लूना जैसे ही पोर्टल के अंदर गई, उसे सामने एक शख़्स नज़र आया, वो शख़्स भी उसके क़रीब बढ़ रहा था। लूना को एक पल के लिए लगा कि वो दूसरी दुनिया के किसी शख़्स को अपने सामने देख रही है।
तभी उसका शरीर कम्पन करने लगा, वो झटके खा कर पोर्टल से बाहर आ गई।
लूना ने देखा, वो पोर्टल बंद हो रहा है, वो हड़बड़ाते हुए उठी और पोर्टल की तरफ़ भागते हुए बोली,
लूना: "नहीं... नहीं कृपया बंद मत होना..."
मगर जब तक लूना पोर्टल के करीब आई, वो बंद हो चुका था। "ये तो बंद हो गया.... अब क्या करूं... मैं फिर से नाकाम रही...." लूना ने झल्ला कर कहा, तभी उसे उस किताब का ख्याल आया, जिसे उसने लाइब्रेरी से लाया था। इधर दूसरी तरफ़ टैक्नोटोपिया में भी ठीक उसी वक्त झटका खा कर ओरायन पोर्टल से बाहर आ गया था और जब वो दुबारा पोर्टल के पास पहुंचा तब तक पोर्टल बंद हो चुका था, स्क्रीन पूरी तरह से खाली हो चुका था।
ओरायन: "ये क्या हो जाता है बार-बार... ये पोर्टल खुद खुलता है... और फिर खुद ही बंद हो जाता है.... मुझे इसके बारे में और पता करना होगा।"
ओरायन ने मन में निश्चय करते हुए कहा। ओरायन इसके बाद अपने बेडरूम में जाकर कुछ खोजने लगा। इधर दूसरी तरफ़ आर्केडिया में लूना रात के 8 बजे घर से निकली, तभी उसने अपनी जादूई दुनिया के ए.आई. को निकाला, जिसे लूना जल्दी इस्तेमाल नहीं करती थी, उसके उस जादुई ए.आई. का नाम क्रीना था। क्रीना एक अलग तरह की ए.आई. थी, जो लूना के छोटे से शीशे में थी, लूना ये समझ गई थी कि एलडर्स ने उसे जादू करने से मना किया है, इसलिए उसे अब क्रीना की मदद कभी भी पड़ सकती थी।
“क्रीना….जल्दी से जादूई खिड़की मेरे सामने लाओ…मुझे तारा के घर जाना है…” लूना ने आदेश देते हुए कहा, अगले ही पल क्रीना ने अपना कमाल दिखाया, लूना के सामने एक खिड़की हाज़िर हो गई। लूना जल्दी से खिड़की के दरवाज़े के अंदर गई, और सीधे तारा के घर के सामने निकली। तारा जो आंगन में टहल रही थी, लूना को सामने देखते ही हैरानी से कहा, "क्या हुआ लूना…तुम यहां?"
"वो..वो अनोखा दरवाज़ा.... फिर से खुला था तारा...." कहते हुए लूना ने पूरी बात, तारा को कह सुनाया।
तारा ने समझाते हुए कहा,
तारा: "देखो लूना... अब मुझे ऐसा लग रहा है कि ये सब बहुत खतरनाक है... तुम्हें भी अब इन सब के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए..."
लूना: "पागल हो गई हो तारा... इतना कुछ जानने के बाद मैं अब पीछे नहीं हटने वाली हूं...."
लूना ने कड़क आवाज़ में कहा। उसकी आँखों में जुनूनियत देखते हुए तारा ने चौंक कर पूछा, "तो फिर अब, क्या चल रहा है तुम्हारे दिमाग में?" अगले ही पल लूना ने बैग से लाइब्रेरी से लाई किताब को दिखाते हुए कहा,
लूना: "इस किताब को जिसने लिखा है... मैं उससे मिलना चाहती हूं.... मैं तुम्हें यही बताने आई हूं कि कल सुबह तैयार रहना…"
इतना कह कर लूना तारा की बात सुने बिना खिड़की के अंदर चली गई। तारा अपनी जगह पर ही चिल्लाती रह गई, "लूना...लूना... मेरी बात सुनो..." मगर तब तक लूना जा चुकी थी, तारा को समझ नहीं आ रहा था कि वो अब क्या करे। अगली सुबह करीब 8 बजे ही लूना तारा को लेकर घर के पिछले हिस्से में आते हुए कहा,
लूना: “तारा…मैं जादू का इस्तेमाल नहीं कर सकती….मगर तुम तो कर सकती हो…. जल्दी से तुम हम दोनों को शहर के आख़िरी हिस्से में पहुंचा दो…”
तारा: “मेरे पास इतनी शक्ति नहीं है कि हम दोनों वहां तक जा पाएं….”
तारा का जवाब सुनते ही लूना को कुछ समझ नहीं आने लगा, उसने काफ़ी देर सोचने के बाद अपने जादूई ए.आई. क्रीना से कहा, “क्या हम उस खिड़की से नहीं जा सकते…” “नहीं…उस खिड़की के जरिए आप 1 किमी के अंदर कहीं भी जा सकती हैं…उसके आगे नहीं…” क्रीना ने जवाब दिया। तभी लूना को आइडिया आया, उसने तारा से कहा, “तारा…तुम्हारे जन्मदिन पर जो उड़ने वाली साइकिल मिली थी…वो कहां है…हम उसी से जा सकते हैं…”
तारा को तभी याद आया कि उसके पास एक ऐसी साइकिल है, जिसे पैडल मारने पर साइकिल के पीछे पंख आ जाता है और साइकिल हवा में उड़ने लगती है। तारा और लूना उसी साइकिल पर बैठ कर आर्केडिया शहर के आख़िरी हिस्से की तरफ़ जाने लगी, वो इलाका काफ़ी सुनसान रहता था और वहां ज़्यादा घर नहीं थे।
लूना ने साइकिल में पैडल मारते हुए उत्साहित होकर कहा,
लूना: "तारा.... मैंने कल रात को पता किया है, इस किताब को लिखने वाला एक बहुत पुराना विद्वान है... वो ज़रूर कुछ न कुछ जानता होगा।”
थोड़ी ही देर में वो दोनों उड़ती हुई साइकिल से एक बड़े से घर के सामने पहुंच गए, जिसका आकार किताब की तरह था। उसका गेट भी किताब की तरह पुरानी बाइंडिंग जैसा था, जिसमें जादुई अक्षर और संकेत चमकते थे।
गेट से मुख्य दरवाज़े तक पत्थरों से बनी एक पतला रास्ता जाता था, जिसके दोनों ओर अजीबोगरीब पेड़-पौधे लगे थे, जिनमें कुछ पौधे रंग बदलते थे, कुछ फूल अंधेरे में तारों की तरह चमकते थे। रास्ते में उड़ती हुई चाबियाँ दिखाई दे रही थीं मानो कोई गुप्त ताला खोलने की कोशिश कर रहा हो। घर के चारों ओर जादू की हवा बहती थी, जो कभी-कभी ठहर सी जाती थी, जैसे समय यहीं रुक गया हो। इन सब के अलावा सबसे अद्भुत और कमाल का था, जादूगर का पालतू जानवर, जो हर कदम पर नया रूप लेता था, कभी वो एक छोटा खरगोश बन जाता था, तो कभी खूबसूरत पक्षी। दोनों थोड़ा घबराते हुए, जैसे ही दरवाज़े के पास आई, दरवाज़ा अपने आप खुल गया। तारा ने लूना का हाथ पकड़ लिया और फिर दोनों आगे बढ़ने लगी।
"किससे मिलना है आपको...." तभी पीछे से आवाज़ आई, दोनों ने मुड़ कर देखा तो सामने एक उड़ता हुआ झाड़ू था, जो उनसे बात कर रहा था।
तारा: "ये तो काफ़ी बड़े जादूगर हैं... इन्होंने अपने झाड़ू को भी इंसानों की तरह बात करना सीखा रखा है...."
तारा ने धीमी आवाज़ में कहा। लूना ने उसे शांत करते हुए सामने बोलते हुए झाड़ू से कहा,
लूना: "वो... मुझे क्रोनोस जी से बात करनी थी.... जिन्होंने इस किताब को लिखा है..."
“उनसे मिलने से पहले…तुम्हें तीन खेल खेलने होंगे…. अगर तुम पास हुई तब ही तुम्हें जादूगर क्रोनोस से मिलने का मौका मिलेगा…” बोलते हुए झाड़ू ने कहा, जिसके जवाब में लूना बोली, “कैसा खेल?”
“पहेली और दिमाग का खेल…....चलो बताओ,
हर पल हमारे साथ रहता, कुछ पूछो तो चुप है रहता।
रौशनी में बाहर आता, अंधेरा होते ही गुम हो जाता।”
लूना और तारा दोनों ही दिमाग लगाने लगे, काफ़ी सोचने के बाद लूना ने कहा,
लूना: “परछाई…. हमारी परछाई…”
“बहुत बढ़िया…अब दूसरा सवाल.... वो कौन है, जो इस दुनिया में सबसे तेज़ है, वो जब चाहे, दुनिया के किसी भी कोने में पहुंच सकता है, उसे न गाड़ी की ज़रूरत होती है ना किसी जादू की।” बोलते झाड़ू ने पूछा, इस बार तारा ने कहा, “हमारी दुनिया के सबसे पुराने जादूगर…”
“गलत…जवाब….एक और मौका देता हूं, अगर इस बार गलत हुआ तो फिर जादूगर से मिलने का सपना…सपना रह जायेगा।” बोलते हुए झाड़ू ने जवाब दिया।
लूना और तारा के माथे से पसीना आने लगा, दोनों सोचे जा रही थी। तभी अचानक से लूना ने कहा,
लूना: “हमारा मन…. ये बिना किसी गाड़ी के कहीं भी जा सकता है…इससे तेज़ कोई नहीं है…”
“बहुत खुब…वाकई तुम काफ़ी समझदार हो…जाओ इस दरवाज़े को खोल कर अंदर जाओ…” बोलते हुए झाड़ू ने कहा, जिसे सुनते ही तारा ने पूछा, “और तीसरा सवाल…” मगर तभी वो झाड़ू गायब हो गया, दोनों को समझ नहीं आया कि आखिर वहां क्या हो रहा है? दोनों कुछ सोचते हुए दरवाज़े के उस पार जैसे ही गई, तभी सामने उन्हें पांच मोम का पुतला दिखाई पड़ा, पांचों ने एक साथ कहा, “असली पुतले को पहचानो और जादूगर के मन की बात जानो…लड़की, तुम्हारे पास एक मिनट का वक्त है और यही तुम्हारा तीसरा खेल है….”
लूना और तारा एकदम से हड़बड़ा गए, उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था। लूना कोई भी गलत जवाब नहीं देना चाहती थी। आखिर के 10 सेकंड बचे थे। “लूना समय ख़त्म हो रहा है…” तारा ने परेशानी में कहा। लूना ने तभी देखा, सामने एक मोम के पुतले की परछाई दिखाई दे रही है और बाकी किसी की भी परछाई नहीं थी।
लूना बिना वक्त गवाएं, उस परछाई वाले पुतले को छूते हुए कहा, “ये है असली पुतला…”
जवाब के साथ ही सारे पुतले गायब हो गए, कमरे का पूरा दृश्य बदलने लगा। लूना ने जब कमरे में चारों तरफ़ देखा, उसकी आँखें खुली की खुली रह गई, क्योंकि ये कोई साधारण कमरा नहीं था, हर दीवार किसी जादुई किताब के पन्नों की तरह हर पल बदलती रही थी, दीवारों पर उकेरे गए अक्षर हवा में तैर रहे थे, जैसे किसी पुराने मंत्रों की किताब से निकले हों। वो कमरा बहुत ही छोटा था लेकिन इसमें एक अनंत गहराई महसूस हो रही थी। ऊपर छत की जगह एक खुला आसमान था, जिसमें असली तारे नहीं, बल्कि जादुई रोशनी के गोले तैर रहे थे। हर बार जब लूना और तारा ऊपर देखते तो तारे अलग-अलग रूप ले लेते, कभी एक जीवित प्राणी बनते, कभी एक नक्शा और कभी अजीबोगरीब आकार में ढल जाते।
तभी सामने से एक बूढ़ा आदमी निकलकर आया, उसकी दाढ़ी पूरी तरह से सफ़ेद हो चुकी थी, चेहरा लटक गया था। क्रोनोस का चेहरा देख, दोनों लड़कियां थोड़ी घबरा गई।
क्रोनोस ने अपना जादू इस्तेमाल कर एक 40 साल के आदमी में बदलते हुए कहा, “यह कमरा मेरी सोच और मेरे जादू का अक्स है, यहाँ जो तुम देख रही हो, वह तुम्हारी कल्पना का परिणाम है। अब बताओ, तुमने कौन से सवालों के जवाब पाने का इरादा किया है?”
लूना इसके बाद पोर्टल के बारे में सब कुछ बताने लगी, पूरी बात सुनने के बाद क्रोनोस ने सोचते हुए कहा, "तो तुम कह रही हो कि आर्केडिया के बाहर कुछ है?"
लूना: "जी.... और आपने अपनी इस किताब में भी ऐसे ही किसी दरवाज़े का ज़िक्र किया है.... तो मैं ये जानना चाहती थी कि आप और क्या जानते हैं?"
लूना ने उस किताब को दिखाते हुए कहा। क्रोनोस ने अपनी किताब देखते हुए थोड़ा इमोशनल होकर कहा, "इस किताब को मैंने सालों पहले लिखा था...ये मेरे दिल के बहुत क़रीब है..." "तो क्या आपने भी उस दरवाज़े को देखा है...." लूना के ये कहते ही क्रोनोस जोर जोर से हंस पड़े। तभी क्रोनोस ने कहा, "ये सब तो बस कहानियां हैं बेटी.... सालों पहले मैंने बस एक काल्पनिक कहानी लिखी थी...."
लूना ने जैसे ही ये सुना, उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। उसने हड़बड़ाते हुए पूछा,
लूना: "इसका मतलब है कि किताब में जो कुछ भी लिखा है, वो मात्र एक काल्पनिक कहानी है...."
क्रोनोस ने हां में सिर हिलाया, वो कुछ कहने ही वाले थे कि तभी लूना अचानक से ब्लैंक हो गई। तारा ने जैसे ही ये देखा, उसने लूना को हिलाते हुए कहा, "लूना, अब नहीं...ये सही वक्त नहीं है...." तारा की बात सुनते ही लूना ने हड़बड़ा कर जवाब दिया, "हां... मैं सुन रही हूं... मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि मैं जिस उम्मीद से आपके पास आई थी, वो उम्मीद पूरी तरह से आप तोड़ देंगे..."
"बेटी!!...मुझे लगता है कि तुम्हें कोई भ्रम हुआ होगा...." क्रोनोस आगे कहते इससे पहले ही लूना ने कहा, "नहीं...ये कोई भ्रम नहीं है, कोई मेरी बात समझता क्यों नहीं?"
कहते हुए लूना चिढ़ कर क्रोनोस के घर से जाने लगी, तभी क्रोनोस ने रोकते हुए कहा, “लूना…अगर तुम्हारी कल्पना में वो द्वार है…तो वो सच भी हो सकता है और उस द्वार के पार ऐसा कोई है, जो तुम्हारी तरह ही सोच रखता है…ये राह बहुत खतरनाक हो सकती है…” इतना कहने के बाद क्रोनोस ने लूना को एक जादूई लॉकेट देते हुए कहा, “इसकी मदद से तुम अपना भेष बदल सकती हो, इसे अपने पास रखो…ये तुम्हारे काम आएगा…”
लूना क्रोनोस के घर से निकलने के बाद, आर्केडिया के और कुछ विद्वान के पास गई, मगर हर कोई यही कह रहा था कि लूना का ये भ्रम था और कुछ नहीं। पूरा दिन चारों तरफ़ शहर में भटकने के बाद, आखिरकार लूना और तारा एक पेड़ के पास आकर रुके।
तारा ने लूना को समझाते हुए कहा,
तारा: "लूना, एलडर्स ने मना किया है उसके बाद भी तुम अपनी ज़िद छोड़ने के नाम नहीं ले रही हो...और तुमने देखा न, यहाँ कोई तुम्हें गंभीरता से नहीं ले रहा।”
लूना: "मुझे पता है मैंने क्या देखा है और मुझे इसे साबित करना है, चाहे कुछ भी हो जाए।”
लूना ने बेबाकी से जवाब दिया, तारा पूरी तरह से झल्लाते हुए बिगड़ कर कहा,
तारा: "बस.... बहुत हुआ... मैंने तुम्हारी बात मानी मगर अब तुम मेरी बात मानोगी…...अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी तो मैं तुमसे दोबारा कभी बात नहीं करूंगी...."
लूना: "तारा तुम हमारी दोस्ती को बीच में ला रही हो......."
लूना ने आँखें बड़ी करते हुए कहा। मगर तारा ने फ़ैसला कर लिया था। उसने सख़्ती से कहा, "तुम्हें जो समझना है समझो... लेकिन अब तुम्हें बताना होगा कि तुम मेरे साथ घर चलोगी या अब अपनी ज़िद पूरी करने के लिए दोबारा किसी विद्वान के पास जाओगी...." लूना पूरी तरह से मजबूर हो गई थी, वो जानती थी कि उसके पास एक तारा ही थी, जो हर वक्त उसकी मदद करती थी।
लूना और तारा इतना थक गए थे कि साइकिल में पैडल मारने की हिम्मत नहीं बची थी, इसलिए वो पैदल ही चल रहे थे। तभी उनके कानों में एक लड़की की आवाज़ पड़ी, "और लूना... दूसरी दुनिया का दरवाज़ा मिला कि नहीं...."
ये सुनते ही लूना और तारा ने जैसे ही सामने देखा, वहां उसी की उम्र की कुछ लड़कियां लूना को देख कर हंस रही थी। "मिलेगा तब न...जब ऐसा कुछ होगा....लूना तो पागल हो गई है... वो एक छोटी जादूगरनी जो है...." दूसरी लड़की ने मजाक बना कर कहा।
लूना ये सब सुन कर हैरान थी, वो कुछ कहती इससे पहले ही तारा उन सभी को आँख दिखाते हुए लूना को अपने साथ ले जाने लगी। लूना ने तारा से पूछा,
लूना: "इनको ये सब कैसे पता चला तारा?"
तारा: "तुम जिस तरह आज पूरे दिन शहर में भटक रही थी... उससे ये बात इन तक पहुँच गई.... इसलिए कह रही हूं... तुम्हारे मां-बाबा तक ये बात पहुंचे इससे पहले ही तुम सब कुछ भूल जाओ और नॉर्मल हो जाओ।"
लूना इस पर कोई जवाब नहीं दे पाई। लूना रात के क़रीब 10 बजे एकाएक ही उठ बैठी, वो पानी पीने के लिए अपने कमरे से निकल कर किचन की ओर जा ही रही थी कि तभी अचानक उसे सामने स्टोर रूम दिखा, आज से पहले उसने स्टोर रूम को कई बार देखा, मगर आज उसे एक पल के लिए ऐसा लगा जैसे स्टोर रूम के अंदर उसे जाना चाहिए।
लूना: "ये पहले दादी का कमरा हुआ करता था... आज तक कभी मैंने इसके अंदर जाकर देखा नहीं है..."
कहते हुए लूना स्टोर रूम के अंदर पहुंच गई। उसके सामने ढेर सारी मोटी मोटी किताबों का ढेर रखा हुआ था।
लूना: "इतनी सारी किताबें... क्या यहां मुझे कुछ मिल सकता है... एक बार कोशिश करना चाहिए...."
इतना कहने के बाद लूना एक एक करके उन किताबों के पन्ने पलटने लगी।
करीब दस किताब देख लेने के बाद अचानक से ग्यारवें किताब के बीच में लूना ने कुछ ऐसा देखा, जिसे देखते ही लूना हैरान हो गई।
उसने हड़बड़ाते हुए कहा,
लूना: “मु…मुझे…तारा को दिखाना होगा….”
क्या हुआ आगे? जानने के लिए पढ़ते रहिए
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