हॉल में रखे फोन की घंटी लगातार बज रही थी। वैसे तो सुषमा उठ कर जा रही थी लेकिन अपर्णा ने उसे यह कर रोक दिया, ‘’तुम यहीं बैठो, मैं जाकर देखती हूँ किसका फ़ोन है। हो सकता है राहुल ने कॉल किया हो।''
हरि: (उत्तेजना के साथ) क्या सच में राहुल बाबा ने इस समय फ़ोन किया होगा?
सुषमा: (लापरवाही भरा अंदाज़) मुझे तो नहीं लगता, फिर भी एक माँ, हमेशा अपने बेटे की आवाज़ सुनने को तरसती है।
अपर्णा फोन उठाने के लिए हॉल की तरफ चली गईं तो सुषमा और हरि के बीच यह बात हुई। इधर किसका फोन था, इस बात को लेकर असमंजस बना था तो उधर बबलू भी थोड़ा परेशान सा दिख रहा था। उसने जब फ़ोन की स्क्रीन पर देखा, तो कॉल अभी तक कटी नहीं थी, बेल जा रही थी। फ़ोन के पास जाकर अपर्णा ने रिसीवर को उठाया और तुरंत कहा, ‘’हैलो, कौन... राहुल???''
जैसे ही अपर्णा ने फ़ोन पर “हैलो” कहा, बबलू की जान में जान आयी। उधर बबलू ने जवाबी हैलो कहा तो अपनी बेटे की जगह, उसकी आवाज़ सुन कर, वह थोड़ा उदास हो गईं । उस ने अपना इंट्रोडक्शन देते हुए कहा, “आंटी मैं बबलू बोल रहा हूँ”। उस का नाम ही काफी था, उन्होंने तुरंत उसे पहचान लिया और कहा, ‘’हाँ बेटा बबलू! कैसे हो, घर पर सब ठीक है ना?''
बबलू उनसे बात करते हुए, घर में टहलने लगा। उसने अपने घर की कुशल मंगल देने के बाद, अपर्णा की तबीयत के साथ साथ राहुल के बारे में भी पूछा। उनके पास अपने बेटे की कुछ खबर तो थी नहीं इसलिए उसके पूछने पर खामोश रही। उधर रोहन और प्रिया को तो ऐसा लगने लगा था जैसे वह अपनी ही बातों में खो गया हो, वे इस इंतज़ार में थे कि वह घर के बारे में बात करे। इससे पहले कि प्रिया बबलू से कुछ कहती, रोहन ने तुरंत उसे रोकते हुए कहा, ‘’रुको, अभी थोड़ी देर रुको, उसे थोड़ी देर बात तो करने दो।''
तभी बबलू ने अपर्णा से कहा, “आंटी, आप किरायेदार ढूंढ रही है ना, मेरा एक दोस्त है… रोहन…”। यह सुनकर, अपर्णा ने तुरंत सवाल किया, ''परिवार में कितने सदस्य है, बेटा?''
उसने ख़ामोशी से अपर्णा की बात को सुना और कहा, “रोहन और उसकी पत्नी प्रिया, सिर्फ दो लोग हैं। रोहन मेरा बहुत अच्छा दोस्त है, आप बिल्कुल भी चिंता ना करे, उनकी सारी ज़िम्मेदारी मेरी है”। इसके बाद उसने दो - तीन बार “हाँ” शब्द का इस्तेमाल किया और कॉल को काट दिया। जैसे ही उसने फोन को अपनी जेब में रखा, प्रिया ने तुरंत कहा, ‘’क्या कहा उन्होंने, बबलू भैया?''
दोनों बबलू से अपर्णा की “हाँ” या “ना” के बारे में सुनने को बेचैन थे। इधर उनके अंदर की बेचैनी, उनके चेहरे पर साफ़ नज़र आ रही थी, तो वहीं दूसरी तरफ अपर्णा रिसीवर रखकर, सुषमा और हरि के पास आ गई। इससे पहले वह कुछ कहती, सुषमा ने सवाल किया, ‘’क्या हुआ दीदी, किसका फ़ोन था?''
अपर्णा : (जवाब देते हुए) सुषमा, अब अगर कोई आये तो कह देना कि हमने किरायेदार रख लिया है। हमारी तलाश पूरी हुई!
सुषमा को यह सुनकर अच्छा तो लगा मगर उसके दिल में अभी भी यही सवाल था कि किरायेदार कौन होगा? वह जानती थी कि दीदी ने जिसे भी रखा होगा, वह अच्छा ही होगा, मगर जिस तरह अपर्णा सभी पर जल्दी से विश्वास कर लेती थीं, उसे लेकर वह थोड़ी चिंता में थी। उसने कहा, ‘’हमें कम से कम किरायेदार की पूछताछ तो करनी चाहिए… वह लोग कैसे है? उनका बैकग्राउंड क्या है?''
अपर्णा : (नार्मल अंदाज़ से) बबलू का दोस्त है। परिवार में सिर्फ दो ही सदस्य है। उनकी पूरी ज़िम्मेदारी बबलू ने ली है।
हरि : (तुरंत) दीदी बिल्कुल सही कह रही है। अब हमें परेशान होने की कोई ज़रुरत नहीं।
इधर यह बात सुनकर सुषमा संतुष्ट हो गई तो उधर बबलू ने अपने चेहरे को थोड़ा गंभीर बना लिया था। रोहन को तो ऐसा लग रहा था जैसे उनका काम ना बना हो। अब काम बना है या नहीं, वह तो बबलू ही बता सकता था। प्रिया से रहा नहीं गया, उसने तुरंत सवाल करते हुए कहा, ‘’बबलू भैया ख़ामोश रह कर आप सस्पेंस क्यों create कर रहे हो, बताओ ना, आंटी ने क्या कहा?''
रोहन : (बेचैनी के साथ) प्रिया बिल्कुल सही कह रही है, कुछ तो बोलो?
इधर बबलू की ख़ामोशी ने दोनों के चेहरे पर मायूसी ला दी तो उधर अपर्णा ने जिस तरह से सुषमा को सारी बात बताई, उसे सुनकर सुषमा को थोड़ी राहत मिली। वह बबलू के बारे में जानती थी, उसका मिजाज़ परिवार में सबसे मिलने जुलने वाला था। भले ही वह चंट माया की ससुराल का खास रिश्तेदार था मगर उसके अंदर माया जैसे एक भी गुण नहीं थे। सुषमा ने कहा, ‘’चलो, अच्छा है दीदी। अब हमारी थोड़ी आमदनी भी बढ़ जाएगी।''
अपर्णा ने मुस्कुराते हुए अपने सर को “हाँ” में हिला दिया। हरि और सुषमा भी खुश थे। उनके ऊपर जो अच्छे किरायेदार ढूंढ़ने की ज़िम्मेदारी थी, वह पूरी हो गई थी। अपर्णा ने कहा, ‘’सुषमा, ऊपर वाला कमरा बहुत दिनों से बंद पड़ा है, उसकी सफाई कर देना।''
सुषमा : (जवाब देते हुए) हाँ दीदी, आप बिल्कुल चिंता ना करें, हम उसे अच्छे से साफ कर देंगे।
यह कहकर वह हरि की साथ कमरे को साफ़ करने चली गयी। उधर प्रिया की बात को सुनकर बबलू ने अपने चेहरे को और ज़्यादा उदासी वाला बना लिया था, अब तो रोहन को विश्वास हो गया था कि उनका काम नहीं बना। उसने बड़ी ही उदासी के साथ प्रिया से कहा, ‘’बबलू को देख कर लगता है, आंटी ने मना कर दिया। कोई बात नहीं, हम दूसरी जगह देखेंगे।''
इस बात पर प्रिया भी उदास हो गयी, दोनों ने आस ही छोड़ दी। बबलू ने उनके उदास चेहरे की तरफ देखा तो ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा। बबलू को इस तरह हँसता देख दोनों को लगा कि वह उनका मज़ाक बना रहा है। रोहन ने कहा, ‘’हम लोग घर को लेकर चिंता में हैं और तुम्हें हंसी आ रही है।''
प्रिया: (थोड़ा नाराज़गी वाले अंदाज़ में) हम लोग परेशान है और आप खुश हो रहे,बबलू भैया। यह अच्छी बात नहीं है।
इन बातों को सुनकर बबलू की हंसी कम नहीं हुई बल्कि उसने बड़े ही उल्हास से कहा, “तुम्हारे दिल में जो आ रहा है, तुम बोले जा रहे हो, थोड़ा सब्र करो। रही बात किराये पर घर लेने की तो अपर्णा आंटी ने तुम्हें अपने किरायेदार के रूप में चुन लिया है”।
यह सुनते ही जितनी राहत रोहन को मिली, उतना ही सकून प्रिया के चेहरे पर भी नज़र आने लगा, दोनों की जान में जान आ गयी। बबलू की पॉजिटिव बातों ने दोनों के चेहरे पर मुस्कान ला दी थी। प्रिया ने बबलू से कहा, ‘’बबलू भैया, आपका यह एहसान हम कभी नहीं भूलेंगे।'
रोहन : (सहमत होते हुए) हाँ दोस्त, तुमने जो हमारे लिए किया, वह बहुत बड़ी बात है। तुम्हें कभी भी, कहीं भी मेरी जरूरत पड़े… आधी रात को भी मैं तुम्हारे तैयार रहूंगा।
बबलू ने एक ही दिन में दोनों मुश्किल कामों को सही से अंजाम दे दिया था, उसने एक अच्छा दोस्त होने कर फ़र्ज़ निभाया था। प्रिया ने खुश होते हुए कहा, ‘’आप लोग यहाँ बैठकर बातें करो, मैं चाय बनाकर लाती हूँ।''
यह सुनकर बबलू ने तुरंत चाय के लिए मना कर दिया। उसने उन्हें आगे कुछ बोलने ही नहीं दिया। उसने कहा, “अब मैं आपके हाथों की चाय नए घर में ही पिऊंगा। आप लोग जल्दी से सामान को पैक कर लो, मैं टेम्पो का बंदोबस्त करता हूँ”।
यह कहकर वह, वहां से चला गया। बबलू के जाने के बाद रोहन तुरंत प्रिया के पास आया और उसे अपनी बाहों में कस के पकड़ लिया। जिस तरह उनकी दोनों समस्याएं दूर हो गई थी, उससे वे बहुत खुश थे। तभी रोहन ने कहा, ‘’अब जिस घर में हम जा रहे है, बस वहां का मालिक अच्छा हो।''
प्रिया : (जवाब देते हुए) हमारा नया मालिक, बबलू भैया का रिश्तेदार है, जब बबलू भैया इतने हेल्पफुल है तो मालिक भी अच्छा ही होगा।
एक तरफ़ दोनों अपने नए मालिक यानी अपर्णा के बारे में अच्छा सोच रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ़ सुषमा और हरि कमरे में सफाई का ज़रूरी सामान लेकर पहुंच गए। जैसे ही हरि ने कमरे का दरवाज़ा खोला तो देखा, मकड़ी के जाले ही जाले थे। उसने तुरंत कहा, ‘’बीच बीच में अगर हम कमरे को साफ करते रहते तो इतने मकड़ी के जाले ना होते।''
यह कहकर हरि ने जैसे ही मकड़ी के जालों को हटाया तो उसके पीछे आ रही सुषमा ज़ोर से चिल्लाई। उसके चिल्लाने की आवाज़ सुनकर हरि चौंक गया।
उसके चिल्लाने की वजह क्या थी?
क्या अपर्णा का मिजाज़, रोहन और प्रिया के अनुसार होगा?
क्या रोहन और प्रिया, अपर्णा को पसंद आएंगे?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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