भीमा के अनुष्ठान से गांव में खुशहाली तो आयी, पर इस बार वो पूरी तरह से इन शैतानी शक्तियों को गांव से बाहर नहीं कर पाए थे. भीमा ने आरु को बताया था की ये प्रेताल शांत नहीं बैठेगा, उनकी बात अब धीरे धीरे सच भी साबित हो रही थी। समय के साथ जंगल में रह रही शैतानी शक्तियां ताकतवर हो रही थीं, इसका असर गांव वालों के विचारों पर भी पढ़ रहा था. गांव के कुछ लोग शैतानी शक्ति के प्रभाव में आकर उस यज्ञ में नहीं बैठे थे, इसलिए उनकी सोच नकरात्मकता की और बढ़ने लगी। इन्हीं गाँव वालों ने धीरे धीरे गाँव के कुछ और लोगों को अपने साथ मिलाना शुरू कर दिया था।
आज गांव के कुछ लोग नदी के पास बैठे हुए थे तो, उनमें से एक आदमी ने कहा-
ये भीमा मुझे कुछ चालक सा लगता है। यज्ञ उसने गाँव वालों की सहायता के लिए नहीं , बल्कि गाँव वालों कोई वश में करने के लिए किया था ।
इस आदमी की बातों में अब सबने हाँ में हाँ मिलनी शुरू कर दी थी. वो कहते हैं ना किसी बड़ी आग के लिए एक छोटी सी चिंगारी ही काफी है। ये वो चिंगारी थी जो भीमा के चरित्र पर सवाल उठाने वाली थी. धीरे धीरे में ये अफवाह गाँव में फेल गयी. अब भीमा जहां भी जाते, तो लोग उन्हें पहले जैसा आदर सम्मान नहीं दे रहे थे। आपने वो कहावत सुनी ही होगी ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’ बस यही कहावत गाँव वालों पर सटीक बैठ रही थी इस समय। भीमा ने गाँव में जाना अब कम कर दिया था।इस बार आरु पर नहीं बल्कि सीधा भीमा पर हमला हुआ था , और इस हमले का हथियार बनाया गया था गाँव वालों को। ये भोले भाले गाँव वाले खुद नहीं जानते थे की , वो अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं। गाँव की हालत जान चुका सरपंच आज भीमा की कुटिया में फिर एक बार आया।
सरपंच- बाबा मैं गाँव वालों के इस व्यवहार के लिए आपसे माफ़ी मांगता हूँ। मैं जनता हूँ आपके ख़िलाफ लोग तरह तरह की बातें कर रहे हैं, आप ही बताओ मैं किस किस को कैसे समझाऊं?
भीमा- तुम फ़िक्र मत करो बेटा, ये गाँव वाले मेरा परिवार ही हैं ,और आज नहीं तो कल ये सच जान ही जायेंगे।
सरपंच- बाबा पर मुझे ये समझ नहीं आ रहा की , यज्ञ के बाद सब कुछ तो सही हो गया था, फिर ये अचानक लोगों के स्वभाव में हर चीज़ को लेकर इतने नकारात्मक विचार क्यों आने शुरू हो गए हैं।
भीमा- भंवर मैं हमेशा कहता हूँ हर शक्ति की एक सीमा होती है. मैं कुदरत के नियमों से परे नहीं जा सकता। मैं तुम्हारे खेत, नदियां और ये वन जीवन को संभाल सकता हूँ, पर किसी के विचारों को काबू नहीं कर सकता। किसी के विचारों पर काबू करना कुदरत के नियम के ख़िलाफ है, और इस नियम का उल्लंघना सिर्फ शैतानी ताकतें ही करती है
सरपंच- आपके कहने का ये मतलब है की, शैतानी ताकतों का प्रभाव इतना बढ़ गया है, की उन्होंने हमारे गाँव के लोगों के दिमाग पर काबू करना शुरू कर दिया है ?
भीमा- नहीं भंवर, ये ताकतें इतनी नहीं बढ़ी हैं , पर इनके प्रभाव से इंसान के जीवन में सही और गलत का निर्णय लेने की क्षमता पर असर पड़ता है। जो लोग मेरे खिलाफ बातें कर रहे है, वो ये भी जानते हैं की मेरे यहाँ से जाते ही , वो डर के अंधकार में चले जाएँगे, मैं सिर्फ सही समय की प्रतीक्षा कर रहा हूँ।
सरपंच- सही समय?
भीमा- हां जल्द ही वो समय आएगा , जब यह गाँव वाले सही और गलत की समझ में अंतर करना सिख जायेंगे।
सरपंच- ठीक है बाबा आपकी सोच को आज तक कोई पढ़ नहीं पाया है, मैं अभी घर जा रहा हूँ, मेरे लायक कोई काम हो तो ज़रूर बताना।
भीमा- ठीक है, अपना ख्याल रखना।
सरपंच के सवाल ख़त्म होने के बाद , अब भीमा को आरु के सवालों का सामना करना था. सरपंच की कुटिया से बाहर जाते ही, आरु ने भीमा पर सवालों का हमला करते हुए कहा-
आरू- बाबा जब हम पर मुसीबत आती है, तो आप कुछ पलों में ही उसका हल कर देते हो. आज आप पर ये सब बीत रहा है , तो आप इतने शांत होकर क्यों बैठे हो ?
भीमा- मैंने तुम्हें सिखाया था ना, विपत्ति आने पर अगर इंसान शांत रहे तो उसकी आदि मुसीबत ख़त्म हो जाती है।
आरू- हाँ शांत रहने से आधी मुसीबत ख़त्म होती है, पर पूरी मुसीबत ख़त्म करने के लिए हमें कुछ तो करना पड़ेगा ना।
भीमा- हां ज़रूर करेंगे पर अभी उसका समय नहीं आया है।
आरू- तो मैं इंतज़ार करूँगा की वो सही समय जल्दी आये, पर बाबा मुझे यह फ़िक्र रहती है , जैसे यह गांव वाले आपके ख़िलाफ हो गए हैं, कहीं मेरे मन मैं उन शैतानी ताकतों ने आपके ख़िलाफ विचार भर दिए तो क्या होगा? मैं तो ये सोच कर ही परेशान हो जाता हूँ।
भीमा- बेटा आज मैं तुम्हे एक बात बताता हूँ , चाहे पूरी दुनिया मेरे ख़िलाफ हो जाए पर मेरे साथ दो लोग हमेशा रहेंगे, एक तुम और दूसरा भंवर।
आरू- पक्का ना आप उन शैतानी शक्तियों को हमारे दिमाग पर काबू नहीं करने दोगे ?
भीमा- नहीं बेटा ऐसा नहीं होगा .
भीमा बेशक इस बात को हल्के में ले रहे थे, पर वो जान चुके थे की अगर उन्होंने इसका समाधान नहीं किया , तो समय के साथ साथ ये मुसीबत और भी बढ़ जाएगी। कुछ गाँव वालों का हौसला इतना बढ़ गया था की, उन्होंने बाकी लोगों को भी बाबा के खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया। उन्होंने ये अफवाह फैलानी शुरू कर दी थी की, बाबा की वजह से शैतानी ताकतें नाराज़ हैं. अगर यह बाबा यहां से चला जाए तो शैतानी ताकतें भी यहाँ से चली जाएँगी। जैसे ही यह बात भीमा को पता चली, उन्होंने यह गाँव छोड़ने का फैसला कर लिया। भीमा ने आरु की ज़िम्मेदारी सरपंच को सौंप दी , और खुद गाँव वालों को बिना कुछ बताये रात के अँधेरे में , गाँव छोड़ कर चले गए। गाँव में कुछ लोग यह बात कर रहे थे की, अब शैतानी ताकते शांत हो जाएगी। वहीं कुछ लोग यह सोच रहे थे की, बाबा के बिना इस गाँव का क्या होगा? बाबा को गए कुछ दिन हो चुके थे , अब सरपंच और आरु गांव के कुछ लोगों के साथ खेतों में फसलें देखने पहुंचे थे।
सरपंच- यह फसलें अचानक से इतनी मुरझा क्यों गयी हैं? इस बार बरसात भी अच्छी हुई थी, कोई कीड़ा भी नहीं लगा फिर भी यह हालत!!!
गांव का आदमी- हमें खुद समझ नहीं आ रहा आख़िर हो क्या रहा है, पहले बाबा होते थे, तो सब संभाल लेते थे!
सरपंच- हम्मम… , चलो आगे चलते हैं.
गांव का आदमी- आगे भी सभी खेतों का यही हाल है.
सरपंच- पर दूसरे खेत में तो सब्ज़ियां उगाई थी, क्या उनकी खेती भी ख़राब हो गयी ?
गांव का आदमी- नहीं, खराब नहीं हुई। पर फसल उतनी अच्छी नहीं हुई जितनी उम्मीद थी।
गाँव में बाबा के जाने के बाद एक ख़ामोशी सी छाई हुई थी, जो लोग बाबा के खिलाफ बोलते थे, आज वो बाबा को याद करते हुए खुद को कोस रहे थे. जिन लोगों ने बाबा के खिलाफ षड्यंत्र रचने का सोचा था , वो हिम्मत जुटा कर सरपंच के पास गए ।वहां पहुंच कर उनमें से एक आदमी ने सरपंच से कहा।
गांव का आदमी- सरपंच साहब हमसे बहुत बड़ी भूल हो गयी है, हमने अपने देवता जैसे बाबा के ख़िलाफ ना जाने क्या क्या कह दिया। हमें माफ़ कर दो हम सब लोग बाबा को ढूढ़ने जाना चाहते हैं , और हम तब तक वापिस नहीं आएंगे जब तक बाबा हमें मिल नहीं जाते।
सरपंच ने उस आदमी के कंधे पर हाथ रख कर उसे हौसला देते हुए कहा, तुम फ़िक्र मत करो बाबा जल्द वापस आएंगे।
गांव का आदमी- क्या सच में ? आप सच बोल रहे हो ना, वो आएंगे ना ?
सरपंच- हाँ हाँ वो जल्द ही वापस आएंगे, और आप सब से मिलेंगे भी.
सरपंच की बात सच थी बाबा कुछ दिनों बाद वापिस आ गए, असल में बाबा गांव इसलिए छोड़कर गए थे ताकि वो शैतानी ताकतों को वश में करने का कोई उपाय खोजें। सभी गाँव वाले बाबा को देख कर खुश थे, आज कोई ऐसा नहीं था जो शैतानी ताकतों के प्रभाव से परेशान हो. पुरे गाँव ने बाबा को घेरा हुआ था। इसी बीच सरपंच ने अपनी गरजती हुई आवाज़ में कहा-
सरपंच- सभी चुप हो जाओ !!!
बाबा को देखकर हर कोई उनसे बात करना चाहता था, उनका हाल पूछना चाहता था। पर गाँव में कोई भी सरपंच की बात नहीं टाल सकता था , इसलिए सब चुपचाप बैठ गए। सभी बाबा के बोलने की प्रतीक्षा कर रहे थे, उन्हें लगा की बाबा बताएंगे, कैसे उन्होंने गाँव वालों के विचारों को शुद्ध किया। पर बाबा कुछ नहीं बोले और सीधा अपनी कुटिया की ओर चलने लगे।गाँव वालों ने बाबा को रोक कर उनसे सवाल पूछना चाहा, लेकिन सरपंच के इशारा करते ही सब बाबा से दूर हो गए।
सरपंच- बाबा काफी दूर से आये हैं, उन्हें आराम करने दो, आइये बाबा आपको में कुटिया तक छोड़ दूँ.
गाँववालें को ऐसा लगा मानों बाबा उनसे नाराज़ हों। जो लोग बाबा के भले कामों पर भी शंका करके उनके ख़िलाफ बातें करते थे. वही लोग आज बाबा से माफ़ी मांग कर उनसे बातें करना चाहते थे। यह समय बड़ा ही बलवान है, जो लोग कुछ दिन पहले बाबा को अपना दुश्मन मान रहे थे. उन लोगों को बाबा में अपना भगवान नज़र आ रहा था, कुछ ही देर में सरपंच और आरु, बाबा को कुटिया में ले आये, यहाँ आते ही बाबा ने सरपंच से कहा-
भीमा- भंवर यह गाँव वाले बेशक आज बहुत खुश हैं , पर इन्हें नहीं मालूम के एक बड़ी मुसीबत हम सबका इंतज़ार कर रही है. प्रेताल के साथ, कुछ और शैतानी शक्तियां जुड़ चुकी है, जो उसका साथ दे रही हैं. तुम्हें सब गांव वालों को एक साथ रखना होगा।
बाबा आज एकांत वास से वापिस आये थे, पर क्या उन्होंने कोई पूजा की थी ? जिससे गाँव वालों के विचार शुद्ध हो गए थे ? सभी गाँव वालों को अपना बच्चा मानने वाले बाबा आज उनसे इतना नाराज़ क्यों था ? बाबा ने सरपंच को किस बात के लिए सावधान किया और क्या बाबा ने एकांत वास के समय भविष्य का कोई डरावना रूप देखा था ? जिसकी चेतावनी वो आज देने आये थे। क्या बाबा गांव में रहेंगे या वापिस चले जायेंगे? जानने के लिए आगे पढ़ते रहिए।
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