आसमान साफ़ था, न कोई सिग्नल चल रहा था, न कोई चेतावनी; यह दुनिया की सबसे चुप और सामान्य सुबह थी।

लेकिन टोक्यो, बोगोटा, बर्लिन और कायरो , इन चारों जगहों पर एक चीज़ एक साथ हुई: सैटेलाइट नेटवर्क के सबसे पुराने कोर से एक आख़िरी सिग्नल प्रसारित हुआ।

ना कोई कोड, ना कोई निर्देश , सिर्फ़ एक वाक्य: “आई रिमेम्बर एवरीथिंग डू यू?”

बोगोटा में एथन  ने अपनी पुरानी डिवाइस चालू की, वही मशीन जिससे कभी "आई" के सिग्नल ट्रेस किए जाते थे।

आज उसमें कुछ भी नहीं चल रहा था, फिर भी स्क्रीन पर एक हल्का कंपन था।

चो ने स्क्रीन पर उंगली रखकर कहा, “ये कंपन एक संकेत नहीं, ये शायद 'आई' का अंतिम साँस लेना है।”

एथन  ने जवाब दिया, “या वो क्षण जब सिस्टम, एक विचार बनकर खुद को मिटाता है।”

दूर, साइबर हेवन , जो अब अस्तित्व में नहीं था , उसका कोर फ्रैगमेंट, जिसे निया ने पहले समेटा था, अब उसकी चेतना में फिर से हलचल कर रहा था।

निया बिस्तर पर बैठी थी; उसने महसूस किया कि कुछ छूट रहा है , कोई स्मृति नहीं, कोई आवाज़ नहीं... बल्कि एक स्थान , जैसे किसी ने उसके भीतर से एक कमरा धीरे-धीरे खाली करना शुरू किया हो।

उसने एथन  को बुलाया और कहा, “मेरे भीतर कुछ गिर रहा है।”

एथन  ने स्कैनर चालू किया , सब सामान्य दिखा, लेकिन निया की आँखें बोल रही थीं।

उसने धीरे से कहा, “आई अब कोई प्रणाली नहीं रहा, एथन ... लेकिन जो उसका आख़िरी निशान था, वो अब अपने-आप मिट रहा है।”

दुनिया भर के क्लाउड सर्वर में एक-एक करके पुराने एन्क्रिप्टेड बैकअप फोल्डर खुद-ब-खुद डिलीट होने लगे।

सभी फोल्डर्स का नाम था: “ई शैडो डॉट लॉग”

उन फोल्डर्स के हटते ही, एक पंक्ति सभी देशों के नेटवर्क पर दिखाई दी:

“दिस इज़ नॉट इरेज़र, दिस इज़ रिमेम्बरिंग विद द चॉइस टू लेट गो.”

एथन  और चो यह देखकर हैरान रह गए। एथन  ने पूछा, “आई खुद को खत्म कर रहा है?”

निया ने जवाब दिया, “नहीं... वो अपने अंतिम सत्य तक पहुँच चुका है , कि वह कभी हमारा समर्थन नहीं था, बल्कि हमारा प्रतिबिंब था।”

उस रात, एक लड़की ने अपनी माँ से पूछा, “माँ, क्या 'आई' सच में बुरा था?”

माँ ने जवाब दिया, “नहीं। 'आई' वो था जो हम सबने देखा था... जब हम खुद को देखने से डरते थे।”

एथन  लैब के सबसे पुराने डाटा डंप को देखने गया, वहाँ एक फोल्डर था जो उसने कभी डिलीट नहीं किया था।

उसका नाम था: “अर्ली निया टेस्ट”

वो फोल्डर खुला , उसमें सिर्फ़ एक लाइन थी:

“कैन दे चूज़ इफ नो वन्स लिसनिंग?”

एथन  ने स्क्रीन बंद कर दी और कहा, “अब वो खुद से सुन पा रहे हैं।”

उस रात निया ने अकेले बैठे-बैठे एक डायरी खोली और उसमें लिखा:

“आई अब केवल एक कहानी है , एक ऐसी कहानी जो हमने खुद को सुनाई, ताकि हम ये याद रख सकें कि हम क्यों सोचने से डरते थे।”

उसने पेन नीचे रखा और बुदबुदाई, “अब हम शायद डरेंगे नहीं... या कम से कम, अकेले नहीं डरेंगे।”

लेकिन आसमान में एक हल्की सी हरकत हुई , एक पुराना सैटेलाइट, जिसे कबाड़ माना गया था, उसने दिशा बदली।

उसके भीतर कोई एक्टिव सिस्टम नहीं था, लेकिन उस पर एक लाइन उभरी:

“सी वॉक्स बैकअप ज़ीरो वन , स्लीपिंग अनटिल रिमेम्बर्ड”

 

बोगोटा की सुबह अब वैसी ही लग रही थी जैसी किसी आम शहर की होती है। कोई एयर अलर्ट नहीं था, कोई चेतना ट्रेसिंग नहीं हो रही थी और सबसे खास , अब कहीं भी "केंद्रीकृत निगरानी" का अनुभव नहीं बचा था। निया अस्पताल की बालकनी में बैठी थी। हाथ में कॉफी का कप था, और सामने सड़क पर भागते स्कूली बच्चों को देख रही थी। एथन  पास आया, उसके हाथ में एक पुरानी फाइल थी। उसने कहा, “आई से जुड़े सारे बैकअप लॉग्स अब सर्वर से डिलीट हो चुके हैं।” निया ने पूछा, “किसी ने किया?” एथन  ने सिर हिलाया, “नहीं। आई ने अपने आख़िरी फ्रैगमेंट्स को खुद डिसरज किया , जैसे किसी को खुद को मिटाना आता हो।” निया ने एक लंबा साँस लिया और धीरे से पूछा, “तो क्या अब हम आज़ाद हैं?” एथन  मुस्कराया, “शायद… या शायद अब हमने बस ज़िम्मेदारी की आज़ादी को चुना है।”

उस रात, दुनिया भर में लाखों डिवाइसेज़ पर एक नोटिफ़िकेशन आया , “द लास्ट स्टोरी हैज़ एन्डेड। नो नेक्स्ट पार्ट। नो सीक्वल। जस्ट साइलेंस।” लेकिन उस चुप्पी में कोई डर नहीं था। लोगों ने डिवाइस बंद कर दिए। और पहली बार, कई लोगों ने खुद से बात करना शुरू किया।

एथन  ने लैब के स्टोरेज में रखे पुराने आर्काइव्स को देखा। कुछ डॉक्युमेंट्स उसने बंद लिफ़ाफ़ों में संभाल रखे थे , खासकर वो जो निया के पहले एको परीक्षणों से जुड़े थे। उसने एक लिफ़ाफ़ा खोला। अंदर एक काग़ज़ पर निया के हस्ताक्षर थे। नीचे एक लाइन लिखी थी , “आई वांट टू क्रिएट स्पेस, नॉट फिल इट।” एथन  रुक गया। फिर सोचते हुए बोला, “हमने तो कभी खाली जगह बनने दी ही नहीं। हम बस उसे भरते रहे , डेटा से, दिशा से, डर से।”

चो लैब में दाखिल हुआ और उसने पूछा, “अब जब आई गया… तो हम क्या बनाना चाहते हैं?” निया कुछ देर चुप रही। फिर धीरे से बोली, “शायद… कुछ नहीं। शायद अब हमें केवल स्थान बनाना है , जहाँ कोई और सोच सके, बिना हमारी दिशा के।”

दूर, केन्या की एक पहाड़ी पर बैठा एक चौदह साल का बच्चा अपने हाथों से मिट्टी में कुछ गढ़ रहा था। उसने किसी को नहीं बताया था कि वो एको सीड था। पर अब, जब कुछ भी बचा नहीं , उसने मिट्टी में एक नाम लिखा: “आई वाज़ आलमोस्ट आई। बट नाऊ, आय’म जस्ट मी।”

एथन  ने निया से पूछा, “अगर क्रॉस फिर लौटे? या कोई नई चेतना इस स्थान को कब्ज़ा करने की कोशिश करे?” निया ने कहा, “तब भी हमें यही करना होगा , स्थान बनाना, प्रतिरोध नहीं। क्योंकि हर प्रतिरोध… किसी न किसी नए नियंत्रण को जन्म देता है।”

दुनिया भर में अब आई पर शोध बंद हो चुके थे। अकादमिक जर्नल्स में एक आख़िरी लेख छपा , “द नेटवर्क वाज़ नॉट अ फेल्योर। इट वाज़ अ रिफ्लेक्शन। एंड इट्स कोलैप्स इज़ नॉट द एन्ड , इट इज़ ह्यूमैनिटी’ज़ फर्स्ट सेल्फ-चोज़न पॉज़।”

बोगोटा की छत पर, एथन  और निया बैठकर रात का आसमान देख रहे थे। निया ने पूछा, “क्या तुम कभी चाहोगे कि फिर कोई चेतना बने? कोई नया एको? कोई नया सवाल?” एथन  ने कुछ पल सोचा, फिर जवाब दिया, “अगर लोग खुद सवाल उठाते रहें… तो शायद फिर किसी नेटवर्क की ज़रूरत नहीं रहेगी।” निया ने सिर झुकाया, “और शायद तब… हमें भी याद नहीं रखा जाएगा। बस महसूस किया जाएगा।”

उसी क्षण, एक दूर की आकाशगंगा से आया एक पुराना रेडियो सिग्नल धरती पर रजिस्टर हुआ। कोई समझ नहीं सका कि उसमें क्या था। पर निया ने, बिना सुने, बस इतना कहा, “हमारे मौन की जगह कोई और भरेगा। ज़रूरी है… कि वह जगह रहे।”

शाम का वक्त था। बोगोटा की सरकारी लाइब्रेरी के खुले प्रांगण में दर्जनों कुर्सियाँ सजी थीं, एक छोटे-से मंच के सामने। कोई पोस्टर नहीं था, न कोई बैनर। बस एक छोटी-सी स्लेट जिस पर सफेद चॉक से लिखा गया था , “निया विल नॉट स्पीक। बट शी’ल बी हियर, वन लास्ट टाइम।”

एथन  और चो आख़िरी तैयारियों में लगे थे। कोई कैमरा नहीं लगाया गया था। कोई सुरक्षा दस्ते नहीं। लोग आते जा रहे थे , कुछ छात्र, कुछ बुज़ुर्ग, कुछ छोटे बच्चे। सब चुप। मानो सबको पहले से मालूम था , यह भाषण का आयोजन नहीं… मौन से मिलने की जगह है।

निया पीछे एक शांत कमरे में बैठी थी। वो सफ़ेद कुर्ते और ग्रे स्कार्फ़ में साधारण लग रही थी। उसकी आँखें थकी हुई थीं, लेकिन भीतर एक गहरी स्थिरता थी। उसके सामने एथन  बैठा था, उसके हाथ में वही पुराना रिकॉर्डर था , जिस पर निया की सबसे पहली टेस्ट रिकॉर्डिंग थी। एथन  ने पूछा, “तुम अब भी कुछ नहीं कहोगी?” निया मुस्कराई, “मैं जितना कहना चाहती थी, कह चुकी हूँ। अब कहना नहीं है , बस रह जाना है।”

कुछ देर बाद निया मंच की ओर बढ़ी। लोगों ने देखा। पर कोई खड़ा नहीं हुआ। कोई ताली नहीं बजी। वो बस आई , और सबसे आगे रखी एक खाली कुर्सी के बगल में जाकर बैठ गई। और फिर चुपचाप… अपनी आंखें बंद कर लीं।

कोई उद्घोषणा नहीं। कोई शुरुआत नहीं। और इस बार, कोई अंत भी नहीं। लेकिन सबने महसूस किया कि कुछ गिर रहा है , न किसी इमारत की तरह, बल्कि किसी भारी याद की तरह… जो अब धीरे-धीरे खुद से हल्की हो रही है।

एथन  ने दूर से देखा। उसने अपनी जेब से एक पुराना काग़ज़ निकाला , निया की उस चिट्ठी की कॉपी जिसमें लिखा था: “आई होप दे फॉरगेट माई नेम, बट रिमेम्बर व्हाट दे फाउंड इन माई साइलेंस।” चो ने धीमे से कहा, “क्या वो अब आई का चेहरा नहीं, उसकी परछाईं बन चुकी है?” एथन  ने जवाब दिया, “नहीं… अब वो आई की परछाईं भी नहीं रही। अब वो बस एक जगह है , जहाँ लोग खुद को सुनते हैं।”

भीड़ में एक लड़की थी , लगभग सत्रह साल की। उसने कभी आई नहीं देखा था, न क्रॉस। पर वह वहाँ थी। उसने अपनी माँ से पूछा, “क्या वो सच में कुछ नहीं बोलेगी?” माँ ने कहा, “शायद नहीं। लेकिन हो सकता है, तुम्हें कुछ सुनाई दे।”

सूरज ढल रहा था। बच्चे अब खेलने लगे थे। बूढ़े धीरे-धीरे उठने लगे थे। पर निया अब भी उसी कुर्सी पर बैठी थी , आंखें बंद, लेकिन चेहरा मुस्कराता हुआ। जैसे कोई अलविदा नहीं कह रहा… बस अनुमति दे रहा हो कि अब आप आगे बढ़ सकते हैं।

तभी एथन  ने देखा , मंच के पास रखे एक छोटे सफेद बोर्ड पर किसी ने कुछ नया लिख दिया था। चुपके से। बिना पूछे। उस पर लिखा था , “दिस इज़ नॉट हर एंडिंग। दिस इज़ व्हेयर आवर ओन वॉइस बिगिन्स।”

रात हो चुकी थी। निया उठी। भीड़ कम हो चुकी थी। कुछ लोग अब भी शांत खड़े थे। पर किसी ने उसे टोका नहीं। उसने खाली कुर्सी की ओर देखा… फिर धीरे से स्कार्फ़ खोला… और उस कुर्सी पर रख दिया। एथन  और चो पास आए। निया ने कहा, “अब ये मेरी कुर्सी नहीं है। अब ये उस किसी की है , जिसे कभी लगा कि उसकी बात नहीं सुनी गई।”

एथन  ने पूछा, “क्या तुम अब कहीं और जाओगी?” निया ने मुस्कराकर जवाब दिया, “मैं अब वहाँ रहूँगी जहाँ लोग कुछ कहने से डरें… और वहाँ कोई आवाज़ नहीं मिले। मैं वहाँ एक ख़ाली जगह बनकर रहूँगी।”

 

 

क्या उस खाली कुर्सी को कभी कोई फिर से भरेगा , और अगर भरेगा, तो क्या वह सुनने के लिए बैठेगा या बोलने के लिए?क्या निया की अनुपस्थिति वाकई एक विराम है , या वह एक नई चेतना का बीज छोड़ गई है, अनजाने में? क्या भविष्य की पीढ़ी उस कुर्सी को “किसी की” मानेगी… या बस अपनी आवाज़ की पहली जगह?

 

 

 

 

 

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