राजेंद्र और दादी के बीच हुई बहस में बेचारा राजन एक बार फिर से फंस गया था। अख़बार में दिए इश्तेहार को लेकर दोनों में बहस चल ही रही थी कि इतने में शालू और राजन आ गए। शालू भी उसी इश्तरहार के बारे में बात करने आई थी। वो अपने पापा को समझाना चाहती थी कि वो चाहे उनकी बहन के लिए जैसा भी रिश्ता देखें उनकी मर्जी है, लेकिन कम से कम इस तरह से परिवार का जलूस तो ना निकलवाएं। वो अपना हक समझ कर ये सब कहने आई थी लेकिन उसे क्या पता था कि राजेंद्र का गुस्सा उसके पति पर ही फुट पड़ेगा। दादी राजेंद्र की सरकारी दामाद ढूँढने की ज़िद के ख़िलाफ़ थीं। ऐसे में जब राजन आया तो मिश्रा जी को एक प्वाइंट मिल गया।
उन्होंने राजन को सुनाना शुरू कर दिया कि प्राइवेट नौकरी वालों की कोई औक़ात नहीं होती। भले आज वो गाड़ी और अपने ख़ुद के घर में रह कर सबको बताते फिरें कि उनकी लाइफ़ सेट है लेकिन जैसे ही वो कंपनी से निकाले जाते हैं उनके पास EMI भरने तक के पैसे नहीं होते। ये लोग सिर्फ़ दिखावा कर सकते हैं, इनके पास ना कोई सेविंग्स होती हैं और ना कोई बैकअप। लेकिन अगर उन्होंने अपनी बेटी के लिए ख़ुद से लड़का खोजा होता तो वो सरकारी नौकरी में होता। उसकी जॉब स्क्योर होती। भले ही वो इतना दिखावा ना कर पाता लेकिन पूरी ज़िंदगी के लिए उनकी बेटी की लाइफ़ सेट हो जाती। उनका कहना था कि जो गलती उनकी बड़ी बेटी ने कर दी वैसी गलती वो प्रतिभा के साथ नहीं होने देंगे। वो उसके लिओये एक अच्छा सरकारी लड़का ढूँढ कर रहेंगे।
अपने पापा को समझाने आई शालू अपने पति की ऐसी बेइज्जती बर्दाश्त नहीं कर पायी। राजन को ये सब सुन कर बुरा लग रहा था लेकिन उसे अब आदत पड़ चुकी थी वो अपने ससुर की एक एक बात को इग्नोर कर के चलता था। शालू भी ये समझती थी कि उसने ख़ुद के पसंद से लड़का चुन कर उससे शादी की और अपने पिता का एक सपना तोड़ दिया। उसे लगता था इसके बदले में कभी कभार गुस्सा होने का उन्हें पूरा हक है। इसलिए जब भी राजेंद्र अपने दामाद को बुरा भला कहते थे तब वो बीच में नहीं बोलती थी। ये बात भी उसे राजन ने ही समझायी थी। उसने कहा था कि एक पिता अपनी बेटी के लिए बहुत से सपने सजाता है। उन दोनों ने अपनी मर्जी से शादी कर के उनका वो सपना तोड़ा है। इसके बदले में उनका गुस्सा होना जायज़ है। उसका मानना था कि वक्त के साथ वो अपने आप ही बदल जायेंगे। इसलिए जब भी वो उसके बारे में कुछ बोले तो शालू बीच में नहीं आएगी।
लेकिन आज राजेंद्र ने हद कर दी थी। वो बिना सोचे समझे राजन के बारे में कुछ भी बोले चले जा रहे थे। शालू से ये बर्दाश्त नहीं हुआ कि वो बार बार कह रहे थे कि अगर उसकी नौकरी चली गई तो वो क्या करेगा। शालू ने चिल्लाते हुए कहा, ‘’पापा किसी बात की एक हद होती है और अब आप उस हद को क्रॉस कर चुके हैं। आपने हमेशा राजन के बारे में बुरा ही बोला है लेकिन उसके ही कहने पर मैंने कभी आपको पलट के जवाब नहीं दिया। वो मेरे कहने पर यहाँ आता है जबकि उसे पता है यहाँ उसे बेइज्जत होने के अलावा और कुछ नहीं मिलने वाला। ठीक है आपको लगता होगा सरकारी नौकरी करने वाले राजा होते हैं लेकिन मेरे लिए मेरा पति ही मेरा राजा है क्योंकि वो मुझे रानी की तरह रखता है। मुझे एक भी तकलीफ़ नहीं आने देता। और आप ये क्या बार बार कह रहे हैं कि नौकरी चली गई तो क्या करेगा? इसका मतलब आप ये दुआ करते हैं कि इसकी नौकरी चली जाए और आपको अपनी बात सच साबित करने का मौक़ा मिल जाए? तो इतना भी जान लीजिए कि मुझे अपने राजन पर इतना भरोसा है कि उसकी नौकरी चली भी गई फिर भी वो मुझे कोई तकलीफ़ नहीं आने देगा। जो लड़का मेरे लिए इस घर में आने से पहले अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट side में रख देता है वो मेरे लिए कुछ भी कर सकता है। आप अपना घर परिवार, अपनी ज़िद और अपना ये ईगो अपने पास संभल कर रखिए। मुझे और मेरे पति को इसकी कोई ज़रूरत नहीं। आपको लगता है आप ज़िद्दी हैं तो जान लीजिए कि मैं भी आपकी ही बेटी हूँ, ज़िद में दो कदम आपसे आगे हो सकती हूँ पीछे नहीं। अब मेरी ज़िद ये है कि आपके इस घर में मैं कदम भी नहीं रखने वाली। जिस घर में मेरे पति की इज़्ज़त नहीं वहाँ मेरा कोई काम नहीं, फिर भले ही वो घर मेरे पापा का ही क्यों ना हो।
शालू की इस क़सम ने पूरे परिवार को हिला कर रख दिया। राजन उसे बार बार डाँट रहा था कि वो ये क्या कह रही है। इतनी बड़ी भी बात नहीं जितनी बड़ी उसने क़सम खा ली। शालू ने कहा ये छोटी नहीं बहुत बड़ी बात है। उनकी शादी को दो साल हो गए लेकिन उसके पापा की सोच में रत्ती भर भी बदलाव नहीं आया। एक बेटी होने के नाते वो बहुत कुछ उम्मीद कर सकती है अपने पिता से लेकिन उसने बस हमेशा इतना ही मांगा कि वो उसके पति के साथ सही से बर्ताव करें लेकिन उनसे इतना भी नहीं हो पाया। इसलिए वो अब इस घर में कभी कदम नहीं रखेगी। अगर उसकी दादी और बहन को मिलना होगा तो वो उसके घर आयें लेकिन वो पलट के इस घर में कभी नहीं आएगी। इतना कह कर शालू बाहर कार में जा कर बैठ गई। इधर राजन राजेंद्र से बार बार माफी माँगते हुए कह रहा था कि शालू ये सब गुस्से में बोल रही है वो उसे समझायेगा। सबको लगा कि बेटी का गुस्सा देख राजेंद्र में थोड़ा बदलाव आयेगा लेकिन वो इसके लिए भी राजन को ही ब्लेम करने लगे। उन्होंने कहा, ‘’ये नौटंकी बंद करिए राजन बाबू। मैं अपनी बेटी को अच्छे से जानता हूँ। कभी उसकी मेरे सामने ज़ुबान नहीं खुली। आज भी वो अपनी नहीं आपकी सिखाई भाषा बोल रही है। मुझे उसपर भरोसा है, जो कुछ भी उसने कहा है वो सब भी आपने ही उसके दिमाग़ में भरा होगा। कोई बात नहीं जिस दिन उसके दिमाग़ से पर्दा हटेगा उस दिन वो भागती हुई मेरे पास आएगी। ‘’
राजन बस राजेंद्र को देखें जा रहा था और सोच रहा था कि ये किस तरह का इंसान है और इनके दिमाग़ में आख़िर चल क्या रहा है। दादी भी राजेंद्र को डांटने लगीं कि वो राजन पर क्यों भड़क रहा है। राजेंद्र का कहना था कि जबसे राजन इस परिवार से जुड़ा है सब उसके ख़िलाफ़ हो गए हैं। राजन के अंदर अब इससे ज़्यादा सुनने की ताक़त नहीं थी इसलिए उसने दादी के पैर छुए और वहाँ से चला गया। इधर दादी राजेंद्र पर चिल्लाती रहीं कि उसने ये क्या किया। वो समझा रही थीं कि उनके कल्चर में दामाद को भगवान की तरह पूजा जाता है और उसने अपने ही बेटे दामाद को इस तरह से घर से निकाल दिया। राजेंद्र ने कहा कि दामाद उस लायक़ होना भी चाहिए। जब वो अपनी छोटी बेटी के लिए अपने मन का दामाद ढूँढेगा तब देखना कि कैसे वो उसकी खातिरदारी करता है। अभी भी राजेंद्र को कोई अफ़सोस नहीं था। वो अपने कमरे में चला गया और फिर से सरकारी दामाद वाले कैंडिडेट्स वाली डायरी के पन्ने पलटने लगा।
दादी इस सोच में पड़ गई की आख़िर ये सब हो क्या रहा है। उसका बेटा भला अचानक से ऐसे क्यों बदल गया। पहले वो कितने प्यार से बात किया करता था, सबके साथ अच्छा टाइम बिताता था लेकिन अब वो पूरी तरह से चिढ़चिढ़ा हो गया है। प्रतिभा भी घर का माहौल देख कर परेशान थी वो दादी के गले से लगकर रोने लगी। दादी ने उसे चुप कराया और कहा कि जल्दी ही वो सब ठीक कर देगी लेकिन प्रतिभा को पता था कि कुछ ठीक नहीं होने वाला। उसके पापा किसी की बात नहीं सुनने वाले। दूसरी तरफ वो शालू के लिए भी दुखी थी। वो जानती थी कि शालू भी कम ज़िदी नहीं है, उसने अगर ठान लिया है तो वो सच में इस घर में कदम नहीं रखेगी। आज रात दादी और प्रतिभा ने खाना भी नहीं खाया। राजेंद्र ने तो ख़ुद से खाना निकाला और बिना किसी से पूछे खा कर सोने चले गए।
रात को जब राजेंद्र की नींद खुली तो उन्होंने घर में फुसफुसाने की आवाज़ सुनी। राजेंद्र का दिमाग़ बहुत शकी था, वैसे भी वो दूध के जले थे, उन्हें छांछ को भी फूँक-फूँक के पीने की आदत थी। शालू के टाइम पर उन्होंने ऐसी ही फुसफुसाती आवाज़ों को इग्नोर किया था जिसका नतीजा राजन के रूप में सामने आया था। अब वो किसी तरह का रिस्क नहीं ले सकते थे। भले ही प्रतिभा पर उन्हें बहुत यकीन था लेकिन फिर भी उन्होंने एक बार चेक करना सही समझा। वो उठे और हॉल में आ गए। उन्होंने प्रतिभा के कमरे पर कान लगा कर सुनने की कोशिश की लेकिन आवाज़ उसके कमरे से नहीं आ रही थी। उसकी हैरानी उस समय बढ़ गई जब उन्होंने ये पाया कि ये आवाज़ उनकी माँ के कमरे से आ रही हैं।
पहले तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ। रात के दो बजे भला उनकी 80 साल की माँ किससे बात कर रही होगी। उन्हें लगा शायद ये उनका वहम होगा लेकिन वो आवाज़ें लगातार आ रही थीं। उन्होंने हिम्मत जुटा कर अपनी माँ के कमरे के दरवाज़े पर कान टिका दिए। उनकी माँ किसी को रो रो कर अपने घर का हाल बता रही थीं और कह रही थीं कि वो आजकल बहुत अकेला फ़ील करती हैं। दादी कह रही थीं, ‘’मुझे कभी कभी लगता है कि तुम ठीक कहते थे। हमें भाग जाना चाहिए लेकिन मैंने ही तुम्हारी बात नहीं सुनी। मुझे क्या पता था मेरा श्रवण जैसा बेटा ऐसे बदल जाएगा। वो मेरी एक भी बात नहीं सुनता। छोटी पोती बेचारी सब चुपचाप सहती रहती है। एक बड़ी पोती थी जिसके आने से थोड़ा मन बहलता था लेकिन मेरे बेटे ने उसे भी नाराज कर दिया और उसने क़सम खा ली कि वो दोबारा इस घर में कदम नहीं रखेगी। मुझे आज तुम्हारी बहुत याद आ रही थी। इसीलिए मैंने तुम्हें कॉल किया। मुझे तो लगा था तुम मुझे भूल गए होगे लेकिन सच ही कहा है किसी ने प्यार हमेशा ज़िंदा रहता है। मुझे बहुत अकेला फ़ील हो रहा है।''
ये सब सुन कर मिश्रा जी के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। उनकी बूढ़ी माँ किसी से प्यार मोहब्बत की बातें कर रही थीं? इस उम्र में उन्हें भला ये क्या सूझी। राजेंद्र को अभी भी ये नहीं समझ आ रहा था कि उसकी माँ उसके ये सब करने से दुखी है, उसे तो बस बदनामी का डर था कि कहीं उनकी माँ की ये हरकत बाहर लोगों को पता चली तो वो क्या सोचेंगे।
क्या राजेंद्र अपनी माँ के नए साथी के बारे में पता लगा पायेगा? क्या दादी सच में इस उम्र में किसी के साथ घर से भाग जाएंगी?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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