राजेंद्र की ज़िंदगी में एक अलग ही भूचाल आ गया है। उन्होंने रात ही सुना कि उनकी माँ रात के 2 दो बजे किसी से फ़ोन पर बातें कर रही थीं और ये बात आम बातों जैसी नहीं थीं। ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी खास को अपने ज़िंदगी के दुख बता कर समझा रही हो कि वो कितनी दुखी है। उसके बाद से ही राजेंद्र की भूख प्यास और नींद सब ग़ायब था। उसके लिए ये सब किसी भयानक सपने जैसा था। अगर ऐसा उसकी बेटी कर रही होती तो वो सीधे उससे पूछ लेता लेकिन अपनी बूढ़ी माँ से वो कैसे पूछे कि वो रात को किससे बात कर रही थी। 

अगली सुबह उन्होंने देखा कि ऐसा लग रहा था मानों दादी में एक नईं एनर्जी आ गई हो। उनका चेहरा चमक रहा था। राजेंद्र को लगा था कि घर में कल जो कलेश हुआ उसका असर लंबे वक्त तक रहेगा लेकिन दादी को देख कर लग ही नहीं रहा था कि उन्हें कोई फ़र्क़ भी पड़ा है उस कलेश से। प्रतिभा ने नाश्ता लगा दिया था। उसने दादी को देख कर पूछा कि आज वो कुछ ज़्यादा ही खुश लग रही हैं। इस पर दादी ने शर्माते हुए कहा हाँ उन्हें लग रहा है जैसे उनके पेट में तितलियां उड़ रही हों। राजेन्द्र को यकीन नहीं हो रहा था कि उनकी पूजा पाठ करने वाली माँ ऐसा कुछ कह रही है। उन्होंने जल्दी से नाश्ता खत्म किया और ऑफ़िस निकल गए। 

आज पूरा दिन उनका काम में मन नहीं लगा। उन्होंने बहाने बहाने से बार बार माँ को फ़ोन किया था लेकिन जब वो फ़ोन करते उनका फ़ोन बिज़ी आता। उन्होंने जब भी पूछा कि किसका फ़ोन है तो वो कभी कहती उनकी किसी भतीजी का फ़ोन है या उनकी दूर की एक बहन ने आज फ़ोन किया था। राजेंद्र को साफ़ पता चल रहा था कि वो हर बार झूठ बोल रही हैं। उन्हें ये तो पूरा यकीन था कि हो ना हो किसी ने उनकी भोली भाली माँ को बहलाया है। वरना वो ऐसा कुछ करने का सोच भी नहीं सकती। अब राजेंद्र को ये पता लगाना था कि आख़िर वो है कौन जिससे उनकी माँ इतनी बातें कर रही हैं। उसे इस बात का भी डर होने लगा कि अगर वो मोहल्ले का ही कोई हुआ और ये बात बाहर आ गई तो हर तरफ़ उनकी बदनामी होगी। 

वो सोचने लगे कि शायद उन्हें कोई पार्क में मिला हो क्योंकि उन्होंने हाल ही में पार्क जाना शुरू किया है। या क्या पता उसके ऑफ़िस जाने के बाद कोई घर आता हो। फिर वो सोचने लगा नहीं नहीं उसकी माँ इतना भी बुरा नहीं सोच सकतीं। फिर भी घर जाते ही उन्होंने प्रतिभा से इस बात की छानबीन की कि उनके ऑफ़िस जाने के बाद कौन कौन घर आया था। प्रतिभा ने कहा कि आज तो कोई भी नहीं आया था। अब राजेंद्र अपनी माँ के पीछे पीछे पार्क में भी जाने लगे। वो जिनसे भी मिलती राजेंद्र उसे शक की निगाह से देखते लेकिन कुछ ही देर में उनका शक खत्म हो जाता। उन्होंने जयराम मास्टर को अपनी माँ के साथ वाक करते देखा उन्हें लगा कि यही वो शख्स हो सकता है लेकिन कुछ देर में जयराम की पत्नी भी वहाँ आ गईं। फिर राजेंद्र ने सोचा कि इस उम्र में पत्नी के होते हुए कोई ऐसा रिस्क तो नहीं लेगा। 

पार्क में भी उन्हें कोई ऐसा नहीं मिला जिस पर शक किया जा सके। आज रात भी उन्होंने माँ को किसी से बात करते हुए सुना। आज राजेंद्र ने सोच लिया था कि अब बहुत हो गया वो सुबह ही अपनी माँ से इस बारे में बात करेंगे। आज राजेंद्र पूरी रात नहीं सोए थे। सुबह होते ही उन्होंने दादी की क्लास लगा दी। उन्होंने पूछा कि वो रात में किससे बात करती हैं? दादी ने कहा कि क्या वो उसकी जासूसी कर रहा है? राजेंद्र ने कहा कि वो जितनी ज़ोर से बात करती हैं उसे कोई भी सुन सकता है, इसमें जासूसी करने जैसा कुछ नहीं। जबकि सच तो ये था कि राजेंद्र सच में जासूसी ही कर रहा था। 

दादी ने कहा कि अगर उसे सच ही सुनना है तो सुने। उन्होंने कहा कि उन्हें कोई मिल गया है जिससे बात कर के वो अपना दिल हल्का करती हैं। उनका बेटा अब पूरी तरह से बदल चुका है। वो अब उनके कहने में नहीं है। उनकी पोती ने घर ना आने की क़सम खा ली है। उनका पूरा परिवार आपस में ही लड़े जा रहा है। ऐसे में उन्हें बहुत अकेलापन महसूस हो रहा था इसलिए उन्होंने अपने लिए एक दोस्त ढूँढ लिया। अब वो उसकी सारी बातें सुनता है, उन्हें अकेला फ़ील नहीं होने देता। दादी ये सब कहते हुए रोने लगीं। उन्हें पता है कि राजेंद्र से उनका रोना बर्दाश्त नहीं होता। इसलिए वो जानबूझ कर खूब रो रही थीं। राजेंद्र की हिम्मत नहीं हुई कि वो उनसे और कुछ पूछे। 

लेकिन उसने तय कर लिया कि अब वो उनके इस नए दोस्त के बारे में पता लगायेगा और उसे सबक सिखाएगा। हो ना हो कोई है जो उसके घर की इस सिचुएशन का फायदा उठा रहा है। इन सबके बीच राजेंद्र अपने सरकारी दामाद वाले मिशन को काफ़ी हद तक भूल चुके थे। इस बीच इश्तेहार पढ़ने के बाद दो चार लोगों ने उन्हें कॉल भी किया था लेकिन उन्होंने किसी से ठीक से बात नहीं की। उनके लिए फ़िलहाल अपनी माँ के नए दोस्त को ढूँढना ज़रूरी था। वो अपनी माँ से तो कुछ नहीं कह सकते थे लेकिन सामने वाले को सबक ज़रूर सीखा सकते थे। 

आज रात उन्होंने दादी को कहते सुना कि उनके बेटे को उनके प्यार के बारे में सब पता चल चुका है। वो हर जगह उसे ढूँढ रहा है। लेकिन वो डरने वाली नहीं है। वो ज़माने को बता देगी कि उन दोनों में प्यार है। अपने प्यार के लिए अगर उन्हें अपने बेटे से बगावत करनी पड़ी तो उन्हें वो भी मंज़ूर है। ये सब सुन कर तो राजेंद्र की सिटी पिट्टी गुल हो गयी थी उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि आख़िर वो करें तो करें क्या। 

उसने अभी तक यही देखा था कि ऐसे केस में बच्चे गलती करते हैं और माँ बाप उन्हें डांटते हैं लेकिन यहाँ तो उल्टी गंगा ही बह रही थी। उनकी माँ ग़लत कर रही थीं लेकिन वो उन्हें डाँट भी नहीं सकते थे। उन्होंने सोचा कि इस बारे में वो अपने किसी दोस्त से बात कर के सलाह लें कि उन्हें क्या करना चाहिए लेकिन उन्हें लगा कि शायद ऐसा करने से बात और भी ज़्यादा फैलेगी। 

अब तो सादे कपड़े पहनने वाली दादी फूल बूटियों वाले सूट पहनने लगी थीं। वो शाम होने से पहले ही पार्क निकल जाया करती थीं। राजेंद्र भी उनके पीछे पीछे पार्क जाते और उन पर पूरी नज़र रखते। लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लगता। घर आने वालों पर भी उनकी पूरी नज़र बनी हुई थी लेकिन कोई एक चेहरा ऐसा नहीं मिला जिस पर शक किया जा सके। प्रमोद जी कुछ ऐसे स्वभाव के थे लेकिन वो तो राजेंद्र की उम्र के थे। राजेंद्र को लगा वो इतना ज्यादा भी नहीं गिर सकते। भले ही उन्हें महिलाओं के बीच घिरे रहना अच्छा लगता था लेकिन दादी उनसे काफ़ी बड़ी थीं। 

एक तरह से दादी उन्हें अपने पीछे पीछे नचा रही थीं। दादी के फ़ोन वाला ये खेल चलते हुए 4-5 दिन हो गए थे। राजेंद्र अब पूरी तरह से परेशान हो चुके थे। अब वो ना सही से खा रहे थे और ना ही उन्हें रात में नींद आ रही थी। आज शाम को जब वो हॉल में बैठे कुछ सोच रहे थे तो दादी और प्रतिभा भी उनके पास आ कर बैठ गए। राजेंद्र जी किसी से बात नहीं कर रहे थे। दादी ने पूछा कि वो इतने चुप चुप क्यों हैं तो राजेंद्र जी का गुस्सा फट पड़ा। वो बोले कि क्या वो नहीं जानती उनकी क्या परेशानी है। जिसकी 80 साल की माँ रात रात किसी से फ़ोन पर बात करती हो वो भला परेशान नहीं होगा तो क्या ख़ुशी मनाएगा। उन्होंने कहा कि उन्हें अंदाज़ा भी है कि अगर ये बात बाहर आई तो कितनी बेइज्जती होगी पूरे परिवार की। 

दादी ने कहा जब उसने अपनी बेटी की शादी के लिए अख़बार में ऐसा घटिया इश्तेहार दिया तब उसे अपने परिवार की इज्जत का ख्याल क्यों  नहीं आया? अब जब उन्होंने अपने लिए एक फ़्रेंड ढूंढा है फिर उन्हें दिक्कत क्यों हो रही है? वो कौनसा कुछ ग़लत कर रही हैं। किसी से बात करना गुनाह है क्या? राजेंद्र का गुस्सा और भड़क गया। उन्होंने कहा कि कम से कम उन्हें ये लिहाज़ तो करना चाहिए कि उनकी पोती सामने खड़ी है। वो ये सब सुनेगी तो उस पर क्या असर पड़ेगा? जब घर के बड़े ही ऐसा सब काम कर रहे हैं तो भला छोटों को क्या ही समझाया जाये। 

दादी ने कहा उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि वो भी रात में अपने एक फ्रेंड के साथ बात करती है। ये सुनते ही राजेंद्र की आँखें लाल हो गईं। प्रतिभा कुछ नहीं बोल रही थी। वो बस चुपचाप दोनों का ये ड्रामा देख रही थी। राजेंद्र ने प्रतिभा को घूरते हुए पूछा कि क्या ये सच बोल रही हैं? प्रतिभा एक दम नार्मल फ़ेस लिए बोली ये उन दोनों की बात है। वही दोनों आपस में समझें, उसे इस ड्रामे का हिस्सा नहीं बनना। 

राजेंद्र कहते हैं कि इतनी बड़ी बात को वो ड्रामा कैसे कह सकती है। उन्हें उससे ऐसी उम्मीद नहीं थी। कौन है वो जिससे वो रात में बात करती है। अब राजेंद्र अपनी माँ को नहीं बल्कि बेटी को डाँट रहे थे। दादी ने कहा कि वो उसे क्यों डाँट रहा है। अगर वो अपनी मर्जी कर सकता है तो इस घर में बाकियों को भी अपनी मर्जी करने का हक है। राजेंद्र इमोशनल हो जाता है और कहता है जिसका जो मन है सो करे। इस घर में किसी को उसकी फ़िक्र नहीं है। उसकी बड़ी बेटी ने पहले ही उसकी नाक कटा दी है और बची खुची इज़्ज़त अब ये दादी पोती बर्बाद कर देंगी। वो घर छोड़ कर चला जाएगा। उससे ये सब बर्दाश्त नहीं होता। 

अपने पिता को ऐसे रोता देख प्रतिभा से बर्दाश्त नहीं हो रहा था। उसने दादी की तरफ़ देखा और इशारा किया कि उन्हें चुप कराएं। दादी ने राजेंद्र के कंधे पर हाथ रखा और उन्हें चुप कराने लगीं। राजेंद्र बोले कि इतनी बड़ी बात सुनकर भला वो कैसे शांत हो सकता है। उसने प्रतिभा से कहा कि अगर उसने भी अपने लिए कोई लड़का ढूँढ लिया है तो जाये और उससे शादी कर ले लेकिन याद रखें कि उसके बाद उन दोनों का रिश्ता हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा। क्योंकि आज के ज़माने में वो किसी को अपने मन का करने से रोक नहीं सकता लेकिन वो भी फिर अपने मन का करने के लिए आज़ाद है। वो दूसरी बार ये बर्दाश्त नहीं कर पाएगा कि उसकी दूसरी बेटी ने भी उसके ख़िलाफ़ जा कर शादी कर ली है। अगर ऐसा कुछ हुआ तो दोनों एक दूसरे के लिए मर जाएंगे। 

क्या प्रतिभा अपने पापा को धीरज के बारे में बता देगी? क्या दादी राजेंद्र को मना पाएंगी? 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

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