मेल्विन को अपने कंप्यूटर पर आए उस अजीब ईमेल ने भीतर तक झकझोर दिया था। 'याद?' और उसके साथ वेयरहाउस की तस्वीर, नीचे लिखी तारीख '26 मई, रात 9 बजे'—ये सब एक गहरे संकेत की तरह थे, एक ऐसा संकेत जो मेल्विन की नई मिली शांति को तोड़ने वाला था। उसे पता था कि यह कोई साधारण धमकी नहीं थी, बल्कि उसके अतीत का एक भयानक चेहरा था जो फिर से सामने आ रहा था। उसने तुरंत अपने फोन पर नितिन का नंबर डायल किया। उसका हाथ काँप रहा था, लेकिन उसे पता था कि उसे इस खतरे का सामना करना होगा।

फोन की घंटी बजती रही, और मेल्विन का दिल तेज़ी से धड़क रहा था। दूसरी घंटी पर नितिन ने फोन उठा लिया। उसकी आवाज़ में थोड़ी हड़बड़ाहट थी। 

"हाँ, मेल्विन? सब ठीक है न? तुम इस वक्त क्यों कॉल कर रहे हो?" नितिन ने सवाल किया, उसकी आवाज़ में छिपी चिंता मेल्विन को महसूस हुई।

"नितिन, मुझे एक ईमेल आया है," मेल्विन ने कहा, उसकी आवाज़ में तनाव साफ झलक रहा था। "एक तस्वीर है... डिकोस्टा के पुराने अड्डे की। और उस पर तारीख लिखी है: 26 मई, रात 9 बजे।" उसने ईमेल की सारी डिटेल्स नितिन को बताईं, हर छोटे से छोटे पहलू पर ज़ोर दिया।

दूसरी तरफ नितिन एक पल को खामोश हो गया। फोन पर एक अजीब सी चुप्पी छा गई, जो मेल्विन के डर को और बढ़ा रही थी। फिर उसकी आवाज़ गंभीर हो गई, जैसे वह किसी बेहद खतरनाक जानकारी को संसाधित कर रहा हो। 

"मेल्विन, मुझे लगता है यह सिंडिकेट का संदेश है। बहुत पहले, मैंने उनके बारे में कुछ अफवाहें सुनी थीं, पर कभी यकीन नहीं किया था कि वे इतने निचले स्तर पर भी उतर सकते हैं।"

"किस तरह की अफवाहें?" 

मेल्विन ने अधीरता से पूछा। उसे लग रहा था जैसे हर बीतता पल उसे एक ऐसे दलदल में खींच रहा है जहाँ से निकलना नामुमकिन है।

"सिंडिकेट के लोग जब किसी को सबक सिखाना चाहते हैं, या किसी पुराने हिसाब-किताब को बराबर करना चाहते हैं, तो वे अक्सर ऐसे संदेश भेजते हैं। यह सिर्फ डराने के लिए नहीं होता, मेल्विन। यह एक अंतिम चेतावनी होती है।" 

नितिन ने अपनी आवाज़ धीमी की, मानो दीवारें भी उनकी बात सुन रही हों। 

"और यह जो तारीख और समय दिया है, 26 मई, रात 9 बजे... यह किसी भयानक दुर्घटना का संकेत है। यह वो समय है जब वे अपना काम पूरा कर लेंगे।"

मेल्विन का चेहरा सफ़ेद पड़ गया। "दुर्घटना? किसकी दुर्घटना? और क्यों?" 

उसके दिमाग में कई सवाल घूम रहे थे, एक के बाद एक, जैसे कोई भयानक चक्रवात।

"मेल्विन," नितिन ने गंभीरता से कहा, "सिंडिकेट के बारे में कहा जाता है कि वे सीधे किसी को मारते नहीं, जब तक कि बहुत ज़रूरी न हो। वे उन्हें दर्द देते हैं, उन्हें तोड़ते हैं, उन्हें यह एहसास दिलाते हैं कि वे कितने बेबस हैं। मौत तो बस एक अंत है, मेल्विन। सिंडिकेट तुम्हें अंत नहीं, बल्कि तुम्हारी ज़िंदगी में एक ऐसा जख्म देना चाहता है जो कभी न भरे।" उसकी आवाज़ में कड़वा अनुभव बोल रहा था। "यह तारीख और समय, यह उनके अगले कदम का संकेत है। 26 मई, रात 9 बजे, यह खतरे का आखिरी वक्त है। इसका मतलब यह नहीं कि मौत तभी होगी। खतरा इससे पहले भी हो सकता है। वे तुम्हें पूरी रात और दिन डर में रखना चाहते हैं, ताकि तुम पल-पल मर सको।"

 मेल्विन के पूरे शरीर में एक सिहरन दौड़ गई। उसके दिमाग में एक ही पल में कई चेहरे घूम गए— ‘मी’, जिसकी अभी-अभी जान बची थी; उसकी माँ, जो इतनी बूढ़ी और नाज़ुक थी; लक्ष्मण और पीटर, उसके करीबी दोस्त... पर सबसे पहले जो चेहरा आया, वह रेबेका का था। उसकी होने वाली पत्नी। उसकी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत सपना। 

"रेबेका?" मेल्विन ने फुसफुसाया, जैसे इस नाम को ज़ोर से बोलने से भी खतरा बढ़ जाएगा। उसकी आवाज़ काँप रही थी, उसमें एक भयानक डर था। "क्या तुम रेबेका की बात कर रहे हो? क्या वो... वो खतरे में है?"

नितिन ने धीरे से सिर हिलाया, फोन पर ही। "मेल्विन, डिकोस्टा और उसके बॉस को पता है कि ‘मी’ को तुमने बचा लिया है। उन्हें यह भी पता है कि तुम रेबेका से शादी करने वाले हो। रेबेका तुम्हारी कमज़ोरी है, तुम्हारा सबसे बड़ा भावनात्मक जुड़ाव। तुम्हें लगता है कि उन्होंने ये 'याद' वाला ईमेल तुम्हें क्यों भेजा? यह सिर्फ एक धमकी नहीं है, यह एक चेतावनी है कि वे तुम्हारे सबसे करीब आकर तुम्हें चोट पहुँचा सकते हैं। तुम्हें यह जताना चाहते हैं कि तुम्हारी खुशी उनकी मुट्ठी में है।"

मेल्विन के माथे पर पसीने की बूंदें आ गईं। उसे लग रहा था जैसे हवा भी उसके खिलाफ हो गई हो। रेबेका! उसे कुछ देर पहले ही मिस्टर ओझा ने समझाया था कि अतीत का बोझ कभी-कभी सबसे करीबियों को नुकसान पहुँचाता है। उसे अपनी बेबसी महसूस हुई। उसने रेबेका को बचाने के लिए डिकोस्टा के बॉस को भी चुनौती दी थी, लेकिन अब उसे लग रहा था कि यह दांव उल्टा पड़ रहा था, और उसकी सबसे प्यारी चीज़ दांव पर लगी थी। 

"पर क्यों? रेबेका का इससे क्या लेना-देना है?" मेल्विन की आवाज़ में एक दर्द था, एक चीख थी जो बाहर नहीं आ पा रही थी।

"तुमने डिकोस्टा से ‘मी’ को बचाया, मेल्विन। तुमने डिकोस्टा के बॉस को मी के राज़ और एनजीओ वाली झूठी कहानी सुनाकर बेवकूफ बनाया, ताकि वह तुम्हें माल लौटा दे। यह उनके लिए एक व्यक्तिगत अपमान है। और सिंडिकेट अपनी बेइज्जती का बदला हमेशा लेता है, सबसे दर्दनाक तरीके से। तुम्हारे सबसे करीब, तुम्हारे सबसे प्यारे पर हमला करके," नितिन ने समझाते हुए कहा। उसकी आवाज़ में दुख था कि उसका दोस्त कितनी बड़ी मुसीबत में फँस गया था। "रात 9 बजे वो समय है जब उनका प्लान अपने चरम पर पहुँचेगा या तुम्हें उसका नतीजा मिलेगा, लेकिन खतरा उससे पहले कभी भी आ सकता है। वे तुम्हें पूरी तरह तोड़ना चाहते हैं, मेल्विन। तुम्हें हर पल चौकन्ना रहना होगा। तुम्हारे पास सिर्फ कुछ ही घंटे हैं।"

मेल्विन ने अपनी मुट्ठी कस ली। वह जानता था कि नितिन सही कह रहा था। डिकोस्टा का बॉस, जिसने मिस्टर वर्मा को भी नहीं बख्शा था, वह मेल्विन को उसकी सबसे कमज़ोर नस पर चोट पहुँचाना चाहता था। 26 मई, यानी कल। उसके पास सिर्फ कुछ ही घंटे थे। रेबेका को बचाना था। किसी भी कीमत पर। 

मेल्विन के लिए 26 मई की सुबह किसी आम सुबह जैसी नहीं थी। उसके हर साँस में डर घुला हुआ था। नितिन की बातें उसके दिमाग में गूँज रही थीं— "26 मई, रात 9 बजे, यह खतरे का आखिरी वक्त है। खतरा इससे पहले भी हो सकता है।" हर बीतता पल, हर टिक-टिक करती घड़ी की सुई उसे अपनी मौत के करीब ला रही थी। उसके पास रेबेका को बचाने के लिए कुछ ही घंटे थे, और सबसे मुश्किल बात यह थी कि वह रेबेका को अपने मकसद की भनक तक नहीं लगने दे सकता था। हर अनजान चेहरा एक संभावित खतरा था, हर परछाई में एक दुश्मन छुपा था।

सुबह होते ही मेल्विन ने रेबेका को फोन किया। उसका हाथ काँप रहा था, पर उसने अपनी आवाज़ में सामान्यता बनाए रखने की पूरी कोशिश की। 

"हाय, रेबेका! क्या कर रही हो?"

"अरे मेल्विन! तुम तो सुबह-सुबह फोन कर रहे हो। सब ठीक है न?" रेबेका की आवाज़ में खुशी थी, जो मेल्विन के दिल में एक अजीब सा दर्द पैदा कर रही थी। उसे लगा कि यह खुशी कहीं पल भर की न हो। 

"मैं तो अभी स्कूल के लिए निकल रही हूँ, बस तैयार हो ही रही थी।" रेबेका एक टीचर थी और सुबह के समय ट्रेन से स्कूल जाती थी।

मेल्विन के कान खड़े हो गए। "अच्छा! मैं भी सोच रहा था कि आज तुम्हें कंपनी दूँ। मेरा थोड़ा काम है उसी रूट पर।" 

उसने झूठ बोला, ताकि रेबेका को शक न हो, पर उसके दिमाग में एक तेज़ लहर उठी– क्या यह काम ही उसका अगला जाल तो नहीं? क्या सिंडिकेट को उसके इस कदम की पहले से ही खबर थी?

"अरे वाह! यह तो बहुत अच्छा है!" रेबेका खुश हो गई। "चलो, फिर मिलते हैं स्टेशन पर। मैं पाँच मिनट में निकलती हूँ।" 

फोन रखते ही मेल्विन ने खुद को तैयार किया। उसकी आँखें हर तरफ घूम रही थीं, हर आवाज़ पर उसका ध्यान था। हर राहगीर उसे एक दुश्मन लग रहा था, हर गाड़ी उसे संदिग्ध लग रही थी। स्टेशन की ओर भागते हुए उसे लगा जैसे हर कदम एक परीक्षा है, हर मोड़ पर कोई घात लगाए बैठा हो। उसके दिमाग में सिर्फ एक ही बात थी – रेबेका। उसे हर हाल में रेबेका तक पहुँचना था। वह जैसे ही दरवाज़े की ओर बढ़ा, उसकी माँ रसोई से बाहर आईं।

"मेल्विन, बेटा! इतनी सुबह कहाँ जा रहे हो?" माँ की आवाज़ में हमेशा की तरह ममता थी, पर आज उसमें हल्की सी चिंता भी थी। "नाश्ता तो कर लो। तुम आजकल बहुत परेशान दिख रहे हो।" 

मेल्विन ने पलटकर भी नहीं देखा। उसकी आँखों में एक अजीब सी जल्दबाज़ी थी। 

"नहीं माँ, बहुत ज़रूरी काम है। बाद में बात करता हूँ।" उसने लगभग दौड़ते हुए अपना जूता पहना।

माँ उसके करीब आईं। "बेटा, मुझे लगता है तुम किसी मुश्किल में हो। तुम मुझे कुछ बताते क्यों नहीं? मेरा मन बहुत घबरा रहा है।" उन्होंने मेल्विन का हाथ पकड़ने की कोशिश की।

पर मेल्विन का ध्यान कहीं और था। उसे माँ की बात सुनाई तो दी, पर उसके दिमाग में सिर्फ नितिन के शब्द गूँज रहे थे– 

"खतरा इससे पहले भी हो सकता है।" उसे लगा जैसे हर पल रेबेका की जान पर भारी पड़ रहा हो। माँ की चिंता, उनका प्यार, सब उस पल उसके लिए मायने नहीं रखता था। उसके दिमाग में सिर्फ रेबेका को बचाने का जुनून था। 

"माँ, मुझे देर हो रही है!" मेल्विन ने लगभग झटके से अपना हाथ छुड़ाया। "प्लीज़, मुझे जाने दो।"

माँ के चेहरे पर उदासी छा गई। वह कुछ और कहना चाहती थीं, पर मेल्विन ने एक पल भी इंतज़ार नहीं किया। बिना एक शब्द और कहे, बिना अपनी माँ की बात सुने, वह तेज़ी से दरवाज़े से बाहर निकला और स्टेशन की ओर भागा। माँ उसे जाते हुए देखती रह गईं, उनकी आँखों में एक अनकहा दर्द था। मेल्विन को पता था कि वह अपनी माँ को नज़रअंदाज़ कर रहा है, पर उसके पास कोई और रास्ता नहीं था। उसके दिमाग में सिर्फ रेबेका और उसे बचाने की धुन सवार थी। 

स्टेशन की तरफ भागते हुए उसने तो पल भर के लिए तो यह भी सोचा कि कहीं वो पूरी ट्रैन ही तो नहीं उड़ाने वाले पर फिर उसे ध्यान आया कि अगर वो उस ट्रैन में होगा तो वे ऐसी कोशिश नहीं करेंगे क्योंकि उन्हें मेल्विन को तोड़ना था, उसे मारना नहीं।  

स्टेशन पर पहुँचकर, मेल्विन ने भीड़ में रेबेका को पहचाना। वह सामान्य दिख रही थी, मुस्कुरा रही थी, दुनिया से बेखबर। उसके चेहरे पर कोई तनाव नहीं था, जो मेल्विन के डर को और बढ़ा रहा था। क्या वह इस मासूमियत को बचा पाएगा? ट्रेन के आने का इंतज़ार करते हुए, मेल्विन की नज़रें प्लेटफॉर्म पर घूम रही थीं। एक पल के लिए उसे लगा कि कोई अजीब सी जैकेट वाला आदमी उसकी ओर देख रहा है, पर जब उसने पलट कर देखा तो वह आदमी गायब हो चुका था। यह सिर्फ़ वहम था, या सच में कोई उसे देख रहा था?

जैसे ही ट्रेन आई, मेल्विन रेबेका के साथ चढ़ गया। ट्रेन में भीड़ हमेशा की तरह थी, पर आज उसे हर भीड़ एक संभावित खतरे की तरह लग रही थी। उसने जानबूझकर एक ऐसी सीट चुनी जहाँ से वह पूरी बोगी पर नज़र रख सके। हर यात्री, हर चेहरा उसे संदिग्ध लग रहा था। कोई अपने फोन में व्यस्त था, कोई किताब पढ़ रहा था, पर मेल्विन को लगा जैसे हर कोई उस पर नज़र रख रहा हो। हर स्टेशन पर जब नए लोग चढ़ते, उसकी नज़रें उन पर टिक जातीं। उसे लग रहा था जैसे हर अनजान चेहरा एक संभावित खतरा हो सकता है, हर आवाज़ में कोई साज़िश छिपी हो। उसके दिमाग में एक भयानक ख्याल कौंधा – क्या हो अगर ट्रेन का ही एक्सीडेंट हो जाए? क्या सिंडिकेट इतना नीचे गिर सकता है कि इतने सारे बेगुनाह लोगों की जान ले ले सिर्फ़ उसे सबक सिखाने के लिए? इस ख्याल से ही उसकी रीढ़ की हड्डी में सिहरन दौड़ गई। लेकिन वो बार बार खुद को समझाए जा रहा था कि वे ऐसा नहीं करेंगे। 

ट्रेन में रेबेका उससे बातें करती रही, अपने स्कूल के बच्चों के बारे में बताती रही, अपनी आने वाली शादी के सपनों के बारे में बताती रही। "मेल्विन, तुम आज थोड़े शांत हो,

"रेबेका ने पूछा, उसकी आवाज़ में चिंता थी। "सब ठीक है न? तुम मुझे कुछ बता क्यों नहीं रहे?"

"हाँ, बस काम का थोड़ा तनाव है," मेल्विन ने मुस्कुराने की कोशिश की, पर उसके होंठ काँप रहे थे। 

"और तुम्हारी कंपनी अच्छी लग रही है, इसलिए बस सुन रहा हूँ।" उसने रेबेका का हाथ थामा, और उसे लगा जैसे उसके हाथ हल्के काँप रहे हों। रेबेका ने उसके हाथों को कसकर पकड़ा, मानो उसे पता हो कि मेल्विन किसी उलझन में है, पर उसे उसकी असली वजह नहीं पता थी। मेल्विन को पता था कि उसे रेबेका को डराना नहीं है, उसे इस खतरे से अनजान रखना है।

क्या करेगा अब मेल्विन? क्या सच में रेबेका किसी मुसीबत में थी या कोई और मुसीबत में था पड़ने वाला जिससे था मेल्विन अंजान? जानने के लिए पढिए कहानी का अगला भाग। 

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