राजेंद्र एक और सरकारी दामाद देखने बैंक गए थे। जहां वो अपने दामाद वाली लिस्ट के अगले कैंडिडेट से मिले। नितेश पांडे, जो एक बैंक का असिस्टेंट है। उससे बात करने के बाद राजेंद्र को यकीन हो गया कि उसका बस चले तो वो हर साँस लेने से पहले वो अपने सीनियर मैनेजर की परमिशन ले। राजेंद्र समझ गए कि वो एक चापलूस किस्म का इंसान है, जिसे अपनी मेहनत और काबलियत से ज़्यादा अपने चापलूसी के हुनर पर भरोसा है। वो अपनी बेटी का हाथ ऐसे किसी इंसान के हाथ में नहीं दे सकते थे जिसे ख़ुद पर भरोसा ही ना हो। वैसे तो उन्होंने नितेश को देखते ही मन बना लिया था कि वो इस रिश्ते को ना करने वाले हैं लेकिन फिर भी उन्होंने उसे एक मौक़ा दिया लेकिन आख़िर में उनके हाथ निराशा ही लगी।

नितेश ने उनसे पूछा कि वो लोग लड़की को देखने कब उनके घर आएं। राजेंद्र ने उसके मज़े लेते हुए कहा कि फिर तो सर भी आएंगे उनके घर। नितेश ने जवाब देते हुए कहा कि वही तो आएंगे क्योंकि उनकी अप्रूवल के बिना भला वो लड़की कैसे पसंद कर सकता है। उसने कहा कि उसके लिए उसके मम्मी पापा की राय कोई मायने नहीं रखती वो तो वही करता है जो सर कहते हैं। राजेंद्र ने कहा कि उसे इतना कष्ट करने की ज़रूरत नहीं, वो ये रिश्ता नहीं करेंगे। इतना कह कर वो जाने लगे, नितेश ने एक बार उन्हें रोका और फिर उसे कुछ याद आया तो उसने अपने साहब कि ओर देखते हुए पूछा कि उसे उन्हें रोकना चाहिए या जाने दे। ये देख राजेंद्र अपना सिर पीटते हुए उनके केबिन से बाहर आ गए। बैंक से निकलते हुए उन्हें वही गार्ड दिखा जिसने नितेश के बारे में बताने के बदले उनसे सौ रुपए लिए थे।

राजेंद्र गुस्से से भरे पड़े थे, उन्होंने उसे जा कर उनके रुपए वापस करने को कहे। गार्ड ने कहा कि अब वो सौ रूपये उसके हैं वो वापस नहीं करने वाला। राजेंद्र ने फ़ोन निकालते हुए एक नंबर मिलाया और गार्ड से कहने लगे कि वो उसकी शिकायत एंटी करप्शन ब्यूरो में करने जा रहे हैं, उसकी नौकरी तो जाएगी ही साथ ही साथ उसे मोटा जुर्माना भी भरना पड़ेगा। उन्होंने कहा वो सामने कैमरे में सब रिकॉर्ड होता है उस पर तो ना जाने कितने केस दर्ज होंगे क्योंकि उसने कितनों से पैसे लिए हैं। ये सुनकर गार्ड की सिट्टी पिट्टी गम हो गई। उसने सौ रुपए उन्हें लौटते हुए कहा कि वो आज के बाद कभी ऐसा नहीं करेगा। राजेंद्र ने अपने सौ रुपए वापस लिए और घर चले आए।

इधर धीरज की अग्नि परीक्षा सामने आ चुकी है। उसके साथ करो या मारो वाली सिचुएशन है। उसे इस बार किसी भी हाल में एग्जाम क्लियर कर के सरकारी नौकरी पानी ही होगी क्योंकि उसे पता है राजेंद्र ज़्यादा इंतज़ार नहीं करने वाले। वो आज ना कल प्रतिभा के लिए सरकारी लड़का ढूँढ ही लेंगे। अगर ऐसा हो गया तो उसकी सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। इसलिए वो इन दिनों पूरे जी जान से पढ़ाई में लगा हुआ था। प्रतिभा और उसके बीच अब काफ़ी कम बात हो रही थी, प्रतिभा ने ही ये फैसला लिया था कि अब उसे सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने एग्जाम की तैयारी पर फ़ोकस करना है। वो दोनों बस रात में कुछ देर के लिए मैसेज पर बात कर एक दूसरे को पूरे दिन की अपडेट दिया करते थे।

आज यादव जी नीचे खड़े चिल्ला चिल्ला कर धीरज का नाम पुकार रहे थे। आम तौर पर वो ऐसा नहीं करते थे। धीरज अपनी पढ़ाई छोड़ हड़बड़ाया हुआ बाहर निकला। उसने ऊपर से ही देखा, तो यादव जी ने कहा कि उसका पार्सल आया है। उसने कहा कि उसने कोई पार्सल ऑर्डर नहीं किया। यादव जी ने कहा कि पार्सल उसी के नाम से है, वो ख़ुद आकर बात कर ले। धीरज ये सोचते हुए नीचे गया कि उसने तो कुछ ऑर्डर ही नहीं किया तो फिर ये पार्सल कहाँ से आ गया। उसने पार्सल वाले से कहा कि उसने कुछ भी ऑर्डर नहीं किया है। पार्सल वाले ने कहा कि पार्सल उसी के नाम से है जिसे किसी राधा ने ऑर्डर किया है, जो कि पहले से पेड है। ये नाम सुनते ही धीरज के चेहरे पर मुस्कान आ गई। उसने पार्सल ले लिया। जैसे ही वो ऊपर जाने लगा एक और डिलीवरी बॉय ने उससे उसका नाम पूछा। ये कोई फ़ूड डिलीवरी वाला था। उसने भी यही बताया कि किसी राधा ने उसके लिए फ़ूड पार्सल भेजा है। धीरज मन ही मन सोचने लगा कि ये लड़की पागल हो गई है।

वो सारे पार्सल लेकर ऊपर जाने लगा तभी यादव जी ने उसे टोकते हुए कहा कि लगता उसके पास काफ़ी पैसे आ गए हैं जो इतने सारे ऑर्डर किए जा रहे हैं। अगर ऐसा है तो उनका रेंट भी इस बार सही टाइम पर दे दे। धीरज ने कहा कि उनका रेंट उन्हें मिल जाएगा लेकिन ये पार्सल उसने नहीं बल्कि उसके किसी दोस्त ने भेजे हैं। यादव जी ने taunt मारते हुए कहा कि ऐसे दिलेर दोस्त भगवान सबको दें। धीरज ऊपर अपने कमरे में चला आया, उसने देखा कि एक बड़े से कार्टून में काफ़ी सारा सामान पैक था, जिसमें जूस के पैक, स्नैक्स, कुछ विटमिन की गोलियां, ड्राई फ्रूट्स और चॉकलेट जैसे कई और सामान थे। खाने वाले पार्सल में उसके पसंद की डिश थी। उसने तुरंत फ़ोन उठाया और सारे सामान की फ़ोटो खींच कर प्रतिभा को भेजते हुए पूछा कि ये सब क्या है। मैसेज जाते ही प्रतिभा की कॉल आ गई। प्रतिभा ने फ़ोन उठते ही कहा कि उसे   सारा सामान आ गया ना? धीरज ने पूछा कि उसने ये सब क्यों भेजा, इसकी क्या ज़रूरत थी। जिसके जवाब में प्रतिभा बोली…

प्रतिभा(नार्मल)- तुम्हें तो किसी भी चीज़ की ज़रूरत नहीं महसूस होती। पढ़ाई ज़रूरी है लेकिन ख़ुद का ख्याल रखना भी तो ज़रूरी है और जब खाना बनाते तो कितना टाइम जाता है इसमें, इसलिए एग्जाम तक खाना मैं ऑर्डर कर दूँगी। काश कि मैं वहाँ आकर तुम्हें अपने हाथ का खाना दे पाती लेकिन कोई बात नहीं मैंने एक होटल देखा है जहां घर जैसा खाना मिल जाता है। तो एग्जाम तक तुम खाना नहीं बनाओगे। बाक़ी सारा सामान इसलिए है क्योंकि पढ़ाई के बीच तुम कुछ भी नहीं खाते। इस तरह तो वीकनेस आ जाएगी ना। उसमें कुछ हेल्थ सप्लीमेंट्स और मेडिसिंस भी हैं। तुम्हें इस मौसम में जल्दी ज़ुकाम और फीवर हो जाता है और दवाई लाने के आलस से तुम उसे इग्नोर करते रहते हो। इसलिए जब भी थोड़ा सा भी सिम्टम दिखे मेडिसिन ले लेना और विक्स लगा लेना। बाक़ी सारा सामान और जूस पढ़ाई के बीच में लेते रहना। मुझे हर बार की फ़ोटो चाहिए प्रूफ के लिए। ऐसा ना हो कि सब पड़ा पड़ा ख़राब हो जाये। और हाँ तुम्हारी फ़ेवरेट वाली काजू कतली भी है।

प्रतिभा बोलती रही और धीरज उसकी बातें सुनते सुनते इमोशनल हो गया। वो सोचने लगा कि ये लड़की उससे कितना प्यार करती है। उसकी हर उस बात का उसे ख्याल है जिसके बारे में वो ख़ुद भूल जाता है। उसे पता है कि वो कैसे बीमार पड़ता है और कैसे उस बीमारी को बढ़ने देता है। इसके बावजूद प्रतिभा बार बार इस बात के लिए सॉरी बोल रही थी कि वो उसके इतने पास होने के बावजूद वहाँ आकर उसका ध्यान नहीं रख पाती। धीरज ने कहा वो इसी लिए तो इतनी मेहनत कर रहा है इस काश वाले अफ़सोस को हमेशा के लिए ख़त्म कर सके और प्रतिभा को धीरज का ख्याल रखने का परमानेंट लाइसेंस मिल सके।

प्रतिभा ने कहा कि भगवान जल्दी इस ख़्वाब को सच करें। इसके बाद प्रतिभा ने पूछा कि उसे कैसे पता चला कि ये पार्सल उसी ने भेजा है। धीरज ने कहा कि सबसे पहली बात ये कि माँ के बाद उसका इतना ख्याल रखने वाली इकलौती वही है और माँ को ऑनलाइन ऑर्डर करना नहीं आता। दूसरा कि पार्सल पर उसका कोड नेम राधा लिखा हुआ था। धीरज और प्रतिभा ने अपना कोड नेम राधा और माधव रखा था और इमरजेंसी में इसे ही यूज़ करने के एक दूसरे को इंस्ट्रक्शन भी दिए थे। इसी नाम से धीरज समझ गया था कि ये पार्सल प्रतिभा ने ही भेजा था। इसके बाद प्रतिभा ने ये कहते हुए फ़ोन रख दिया कि अब वो पढ़ाई पर ध्यान दे। धीरज भी खाना खाने बैठ गया क्योंकि इसके बाद उसे लंबी लड़ाई लड़नी थी।

धीरज के एग्जाम के लिए बस दो ही दिन बचे थे। वो आज प्रतिभा के घर इस बहाने से गया था कि वो दादी और राजेंद्र का आशीर्वाद ले सके। उसे देखते ही राजेंद्र ने मुँह बना लिया, वो उसके एहसानों के तले ना दबे होते तो उसे इस घर में कदम भी ना रखने देते लेकिन अभी उनकी मजबूरी थी। हाल ही में इस लड़के ने तीन महीने तक उनका इतना ध्यान रखा था। उसने दादी और राजेंद्र के पैर छुए। दादी ने उसे दिल खोल कर आशीर्वाद दिए मगर राजेंद्र ने बस सिर हिला दिया। वो राजेंद्र से उनके पैर के बारे में पूछने लगा। राजेंद्र ने एक टुक जवाब देते हुए कहा कि वो ठीक है। प्रतिभा उसके लिए चाय बना कर ले आई क्योंकि उसके आते ही चाय बनाने की उसे आदत पड़ गई थी। ये देख कर भी राजेंद्र को अच्छा नहीं लग रहा था।

चाय पीते हुए धीरज ने कहा कि परसो उसका एग्जाम है और उसे पूरी उम्मीद है कि इस बार वो एग्जाम ज़रूर क्रैक कर लेगा। राजेंद्र ने कहा कि उम्मीद तो सबको हर बार होती है लेकिन वो उम्मीद सही थी या गलत इसका फैसला तो रिजल्ट आने के बाद ही चलता है। धीरज ने कहा उसकी उम्मीद ग़लत नहीं है क्योंकि इस बार उसकी तैयार बहुत अपर लेवल की है। उसने बहुत मेहनत की है। वैसे तो राजेंद्र ने उसकी मेहनत देखी थी लेकिन वो मान नहीं सकता था कि धीरज एग्जाम पास कर जाएगा। राजेंद्र ने फिर भी ख़ुद को संभालते हुए उसे सलाह दी कि इतने कौंफिडेंस से ना बोले क्योंक कई बार ये कौंफिडेंस ओवर हो जाता है इसी वजह से बात बिगड़ जाती है। इंसान की तैयारी भले पूरी हो लेकिन उसके अंदर डर होना ज़रूरी है। इस डर की वजह से ही वो एग्जाम पूरा करने के बाद भी क्रॉस चेक करता है कि कहीं उसने कुछ ग़लत तो नहीं लिख दिया। वरना ओवर कौंफिडेंस में अधिकतर बार इंसान ग़लतियां कर जाता है।

धीरज को उनकी सलाह अच्छी लगी। प्रतिभा भी इस बात से खुश थी कि उसके पापा ने धीरज को सलाह दी थी। धीरज ने कहा कि वो यही सब सुनने के लिए तो उनके पास आया है, उनके पास एग्जाम क्रैक करने का अनुभव है जो उसके काम आ सकता है। और उसे उन दोनों से आशीर्वाद भी चाहिए। राजेंद्र ने उसे कुछ बातें बतायीं। फिर दादी और राजेंद्र ने उसे कहा कि वो अच्छे से एग्जाम देकर आए। प्रतिभा ने भी जाते हुए उसे बेस्ट ऑफ़ लक विष किया था। राजेन्द्र को समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर वो उसके लिए इतना सॉफ्ट क्यों हो रहे हैं? वो तो जानते हैं कि उससे एग्जाम क्रैक नहीं होगा।

 

क्या राजेंद्र ने धीरज को अच्छा मान लिया है? क्या धीरज का एग्जाम अच्छा होगा? 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
 

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.