दादी के मज़ाक़ और राजेंद्र के गुस्से का किस्सा बीते हफ़्ता भर हो गया था। शालू अभी भी नाराज ही थी। उसने प्रतिभा और दादी से बात करते हुए कहा था कि उसकी उन दोनों से कोई नाराज़गी नहीं है। उसे बस पापा का बात बात पर राजन को टोकना अच्छा नहीं लगता इसलिए वो अब उस घर में नहीं आएगी। लेकिन दादी और प्रतीभा को उनके यहाँ आते रहना होगा। कुल मिला कर हफ्ते भर से सब कुछ ठीक ही चल रहा था। हर कोई अपने काम में व्यस्त था। किसी तरह की कोई बहस नहीं हुई थी। फ़िलहाल एक शांतिपूर्ण माहौल था। और हाँ सबसे ज़रूरी बात इस बीच राजेंद्र ने ना प्रतिभा की शादी की बात की थी और ना सरकारी दामाद ढूँढने की कोई कोशिश की थी। प्रतिभा को लगा शायद ये सब दादी की वजह से हुआ है और उसके पापा अब फिर से सरकारी दामाद की रट नहीं लगाएंगे।

आज सुबह प्रतिभा और दादी की आँख किशोर कुमार के गानों के साथ खुली थी। गानों की आवाज़ राजेन्द्र के कमरे से आ रही थी। आमतौर पर ऐसा नहीं होता था लेकिन आज तो राजेन्द्र गाना सुनने के साथ साथ गा भी रहे थे। दादी ने उन्हें डांटते हुए कहा कि सुबह सुबह फिल्मी गाने लगा दिए, अगर बजाना ही है तो भक्ति गीत लगाए। राजेंद्र ने तुरंत भक्ति गीत लगा दिए। ये बात दादी और प्रतिभा दोनों के लिए हैरान करने वाली थी क्योंकि राजेंद्र और कोई बात झट से मान लें ऐसा पिछले कुछ सालों में बहुत कम बार हुआ था। वो इतने आज्ञाकारी तभी होते थे जब वो अंदर से बहुत खुश होते।

उन्होंने प्रतिभा से कहा कि वो आज देर तक सो सकती है क्योंकि आज वो स्पेशल नाश्ता बनाएंगे। आज राजेंद्र जी एक के बाद एक झटके दिए जा रहे थे। आज उन्होंने प्रतिभा और दादी दोनों के पसंद का नाश्ता तैयार किया था। उन्होंने किचन में गाना सुनते हुए पूरा नाश्ता बनाया था। राजेंद्र आज इतने खुश थे कि सबको बहुत अजीब लग रहा था। वो आम तौर पर अपनी ख़ुशी इस तरह जाहिर नहीं करते थे। नाश्ता करते हुए दादी ने उनसे पूछा भी कि क्या वो ठीक हैं? राजेंद्र ने कहा वो एक दम फर्स्टक्लास हैं। बल्कि आम दिनों से ज़्यादा खुश हैं।

दादी ने पूछा ऐसी क्या बात है? उन्हें भी बताये ताकि वो भी खुश हो सकें। इसके जवाब में राजेंद्र ने कहा कि वो घूमने जा रहे हैं, वो भी जयपुर इसलिए इतना खुश हैं। दादी और प्रतिभा हैरान थे कि उन्होंने अचानक से जयपुर घूमने का प्लान कैसे बना लिया। दादी ने पूछा वो किसके साथ जा रहे हैं? राजेंद्र ने बड़े स्टाइल में दादी से कहा उनके और उनके बॉयफ्रेंड के साथ। उनका मतलब था कि वो, प्रतिभा और दादी जयपुर घूमने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वो जल्दी से अपना बैग पैक कर लें वो दोपहर तक निकलेंगे। दादी और प्रतिभा को यकीन नहीं हो रहा था कि राजेंद्र उन्हें जयपुर घुमाने ले जा रहे हैं। वो तो उन्हें इस शहर के ताजमहल घुमाने में भी इतने नखरे करते हैं फिर भला जयपुर का प्लान कैसे बना लिया उन्होंने।

दादी ने उनसे पूछा कि उन्होंने अचानक इस ट्रिप का प्लान कैसे बना लिया। जिसके जवाब में राजेंद्र बोले, ‘’आपका भी अच्छा है अम्मा, जब ना ले जाओ घूमने तो भर भर के ताने देती हो कि कहीं घुमाने नहीं ले जाता, कंजूस है, मर जाऊँगी तो मेरी अस्थियां बहाने हरिद्वार काशी जाएगा लेकिन ज़िंदा माँ को कहीं नहीं ले जाएगा। और अब जब घुमाने ले जा रहा हूँ तब भी इतने सवाल कर रही हो। ये लाँग वीकेंड था, प्रतिभा का कॉलेज बंद होगा, मैंने सोचा क्यों ना आप दोनों को पिंक सिटी घुमा लाऊं । मगर मुझे क्या पता था मेरी इस नेक सोच पर भी इतने सवाल उठेंगे। नहीं जाना तो मना कर दो, मुझे भी पैसे ख़र्च करने का कोई शौक नहीं है।''

दादी भला घूमने का मौक़ा कैसे छोड़ सकती थीं। उन्होंने कहा वो तो बस ऐसे ही कह रही थी। जब उन्होंने इतने इंतज़ाम कर ही लिए हैं तो उन्हें जाने में क्या ही दिक्कत है। राजेंद्र ने बताया कि वो दो दिन के लिए जयपुर जा रहे हैं इसलिए उसी हिसाब से कपड़े पैक करें दोनों लोग। पैकिंग करते हुए प्रतिभा ने धीरज को भी फ़ोन कर के बता दिया था कि वो लोग जयपुर जा रहे हैं। धीरज का इस पर कोई खास रिएक्शन नहीं था क्योंकि वो अपनी एग्जाम की तैयारी पर पूरा फ़ोकस कर रहा था। इधर घूमने के नाम पर प्रतिभा भी बहुत खुश थी इसलिए उसने भी इस बात पर कोई खास ध्यान नहीं दिया। दादी ने शालू को फ़ोन कर के बताया कि वो लोग जयपुर जा रहे हैं अगर वो साथ चलने को तैयार हो जाए तो राजेंद्र को वो मना लेगी। शालू ने कहा कि उसके पापा नाराज नहीं हैं जो उन्हें मनाया जाये, नाराज वो ख़ुद है और वो उनके साथ कहीं नहीं जाने वाली। बहुत कहने के बाद भी शालू नहीं मानी। थकहार कर दादी ने फ़ोन रख दिया और ख़ुद जाने की तैयारिओं में लग गई।

दादी ने अपने वो सारे सूट निकाल लिए जो वो पार्टी फंक्शन में पहना करती थीं। दोनों दादी पोती सज धज के तैयार हो गई थीं। राजेंद्र ने बाय रोड ही जाने का फैसला किया था। प्रतिभा ने उन्हें ये कह कर टोका भी कि इतनी लंबी ड्राइव कर के वो थक जायेंगे लेकिन राजेंद्र ने कहा कि उन्हें कोई दिक्कत नहीं होने वाली वो मैनेज कर लेंगे। तीन बजते बजते सब तैयार थे। राजेंद्र ने  गाड़ी निकाली। प्रतिभा पूरे घर को लॉक कर रही थी। वो छत का दरवाज़ा देखने के बहाने ऊपर गई और धीरज को बाहर आने के लिए कहा। धीरज का रूम और प्रतिभा की छत दोनों आमने सामने ही थी। धीरज बाहर आया, प्रतिभा ने इशारे से पूछा वो कैसी लग रही है। धीरज ने फ़ोन कर के कहा वो बहुत खूबसूरत लग रही है। धीरज से बातें करते हुए प्रतिभा भूल ही गई थी कि नीचे गाड़ी में सब उसका इंतज़ार कर रहे हैं। राजेंद्र ने प्रतिभा को जब आवाज़ लगायी तब उसे ख़याल आया। वो छत का दरवाज़ा लॉक कर के नीचे भागी। सारा घर लॉक करने के बाद प्रतिभा भी गाड़ी में आ कर बैठ गई। लगभग पाँच घंटे के सफर के लिए प्रतिभा ने ढेर सारा नाश्ता बना लिया था। दोनों दादी पोती ने इतनी ही देर में सब डिसाइड कर लिया था कि वो वहाँ कहाँ कहाँ जाएँगे, क्या क्या करेंगे।

कार में गाने बाज रहे थे। दादी और प्रतिभा फुल इंजॉय करते हुए जा रहे थे। गाड़ी आगरा से निकल कर मेन रोड पर चढ़ गई थी। दोनों की मस्ती बढ़ती जा रही थी। तभी अचानक से राजेंद्र जी ने ब्रेक मारी। प्रतिभा और दादी को समझ नहीं आया कि राजेंद्र ने आख़िर बीच रोड इस सुनसान जगह पर कार क्यों रोक दी। उन्होंने कार साइड में लगा दी। एक के बाद एक गाड़ियाँ उन्हें क्रॉस करती हुई जा रही थीं। प्रतिभा ने पूछा कि उन्होंने गाड़ी क्यों रोक दी। राजेंद्र ने कहा कि वो किसी का वेट कर रहे हैं। वो भी उनके साथ जयपुर चलने वाले हैं। ये सुन कर दादी और प्रतिभा को शॉक लगा। दादी ने पूछा कि कौन लोग हैं और उन्हें ये बात पहले क्यों नहीं बतायी? घर पर तो उसने कहा था कि सिर्फ़ वो तीनों ही घूमने जा रहे हैं।

राजेंद्र ने ताना मारते हुए कहा कि जैसे उन्होंने ये नहीं बताया कि भूखे रहने के नाम पर पिज़्ज़ा बर्गर खाये जा रहे थे वैसे ही उसने भी नहीं बताया कि उनके साथ उनके एक दोस्त की फैमिली भी जयपुर घूमने जा रही है। दादी ने ये सुनते ही सिर झुका लिया। उनकी चोरी पकड़ी गई थी। उन्हें लगा था कि राजेंद्र ये नहीं जानते मगर उन्हें क्या पता था कि उन्होंने उसी दिन दादी को ये सब कहते सुन लिया था। प्रतिभा ने कहा अगर वो लोग इतने इंपोर्टेंड्ट थे तो पहले बताना चाहिए था ना, दादी और वो नहीं आते। राजेंद्र ने कहा कि दोनों फ़ैमिलीज़ का एक साथ जाना ज़रूरी था। इससे व्यवहार बढ़ता है। प्रतिभा ने कहा उसे नहीं बढ़ाना कोई व्यवहार वो अपने परिवार के साथ जा कर खुश थी। राजेंद्र ने कहा कि अब तो वो लोग पहुंच भी रहे होंगे, उसे तो लगा था जितने लोग साथ होंगे उतना ही मजा आयेगा।

दादी ने प्रतिभा को समझाते हुए कहा कि अब तो निकल आए हैं और ट्रिप पर जाने से पहले ऐसे मूड ख़राब करना सही नहीं होगा। उन्हें सामने वालों से क्या लेना देना, वो लोग अपना घूमेंगे। प्रतिभा को भी लगा कि उसे इस मौके को ख़राब नहीं करना चाहिए। उसने ख़ुद को अनजान मेहमानों के लिए तैयार किया ही था कि इतने में एक गाड़ी उनके बगल में आ कर रुकी। राजेंद्र ने दोनों को पहले ही धमका दिया था कि ये उनके ख़ास दोस्त हैं और उनके सामने कोई भी मुँह नहीं बनायेगा। दोनों परिवार अपनी अपनी गाड़ी से उतरे। प्रतिभा और दादी ने देखा कि एक एजेड कपल है और उनके साथ एक जवान लड़का है। इस फैमिली को देखते ही दादी समझ गई कि राजेंद्र ने उन्हें एक जाल में फंसा दिया है।

सामने वाली पूरी फैमिली ने दादी के पैर छुए। अनमने मन से दादी ने उन्हें आशीर्वाद दिया। लड़के ने प्रतिभा को हाय कहा, प्रतिभा को भी तीनों को नमस्ते करना पड़ा। राजेंद्र ने बताया कि ये उनके दोस्त भूपेंद्र उपाध्याय हैं, ये उनकी पत्नी उमा और ये उनका बेटा सौरव है। राजेंद्र ने बताया कि सौरव पोस्ट ऑफ़िस में छोटे बाबू की पोस्ट पर है। ये सुनते ही दादी पोती पूरा खेल समझ गईं और जान गईं कि पिछले सप्ताह भर से घर में जो शांति थी वो तूफ़ान के आने से पहले का सन्नाटा था। राजेंद्र अंदर ही अंदर ये पूरी प्लानिंग बैठा रहे थे।

असल में जब उन्होंने अख़बार में प्रतिभा की शादी का इश्तेहार दिया तो उनके पास भूपेंद्र का फ़ोन आया। वो एक फंक्शन में प्रतिभा को देख चुके थे। उन्होंने राजेंद्र से शिकायत करते हुए कहा कि दूल्हा उनके आसपास था और वो है कि पूरे शहर में बेटी के लिए लड़का देख रहे हैं। उन्होंने अपने लड़के के बारे में बताया और कहा कि वो लोग उसकी शादी के लिए भी लड़की देख रहे हैं। राजेंद्र के लिए तो ये बिन मांगे मुराद पूरी होने जैसा था। इसके बाद फैसला हुआ कि वो लोग घूमने के लिए जयपुर जा रहे हैं साथ में राजेंद्र की फैमिली भी चले जिससे कि लड़का लड़की एक दूसरे से मिल कर ये तय कर लेंगे कि उन्हें ये रिश्ता पसंद है कि नहीं।

राजेन्द्र को ये आइडिया बहुत सही लगा था और वो तभी से जयपुर का प्लान बना रहे थे। उन्होंने जयपुर जाने के बारे में पहले इसलिए नहीं बताया कि शायद दादी फिर से ज़्यादा पूछताछ ना करने लगे। राजेंद्र के चेहरे पर अभी जीत वाली मुस्कान थी और इधर प्रतिभा और दादी का मूड जयपुर पहुंचने से पहले ही ऑफ हो चुका था। लेकिन राजेंद्र को इससे फ़र्क़ पड़ने वाला नहीं था। राजेंद्र ने तो अभी जयपुर में इनके लिए और भी सरप्राइज़ रखें हुए थे। दोनों फ़ैमिलीज़ अपनी अपनी गाड़ी में बैठीं और जयपुर की तरफ़ बढ़ चलीं।

क्या राजेंद्र की सरकारी दामाद वाली तलाश अब पूरी हो जाएगी? क्या लड़का प्रतिभा से शादी के लिए हाँ कर देगा? 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.