हुआ था। जैसे कि उन्हें उनकी कोई बात सुननी ही नहीं थी। 

इधर शालू और राजन ने भी मिश्रा जी का दिया विज्ञापन पढ़ लिया था। वो भी बार बार मिश्रा जी को कॉल कर रहे थे लेकिन मिश्रा जी किसी का कॉल नहीं उठा रहे थे। वो अभी लड़के देखने में बिजी थे। जिसके बाद शालू ने प्रतिभा से कॉल कर के पूछा कि आख़िर ये सब चल क्या रहा है? उसने उन्हें बताया क्यों नहीं कि पापा ये सब कर रहे हैं? प्रतिभा ने कहा कि उसे ख़ुद नहीं पता था। जब उसने सुबह का अख़बार देखा तब पता चला कि पापा ने उसकी शादी के लिए अख़बार में इश्तिहार दिया है। प्रतिभा ने अपनी बड़ी बहन को बताया कि सुबह से कैसे कैसे कॉल्स आ रहे हैं। शालू ने प्रतिभा से कहा कि अगर वो ऐसे ही चुपचाप देखती रही तो पापा एक दिन उसकी शादी किसी से भी कर देंगे। उन्हें बस एक सरकारी लड़का चाहिए फिर वो भले ही देखने और नेचर में जैसा भी हो। 

प्रतिभा जो पहले से ही चिढ़ी हुई थी उसने अपनी बहन की बात को ग़लत तरीक़े से सोच लिया और गुस्से में कह बैठी कि तो वो क्या करे? उसी की तरह अपनी पसंद के किसी लड़के से शादी कर ले? शालू को ये सुन कर बुरा लगा लेकिन फिर भी उसने ख़ुद को संभालते हुए कहा कि ऐसा करने के लिए हिम्मत चाहिए जो उसमें नहीं है और अगर वो ऐसा कर लेगी तो अपनी ज़िंदगी बचाएगी। बाक़ी लाइफ़ उसकी है उसे अपने हिसाब से जो सही लगे वही करे। फ़ोन काटने के बाद प्रतिभा को भी अहसास हुआ कि उसने अपनी बहन से ग़लत तरीक़े से बात की है। 

इधर मिश्रा जी आँखों पर चश्मा टिकाये हुए हर लड़के की डिटेल जांच कर उसे छांट रहे थे। इश्तेहार देख कर जितने भी रिश्ते आए थे प्रतिभा के लिए उनमें से ज्यादातर लड़के डी ग्रुप कर्मचारी थे जो थोड़े बहुत बड़ी पोस्ट के लड़कों के रिश्ते आए थे उनकी दहेज की डिमांड बहुत ज़्यादा थी जिन्हें मिश्रा जी किसी भी हालात में पूरा नहीं कर सकते थे, इसलिए उन्होंने पहले ही ऐसे रिश्तों को मना कर दिया था। कुछ एक लड़के ठीक ठाक पोस्ट पर थे तो उनका नेचर उन्हें समझ नहीं आया था। उन्होंने अंदाज़ा लगा लिया था कि ये लड़के पक्का ड्रिंक करते होंगे। 

कुल मिला कर अभी तक उन्हें सिर्फ़ फ़ुलेंदर ही एक अच्छा लड़का लगा था। हालांकि अभी उन्होंने कुछ और लड़के वालों को घर आने की परमिशन दी थी वो उनसे मिलने के बाद ही तय करने वाले थे कि उन्हें आगे क्या करना है। लेकिन उन्हें इश्तिहार देने वाला अपना आइडिया सही लग रहा था। वो एक दिन में ही आज इतने लड़के वालों से बात कर चुके थे जितनों से उन्होंने पिछले दो साल में नहीं की थी। उन्हें पक्का यकीन था कि इस बार उन्हें सरकारी दामाद ज़रूर मिल जाएगा। 

क्या प्रतिभा अपने पापा के सामने आवाज़ उठा पाएगी? क्या मिश्रा जी फ़ुलेंदर से ही अपनी बेटी का रिश्ता पक्का कर देंगे? 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

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