अपर्णा के घर में आज प्रिया और रोहन की पहली सुबह थी। प्रिया की सुरीली आरती से शुरू हुई सुबह, गरमा गरम आलू के पराठों से सज गई थी। प्रिया और अपर्णा बैठके दुख सुख की बातें कर रही थीँ और सुषमा रोहन का टिफ़िन पैक कर चुकी थी। बस रोहन के नीचे आने का इंतजार था कि तभी दरवाजे की घंटी बजी।

सुषमा : (चिंता भरे स्वर में) इतनी सुबह सुबह कौन आ सकता है।

सुषमा की यह बात सुनकर प्रिया टेंशन में आ गई। जिस तरह पिछली रात रोहन ने मटरू और उसके गुंडों के बारे में बताया था, उसे याद करके वह परेशान लगने लगी थी। वह सोच रही थी कि कहीं मटरू या फिर उसके गुंडे तो यहाँ नहीं आ गए। वह जानती थी कि गुंडों का कोई धर्म नहीं होता, उन्हें तो बस मार पीट से मतलब रहता है।

मटरू के स्वभाव के बारे में बबलू ने उन्हें पहले ही बता दिया था। अब अगर उन्होंने यहां आकर कोई हंगामा किया या फिर झूठी बात भी कह दी तो नई मकान मालकिन  यानी अपर्णा पर क्या असर पड़ेगा । उसने अपने मन में सोचा:

प्रिया : (मन में ) दरवाज़े को मैं जाकर खोलती हूं, उन्हें दरवाज़े से ही वापस भेज दूँगी।

वह उठने लगी मगर अपर्णा ने उसे मना कर दिया। उनके मना करने पर उसकी टेंशन और बढ़ गई। दोनों का मन मटरू की तरफ से एकदम साफ़ था। उन्होंने उसका एक भी पैसा नहीं  खाया था। उनके ऊपर कुछ भी बकाया नहीं था, लेकिन सामने वाले का कोई भरोसा नहीं था।  इतनी देर में रोहन भी ऊपर से तैयार हो कर आ गया था।

रोहन को ऑफिस के लिए तैयार होता देख, अपर्णा भावुक हो गई। रोहन के रूप में उसे अपना बेटा राहुल दिख रहा था। आज अगर वह उनके साथ रह रहा होता तो बिल्कुल इसी तरह तैयार होकर ऑफिस जाता। प्रिया के चेहरे पर शिकन देखकर रोहन ने तुरंत कहा:

रोहन : (चिंता भरे स्वर में) क्या हुआ प्रिया, सब ठीक है ना।

सबके सामने मन की बात को कहना उसके लिए मुश्किल था। तभी सुषमा दरवाज़ा खोलने के लिए वहां से चली गई। भले ही प्रिया की नज़र राहुल और अपर्णा की तरफ थी मगर उसका पूरा ध्यान सुषमा और दरवाज़े की तरफ था। अगर मटरू और उसका कोई गुंडा हुआ तो आगे क्या होगा।

उधर, टेम्पो ड्राइवर और मटरू का गुर्गा, राजू अपने नए साथियों से मिलने उनके ठिकाने पर पंहुचा। उसके साथ बाकी साथी भी थे। उन लोगों का ठिकाना किसी कबाड़ खाने से कम नहीं लग रहा था। राजू ने जिस तरह के हथियार उनके ठिकाने पर देखे, उससे अंदाज़ा हो गया था कि यह लोग बहुत खतरनाक है।

तभी उन दो आदमियों में से एक ने कहा, “देखने में तो तुम बड़े हट्टे कट्टे लग रहे हो, तुमसे एक लड़के को पीटा नहीं गया”। यह सुनकर राजू और उसके साथी चिढ़ गए थे। राजू ने चिढ़ते हुए कहा, “तो फिर तुम ही पीट लेना”। यह सुनकर उस आदमी को गुस्सा आ गया, उसने तुरंत राजू के पास जाकर उसका कॉलर पकड़ लिया।

राजू सकपका गया। उसे भी बहुत गुस्सा आने लगा। उसका मन हुआ कि उन्हीं के हथियार से उनको जान से मार दे मगर वह ऐसा नहीं कर सकता था। आखिर वह लोग उसके साथी थे। उसने बड़े ही नरम लहजे में कहा, “तुम लोगों ने भी कॉलर पकड़ लिया, मेरी समझ में नहीं आता कि लोग कॉलर क्यों पकड़ते है”।

रंगा और बिल्ला के कहने पर उस आदमी ने राजू के कॉलर को छोड़ दिया। बिल्ला ने अपने मोबाइल पर बबलू का फोटो दिखाया। बबलू का फोटो देखकर दोनों ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे। इस तरह पागलों की तरह हंसता देख राजू और उसके साथियों को लगा कि वह बबलू को जानते है।

इधर राजू और उसके साथी, उन दोनों आदमियों की हंसी के रुकने का इंतजार कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ सुषमा ने दरवाज़ा खोला तो उसके सामने बबलू था। बबलू को इस तरह सुबह सुबह देख कर सुषमा चौंक गई। उसने चौंकते हुए कहा:

सुषमा : (चौंकते हुए) बबलू भैया , इतनी सुबह सुबह, सब ठीक तो है ना।

जैसे बबलू को देखकर सुषमा चौंक गई थी, उसी तरह उसकी बात को सुन कर बबलू भी चौंक गया था। उसने तुरंत कहा, “क्या मैं सुबह के समय नहीं आ सकता”। यह कहते हुए वह अंदर आ गया। उसे देखकर प्रिया ने राहत की सांस ली। उसने अपने चेहरे को ऊपर करके भगवान का शुक्र किया।

बबलू ने अंदर आकर कहा, “आंटी, आपने ही तो कहा था कि यह मेरा अपना घर है, मैं कभी भी आ सकता हूं। आज जब आया तो सुषमा दीदी कहती है कि सुबह सुबह कैसे आये। आप कहो तो मैं अगली बार यहां फोन करके आऊंगा”।

यह सुनकर सुषमा उदास हो गई। उसे लगा जैसे बबलू ने उसकी चुगली कर दी हो। उसने सफाई देते हुए कहा:

सुषमा : (मायूसी के साथ) मेरे कहने का यह मतलब नहीं था। मैंने तो बस ऐसे ही पूछा था।

इससे पहले सुषमा और ज़्यादा बुरा फील करती, बबलू ने हंसते हुए कहा, “मैं मज़ाक कर रहा हूं, इस बात को ज़्यादा सीरियस लेने की ज़रूरत नहीं है”। यह सुनकर सुषमा के चेहरे पर मुस्कान आ गई। अपर्णा उसके मिज़ाज के बारे में जानती थी, वह बस दोनों की बात सुन कर मुस्कुरा रही थी। तभी रोहन की आवाज़ आई:

रोहन : (चुटकी लेते हुए) वैसे अचानक से आना कैसे हुआ, कही अंकल ने घर से निकाल तो नहीं दिया।

यह सुनकर बबलू के चेहरे पर जो मुस्कान थी, वह गायब हो गई। उसने उखड़े मन से कहा, “उन्होंने निकालने जैसा ही फरमान जारी कर दिया है, अब अगर मैंने उनकी बात को नहीं माना तो वह सच में घर से निकाल देंगे”। इस बात को सुनकर सभी चौंक गए। तभी अपर्णा ने बड़ी   ही गंभीरता भरे स्वर के कहा:

अपर्णा : (चिंता भरे स्वर से) क्या हुआ बेटा, घर पर सब ठीक तो है ना।

क्या सच में कोई गंभीर बात थी। क्या बबलू कुछ छुपा रहा था? एक तरफ सभी लोग बबलू के बोलने का इंतजार कर रहे थे तो वहीं, गुंडों के अड्डे पर राजू के फोन में बबलू का फोटो देखकर पहले तो वह दोनों आदमी खूब ज़ोर ज़ोर से हंसे। दोनों ने रंगा और बिल्ला की तरफ देखा और कहा, “इस पिद्दी की तुम पिटाई नहीं कर पाए, यार इसे तो तुम ही निपटा देते”।

राजू सोच रहा था कि यह लोग बबलू को जानते होंगे, उसे पहले कहीं मिले होंगे मगर वे तो उसकी शरीर को बनावट को देख कर हंस रहे थे। तभी बिल्ला ने कहा, “अब इसे कहां घेरना है, वह बताओ”। इस बात का जवाब देते हुए एक आदमी ने बोला, “उसके घर चलते है, चाय नाश्ता करेंगे और बाद में हाथ पैर तोड़ कर वापस आ जाएंगे”।

यह सुनकर इस बार राजू ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा। राजू के साथ साथ रंगा और बिल्ला भी हंसने लगे। उन्हें लगा जैसे उन्होंने कोई गलत बात कह दी हो। राजू ने अपनी हंसी को रोका और कहा, “क्या आपके पिता जी का राज है कि घर गए और मारपीट करके आ गए”। रंगा और बिल्ला के पीछे पुलिस वैसे ही पड़ी हुई थी। अगर वह खुलेआम यह काम करते तो उन्हें जेल की हवा खाने से कोई नहीं रोक सकता था। यह काम उन्हें चुपके से ही करना होगा। राजू ने अपनी जेब से फोन निकाला और एक नंबर डायल किया। कॉल उठाने पर राजू ने कहा, “मुझे एक एक पल की खबर चाहिए, तुम उसके साथ साये की तरह रहना”। राजू की इस बात ने रंगा और बिल्ला के साथ उन दो लोगों की बेचैनी को भी बढ़ा दिया था जो मटरू के खास आदमी थे।

उधर अपर्णा निवास में, बबलू ने अपर्णा की बात पर कहा, “पिता जी ने मुझे मुंबई भेजने का फैसला कर लिया है, वहां उनके एक दोस्त है, उन्हीं के साथ रहकर मुझे काम सीखना है, उनका कंप्यूटर का काम है”। यह सुनकर अपर्णा के चेहरे पर मुस्कान आ गई। उन्होंने तुरंत कहा:

अपर्णा : (खुश होते हुए) यह तो बहुत अच्छी बात है, नए शहर जाओगे तो जीवन का नया अनुभव मिलेगा।

मुंबई जाने की बात सुनकर प्रिया भी अंदर अंदर खुश हो गई थी। वह जानती थी कि बबलू यहां रहेगा तो मटरू नाम का ख़तरा उस पर हमेशा मंडराता रहेगा। भले ही वह सबसे दूर रहेगा मगर सुरक्षित तो रहेगा। जिस तरह वह अपनी मां की वजह से अपने भाईयों के साथ रात में घर चला गया था, उसी तरह उनकी खातिर वह मुंबई जाने के लिए भी तैयार हो गया था। प्रिया उसके लिए खुश होते हुए भी थोड़ा मायूस होकर बोली:

प्रिया : (मायूस ) बबलू भैया , मुंबई जाकर हमें भूल तो नहीं जाओगे।

मुंबई जाने की बात को लेकर मायूस तो बबलू भी हो गया था। वह जानता था कि वहां पर रोहन जैसा दोस्त मिलना मुश्किल था। प्रिया जैसी भाभी को वह बहुत मिस करने वाला था। अपनी अपर्णा आंटी के हाथ का खाना शायद उसे मुंबई में मिलने वाला नहीं था।

उसने कहा, “मुंबई दूर थोड़ा ही है, एक बार याद करोगे तो पहुंच जाऊंगा और वैसे भी आज कल मोबाइल के जरिए हम कहीं से भी एक दूसरे से आसानी से जुड़ जाते है”। तभी सुषमा ने कहा:

सुषमा : (खुश होते हुए) अब तो बात करने के साथ साथ हम एक दूसरे को देख भी सकते है।

रोहन : (मुस्कान के साथ) उसे वीडियो कॉलिंग कहते है।

इस पर बबलू ने कहा, “मैंने सोचा जाने से पहले आप सब लोगों से मिल भी लूँगा और रोहन को अंकल के यहां छोड़ भी दूंगा”। रोहन बबलू के साथ चलने को हुआ तो सुषमा ने टिफिन को अपने हाथ में लेते हुए कहा:

सुषमा: (खुशी के साथ) रोहन भैया , यह आपका टिफिन।

रोहन ने टिफिन लिया। बबलू ने अपर्णा के पैरों को छूकर आशीर्वाद लिया और दोनों घर से बाहर चले गए। सुषमा वापस किचन की तरफ चली गई। प्रिया ऊपर कमरे में जाने लगी तो अपर्णा ने उसे रोक लिया। इस तरह अचानक से रोकने पर वह घबरा गई।

 

आखिर अपर्णा ने उसे क्यों रोका?

राजू ने फोन पर किससे बात की थी?

क्या मुंबई जाने से पहले मटरू अपने नुकसान का बदला ले लेगा?

रोहन का पहला दिन कैसा जाएगा?


जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.