आज घर में मिश्रा जी को छोड़ और किसी का मन ठीक नहीं था। उधर शालू भी अपने पापा की इस हरकत से नाराज़ थी। दादी और प्रतिभा भी जल्दी खाना खा कर सोने चली गई थीं। आम तौर पर अगर ऐसा होता था तो मिश्रा जी सबसे जाकर पूछते थे कि आख़िर सब इतनी जल्दी क्यों सोने चले गए। वो सबकी तबीयत और मूड के बारे में भी पूछते थे लेकिन आज उन्होंने किसी से कुछ नहीं पूछा क्योंकि आज तो वो अपनी ही दुनिया में कहीं खोए हुए थे। उनकी तो डायरी ही उनका पीछा नहीं छोड़ रही थी। वैसे भी उन्हें फ़र्क़ नहीं पड़ रहा था कि कौन उनके बारे में क्या कह रहा है।
अगले दिन की सुबह भी बुझी बुझी सी थी। दादी रात भर राजेंद्र के बारे में ही सोचती रहीं। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर उनके बेटे को हो क्या गया है। पहले वो उनकी हार बात सुना करता था और कहता था कि जब भी वो माँ का कहा मानता है उसे फायदा होता है। दोनों माँ बेटा बैठ के घंटों बातें करते थे लेकिन उसकी एक ज़िद ने सब बर्बाद कर दिया। ना जाने उसके दिमाग़ की ये ज़िद प्रतिभा की ज़िंदगी का क्या हाल करेगी। उन्हें अभी तक यकीन नहीं हो रहा था कि सरकारी लड़के के नाम पर राजेंद्र को आड़े तिरछे लड़के भी पसंद आ रहे थे। राजेंद्र ने अगर अपनी ज़िद नहीं छोड़ी तो इसका भुगतान प्रतिभा को करना पड़ेगा। दादी ऐसा होने नहीं दे सकती थी।
उन्होंने सुबह होते होते तक फैसला कर लिया था कि वो इस घर की बड़ी है और वो अपने बेटे की मनमानी नहीं चलने देगी भले ही इसके लिए उन्हें उससे लड़ना ही क्यों ना पड़े। यही सोच कर आज सुबह वो उठी थीं। प्रतिभा ने सबके लिए नाश्ता बना दिया था और ख़ुद जल्दी कॉलेज निकल गई थी। वैसे वो कॉलेज जा कर बहुत खुश होती थी। क्लास अटेंड करना, उसके बाद फ्रेंड्स के साथ कैंटीन में गप्पे मारना और मस्ती मज़ाक़ करना उसे बहुत पसंद था लेकिन आज बात अलग थी। वो कल की बात को लेकर कुछ ज़्यादा ही परेशान थी। धीरज से भी कल रात उसकी बहस हो गई थी। कभी कभी वो अपने प्यार और परिवार के बीच बहुत बुरा फंस जाया करती थी।
धीरज ने उसे कहा था कि उसे अपने पापा को सब सच बता देना चाहिए उसके बाद जो होगा देखा जाएगा लेकिन प्रतिभा इस बात के लिए कभी तैयार नहीं थी उसे पता था कि उसके पापा ये सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। प्रतिभा ने धीरज से इतना तक कह दिया था कि अगर उसे शादी की इतनी जल्दी है तो वो कोई और लड़की ढूँढ ले। धीरज ने बार बार कहा कि उसका ये मतलब नहीं था, शादी तो वो ख़ुद ही तब तक नहीं करेगा जब तक वो एग्जाम नहीं क्रैक कर लेता। वो बस इसलिए डरता है कि कहीं तब तक प्रतिभा के पापा उसके लिए दूसरा लड़का ना पसंद कर लें क्योंकि चीज़ें तब और ज़्यादा मुश्किल हो जाएँगे। इतना कहने के बाद भी प्रतिभा नहीं मानी। उसने आज सुबह भी उसे कोई मैसेज नहीं किया जबकि धीरज के पचास से ज़्यादा मैसेज आ चुके थे रात भर में।
प्रतिभा को पता था कि वो गलत कर रही है लेकिन उसके अंदर की फ्रस्टेशन को कहीं तो निकलना ही था और धीरज से अच्छा कोई दूसरा इस फ्रस्टेशन को बर्दाश्त नहीं कर सकता था। उसने सोचा था कि कॉलेज आ कर उसका मन शांत होगा, जिसके बाद वो धीरज से बात करेगी लेकिन यहाँ का माहौल तो और ज़्यादा खराब था। वो ये कैसे भूल गई थी कि वो इस शहर के सबसे ज़्यादा बिकने वाले न्यूज़पेपर के फ्रंट पेज की न्यूज़ बन चुकी थी। उसकी शादी का इश्तेहार सबने पढ़ लिया था।
क्लास में जाते ही सब उसके मज़े लेने लगे थे। किसी ने पूछा कि वो कब शादी कर रही है? किसी ने कहा कि उसका एक कजिन है, वो लोग उसके लिए लड़की ढूँढ रहे क्या वो उससे शादी करेगी। उसकी सरकारी जॉब है लेकिन बस दिक्कत यही है कि वो बहुत मोटा है। कोई उसे प्यून से शादी करने का कह कर चिढ़ा रहा था तो किसी ने उससे पूछा कि क्या वो शादी के बाद भी कॉलेज आएगी या नहीं। जितने मुँह उतनी ही बातें थीं और इन सब बातों ने हमेशा शांत रहने वाली प्रतिभा का पारा भी गर्म कर दिया था। उसके ख़ास दोस्त तो ये समझ गए थे कि उसे ये सब सुन कर बुरा लग रहा है लेकिन बाकियों को कोई कैसे चुप कराता।
जैसे तैसे उसने कॉलेज का पूरा दिन बिताया और अपना मुरझाया चेहरा और बिगड़ा मूड लिए घर लौट आई। दादी उसे देखते ही समझ गईं कि आज उसका मूड सही नहीं है । वो तो इसकी वजह भी जानती थी। उसने खाना भी नहीं खाया और सीधे अपने रूम में चली गई। इधर मिश्रा जी ने दादी को ज़बरदस्ती अपने साथ बिठा लिया था और उनसे उन सभी लड़कों के बारे में डिस्कस करने लगे जिन्हें उन्होंने प्रतिभा के लिए शार्ट लिस्ट किया था। भले ही राजेंद्र अपनी ज़िद पर अड़े थे लेकिन उन्हें भी पता था कि वो अपनी माँ की सलाह के बिना आगे कुछ नहीं कर सकते थे। इसलिए उन्होंने किसी तरह उन्हें मना कर अपने साथ बैठा लिया था।
दादी भी कम चालाक नहीं था। उन्होंने पहले ही ये फैसला कर लिया था कि उन्हें क्या करना है। राजेंद्र ने उनसे सबसे पहले फ़ुलेंद्र कुमार के बारे में बात की। दादी को उसका नाम सुनते ही उसकी अजीब सी शक्ल याद आ गई। उन्होंने अपने बेटे से कहा कि वो आँख बंद कर के प्रतिभा और उसकी जोड़ी के बारे में इमेजिन करे और दिल पर हाथ रख कर कहे कि क्या प्रतिभा वैसा लड़का डिज़र्व करती है। राजेंद्र ने कहा यही तो उस लड़के की ख़ासियत है कि वो आजकल के फैशन के चोंचलों से दूर है और अगर प्रतिभा को नहीं पसंद होगा उसका लुक तो शादी के बाद वो ख़ुद उसे सुधार देगी। दादी ने कहा और इस बारे में उसका क्या कहना है कि पहले उसे बड़ी बहन पसंद थी और फिर उसकी शादी के बाद वो छोटी को पसंद करने लगा, पता चले शादी के बाद वो और किसी को पसंद कर ले। राजेंद्र ने कहा उसका ऐसा मतलब नहीं था वो एक शरीफ लड़का है, उसका बस इतना ही कहना था कि उसे इस घर में शादी करने का मन था।
दादी की उसके लिए रूचि ना देख कर मिश्रा जी उन्हें दूसरे लड़कों के बारे में बताने लगे लेकिन दादी हर किसी को रिजेक्ट करती रही। उन्हें किसी की हाइट छोटी लग रही थी तो कोई उन्हें उम्र में बड़ा लग रहा था। किसी के लिए वो कह रही थीं कि वो चेहरे से ही देहाती लग रहा है तो किसी का बहुत ज़्यादा लंबा क़द ही प्रतिभा के लिए उन्हें सही नहीं लग रहा था। राजेंद्र समझ गए थे कि दादी ये सब जानबूझ के कर रही हैं। असल में उन्हें उनके पसंद किए हुए किसी भी लड़के को सलेक्ट करना ही नहीं था। वो समझ रहे थे कि दादी उनके इश्तेहार देने से नारज़ थीं। उन्हें लग रहा था की मिश्रा जी ये सब अपनी ज़िद में आ कर कर रहे हैं। उन्होंने दादी से कहा, ‘’माँ सच बताना आपने मन ही मन ये तय कर लिया है ना कि आपको मेरे पसंद किए हर लड़के को रिजेक्ट करना है। फिर भले ही वो कितना भी अच्छा क्यों ना हो?''
दादी (नार्मल)- मैं भला ऐसा क्यों करूँगी राजू? तू अब मुझपर शक भी करने लगा? अब इनमें से कोई अच्छा है ही नहीं तो कैसे झूठ बोल दूं। और तुझे अगर ऐसा ही लगता है तो भला मुझे क्यों अपने साथ बैठा कर इनमें से लड़का चुनने को कहा। ख़ुद अपनी मर्जी से कर ले जो करना है।
राजेंद्र(चिढ़ कर)- आप हर बार ऐसे ही बातों को गोल गोल घुमा कर मुझे फंसा देती हो। आप जानती हैं कि आपकी मंजूरी के बिना मैं कुछ भी नहीं कर सकता। इसीलिए आपको साथ बैठाया है। कम से कम इनके बारे में अच्छे से जान तो लीजिए। आप बिना देखे ही सबमें कमियाँ निकाले जा रही हैं।
दादी ने कहा उन्हें जैसा लग रहा है वो वैसा ही बता रही हैं। उनकी इन सबसे कोई दुश्मनी नहीं है और वो ये भी चाहती हैं कि उनकी पोती की शादी किसी अच्छे लड़के से हो। अब उन्हें कोई पसंद ही नहीं आ रहा तो उसमें उनकी क्या गलती है। राजेंद्र ने भी गुस्से में कहा कि सारी गलती तो उसी की है जो वो अपनी बेटी की शादी के लिए इतनी भाग दौड़ कर रहा है। उसकी ही गलती है कि वो उसके लिए वेल सेटल लड़का खोज रहा है जिसके पास एक स्क्योर जॉब हो और स्क्योर जॉब सिर्फ़ सरकारी नौकरी वालों की होती है। दादी आगे से जवाब देती है कि अगर उसने ये सब सोच लिया है और उसे लगता है कि प्रतिभा सिर्फ़ उसी की बेटी है और वही उसके बारे में अच्छा सोच सकता है तो वो अपनी ही मर्जी से जो करना है करे। दोनों की बहस बढ़ती चली जा रही थी, शायद माँ बेटे के बीच फिर से महाभारत हो जाती लेकिन उससे पहले ही राजन और शालू घर में एंटर हो गए।
ये मिश्रा जी के लिए अच्छा था या राजन के लिए बुरा कहा नहीं जा सकता था लेकिन उन्हें अपनी भड़ास निकालने के लिए उनका टारगेट मिल गया था। अपनी माँ के आगे तो वो बस एक लिमिट तक ही बोल सकते थे लेकिन राजन पर पूरी भड़ास निकालने का तो उनके पास लाइसेंस था। उन्होंने राजन को देखते हुए दादी से कहा कि उन्हें जब भी उनके फ़ैसले पर शक हो तब वो राजन के बारे में सोच लिया करें। आज अगर उनकी बेटी ने उनकी बात मानकर शादी की होती तो इससे लाख दर्जे अच्छा पति मिलता । दादी ने उनकी बात को ग़लत बताते हुए कहा कि क्या कमी है राजन में, ऐसा लड़का वो खोज भी नहीं पाता। उसके पास वो सब है जो एक पति के पास अपनी पत्नी को प्यार से रखने के लिए चाहिए और सबसे बड़ी बात है कि जिसे उसके साथ ज़िंदगी बितानी है उसे वो दिल से पसंद है।
राजेंद्र अभी भी चुप नहीं हो रहे थे। उन्होंने अपनी बेटी दामाद को सांस तक नहीं लेने दी थी और उनके आते ही शुरू हो गए थे। राजेंद्र ने कहा कि ये सब कुछ बस एक दिखावा है। सब कुछ उसने लोन पर लिया हुआ है जिसकी हर महीने मोटी किश्त जाती है। अगर कभी उसकी नौकरी चली गई तो वो कहाँ से इन सबकी EMI भरेगा? लोन लेकर काम करने में कोई बुरायी नहीं लेकिन उसके लिए इंसान का स्क्योर होना ज़रूरी है लेकिन इन प्राइवेट वालों के पास कोई सिक्योरिटी नहीं है। जब तक जॉब है तब तक ये सबको दिखाते हैं कि ये ऐश में जी रहे हैं लेकिन जॉब जाते ही सारा सच सामने आ जाता है। फिर लोगों के सामने उधार लेने के लिए हाथ फैलाते फिरते हैं क्योंकि इनके पास कोई सेविंग्स या बैकअप नहीं होता।
क्या शालू अपने पति के लिए अपने पिता को जवाब देगी? क्या राजन अपने ससुर की बातें बर्दाश्त कर पाएगा?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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