दादी बवाल कुछ ज़्यादा ही बढ़ गया था और उन्होंने अपने साथ साथ प्रतिभा के बारे में भी राजेंद्र को बता दिया था। उन्होंने कहा कि सिर्फ़ वही नहीं प्रतिभा भी रात में किसी से बात करती है। ये राजेंद्र के लिए दूसरा बड़ा झटका था। वो इमोशनल हो कर रोने लगे और कहने लगे कि प्रतिभा ने अगर ऐसा कुछ किया तो उन दोनों का रिश्ता हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा। प्रतिभा अपने पिता को ऐसे रोता देख बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। उसने दादी से कहा कि अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा उन्हें सच बोलना होगा।

राजेंद्र ने पूछा कैसा सच? जिस पर दादी और प्रतिभा दोनों हँसने लगे। दादी ने कहा कि वो दोनों रात में एक दूसरे से ही बात करते थे। वो तो उसे उल्लू बना रहे थे। राजेंद्र ने उन्हें इतना तंग किया, उनकी बात भी नहीं सुनता अब वो, इसलिए दादी ने अपनी छोटी पोती के साथ मिलकर ये सब प्लान किया था। दादी ने कहा कि उसने ऐसा सोचा भी कैसे कि इस उम्र में वो ऐसा कुछ करेगी। प्रतिभा भी कहने लगी कि उसकी इसमें कोई गलती नहीं दादी ने उसे इमोशनल ब्लैकमेल कर के ये सब करवाया था। दादी और प्रतिभा दोनों हंस रहे थे उन्हें लगा कि अब राजेंद्र को ये जानकर चैन की सांस आएगी कि ये सब बस एक मज़ाक़ था लेकिन राजेंद्र उल्टा भड़क गए। उन्होंने कहा, ‘’बंद करो बेशर्मों की तरह हँसना। आपने कोई बहुत बड़ा तीर नहीं मारा माँ। ये बहुत ही बेकार और घटिया मज़ाक़ था। आपकी अपने बेटे से इतना भद्दा मज़ाक़ करने की हिम्मत कैसे हो गई माँ? अगर मुझे कुछ हो जाता तो क्या ऐसे ही आप दोनों हंस रही होती। मैं इतने दिन से ना ठीक से सो पाया हूँ ना मुझे खाना अच्छा लग रहा था। मैं बस आपके बारे में सोचे जा रहा था और तो और मुझे अपने सीनियर से डाँट भी सुननी पड़ी। आपके लिए तो बस एक मज़ाक़ था लेकिन मुझे तो कुछ देर के लिए लगा कि मेरी बची खुची दुनिया भी तबाह हो गई। आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी माँ। ‘’

राजेंद्र का चिल्लाना सुन कर दादी रोने लगीं लेकिन राजेंद्र इतने गुस्से में थे कि उन्हें उनके रोने से भी कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा। वो उठ कर अपने कमरे में चले गए। प्रतिभा को समझ नहीं आ रहा था कि वो दादी को चुप कराए या फिर पापा का गुस्सा शांत करे। फ़िलहाल वो अपनी दादी के पास ही बैठी रही उसे लगा कि पापा का गुस्सा शांत होगा तो वो ख़ुद ही दादी से सॉरी बोल देंगे। प्रतिभा भी ये सोच कर हैरान थी कि एक मज़ाक़ के लिए पापा अपनी माँ को ऐसे कैसे डाँट सकते हैं।

दादी ने रात में खाना नहीं खाया। राजेंद्र ने भी बस थोड़ा खाया और सोने चले गए। प्रतिभा इन दोनों के बीच पिस रही थी। रात को सोते हुए, धीरज से उसकी मैसेज पर थोड़ी बात हुई। उसने घर में जो जो हुआ सारी बात उसे बतायी। धीरज से बात करने के बाद उसे थोड़ा हल्का महसूस हो रहा था। सुबह भी दादी ने नाश्ता नहीं किया। प्रतिभा ने उन्हें बहुत समझाया मगर वो अपनी ज़िद पर अडी रहीं। प्रतिभा को इस बात की चिंता होने लगी कि इस उम्र में अगर वो ऐसे खाना पीना छोड़ देंगी तो उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ेगा। प्रतिभा को कॉलेज के लिए लेट हो रहा था इसलिए वो बस इतना कह कर निकल गईं कि अगर दादी ने नाश्ता नहीं किया तो वो उनसे बात नहीं करेगी। राजेंद्र का गुस्सा थोड़ा कम हुआ था लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हुई कि वो अपनी माँ को खाने के लिए मना सके। वो भी ऑफ़िस के लिए निकल गए।

कॉलेज से आने के बाद प्रतिभा ने देखा कि सारा नाश्ता जैसा का तैसा पड़ा हुआ था। दादी ने उसे छुआ तक नहीं था। वो दादी को मनाने लगी कि वो थोड़ा बहुत कुछ खा ले लेकिन दादी ने कहा उनकी भूख ही मर गई है। उसका बेटा उसकी हर बात मानता था, उनका इतना ख्याल रखता था। वो अगर किसी वजह से भूखी रह जाती तो वो भी खाना नहीं खाता था लेकिन आज उसी बेटे ने उन्हें एक छोटे से मजाक के लिए बुरी तरह डांटा था। उनसे ये बर्दाश्त नहीं हो रहा। उनके गले से खाना नीचे नहीं उतर रहा है। प्रतिभा के लाख समझाने के बाद भी उन्होंने खाना नहीं खाया।

आज शाम को भी वो जल्दी जा कर अपने कमरे में लेट गईं। प्रतिभा से अब ये सब देखा नहीं जा रहा था। उसे अब पापा पर गुस्सा आने लगा था, उसने सोच लिया था कि वो पापा को जाकर सुनाएगी। वो पापा के रूम में गई और बोली, ‘’आपको अंदाज़ा भी है कि इस उम्र में उन्होंने खाना पीना छोड़ दिया तो उनकी क्या कंडीशन हो सकती है? कल रात से ही उन्होंने एक दाना नहीं खाया और अभी भी जाकर सो गई हैं। मैं मानती हूँ आपको उनका मज़ाक़ पसंद नहीं आया लेकिन वो इतना बड़ा मज़ाक़ भी नहीं जिसके लिए आप अपनी माँ को ऐसे डाँटें? याद है ना बचपन में हम लोग जरा सा उनसे ऊँची आवाज़ में बात कर देते थे तो आप कितना डांटते थे हमें और आज आपको क्या हो गया है? उन्हें लग रहा है कि उनका बेटा बदल गया है। ऐसे में आपका फ़र्ज़ बनता है कि उन्हें जा कर समझाएं कि आप बदले नहीं हैं। वो मज़ाक़ भी उन्होंने आपका अटेंशन लेने के लिए ही किया था। उन 4 दिनों में आप उनके बारे में कितना सोचते रहे हैं? उनके पीछे पीछे पार्क जाते रहे, उनके आसपास घूमते रहे। इसीलिए तो उन्होंने ये सब प्लान किया था लेकिन आपने उल्टा उन्हें डाँट दिया। अब सोचिए हम लोग इस बात से नाराज हो जाएं कि आपने हम लोगों के बारे में ऐसा कैसे सोच लिया तो? पहले तो आपने उन्हें इतना डाँटा और अब जब वो कुछ खा नहीं रही हैं तब भी आप उन्हें मनाने नहीं जा रहे। अगर उन्हें कुछ हुआ ना तो मैं आपसे कभी बात नहीं करने वाली।''

इतना कह कर प्रतिभा रोते हुए चली गई। राजेंद्र जी को भी लगा कि उनका अपनी माँ के साथ ऐसा व्यवहार ठीक नहीं है। सच में अगर उन्हें कुछ हो गया तो वो क्या करेंगे। उन्हें सारी उम्र ये अफ़सोस खाता रहेगा कि उनकी ही वजह से उनकी माँ को कुछ हो गया। ये सोचते ही राजेंद्र अंदर से काँप गए। वो जल्दी से दादी के रूम में गए और उनके पैरों के पास बैठ कर उनके पैर दबाने लगे। राजेंद्र का माँ से माफी मांगने का ये पुराना तरीक़ा था। वो प्यार से दादी को खाना खा लेने के लिए मनाने लगे। दादी ने कहा वो सब समझती है वो बस इसलिए उन्हें मना रहा है कि कहीं ना खाने से उनकी तबीयत ना ख़राब हो जाये। लेकिन उन्हें तो बस ये चाहिए कि राजेंद्र उन्हें पहले की तरह प्यार करे, पहले की तरह उनके साथ अच्छा टाइम स्पेंड करे। उन्हें ये दिखावा नहीं बल्कि अपने बेटे का सच्चा प्यार चाहिए।

राजेंद्र ने कहा वो दिखावा नहीं कर रहा उसे सच में उनकी बहुत फ़िक्र है इसलिए वो चाहता है कि वो खाना खा लें। राजेंद्र ने वादा किया कि वो फिर कभी दोबारा उन पर ऐसे नहीं चिल्लायेगा। चाहे कितनी भी बड़ी बात हो वो माँ पर फिर कभी गुस्सा नहीं करेगा। राजेंद्र बार बार बच्चों की तरह दादी को खाने के लिए फोर्स करने लगा। लास्ट में दादी ने मुस्कुरा कर कहा कि वो थोड़ी देर में खा लेगी। इसके बाद उन्होंने राजेंद्र का माथा चूम कर उन्हें खूब दुलार किया। राजेंद्र भी खुश हो गए और उनके कमरे से निकल कर प्रतिभा को कहने लगे कि वो दादी को खाना खिलाये। प्रतिभा खाना लेकर दादी के रूम में पहुँच गई।

वो दादी को खाने के लिए बोलने लगी लेकिन दादी फिर से मना करने लगी। प्रतिभा ने कहा कि अब तो सब ठीक हो गया है फिर वो खाना क्यों नहीं खा रहीं। दादी ने प्रतिभा को अपने पास बुलाया और उसके कान में कहने लगीं, ‘’ अरे पेट में जगह हो तब ना खाऊं। मैं कौनसा नाराज थी। मैं तो बस इसे सबक सीखा रही थी। ये भी मेरा प्लान ही था। अब मेरा मज़ाक़ ही ऐसा था कि किसी को भी गुस्सा आ जाता लेकिन जितनी ज़ोर से इसने मुझे डांटा, मुझे गुस्सा आ गया। कल मैंने बर्गर मँगवाया था इसलिए रात को भूख नहीं लगी। आज मेरा पिज़्ज़ा खाने का मन था इसलिए वो मँगवा लिया था। अब बता इस उम्र में एक पूरा पिज़्ज़ा खाने के बाद इस घर के खाने को किस पेट में रखूंगी?''

दादी की बात सुन कर प्रतिभा हैरान रह गई। वो सोचने लगी कि दादी कितनी बड़ी खिलाड़ी हैं। दोनों एक दूसरे से हाथ मिला कर हँसने लगे। लेकिन प्रतिभा ने उन्हें चेतावनी दी कि महीना भर अब उन्हें बाहर का कुछ नहीं खाना होगा। वो तो शुक्र है वो ठीक हैं वरना एक पूरा पिज़्ज़ा उनकी हालत ख़राब कर सकता है। दादी ने कहा कि उसकी उम्र पर ना जाये वो कुछ भी पचा सकती है। जिस दिन उसने ये सब खाना छोड़ दिया उस दिन से उसकी उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी। दादी पोती ऐसे ही हंस हंस कर बातें कर रहे थे लेकिन दादी को नहीं पता था कि उनके लिए दही लेकर आ रहा उनका बेटा उनके रूम के बाहर खड़ा उनकी सारी बातें सुन चुका था।

राजेंद्र को लगा कि उनकी माँ एक बार फिर से बाजी मार गईं लेकिन वो अपनी इस हार को कभी भूलेगा नहीं। वो भी मौक़ा आने पर उनसे बदला ज़रूर लेगा। राजेंद्र अपने कमरे में लौट आए उन्होंने दादी को पता नहीं लगने दिया कि उन्हें सब पता लग चुका है। उधर दादी मस्त डकार लेते हुए सो गईं। इधर प्रतिभा बेड पर आते ही अपनी अलग सी प्यारी दुनिया में खो गयी  जहाँ सिर्फ़ वो और धीरज थे। वो धीरज को दादी की शरारतों के बारे में बताने लगी। धीरज खूब हंसा और उसने कहा कि उसके खड़ूस पापा के साथ ऐसा ही होना चाहिए। जिसके बाद प्रतिभा ने उसके पापा को खड़ूस कहने के लिए धीरज की जम कर क्लास ली। अब धीरज सॉरी के मैसेज भेजे जा रहा था और प्रतिभा कोई रिप्लाई नहीं कर रही थी। हालांकि वो नाराज नहीं थी क्योंकि उसे पता था उसके पापा थोड़े खड़ूस तो हैं लेकिन उसे पता था कि अगर उसने धीरज को नहीं टोका तो वो आगे भी उसके पापा के बारे में ऐसे ही कुछ ना कुछ बोलता रहेगा, जो उसे किसी भी हाल में मंज़ूर नहीं था।

धीरज ने जब तक 100 बार सॉरी नहीं बोला तब तक प्रतिभा ने रिप्लाई नहीं किया। उसके बाद दोनों ने कुछ देर बातें कीं और फिर दोनों ही सो गए। आख़िरकार एक और ड्रामेबाजी से भरा दिन खत्म हो गया था। राजेंद्र मिश्रा अपने दिमाग़ में बहुत कुछ सोच रहे थे, किसी को नहीं पता था कि वो आगे क्या करने वाले हैं। सरप्राइज़ देने में तो वो पहले से ही माहिर थे।

राजेंद्र अपने साथ हुए मज़ाक़ का बदला कैसे लेंगे? क्या होगी मिश्रा जी की नई ख़ुराफ़ात?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

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