कभी-कभी जिन लोगों से हम सिर्फ़ एक नज़र में जुड़ जाते हैं, उनसे बात करना इतना आसान नहीं होता और जब बात संकेत मल्होत्रा की हो, तो वह आसानी से कोई भी चीज़ छोड़ने वालों में से नहीं था। लेकिन आज, उसके अंदर एक अजीब सा, घबराहट का अहसास था।
वो श्रेया से बात करने का बहाना ढूँढ रहा था। लेकिन श्रेया, जो कल उसे लाइब्रेरी में दिखी थी, अब गार्डन में अकेली बेंच पर बैठी थी।
संकेत ने एक गहरी सांस ली। आज उसे श्रेय से बात करनी ही थी। लेकिन उसे अंदाज़ा नहीं था कि ये 'पहली बात' इतनी आसान नहीं होगी।
संकेत :
"हाय। ये बेंच खाली है?"
श्रेया :
"उम्म... हाँ, बैठ सकते हो, "
संकेत :
"तुम्हारा नाम श्रेया है न?"
श्रेया :
"हाँ और तुम... संकेत?"
श्रेया के मुंह से अपना नाम सुनकर संकेत ने हल्का-सा मुस्कुरा दिया। उसकी मुस्कान जल्द ही फीकी पड़ गई, जब उसने देखा कि श्रेया का एक्सप्रेशन ज़्यादा फ़्रेंडली नहीं था।
संकेत :
"हाँ... सही पहचाना। दरअसल... मैं कल लाइब्रेरी में तुम्हें देखा था।"
श्रेया :
"अच्छा? और?"
संकेत को महसूस हुआ कि वह किसी ग़लत रास्ते पर जा रहा है, अब रुकने का कोई मतलब नहीं था। उसने पूरी बात कहने की ठानी।
संकेत :
"मैंने तुम्हें और... उस लड़के को साथ देखा था। बस... मैं जानना चाहता था कि वह कौन है।"
श्रेया :
"तुम लाइब्रेरी में हमें देख रहे थे? मतलब, तुम हमारा पीछा कर रहे थे?"
संकेत का चेहरा फौरन गंभीर हो गया। उसने इस तरह का रिएक्शन एक्सपेक्ट नहीं किया थी।
संकेत :
"नहीं-नहीं, मेरा वह मतलब नहीं था। मैं बस... देख रहा था। वह लड़का कौन है, यही जानने की कोशिश कर रहा था।"
श्रेया ने एक गहरी सांस ली। उसका चेहरा अब भी गंभीर था।
श्रेया :
"तो, तुमने सोचा कि मुझे बिना बताए, छुपकर हमारी बातें सुनना ठीक है?"
संकेत को लगा कि उसने कुछ ग़लत कर दिया था। फिर उसने सच्चाई बताने का फ़ैसला किया।
संकेत :
"लिसन! आई एम सॉरी! मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। मैं... बस, तुम्हें और तुम्हारे उस दोस्त को एक साथ देखकर कन्फ्यूज हो गया था।"
श्रेया :
"कन्फ्यूज? हम दोनों के साथ होने से तुम्हें क्या लेना देना?"
संकेत :
"मुझे लगा... शायद वह तुम्हारा बॉयफ्रेंड है।"
श्रेया ने इस पर अपनी आयब्रोस ऊंची की, लेकिन उसकी आँखों में गुस्से से ज़्यादा झुंझलाहट थी।
श्रेया :
"तो तुमने ये मान लिया, और बिना कुछ सोचे-समझे हमें जज करने लगे?"
संकेत के पास कोई जवाब नहीं था। उसकी गलती उसे अब साफ़ समझ आ रही थी।
संकेत :
मैं ग़लत था। मुझे तुमसे सीधे बात करनी चाहिए थी। आई यम सॉरी !"
कुछ देर खामोशी हो गई। श्रेया उसकी बात पर ग़ौर करती है।
श्रेया :
"पहली बात, वो लड़का मेरा कज़िन है। प्रशांत! वह सेकंड ईयर बी। कॉम में पढ़ता है। बचपन से ही हम बहुत क्लोज़ हैं।"
संकेत ने एक गहरी सांस ली। ये सुनकर उसके चेहरे पर हल्का-सा सुकून आया।
संकेत :
"ओह... मतलब, तुम दोनों सिर्फ़ कज़िन हो।"
श्रेया :
"हाँ, सिर्फ कज़िन। लेकिन मुझे समझ नहीं आता कि तुम्हें ये जानने की इतनी जल्दी क्यों थी।"
श्रेया की हल्की मुस्कान ने संकेत को थोड़ा और राहत दी, उसने समझ लिया था कि यहाँ मज़ाक करने का सही वक़्त नहीं है।
संकेत :
"पता नहीं... शायद, क्योंकि मैं तुम्हें जानना चाहता था और मुझे तब और कुछ नहीं सुझा!"
श्रेया उसकी तरफ़ देखती है, फिर हल्का-सा सिर हिलाती है। उसकी आँखों में अब कुछ नरमी थी।
श्रेया :
"ठीक है। लेकिन अगली बार, सीधे पूछ लेना। ये पीछा करने वाली हरकत मुझे बिल्कुल पसंद नहीं।"
संकेत :
"समझ गया। प्रॉमिस, अगली बार सीधे पूछूंगा।"
और बस, इसी बातचीत के साथ उनकी झिझक ख़त्म हो गई।
संकेत और श्रेया, जो अभी कुछ ही पलों पहले तक एक अजीब-सी खींचतान में थे, अब धीरे-धीरे उस खामोशी से बाहर आ रहे थे। संकेत के माफीनामे ने श्रेया के गुस्से को शांत कर दिया था और अब, ये दोनों एक नई शुरुआत के लिए तैयार थे।
लेकिन संकेत के लिए ये सिर्फ़ माफ़ी तक का सफ़र नहीं था। उसके मन में अब भी कई सवाल थे।
संकेत :
"तो... प्रशांत तुम्हारा कज़िन है। सच कहूँ तो, ये जानकर मुझे थोड़ी राहत मिली।"
श्रेया :
"राहत? क्यों, क्या तुम्हें डर था कि तुम्हारा 'कॉम्पटीशन' मुझसे ज़्यादा क्लोज़ हो सकता है?"
संकेत :
"अरे नहीं-नहीं, ऐसा कुछ नहीं। मैं बस... सच कहूँ तो मैं तुम्हें बेहतर तरीके से जानना चाहता था।"
श्रेया :
"देखो संकेत, मैं समझती हूँ कि तुम मुझसे बात करना चाहते थे। लेकिन ये 'स्टॉकिंग' वाला तरीक़ा सही नहीं था। I hope कि आगे से ये गलती दोबारा नहीं होगी।"
संकेत ने तुरंत सिर हिलाया। उसकी आँखों में सच्चाई झलक रही थी।
संकेत :
"तुम बिल्कुल सही कह रही हो। मैं दोबारा ऐसी हरकत कभी नहीं करूंगा।"
श्रेया ने उसकी बात पर हल्के से सिर हिलाया और फिर बेंच पर थोड़ा आराम से बैठ गई।
संकेत को ये मौका गंवाना नहीं था। वह पूरी कोशिश में था कि बातचीत को थोड़ा हल्का और मज़ेदार बनाया जाए।
संकेत :
"तो, अगर मैं पूछूं कि तुम्हारी लाइफ में और कौन-कौन से 'इंटरेस्टिंग कैरेक्टर्स' हैं, तो क्या मुझे आर्यन के अलावा और भी किसी का नाम सुनने को मिलेगा?"
श्रेया :
"इंटरेस्टिंग कैरेक्टर्स?"
श्रेया ने एक पल के लिए सोचा, फिर हल्के से मुस्कुराई।
श्रेया :
"तुम्हें शायद निराश होगी, लेकिन मेरी लाइफ में फिलहाल कोई और 'कैरेक्टर' नहीं है।"
संकेत ने इस पर हल्की राहत की सांस ली, जिसे वह छुपाने की कोशिश करता है।
संकेत :
"अरे, मैं तो बस ऐसे ही पूछ रहा था। वैसे, तुम इतनी सीरियस दिखती हो, लेकिन मुझे लगता है कि तुम्हारे अंदर एक बहुत फन पर्सोनलिटी भी छुपी हुई है।"
संकेत के इस कॉमेंट पर श्रेया के चेहरे पर हल्की हंसी आई। उसने अपने बालों को पीछे किया और फिर थोड़े हल्के मूड में कहा
श्रेया :
"हो सकता है। लेकिन ये 'फन पर्सन ' सिर्फ़ उन लोगों के लिए सामने आता है जो मुझसे तमीज़ से पेश आते हैं।"
संकेत और श्रेया के बीच की ये पहली बातचीत भले ही छोटी-सी थी, लेकिन इसका असर गहरा था। संकेत ने अपने दिल में ये तय कर लिया था कि वह इस नए रिश्ते को आगे ले जाएगा।
श्रेया :
"ठीक है संकेत, अब मैं चलती हूँ। लेकिन याद रखना—मुझसे जो पूछना हो, सीधे पूछना। अगली बार से तुम्हारे ऐसी बहानेबाज़ी नहीं चलेगी।"
संकेत ने सिर हिलाते हुए उसे जाते हुए देखा। उसके मन में एक अजीब-सी ख़ुशी थी। उसने महसूस किया कि ये बस शुरुआत थी। श्रेया के चेहरे कि मुस्कान संकेत के लिए उम्मीद का इशारा थी। उसने अपने अंदर एक नया कान्फिडन्स महसूस किया। और इसलिए जब तक श्रेया कुछ दूर तक ही गई थी, संकेत ने उसने आवाज़ देकर रोक लिया।
संकेत :
"अरे श्रेया! एक मिनट!"
संकेत के दिमाग़ में श्रेय को अपने से दूर जाने से रोकने का खयाल अचानक आया था। उसे ख़ुद नहीं पता था कि उसने ये क़दम क्यों उठाया। लेकिन कभी-कभी, दिल को मौका देना ही सही लगता है।
श्रेया :
"हाँ? क्या हुआ?"
संकेत :
" देखो, तुम्हें जानने की इतनी जल्दी थी न, तो अब मौका भी सही है और मौसम भी।
तो क्यों न इस बात को कॉफी के साथ कन्टिन्यू करें? "
श्रेया के चेहरे पर हल्की-सी शिकन आई। वह सोच रही थी। क्या ये लड़का सच में सिर्फ़ जानने की कोशिश कर रहा है, या फिर इसके पीछे कोई और बात है?
श्रेया :
"कॉफी? अभी?"
संकेत :
"हाँ, क्यों नहीं? पास में ही एक अच्छा-सा कैफे है। मैं अपनी" stalking" वाली हरकत के लिए माफ़ी भी मांग लूँगा और हम एक दूसरे को ठीक से पहचान भी सकेंगे...
श्रेया :
" हम्म... मुझे सोचने दो। क्या मुझे सच में तुम्हारे साथ कॉफी पर जाना चाहिए?
क्या पता, कहीं ये फिर से तुम्हारी कोई प्लानिंग हो। "
संकेत :
" प्रॉमिस करता हूँ! इस बार कोई प्लानिंग नहीं। सिर्फ़ एक मीटिंग और दो कप कॉफी।
क्या बोलती हो? "
श्रेया :
"ठीक है, लेकिन सिर्फ़ एक शर्त पर।"
संकेत :
"शर्त? बताओ, क्या है?"
श्रेया :
"कॉफी बढ़िया होनी चाहिए और बातें इन्टरिस्टिंग . वरना मुझसे बात करने के बारे में भूल जाना!"
संकेत ने राहत की सांस ली। उसने तुरंत सिर हिलाया, जैसे वह इस शर्त को पूरी शिद्दत से मानने को तैयार हो।
संकेत :
"डील! मैं वादा करता हूँ, कॉफी बेहतरीन और बातें नमकीन। चलो!"
कॉलेज के गेट से निकलते ही दोनों पास के एक छोटे से कैफे की ओर चल पड़े। कैफे ज़्यादा बड़ा नहीं था, लेकिन उसकी गुनगुनी रोशनी और खिड़कियों के पार दिखती हलचल उसे बेहद ख़ास बनाती थी। मेन्यू छोटा था, पर उसमें वह सब कुछ था जो एक हल्की-फुल्की बातचीत के लिए ज़रूरी हो।
कैफे में क़दम रखते ही संकेत और श्रेया ने एक कोने की टेबल चुनी। एक ऐसी जगह जहाँ बाहर की दुनिया से थोड़ा दूर और अपने ख्यालों के साथ थोड़ा करीब महसूस हो। वेटर ने उनके ऑर्डर लिए—संकेत ने ब्लैक कॉफी का ऑर्डर दिया और श्रेया ने कैपुचीनो।
शुरुआत में दोनों के बीच थोड़ी खामोशी थी। ऐसा लग रहा था जैसे दोनों अपने-अपने शब्दों को तोल रहे हों। लेकिन कॉफी के कप टेबल पर रखे जाने की आवाज़ के साथ ही माहौल बदलने लगा।
पहला घूंट लेते ही श्रेया ने कैफे की तारीफ की। संकेत ने मुस्कराते हुए बताया कि ये उसकी 'फेवरेट' जगहों में से एक है। बातचीत धीरे-धीरे फ़्लो में आने लगी। पहले कॉलेज की छोटी-छोटी बातों से शुरुआत हुई—क्लासेज, किसी प्रोफेसर की खासियतें और तो किसी की अजीब आदतें।
फिर बातें थोड़ी सीरीअस हुईं तो श्रेया ने बताया कि कैसे उसने इकोनॉमिक्स को अपने करियर के लिए चुना। उसकी बातें सुनते हुए संकेत ने महसूस किया कि श्रेया कितनी फोकस्ड और एंबिशियस थी। उसने अपनी लाइफ के स्ट्रगल का ज़िक्र भी किया, लेकिन उस पर कभी शिकायत नहीं की। उसके हर शब्द में एक ताकत थी, जैसे उसने हर मुश्किल को अपनी ताकत बना लिया हो।
संकेत ने भी अपनी ज़िंदगी के कुछ किस्से शेयर किए। उसने बताया कि कैसे उसकी माँ, जो उस पर जान छिड़कती हैं, उसकी हर बात में दखल देना अपना हक़ समझती हैं। श्रेया अपनी हंसी तब नहीं रोक पाई, जब संकेत ने अपने बचपन की एक कहानी सुनाई कि कैसे उसने पहली बार अपनी माँ से छुपकर अपने दोस्तों के साथ पिज्जा खाया था।
संकेत को महसूस हुआ कि श्रेया के साथ बातें करना उसके लिए कितना ईजी था। वह किसी भी सब्जेक्ट को जज नहीं करती थी, बल्कि उसे समझने की कोशिश करती थी।
कॉफी के दूसरे घूंट के साथ ही उन्होंने अपने-अपने सपनों के बारे में बात की। श्रेया ने बताया कि वह एक सक्सेसफूल एनालिस्ट बनना चाहती है, जो बड़े-बड़े इकनॉमिक मतटर्स पर अपनी राय दे सके। संकेत ने हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहा कि वो अपनी कंपनी खोलना चाहता है, लेकिन फिर जोड़ दिया कि उसकी मम्मी उसे सिर्फ अपने "लाडले" के रूप में देखती हैं।
इस बीच, उन्होंने कैफे की खिड़की से बाहर झांकते हुए सड़क पर दौड़ती ज़िंदगी को भी देखा। श्रेया ने एक बार कहा, "कभी-कभी लगता है, हम सब भाग रहे हैं, पर असल में पता ही नहीं कि कहाँ जाना है।" संकेत ने उसकी बात पर सिर हिलाया।
उसने महसूस किया कि श्रेया के अंदर एक गहरी सोच थी, जो हर रोज़मर्रा की बात को भी एक नए नजरिए से देखती थी। यही उसकी सबसे बड़ी खूबी थी।
जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, दोनों के बीच का formal रिश्ता धीरे-धीरे एक दोस्ती में बदलता गया। वो दोनों एक-दूसरे की बातों में खो गए थे। हर नए सवाल के साथ दोनों एक नई कहानी शेयर कर रहे थे।
संकेत ने सोचा कि वो जितना श्रेया को जानने की कोशिश कर रहा था, उतना ही वो खुद को भी बेहतर तरीके से समझ पा रहा था।
कैफे में करीब एक घंटे तक चलने वाली इस बातचीत ने दोनों के बीच कुछ ऐसा बंधन बना दिया था, जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है। ये सिर्फ एक कैज़ुअल मीटिंग नहीं थी। ये दो अलग-अलग दुनिया के लोगों का मिलन था, जहाँ हर बातचीत एक नई कड़ी जोड़ रही थी।
कॉफी खत्म हो चुकी थी, लेकिन बातचीत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा था। लेकिन वक्त की रफ्तार किसी का इंतज़ार नहीं करती।
श्रेया ने घड़ी की ओर देखा और हल्के से मुस्कुराई। "हमें अब चलना चाहिए," उसने कहा। संकेत ने सहमति में सिर हिलाया। दोनों ने अपने-अपने कप खाली किए, बिल चुकाया, और फिर कैफे से बाहर निकले।
सड़क पर हल्की भीड़ थी, लेकिन उनके बीच की हलचल अब तक ठहरी हुई थी।
तो, क्या ये सिर्फ दोस्ती तक सीमित रहेगा, या इसके पीछे कोई और कहानी छिपी है?
लेकिन संकेत को अब तक ये नहीं पता चला है कि श्रेया उसमें “उस तरह से” इन्टरिस्टिड है या नहीं? क्या वो अपनी लाइफ को लेकर इतनी सीरीअस है, कि प्यार मुहब्बत जैसी चीजों के लिए उसके पास टाइम नहीं है? या वो भी चाहती है, कि उसकी ज़िंदगी में भी कोई हो, जिसके साथ वो अपनी ज़िंदगी का हर पल बाँट सके?
इन्ही सवालों की गुत्थी में उलझे रहिए, “कैसा ये इश्क है..” के अगले एपिसोड तक!
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