शांत आदमी को जब गुस्सा आता है तो उसके गुस्से का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है। वरुण के गुस्से का अंदाज़ा Mr Raizada और वान्या को नहीं था। वह अपने घर पहुंचा| जब सुनीता ने वरुण को लड़खड़ाते हुए देखा, तो वो घबरा गई। वो दौड़कर वरुण के पास आई। वरुण के बदन पर घाव देखकर सुनीता काफी डर गयी थी|
सुनीता (कांपते हुए) – बेटा , तुम्हारा ये हाल किसने किया? कितनी चोट आई है तुम्हें.. आओ, पहले यहां लेट जाओ।
सुनीता दौड़ते हुए अंदर रूम में गयी और दवाई लेकर आयी| वो वरुण के घाव पर दवाई लगाने लगी| जैसे ही वरुण के घाव पर सुनीता का हाथ लगा, वो जोर से चीख उठा। सुनीता अपने बेटे को दर्द में नहीं देख पा रही थी| उसकी आखों में आंसू आ गए थे| वो बार-बार वरुण से उसकी इस हालत के बारे में पूछने लगी लेकिन वरुण जवाब नहीं दे रहा था| पुलिस स्टेशन से छूटने के बाद से उसने अभी तक एक शब्द भी नहीं बोला था| उसे गहरा सदमा पहुंचा था| आज से पहले वो कभी भी पुलिस स्टेशन भी नहीं गया था लेकिन वान्या की वजह से उसे lockup में जाना पड़ा और इंस्पेक्टर से मार भी खानी पड़ी| हालाँकि उसे दुख इस बात का नहीं था कि उसे lockup जाना पड़ा बल्कि इस बात का था कि उसके ऊपर Mister Raizada की जान लेने का झूठा इलज़ाम लगाया गया| दवाई लगाने के बाद सुनीता वरुण के बाल सहलाने लगी ताकि वो सो जाये और कुछ देर के लिए उसे दर्द से आराम मिले| कुछ देर बाद वान्या उनके घर आयी| जैसे ही वरुण ने वान्या को देखा उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया| सुनीता फ़ौरन वान्या के पास गयी और उस से वरुण की हालत के बारे में पूछने लगी,
सुनीता(परेशान होकर) – वान्या बेटा, देखो ना वरुण को क्या हो गया है? पूरे शरीर पर चोट के निशान हैं। ये तो तुमसे ही मिलने गया था। ऐसा क्या हो गया इसके साथ? कब से इससे पूछ रही हूँ लेकिन कुछ बोल ही नहीं रहा| बस दर्द के मारे कराह रहा है।
वान्या में जवाब देने की हिम्मत नहीं हो रही थी| वो सुनीता और वरुण से नज़रें भी नहीं मिला पा रही थी| Mister Raizada के कहने पर वान्या वरुण के घर उस से माफ़ी मांगने आयी थी लेकिन अब उसके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल रहा था| वो जानती थी कि उसने जो गलती की है वो माफ़ी के लायक नहीं है| वरुण धीरे से उठा और वान्या को देखते हुए बोला,
वरुण (गुस्से में) – माँ, तुम्हें जानना है न मेरी ये हालत किसकी वजह से हुई है? तुम्हारे सामने जो लड़की खड़ी है, उन्होंने ही मेरी ये हालत की है| तुम्हें बहुत पसंद थी ना वान्या जी? देखो! इन्होने तुम्हारे बेटे के साथ क्या किया है! मुझे चलने के लायक भी नहीं छोड़ा|
सुनीता वरुण की बात सुनकर हैरान हो गयी| उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि वान्या ही वरुण की इस हालत के लिए जिम्मेदार है| उसने वान्या से कन्फर्म करने के लिए पूछा| वान्या ने उसको पूरी कहानी बतायी कि कैसे उसे ग़लतफहमी हो गयी और उसने वरुण के खिलाफ पुलिस complaint कर दी| वान्या माफ़ी मांगते हुए बोली,
वान्या (माफ़ी मांगते हुए) – मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी| पापा को बेहोश देखकर मेरा दिमाग ख़राब हो गया था। मुझे लगा कि वरुण की वजह से पापा बेहोश हुए हैं। मुझे सोच-समझ कर फैसला लेना चाहिए था| मैं अपनी गलती को justify नहीं कर सकती| वरुण.. आंटी जी, मैं आप दोनों से हाथ जोड़ कर माफ़ी मांगती हूँ| मैं आप दोनों को भरोसा दिलाती हूँ कि आज के बाद कभी भी मुझसे ऐसी गलती नहीं होगी|
सुनीता वान्या के चेहरे पर देख पा रही थी कि वो भी बहुत दुखी है और उसे अपनी गलती का एहसास भी है| हालाँकि सुनीता उस से काफी नाराज़ थी| उसे वान्या से उम्मीद नहीं थी कि वो पुलिस में शिकायत करने जैसा बड़ा फैसला बिना सोचे समझे ले लेगी| वो वान्या से नाराज़गी जताते हुए बोली,
सुनीता (नाराज़गी जताते हुए) – वान्या, तुम्हें अपनी गलती का एहसास है ये अच्छी बात है लेकिन तुमने जो किया बहुत गलत किया| माफ़ी तो तुमने पिछली बार भी मांगी थी लेकिन क्या? तुमने फिर मेरे बच्चे पर शक किया। तुमने सोच भी कैसे लिया कि वरुण किसी को जान से मारने की कोशिश करेगा? वरुण किसी को हल्की-सी चोट पहुँचाने के बारे में भी नहीं सोच सकता|
वान्या सिर झुका कर सुनीता की बात सुन रही थी| वो जानती थी कि उसकी माफ़ी पर कोई भी भरोसा नहीं करेगा| उसने एक बार फिर से वरुण से माफ़ी मांगते हुए कहा,
वान्या – वरुण, मैं जानती हूँ कि मैं भरोसा करने के लायक नहीं हूँ| मैं फिर भी तुमसे माफ़ी माँगती हूँ!
वरुण (ऊँची आवाज़ में) – माँ, इनको बोलो कि अभी के अभी यहाँ से चली जाएँ| मुझे इनकी शक्ल भी नहीं देखनी है|
इतना बोल कर वरुण ने अपना मुंह फेर लिया| वान्या समझ गयी थी कि उसका यहाँ रुकने का कोई मतलब नहीं। वरुण उसकी माफ़ी को एक्सेप्ट करने वाला नहीं है| वान्या उदास चेहरे के साथ बाहर जाने लगी| वान्या को निराश होकर वापस जाता देख सुनीता को बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था| वो भी वान्या के पीछे-पीछे गयी और उसके कान में धीरे से कुछ कहा| सुनीता की बात सुनकर वान्या के उदास चेहरे पर मुस्कान आ गयी| सुनीता नहीं चाहती थी कि वरुण उससे नाराज़ रहे इसलिए उसने वान्या को समझाया कि वरुण को कैसे मनाना है| सुनीता वापस घर आयी और वरुण को समझाने की कोशिश करने लगी लेकिन उसने वान्या के बारे में बात करने से मना कर दिया| वरुण कुछ दिनों तक घर पर आराम करता रहा| एक हफ्ते के बाद उसकी हालत में काफी सुधार आ गया था| वो अब ठीक से चल पा रहा था| हालाँकि उसके मन को बहुत गहरी ठेस पहुंची थी| वो घर में शांत और अकेला ही रहने लगा था| एक दिन सुनीता ने उसको अपना मन बहलाने के लिए बाहर जाने के लिए कहा| वरुण अपने मनपसंद बीच पर पहुंचा| सुनीता जानती थी कि वरुण उसी बीच पर जायेगा|
उन्होंने इस बारे में वान्या को बता दिया| वान्या भी उस बीच पर पहुँच गयी और spiderman का मुखौटा लगा लिया। वरुण समंदर के किनारे बैठ कर लहरों को एक टक देख रहा था| उसके मन में एक ही ख्याल आ रहा था कि वान्या के साथ अच्छा करने के बाद भी वान्या बार-बार उसके साथ गलत क्यूँ कर रही है? वो काफी ज्यादा उदास था| वहीं किनारे के पास वान्या spiderman mask लगाए बच्चों के साथ खेल रही थी| उसने आज से पहले ऐसा कभी नहीं किया था|
वान्या की एक खास बात थी। जब उसे गलती का एहसास हो जाता, तो वो सामने वाले से माफी मांगने के लिए किसी भी हद तक चली जाती थी। वो ये सब वरुण को मनाने के लिए कर रही थी| वान्या भागते हुए वरुण के पास जा पहुंची| उसके पीछे-पीछे बच्चे भी पहुँच गए| वो सब वरुण के इर्द-गिर्द भागने लगे| वरुण उन सबको ignore करने की कोशिश कर रहा था लेकिन कुछ देर बाद वो उन लोगों से irritate हो गया और उठ कर वहां से जाने लगा| वान्या हर जगह उसका पीछा करने लगी| वरुण spiderman यानि वान्या से चिढ़ते हुए बोला,
वरुण (चिढ़ते हुए) – क्यूँ परेशान कर रहे हो सब लोग? जहाँ जा रहा हूँ वहां पीछा कर रहे हो मेरा|
वान्या (डांटते हुए) – अरे इतना क्यों गुस्सा होते हो? बच्चे तुम्हारे साथ खेलना चाहते हैं तो थोड़ा खेल लो| देखो, इन सब के चेहरे… तुम्हें खेलने का मन नहीं होता?
वरुण को उसकी आवाज जानी पहचानी लग रही थी| वो सोचने लगा कि ये आवाज तो सुनी हुई लगती है कि तभी सारे बच्चों ने उसका हाथ खींचते हुए रिक्वेस्ट करने लगे, “अंकल, प्लीज़ हमारे साथ खेलो ना|” वरुण उनके साथ खेलने के लिए मान गया| वान्या खुशी के मारे उछलने लगी। उसे देख कर सारे बच्चें भी खुश हो गए। तभी वान्या ने वरुण का हाथ पकड़ा और उसे नचाने लगी| वरुण एक पल के लिए अपनी सारी तकलीफों को भूल गया और उन बच्चों के साथ खुद भी बच्चा बन गया| वान्या उसे मुस्कुराता देख बहुत खुश थी| तभी वान्या का पैर मुड़ा और वो गिर पड़ी। गिरने की वजह से उसका spiderman का mask भी हट गया। वान्या का चेहरा देखकर वरुण हैरान हो गया| वरुण की ख़ुशी एक पल में गुस्से में बदल गयी|
वरुण – वान्या जी आप? ये क्या मज़ाक है? आपको ये सब शोभा नहीं देता।
वरुण वहाँ से गुस्से में जाने लगा। तभी वान्या उठी और उसे आवाज़ लगाने लगी। जब वरुण नहीं रुका तो वो भी उसके पीछे भागने लगी।
वान्या – रुक जाओ वरुण| मुझे माफ़ कर दो| देखो मैं तुम्हें मनाने के लिए कितने efforts कर रही हूँ और तुम हो कि मुझ से दूर भाग रहे हो| एक बार मेरी बात तो सुनो|
वरुण रुकने का नाम भी नहीं ले रहा था| वान्या तेज़ दौड़ते हुए वरुण के पास पहुंची और उसका हाथ पकड़ लिया| वरुण ने झटके से अपना हाथ छुड़ा लिया| वान्या की नज़र एक ice cream वाले पर गयी| उसने जल्दी से दो ice cream खरीदी और वापस वरुण के पीछे भागने लगी|
वान्या – अच्छा ice cream तो खा लो। तुम मेरे लिए नहीं रुक सकते लेकिन ice cream के लिए तो रुक ही सकते हो|
सुनीता ने वान्या को वरुण की हर एक मनपसंद चीज़ के बारे में बता दिया था जिससे वो उसको मना सके| वान्या भाग रही थी तभी उसका पैर रेत में स्लीप हो गया और वो फिर गिर गयी| वरुण उसकी आवाज़ सुनकर रुक गया। जैसे ही उसने पलटकर देखा तो उसकी हँसी छूट गयी| वान्या ने जो ice cream खरीदी थी अब वो उसके मुंह पर लगी हुई थी| वान्या भी वरुण को देखकर मुस्कुराने लगी| उसे लगा कि वरुण मान गया है लेकिन वो दूसरे ही पल, गंभीर हो गया है और वो वान्या को उठाने की जगह वहां से जाने लगा| वान्या की सारी मेहनत पर पानी फिर गया था| वो सोचने लगी कि वरुण की नाराज़गी आखिर कैसे दूर करे?
क्या वान्या वरुण को मना पाएगी? क्या यहां से वान्या और वरुण की दोस्ती की नई शुरुआत होगी?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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