अगर आप जानना चाहते हैं कि रंग में भंग पड़ना क्या होता है तो इस समय दादी और प्रतिभा के चेहरे को देख सकते हैं। राजेन्द्र ड्राइव कर रहे थे, प्रतिभा और दादी एकदम ख़ामोश बैठी थीं। कुछ देर पहले तक हंस गा रही ये दोनों दादी पोती को बड़ा शॉक लगा था। राजेंद्र को पता था कि इनकी चुप्पी जैसे ही टूटी उन्हें एक बड़े हमले का सामना करना पड़ेगा। इसलिए वो उन्हें टोक ही नहीं रहा था। लेकिन दादी ज़्यादा देर चुप रहने वाली नहीं थी। उन्होंने राजेंद्र से कहा कि अब वो अपने परिवार के साथ भी चाल चलने लगा। ऐसे किसी लड़को को बुलाने की क्या ज़रूरत थी। अगर ये लोग अच्छे हैं तो उन्हें घर भी तो बुलाया जा सकता था।
राजेंद्र ने कहा उन्हें पता था घर पर दादी फिर से कोई तमाशा कर के उन्हें भगा देती और वो इस लड़के को लेकर किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहता। राजेंद्र ने पूछा क्या उन्हें नहीं लगता कि ये लड़का प्रतिभा के लिए परफेक्ट रहेगा। कोई कमी लगी क्या उसमें। दादी ने धीरे से कहा बस हाइट छोटी है थोड़ी। राजेंद्र चिढ़ कर बोले कि उन्हें उससे कौनसा अमरूद तुड़वाने हैं। ऐवरेज हाइट है, इस हाइट के लड़के इंडिया में ठीक माने जाते हैं। प्रतिभा कुछ नहीं बोल रही थी। उसे बस बेचैनी हो रही थी। उसकी आँखों के सामने धीरज का चेहरा घूम रहा था। उसे लग रहा था कि ये सब सुन कर धीरज बहुत नाराज होगा और उससे कहेगा कि वो अभी के अभी वापस चली आए।
उसे ये भी डर था कि उसके पापा इस लड़के को लेकर जितना श्योर दिख रहे थे कहीं यहीं पर उसकी शादी ना फिक्स कर दें। प्रतिभा की उदासी को दादी बहुत अच्छे से समझ रही थी। वो राजेंद्र से कुछ कह भी नहीं सकती थी क्योंकि एक बाप होने के नाते अपनी बेटी के लिए लड़का देखना उसका हक था। और ऊपर से इस लड़के या इसकी फैमिली में ऐसी कोई कमी नहीं दिख रही थी जिसे इशू बना कर वो राजेंद्र से बहस कर सके। फ़िलहाल उन्होंने चुप रहना ही सही समझा लेकिन वो शांत नहीं थीं। उनका दिमाग़ लगातार प्रतिभा को इस रिश्ते से बचाने की तरकीब सोचने में लगा हुआ था।
प्रतिभा जो नाश्ता बना कर लायी थी उसे उसने हाथ तक नहीं लगाया था जबकि ऐसी ट्रिप में थोड़ा थोड़ा कर के कुछ ना कुछ खाते रहना, ढाबे पर रुक कर चाय पीना ये सब उसे बहुत पसंद था लेकिन आज जब जब ढाबों पर गाड़ी रुकी वो एक बार भी कार से बाहर नहीं आई। उसने कहा कि उसकी तबीयत सही नहीं लग रही। उसके बनाए नाश्ते को भूपेंद्र की फैमिली ने बहुत पसंद किया। बाहर उसकी तारीफ़ों के पुल बाँधे जा रहे थे और अंदर वो अपनी ही सोच में खोयी हुई थी। उसका मन कर रहा था कि वो ऐसे सोए कि फिर वापस घर जा कर ही उसकी नींद खुले लेकिन वो अपने पापा के आगे ऐसा कुछ कर भी नहीं सकती थी। वो उन्हें भला क्या ही कह कर रोकती।
मौज मस्ती करते हुए राजेंद्र और उनके दोस्त की गाड़ी जयपुर में एंटर कर चुकी थी। रात घिर आई थी जिसके बाद इस शहर की ख़ूबसूरती देखते बन रही थी। प्रतिभा अगर सही मूड से आई होती तो अभी तक ख़ुशी के मारे चिल्लाने लगती, रील बना कर सोशल मीडिया पर डालती। अपनी फ़ेंड्स और धीरज को यहाँ की फ़ोटोज़ भेज रही होती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा था फ़िलहाल। वो एकदम शांत हो चुकी थी। पूरे शहर के ट्रैफ़िक को पार कर दोनों गाड़ियां एक शांत सी सड़क पर चढ़ गई थीं। दादी ने पूछा कि वो लोग कहाँ जा रहे हैं, क्योंकि होटल्स तो इतने वीराने में नहीं होते। राजेंद्र ने कहा कि उसने ये भी एक सरप्राइज़ रखा है। दादी को लगा था कि होटल में सबके अलग अलग कमरे होंगे तो उन्हें अनजान मेहमानों को ज़्यादा फ़ेस नहीं करना पड़ेगा। लेकिन राजेंद्र ने तो कुछ और ही सोचा हुआ था।
वो दोनों गाड़ियां एक घर के बाहर रुकीं, जहाँ पहले से ही कोई उनका इंतज़ार कर रहा था। राजेंद्र गाड़ी से उतरे और उनका इंतज़ार कर रहे उस शख्स से मिले। उसने उस घर का दरवाज़ा खोला, फिर कुछ लोग गाड़ियों से उनका लगेज उतार कर अंदर ले जाने लगे। प्रतिभा और दादी भी सबके पीछे पीछे अंदर चले गए। उन्होंने देखा ये किसी का घर ही था लेकिन लोग वहाँ होटल की तरह सबकी सेवा में लगे हुए। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर वो किसके घर आए हैं। सारा सामान कमरों में सेट होने के बाद सभी लोग हॉल में लगी कुर्सियों पर बैठ गए। थोड़ी ही देर में उनके सामने चाय नाश्ता आ गया। इधर उधर की बातें होने लगीं।
सबने डिसाइड किया कि अभी वो अपने अपने कमरों में जा कर फ्रेश होंगे और फिर डिनर टाइम में ये डीसाइड करेंगे कि कल उन्हें कहाँ कहाँ घूमने जाना है। प्रतिभा ने अपना सिर पकड़ लिया। उसे लगा था कि वो होटल में रुकेंगे तो कम से कम आज रात इनलोगों का सामना नहीं करना पड़ेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रूम में आते ही दादी ने कपड़े बदले और राजेंद्र के रूम में चली गईं। इधर प्रतिभा ने मौक़ा देख कर धीरज को फ़ोन लगा दिया। धीरज ने पूछा कि वो सही से जयपुर पहुंच गई? प्रतिभा ने बताया कि उसका मूड बहुत अपसेट है क्योंकि पापा उन्हें झूठ बोलकर यहाँ लाए हैं। इसके बाद प्रतिभा ने धीरज को सारी बात बतायी और कहा कि उसे धोखे से यहाँ लाया गया है।
धीरज को समझ नहीं आया कि वो इस पर क्या रिएक्ट करे। वो कुछ नहीं बोला तो प्रतिभा ने पूछ लिया कि वो क्या कर रहा था। धीरज ने बताया वो आने वाले एग्जाम की तैयारी में लगा हुआ है। इस बार कटऑफ बढ़ा दिया गया है। एग्जाम टफ होने वाला है इसीलिए वो अपना पूरा फ़ोकस एग्जाम की तैयारी में कर रहा है। धीरज काफ़ी देर तक अपने एग्जाम के बारे में ही बताता रहा। जबकि प्रतिभा सोच रही थी कि वो थोड़ा तो पोजेसिव हो। इससे तो ऐसा लगता है जैसे उसे कोई फ़र्क़ ही नहीं पड़ रहा। प्रतिभा उसके इस बिहेव से चिढ़ गई जबकि वो एग्जाम की तैयारी भी इसीलिए ही कर रहा है कि जल्दी जल्दी एज्ज़ाम क्लियर कर के वो सरकारी नौकरी ज्वाइन करे और प्रतिभा से उसकी शादी हो जाये। मगर प्रतिभा इस समय ये बात नहीं समझ रही थी। उसने गुस्से में फ़ोन काट दिया।
दूसरे कमरे में दादी राजेंद्र से पूछ रही थी कि ये किसका घर है। राजेंद्र ने बताया कि दो दिन के लिए ये घर उन्हीं का है। उन्होंने होटल लेने से अच्छा ये पूरा घर दो दिन के लिए रेंट पर ले लिया है। यहाँ सारी सुविधाएं होटल जैसी ही हैं लेकिन रहने की स्टाइल घर जैसी है। उसने ऐसा इसलिए किया ताकि दोनों फ़ैमिलीज़ और प्रतिभा-सौरव एक साथ टाइम बीता सकें। होटल में तो सभी अपने अपने कमरों में चले जाते वहीं खाना खाते ऐसे में एक दूसरे से बात कहा हो पाती। दादी ने मन ही मन सोचा कि यही तो वो चाहती थी मगर राजेंद्र ने उसकी सोच पर पानी फेर दिया। दादी उदास चेहरा लिए अपने कमरे में लौट आईं। प्रतिभा और दादी का एक ही कमरा था। दादी ने देखा प्रतिभा का चेहरा बहुत उतरा हुआ था। उनके पास भी अभी ऐसे शब्द नहीं थे जिससे वो प्रतिभा को हिम्मत रखने के लिए कह सके।
दादी भी चाहती थीं कि प्रतिभा की किसी अच्छे लड़के से शादी हो लेकिन उन्हें लगता था कि अभी उसके पास कम से कम 2 साल होने चाहिए। उसके बाद उसकी शादी होनी चाहिए। इसके अलावा दादी को धीरज के बारे में भी खबर थी लेकिन उन्होंने इसके बारे में प्रतिभा या शालू को नहीं बताया था। वो प्रतिभा को पूरा सपोर्ट कर रही थीं लेकिन वो खुल कर सपोर्ट नहीं करना चाहती थीं क्योंकि लास्ट टाइम जब उन्होंने शालू की लव मैरिज में उसका सपोर्ट किया था तो इसका नतीजा ये रहा कि उनके और राजेंद्र के बीच कुछ हद तक दूरी आ गई। उन्हें पता था राजेंद्र ऐसा दूसरा झटका नहीं बर्दाश्त कर पायेगा इसलिए वो कुछ ऐसा करना चाहती थीं जिससे प्रतिभा और राजेंद्र दोनों खुश रहें। उन्हें ये भी पता था कि धीरज सरकारी नौकरी पाने के लिए पूरी कोशिश में लगा हुआ है और उसे बस थोड़ा टाइम चाहिए। दादी इसी कोशिश में लगी थी कि उनके परिवार में सब खुश रहें।
सब लोग चेंज कर के डिनर के लिए फिर से हॉल में इकट्ठे हो गए थे। अब सब मिलकर जयपुर में घूमने वाली जगहों के बारे में डिस्कस करने लगे। भूपेंद्र ने कहा कि वो राज मंदिर तो पक्का जाएँगे। जिसे प्राइड ऑफ़ एशिया भी कहा जाता है। उमा ने कहा उसे जयपुर की फेमस गुलाब जी के हाथों की चाय पीनी है। राजेंद्र ने कहा वो हवा महल भी चलेंगे और फिर द जोहरी में डिनर करेंगे। इसके साथ ही उन्हें श्री मोती डूंगरी वाले गणेश मंदिर में एक मन्नत भी माँगनी है। सौरव ने कहा वो नाहरगढ़ किले में सनसेट देखना चाहता है।
राजेंद्र बोले कि इतनी सब जगहों पर शायद एक दिन में घूम पाना पॉसिबल ना हो। इसके लिए उनके पास एक आइडिया है। वो अलग अलग ग्रुप में घूम लेंगे। सौरव और प्रतिभा यंग हैं तो वो दोनों ऐसी जगहों पर घूमेंगे जहाँ यंगस्टर्स ज्यादा जाते हैं और बाक़ी बुड्ढों वाली जगह पर वो दादी और उमा भूपेन्द्र घूम आयेंगे। लास्ट में ये दोनों द जौहरी में लो लाइट डिनर के मज़े ले सकते हैं। दादी समझ रही थी कि ये राजेंद्र की चाल है। वो इन दोनों को अकेले भेजना चाहता है जिससे कि दोनों एक दूसरे से बातें कर सकें। उन्हें पता था कुछ भी हो जाये लेकिन प्रतिभा अपने पापा के आगे कुछ नहीं बोलेगी और ये लड़का प्रतिभा के नजदीक आने की पूरी कोशिश करेगा। उन्होंने फैसला कर लिया था कि वो ऐसा बिल्कुल नहीं होने देंगी।
प्रतिभा का दिल तेजी से धड़क रहा था वो किसी अनजान लड़के के साथ ऐसे बाहर घूमने नहीं जाना चाहती थी। लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो पापा को क्या कह कर मना करे। वो सोच ही रही थी तब तक दादी ने राजेंद्र से कहा कि बूढ़े वो लोग होंगे, वो तो अभी जवान ही है। वो भी उन्हीं जगहों पर घूमने जाएगी जहाँ सौरव और प्रतिभा जाएँगे। राजेन्द्र उनकी बात सुनकर चिढ़ गया। दादी को पता था वो चिढ़ेगा इसलिए उन्होंने अपनी बात में ये जोड़ दिया कि अगर सौरव बेटा को ये सही लगे तो वो उसके साथ ही घूमने जाना चाहती है। दादी की चाल से अनजान सौरव को लगा कि ये उन्हें इंप्रेस करने का अच्छा तरीका हो सकता है। इसलिए उसने हाँ कर दी। उसने कहा कि वो दादी और प्रतिभा को अच्छे से पूरा जयपुर घुमा देगा। राजेंद्र ने ये सुनकर अपना माथा पकड़ लिया। उसे पता था कि ये दादी की कोई चाल हो सकती है लेकिन अब जब सौरव को ही कोई दिक्कत नहीं थी तो वो भला क्या ही कह सकता था।
क्या सौरव प्रतिभा को इंप्रेस कर पायेगा? क्या दादी प्रतिभा को इस रिश्ते से बचा लेगी?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
No reviews available for this chapter.