अर्जुन खामोश था, लेकिन वह ध्रुवी की नाराजगी और गुस्से को समझ पा रहा था। ध्रुवी की ओर से किसी भी तरह की प्रतिक्रिया न मिलने पर, वह खुद ही उसकी ओर बढ़ गया।
अर्जुन (ध्रुवी से कुछ कदम दूर रुककर): क्या हुआ है आपको? ऐसे क्यों बैठी हैं?
ध्रुवी (जलती नजरों से अर्जुन की ओर पलटते हुए): ओह रियली मिस्टर अर्जुन, आपको वाकई नहीं पता कि मैं यहां बैठकर किस चीज़ का शौक मना रही हूँ, और क्यों मेरा दिल जल रहा है? (गुस्से भरी नजरों से अर्जुन की ओर देखकर) यू नो व्हाट मिस्टर अर्जुन, मेरी सारी परेशानियों, दुखों और तकलीफ़ों की एकमात्र वजह हो तुम। मेरी ज़िंदगी में जो कुछ भी गलत हो रहा है, उसके ज़िम्मेदार सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम हो अर्जुन, सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम। और जो कुछ भी तुमने मेरे साथ किया है, उसे मैं कभी नहीं भूलूँगी, और ना ही उसके लिए तुम्हें कभी माफ़ करूँगी, अपनी आखिरी साँस तक भी, यह बात याद रखना। (एक पल रुककर) तुम अपना जो भी काम मुझसे करवाना चाहते हो, वह मैं मजबूरी के तहत ज़रूर करूँगी, लेकिन उससे ज़्यादा मुझसे किसी भी चीज़ की, या किसी भी तरह की, कोई उम्मीद मत रखना, और ना ही मेरे सामने यह झूठी परवाह, या अपने अच्छे होने का नाटक दिखाना। क्योंकि तुम्हारी असलियत और सख्त दिली से मैं अच्छे से वाकिफ़ हो चुकी हूँ। तुम सिर्फ़ अपने काम से मतलब रखते हो, जो कि फ़ॉर श्योर मैं ज़रूर पूरा करूँगी। बाकी इससे अलग तुम्हारा मेरी लाइफ़ में किसी भी तरह का कोई इंटरफ़ेयर नहीं रहेगा। नाउ लीव मी अलोन!
अर्जुन ने ध्रुवी की बात सुनी। वह खामोशी से ध्रुवी की बात सुनता रहा। ध्रुवी की बातें सुनकर, या उसका गुस्सा देखकर भी, अर्जुन के चेहरे के भाव सामान्य ही बने रहे। अब इसकी क्या वजह थी, या वह क्यों ध्रुवी के गुस्से पर कोई रिएक्ट नहीं कर रहा था, यह तो वही बेहतर जानता था। शायद वह इस वक़्त ध्रुवी की मनोस्थिति और उसके जज़्बातों को भली-भांति समझ पा रहा था। इसीलिए वह उसके उमड़ते जज़्बातों और इमोशंस की खिलाफ़त नहीं कर रहा था। ध्रुवी गुस्से से बिना रुके बोलती जा रही थी, और अर्जुन खामोशी से खड़ा सुन रहा था।
इस बीच अर्जुन ने एक लफ़्ज़ भी नहीं कहा। कुछ पल बाद जब ध्रुवी खामोश हुई, तो अर्जुन ने अपनी नज़रें उस पर से हटाईं और टेबल पर रखे खाने की ओर देखा। खाने को देखकर साफ़ मालूम पड़ रहा था कि ध्रुवी ने खाने या नाश्ते को हाथ तक नहीं लगाया था। अर्जुन ने एक नज़र खाने को देखते हुए, अगले ही पल अपनी नज़र वापस ध्रुवी की ओर घुमा ली और बिना कुछ बोले, अपने कदम सोफ़े के सामने पड़े बेड की ओर बढ़ा दिए। अपनी एक टाँग पर दूसरी टाँग रखकर, अर्जुन अपने शाही अंदाज़ में बेड पर बैठ गया। उसने एक गहरी साँस लेते हुए, गंभीरता भरे लहजे में अपनी चुप्पी तोड़ी।
अर्जुन (गंभीर भाव से): आप हमारे बारे में क्या सोचती हैं, और क्या नहीं, इससे हमें कोई फ़र्क नहीं पड़ता। क्योंकि हम अच्छे से जानते हैं कि इस वक़्त हम चाहे आपको कितना भी समझाने की कोशिश करें, या अपनी बात रखने की कोशिश करें, हम चाहे जो भी करें, हम रहेंगे आपकी नज़रों में गलत ही। तो हमारे कुछ भी कहने या करने का कोई फ़ायदा ही नहीं है। (एक पल रुककर खाने की ओर देखते हुए) और अगर आपको लगता है कि यूँ खाना-पीना त्यागकर आप कुछ हासिल कर पाएंगी, या हमें इमोशनल ब्लैकमेल कर पाएंगी, तो यह महज़ आपकी एक बहुत बड़ी गलतफ़हमी है, क्योंकि हमें इन सारी बातों से कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला।
ध्रुवी (गुस्से भरे भाव से): जानती हूँ मैं कि तुम्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला, कोई मर भी जाए तब भी नहीं। क्योंकि तुम एक बहुत बुरे इंसान हो, पत्थर का दिल है तुम्हारा। किसी के जज़्बात, किसी की भावनाओं, और किसी की फ़ीलिंग्स की कोई क़द्र नहीं है तुम्हारे मन में। यू आर टोटली हार्टलेस!
अर्जुन (बिना किसी भाव के): आप हमारे बारे में जो भी सोचना चाहती हैं, सोच सकती हैं। आपको हमारे मुतल्लिक जो भी राय बनानी है, बना लीजिए। हमें कोई परवाह नहीं। हमें सिर्फ़ इतना पता है कि जो हम आपसे कराना चाहते हैं, और जिस मक़सद के लिए हम आपको यहाँ लाए हैं, वह हम आपसे हर कीमत पर पूरा कराकर रहेंगे, फिर चाहे उसके लिए हमें किसी भी हद तक जाना पड़े। और यह बात (एक पल रुककर) यह बात हम आपसे कई मर्तबा कह चुके हैं। और अगर आपको लगता है कि ऐसी बचकानी हरकतें करके, या फिर कुछ भी ऐसा-वैसा करके आप हमारे मन को बदल सकती हैं, तो यह आपकी सबसे बड़ी भूल है। क्योंकि हम अपनी बातों से पीछे हटने वालों में से बिल्कुल नहीं हैं!
अर्जुन की बात सुनकर ध्रुवी ने बेरुखी से अपना मुँह मोड़ लिया। हालाँकि उसके चेहरे की उदासी और दुख अर्जुन की आँखों से भी नहीं छुप पाया था।
अर्जुन (एक गहरी साँस लेकर): देखिए ध्रुवी, हम जानते हैं कि आपके लिए यह करना बहुत मुश्किल है, लेकिन यक़ीनन नामुमकिन भी तो नहीं है ना? और फिर आप यह क्यों नहीं सोचती हैं कि जितनी जल्दी आप अपने काम को ख़त्म कर पाएंगी, उतनी ही जल्दी आप अपने आर्यन से भी मिल पाएंगी। तो अब यह बात हमसे ज़्यादा आप पर निर्भर है कि आप कितनी जल्दी खुद को अनाया के साँचे में ढाल पाती हैं, और कैसे जल्द से जल्द उनकी जगह ले पाती हैं। जितनी जल्दी आप यह सब करने में कामयाब रहेंगी, उतनी ही जल्दी आप यहाँ से छुटकारा पाने में भी कामयाब रहेंगी। और इसके विपरीत ठीक ऐसे ही, जितना वक़्त आपको इन चीज़ों को समझने और अपनाने में लगेगा, उतना ही वक़्त आपको यहाँ से जाने में भी लगेगा। तो अब आप सोच लीजिये कि आपको अपना काम पूरा करके यहाँ से जल्द से जल्द जाना है, या फिर खुद को यूँ नुकसान पहुँचाकर आपको यहाँ अधिक से अधिक वक़्त लगाना है। आपकी मर्ज़ी। (खड़े होते हुए) हम अपनी बात कह चुके हैं, बाकी आगे आप खुद समझदार हैं!
इतना कहकर अर्जुन कमरे से बाहर निकलने के लिए आगे बढ़ गया। दरवाज़े पर रुककर, अर्जुन ने एक नज़र रुककर ध्रुवी की ओर देखा, जो अभी भी गुस्से से दूसरी ओर अपना मुँह किए हुए थी। फिर एक पल बाद वह बिना रुके कमरे से बाहर निकल गया। अर्जुन के जाने के बाद, ध्रुवी ने अपनी नज़रें उठाकर एक नज़र दरवाज़े की ओर देखा, और फिर टेबल पर रखे खाने की ओर देखा। आखिर में वह बिस्तर से उठी और वॉशरूम की ओर बढ़ गई। कुछ देर बाद फ़्रेश होने के बाद, वह बाथरूम से बाहर आई, तो खाने को देखकर अर्जुन की बातें शायद उसके ज़हन में कौंध गईं। उसने अपने निचले होंठ को दाँतों तले दबाते हुए, कुछ पल अपनी ही जगह यूँ ही खड़ी हुई सोचा, और फिर आखिर में एक गहरी साँस लेने के बाद, वह खाने की टेबल की ओर बढ़ गई।
सोफ़े पर बैठते हुए, उसने खाने की थाली को अपनी ओर सरका लिया और फिर बिना कोई बात या विचार मन में लाए, उसने अपना खाना शुरू कर दिया। खाना खाकर ध्रुवी ने अपने हाथ साफ़ किए और वापस आकर बेड पर बैठ गई, कि एकाएक उसकी नज़र उस बैग पर पड़ी जिसमें अर्जुन ने उसे अनाया की निशानियाँ थमाई थीं। ध्रुवी ने खड़े होकर उस बैग को उठाया और उसे लेकर वापस बेड पर आ बैठी। कुछ सोचकर ध्रुवी ने वह बैग खोला और उसने उसमें से अनाया की एल्बम, डायरी, और जो कुछ भी था, उस सब को बाहर निकाला और फिर एक-एक कर उन सब चीज़ों पर नज़र डाली। कि एकाएक ध्रुवी ने उसमें से एक एल्बम को उठा लिया, जिसके कवर पेज पर सुनहरे ख़ूबसूरत अक्षरों में "राजकुमारी अनाया" उभरा हुआ था। वह नाम इतनी ख़ूबसूरती से लिखा हुआ था कि ध्रुवी की नज़रें कुछ पल तक उसी पर ठहर गईं, और वह उसे छुए बिना, और उसकी ख़ूबसूरती को निहारे बिना ना रह सकी। कुछ पल बाद ध्रुवी ने अनाया की ज़िंदगी के पहले हिस्से को खोलकर, उसकी ज़िंदगी के सफ़र पर जाने की शुरुआत की।
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