अनिका कैफ़े से तेज़ी से बाहर निकली पर उसके कदम खुद-ब-खुद धीमे होते जा रहे थे। उसके दिमाग में सवालों का तूफान उमड़ रहा था। हर कदम के साथ उसकी सोच और उलझती जा रही थी। कैफ़े के उस छोटे से वक़्त ने उसके मन में इतने सवाल भर दिए थे कि वो किसी भी चीज़ पर ध्यान नहीं लगा पा रही थी। सड़क पर चलती गाड़ियां, उनके हॉर्न कुछ भी अनिका को सुनाई नहीं दे रहा था। कईं बार तो अनिका गाड़ी से टकराने से भी बची, लेकिन अनिका को इन सब चीजों से कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था। मीरा के साथ जो कुछ उसने देखा था, वो उसकी आँखों के सामने बार-बार घूम रहा था।
अनिका(खुद से)- क्या वो सच में अर्जुन था?
वो शक्ल, वो मुस्कुराहट, वो नज़रें—सब कुछ अमन जैसा था। अनिका को समझ ही नहीं आ रहा था कि जो उसने देखा वो क्या था कोई छलावा या असलियत? उसकी आँखों ने बस एक धोखा खाया था या वाकई कुछ बड़ा खेल चल रहा था? अनिका के दिमाग में बस एक ही सवाल दौड़ रहा था, उसने रुककर खुद से वहीं सवाल दोहराया
अनिका- मीरा को गले लगाने वाला वो लड़का कौन था, और क्यों उसकी शक्ल अमन से इतनी मिलती थी? क्या अमन मुझे और मीरा दोनों को धोखा दे रहा है, इतने दिनों से मीरा जो बात कह रही थी क्या वो सच है? क्या मीरा भी उसके साथ इस खेल में.... नहीं, नहीं, ये कुछ अलग है। कुछ बहुत उलझा हुआ और शायद घिनौना भी।
अनिका धीरे-धीरे रास्ते पर आगे बढ़ रही थी, लेकिन हर मोड़ पर उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसका दिल किसी अनजानी दिशा में भाग रहा हो। उसे अपना रास्ता नहीं समझ आ रहा था। हर सवाल उसके दिल की धड़कनों को तेज़ कर रहा था। अचानक उसकी नज़र नदी की ओर जाने वाले रास्ते पर पड़ी। वो रास्ता, जो हमेशा से उसे सुकून देता था, क्योंकि इसी रास्ते को पार कर अनिका अमन से मिलने जाती थी। अनिका ने बिना सोचे-समझे अपने कदम रास्ते की दिशा में मोड़ लिए। अनिका ने अपने बैग से फोन निकाला और उसकी स्क्रीन पर अमन का नंबर लाते हुए कहा
अनिका- क्या मुझे अमन को कॉल करना चाहिए? अब भी...
अनिका ने इस बारे में बहुत सोचा लेकिन फिर अपना फोन बैग में वापस रखकर आगे बढ़ने लगी। नदी के पास पहुँचते ही ठंडी हवा ने उसके चेहरे को छू लिया। हवा के हल्के झोंके जैसे उसके उलझे विचारों को शांत करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उसका दिमाग अभी भी सवालों में उलझा हुआ था। वो किनारे पर बैठ गई और पानी की लहरों को देखने लगी। लहरें उसकी बेचैनी की तरह बार-बार किनारे से टकरा रही थीं, फिर वापस जाकर खो जाती थीं। जैसे उसके दिल में भी कुछ था, जो बार-बार बाहर आने की कोशिश कर रहा था, लेकिन हर बार गहरे अंधेरे में कहीं खो जाता था। अनिका की नज़रों के सामने एक बार मीरा का हँसता हुआ चेहरा आया जब उसने मज़ाक में अनिका से कहा था कि
मीरा- हम दोनों की पसंद इतनी मिलती है कि कहीं ऐसा ना हो, हमें एक ही लड़के से प्यार हो जाए। सोच तब किसी एक को कुर्बानी देनी होगी। जैसे फिल्मों में दिखाते हैं।
अनिका ने मीरा की बात पर हँसते हुए कहा
अनिका- नहीं कुर्बानी क्यों? क्या पता हमें कोई ऐसा लड़का मिले जो छिपते-छिपाते हम दोनों को ही डेट करे और फिर एक दिन हम दोनों एक दूसरे के सामने ही उससे मिले. तबका नजारा अच्छा होगा, हैना.....
अनिका की बात पर मीरा ने ज़ोर-ज़ोर से हँसना शुरु कर दिया, अनिका के कानों में आज भी मीरा की वही हंसी, वहीं मज़ाक फिर से गूंजने लगा। कुछ पलों के लिए अनिका के चेहरे पर एक मुस्कान आई लेकिन फिर आज की बात याद करते हुए अनिका ने कहा
अनिका- क्या हमारा मज़ाक सच साबित हो गया? क्या अमन ने हम दोनों को धोखा दिया, क्या है उसका असली नाम? मैं जिन चीजों की बिना पर अमन को औरों से अलग समझती थी, क्या वो बस दिखावा था।
अनिका खुद को याद दिलाने की कोशिश की कि अमन औरों से कितना अलग था। वो हमेशा अपने बारे में अजीब रहस्यमयी बातें करता था। उसके पास किसी सवाल का सीधा जवाब नहीं होता था। अनिका को वो दिन याद आया जब उसने अमन से उसके परिवार के बारे में पूछा था। वो जानना चाहती थी कि उसका अतीत क्या था, उसका घर कहाँ था, लेकिन अमन ने हमेशा की तरह उसे कोई साफ़ जवाब नहीं दिया था। उसने सिर्फ एक शायरी सुनाई थी—एक शायरी, जिसे अनिका ने तब सिर्फ़ एक मज़ाक समझा था।
अमन- "मैं मुसाफ़िर हूँ, मेरा कोई ठिकाना नहीं, मंज़िल की तलाश है, पर वहाँ पहुंचकर भी सफ़र खत्म होगा नहीं।"
तब अनिका ने हँसते हुए अमन से कहा था
अनिका- लेकिन एक दिन तुम्हें ठिकाना मिल ही जाएगा। अब तुम मेरी शरण में जो आ गए हो, उस मंज़िल के बाद तुम्हें शायद ही किसी मंज़िल की ज़रूरत हो..
अमन ने अनिका की बात सुनकर उसकी ओर गहराई से देखा फिर हल्का मुसकुराते हुए कहा
अमन- सही कहा तुमने, तुमसे मिलने के बाद, मुझे लगता है कि मुझे कहीं और जाने की ज़रूरत नहीं होगी, क्योंकि तुम तक पहुँचने के बाद मेरा मकसद पूरा हो जाएगा, मैं जिस चीज की तलाश में भटक रहा हूँ,वो मुझे मिल जाएगी।
अनिका(हैरान)- ऐसी क्या चीज़ है
अमन- एक घर.... सुकून....बेशुमार वक्त... और तुम...
अमन का जवाब सुनकर उस पल में अनिका को लगा था कि वो अमन को समझने लगी है। उसकी बातें रहस्यमयी थीं, लेकिन उनके पीछे एक सच्चाई छिपी थी। उसने उस वक्त अमन की आँखों में एक सच्चाई देखी थी, एक ईमानदारी जो किसी मुसाफ़िर के दिल में होती है जब उसे अचानक किसी ठिकाने की आस हो। अनिका ने उस दिन की बात सोचते हुए खुद से कहा
अनिका- वो तो ऐसा बिल्कुल नहीं था, उसका स्टाइल भी बिल्कुल अलग है।
नदी की लहरें अनिका के भीतर उठते सवालों की तरह बार-बार किनारे से टकरा रही थीं। हर लहर उसके भीतर कुछ कहने की कोशिश कर रही थी, लेकिन वो समझ नहीं पा रही थी। अनिका ने अपनी आँखें बंद कर लीं और गहरी सांस ली। वो हर सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश कर रही थी, पर हर बार वो सवाल और भी उलझते जा रहे थे। अनिका ने अपनी आँखें खोली और खुद से कहा
अनिका- मुझे अमन से मिलना होगा, कैसे भी।
अनिका अभी इन सभ बातों के बारे में सोच ही रही थी कि तभी उसके फोन पर किसी का कॉल आया। अनिका ने बैग से फोन निकालकर देखा तो स्क्रीन पर ज्योति का नंबर आ रहा था, अनिका ज्योति का कॉल देखकर हैरान रह गई। अनिका ने तुरंत फोन उठाकर कहा
अनिका- हैलो, हाँ, ज्योति।
दूसरी तरफ से ज्योति ने चिंता जताते हुए कहा - हाय अनिका, तुम और मीरा आज कॉलेज नहीं आए। क्या सब ठीक है?
अनिका- हाँ, सब ठीक है। पर तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो? क्या हुआ?
अनिका के सवाल पर ज्योति ने हिचकिचाते हुए कहा आज कॉलेज में पुलिस आई थी। कल जिस लड़के के सूसाइड करने की खबर आई थी, उसी के केस के सिलसिले में। मुझे बस तुम्हारी फिक्र हो रही थी कि कहीं तुम उस इन्सिडन्ट से घबरा तो नहीं गई।
ज्योति की बात सुनने के बाद अनिका ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,
अनिका- ज्योति, मैं ठीक हूँ, बस एक ज़रूरी काम था इसलिए नहीं आ पाई। फिक्र मत करो। कल हम लोग आएंगे। अच्छा अब मैं रखती हूँ।
ज्योति ने और कुछ पूछने की कोशिश की, लेकिन अनिका ने जल्दी से फोन काट दिया। उसने फोन नीचे रखा, लेकिन तभी उसे कुछ याद आया। कुछ ऐसा जो उसने पहले अनदेखा कर दिया था। अनिका ने पुलिस की बात याद करते हुए कहा
अनिका- पुलिस ने बताया था कि उसके घर से बहुत सारा कैटफूड मिला। कल मीरा को जैक मिला, उसके दिमाग में भी यही सवाल आया था। अगर उस लड़के ने जैक को उठाया था तो वो घर तक पहुँच गया। कुछ तो मिसिंग है।
ये बात उसके दिमाग में गूंजने लगी। अनिका का माथा सिकुड़ गया। चीज़ें एक साथ जुड़ने लगी थीं, उसने बिना समय गवांए फैसला किया। वो तेज़ कदमों के साथ नदी के पास से सड़क पर आई। जल्द ही सड़क पर एक ऑटो वाले से कहा,
अनिका- "भैया, इंदिरा गांधी गर्ल्स कॉलेज चलो...
जैसे-जैसे ऑटो आगे बढ़ रहा था, उसके दिमाग में सवालों की आंधी चल रही थी। अनिका ने ऑटो को कॉलेज से कुछ दूरी पर बने मेडिकल स्टोर के पास रुकवाया। अनिका तेजी से उतरी और सीधा स्टोर के अंदर चली गई। काउंटर पर स्टोर का मालिक था। जो अपने सिर पर आइस पैक रखे बैठा था। अनिका ने उसे हैरानी से देखा, अनिका कुछ कहती उससे पहले मालिक ने उसकी ओर देखा और कहा .. क्या चाहिए? बताओ?
अनिका ने इधर-उधर स्टोर में काम कर रहे लोगों को देखा और फिर बहुत हिम्मत करके कहा
अनिका- मैं यहाँ पास वाले गर्ल्स कॉलेज में पढ़ती हूँ। मुझे आपसे कुछ पूछना था, वो लड़का जिसने सूसाइड किया वो यहीं काम करता था?
अनिका के सवाल पर मालिक ने उसे घूरते हुए देखा और फिर उंगली से घड़ी की तरफ इशारा करते हुए गुस्से से कहा ..सुबह से, यहाँ कस्टमर से ज्यादा पंचायत करने वाले लोग आ रहे हैं। उस कमीने के बारे में पूछने.. पुलिस को भी बता-बता कर थक गया हूँ। मीडिया वाले भी जान खा गए हैं, पता है 10 सिर दर्द की गोली खा चुका हूँ, लेकिन आराम नहीं हो रहा। उस हरमज़ादे को नौकरी देनी ही नहीं चाहिए थी। तुम भी उसके बारे में पूछने आई हो? क्यों जानना है?
स्टोर मालिक को गुस्सा होते देख अनिका थोड़ी घबरा गई। उसने फिर एक मुस्कान के साथ कहा
अनिका- प्लीज आप शांत हो जाईए। मैं बस उसके बारे में एक बात जानना चाहती थी। आपको पता है, वो कहाँ रहता था?
मालिक ने अनिका को देखा और फिर एक गहरी सांस छोड़कर कहा : यहीं पास में एक गली है, उसी में रहता था। मेरे रिश्तेदार के यहाँ ही कमरा दिलाया था मैंने उस, पर उसने 6 महीने से किराया नहीं दिया। दिया होता तो मैं उसे निकाल देता, हरामी था एक नंबर का। पर तुम ये सब क्यों पूछ रही हो? वहाँ मत जाना, पुलिस ने डेरा डाल रखा है वहाँ। बस ये ही सवाल था?
अनिका- नहीं, मतलब हाँ। लेकिन मैं घर पर नहीं जाऊँगी, मैं तो बस जानना चाहती हूँ कि वो कैसा था, क्या कुछ अजीब किया था उसने पिछले दिनों में?
स्टोर मालिक ने अनिका पर अपनी नजरें गड़ाए रखी, फिर दवाई के एक पत्ते से एक गोली हाथ में ली और उसे पानी के साथ गटक गया। फिर अनिका की तरफ देखकर बोला .. 11, अब 11 गोलियां हो गई हैं। तुम सुबह से 11वीं शख्स हो जो उसके बारे में पूछने आया है। खैर तुम्हारा सवाल… कुछ दिनों से नहीं, वो अजीब ही था। सनकी था, मैं मजबूर था, उसे निकाल नहीं सकता था। हाँ, लेकिन काम में होशियार था, उसके पास एक कैमरा था, जिसकी कहानी तुम्हें पता चल ही गई होगी। हाँ, लेकिन कुछ दिनों पहले वो एक बिल्ली को यहाँ लेकर आया था, उसने कैट फूड भी लिया था, यहीं से, उसी बात पर हमारा झगड़ा हुआ।
अनिका- हाँ, पुलिस ने बताया था कि वो कैट फूड मिला उसके घर से। क्या जब पुलिस जांच के लिए आई थी, तब बिल्ली भी वहीं थी।
मालिक ने मुँह बनाते हुए कहा .. तुम बिल्ली के बारे में पूछने आई हो, खैर...नहीं वो नहीं थी वहाँ। क्योंकि जिसकी थी वो ले गया था.. मालिक का जवाब सुनकर अनिका चौंक गई। उसने हैरान होते हुए पूछा
अनिका- मतलब? कौन ले गया?
मालिक ने कहा ,"अरे था एक लड़का, वो भी पागल सा था। जिस दिन वो राकेश ने सूसाइड किया उसी की दोपहर वो आया था। मैं भी उस बिल्ली से चिढ़ रहा था तो मैंने अपने रिश्तेदार को कहकर राकेश का कमरा खुलवा दिया और वो लड़का बिल्ली ले गया।"
अनिका- क्या? ये कैसे हो सकता है?
मालिक वैसे ही इरिटेटेड बैठा था, अनिका की बातों से और गुस्से में आकर बोला चलो बहुत हुए सवाल । अब जाओ यहाँ से .. मालिक ने अनिका को टका सा जवाब देकर बाहर निकलने का इशारा किया, वहीं अनिका के मन में सवाल अब भी शांत नहीं हुए थे। अनिका ने एक बार फिर मालिक को छेड़ते हुए कहा
अनिका- आखिरी सवाल, क्या वो लड़का किसी विंटेज बाइक पर आया था?
स्टोर मालिक ने याद करते हुए कहा .. नहीं, बाइक नहीं थी। बल्कि गाड़ी थी, बड़ी सी गाड़ी। काले रंग की। स्टोर मालिक की बातें सुनकर अनिका भीतर तक हिल गई थी। उसे जितना शक हो रहा था, उससे कहीं ज़्यादा उलझनें अब सामने थीं।
अनिका- बड़ी गाड़ी??? आज अर्जुन तो बाइक से आया था। अमन हमेशा पैदल आता है। या फिर किसी कैब से...
इन सवालों ने उसके मन में एक तूफ़ान खड़ा कर दिया था। वो चुपचाप मेडिकल स्टोर से बाहर निकल आई। उसके दिल और दिमाग के बीच जंग छिड़ी हुई थी। क्या मीरा का बॉयफ्रेंड अर्जुन और उसका अपना बॉयफ्रेंड अमन एक ही शख्स हो सकता है? इस ख्याल ने पहले ही उसकी नींद उड़ा दी थी, लेकिन अब उसके सामने एक नया ही सवाल आकर खड़ा हो गया था। अनिका ने सड़क से एक ऑटो लिया और आखिरकार, वो अपने घर पहुंची। दरवाज़ा खोलते ही सीधे अपने कमरे की तरफ बढ़ी। कमरे में घुसते ही उसने अपना फोन निकाला और देखा कि मीरा के कई मिस्ड कॉल्स थे। फोन की स्क्रीन बार-बार चमक रही थी, लेकिन ऐसा लग रहा था मानो अनिका के हाथ में अब फोन उठाने की भी ताकत नहीं थी, अनिका ने उसे नजरअंदाज कर दिया।
अनिका(खुद से)- अभी बात नहीं करूंगी मीरा से, आज बहुत दिनों बाद वो खुश दिखी थी।
अनिका इसी ख्याल के साथ बिस्तर पर लेट गई, लेकिन नींद उसकी आँखों कोसों दूर थी। उसने एक गहरी सांस ली और अपनी डायरी की तरफ देखा। कुछ पल के लिए उसे समझ नहीं आया कि कहां से शुरू करे, फिर अचानक पेन उठाकर उसने डायरी के पन्नों पर लिखना शुरू किया,
अनिका- कहीं न कहीं कुछ तो ग़लत है। हर बात, हर इशारा मुझे उसी तरफ ले जा रहा है। क्या मैंने अमन को ठीक से जाना ही नहीं? क्या है ये सब? और अगर ये सब सच है तो ऐसा मेरे साथ ही क्यों हुआ?
ये बात लिखते-लिखते उसकी आंखों में आंसू आ गए, लेकिन उसने खुद को संभाला।
क्या अनिका मीरा को सच बता पाएगी? क्या अमन और अर्जुन दो अलग-अलग शख्स हैं?
उस आदमी को अर्जुन ने मारा या सच में उसने की थी आत्महत्या?
जानने के लिए पढ़ें अगला चैप्टर
No reviews available for this chapter.