Aniket (shocked) - तुमने इन्फॉर्म नहीं किया ऑफिस में?

“मैंने ऑफिस में कॉल किया था, पर लॉक-डाउन की वजह से ऑफिस बंद था। किसी ने कॉल रिसीव ही नहीं किया, और वैसे भी जो कंपनी बुरे वक़्त में अपने एम्पलॉईस को मरने के लिए छोड़ दे, उसके साथ काम करने से कोई मतलब नहीं। सर आप भी टाइम से छोड़ दीजिये।” उसने कहा और कॉल कट कर दिया।

टूर्नामेंट को अब ज़्यादा वक्त नहीं बचा था और कैमरा ऑपरेटर के बिना उसकी टीम बिना सिम के मोबाइल जैसी थी। एक टेंशन अभी ख़त्म नहीं हुई थी और इस दूसरी बला से उसने अपना सर पकड़ लिया था। कुछ भी हो, पर काम तो करना ही था। उसने अपनी टीम के बाकी लोगों को कॉल किया। उनमें से कुछ लोगों ने तो उसका कॉल ही रिसीव नहीं किया था और कुछ लोगों ने उसकी कंपनी के साथ काम करने से इंकार कर दिया था। इसके पीछे का रीज़न सभी ने एक ही बताया था, “लॉक-डाउन में उनकी सैलेरी कट होना।”

अनिकेत की टेंशन बढ़ती ही जा रही थी। अब इतने कम टाइम में फिर से एक नयी टीम हायर करना और उनको ट्रैन करने का टाइम नहीं बचा था। उसने HR टीम से बात की, लेकिन वे लोग भी कोई  सॉल्यूशन निकाल नहीं पा रहे थे। उसका बॉस भी ऑफिस में नहीं था। टेंशन में वो अपनी डेस्क पर जाकर बैठ गया। आज उसको अपने बॉस पर सबसे ज़्यादा ग़ुस्सा आ रहा था, फ़्रस्टेशन में वो बड़बड़ाया,

Aniket (frustated) - कैसा बेवकूफ़ बॉस मिला है मुझे? इतना भी नहीं सोचा कि जिन लोगों को मैंने लॉक-डाउन में उनके हाल पर छोड़ दिया था, वे अब मेरे साथ काम क्यों करेंगे। सब-कुछ मुझ पर छोड़ दिया, अब इतनी जल्दी इतनी बड़ी टीम को ट्रेन कैसे करूँगा मैं? कुछ प्रॉब्लम हो गयी, तो सारा इल्ज़ाम मुझ पर डाल देगा।

अभी वो सोच ही रहा था कि उसका एक कलीग, रवि उसके पास आया। उसने एक्साइटेड होकर कहा, “किस सोच में डूबे हो भाई? न्यूज़ देखो, आज इंडियन क्रिकेट बोर्ड प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाला है। मुझे लगता है ICL अनाउंस करेगा।” वो ख़ुश होकर बता रहा था। उसने अपने कलीग की ओर देखा। अनिकेत पहले से ही परेशान था, ऐसे में इंडियन बोर्ड की प्रेस कॉन्फ्रेंस की न्यूज़ ने उसकी परेशानी और ज़्यादा बड़ा दी थी।

वो न्यूज़ चैनल के सामने अपनी उँगलियाँ क्रॉस करके बैठा था। 5 बजने में सिर्फ़ 5 मिनिट की ही देर थी। ऑफिस में लगी TV में कॉन्फ्रेंस के लिए सारे चैनल्स ने अपने-अपने माइक लगा दिए थे। वो सोच रहा था,

Aniket (thinking)  - कही आज इंडियन बोर्ड में भी उसी टाइम अपना टूर्नामेंट रख लिया, फिर तो हो गया सत्यानाश और PCL अनाउंस होने के ठीक 2 घंटे बाद ये प्रेस कॉन्फ्रेंस हो रही, इसका मतलब साफ है कि ज़रूर कुछ न कुछ बड़ा होने वाला है।

वो सोच ही रहा था कि चैनल की एंकर की आवाज़ से उसका ध्यान TV पर गया, एंकर ने एक्साइटेड होकर कहा, “एक बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है। इस बार का आईसीएल, इंडिया में नहीं होगा। मैचेस कहा होंगे? फ़िलहाल पता नहीं चल सका है।” न्यूज़ सुनकर उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा था। वो समझ गया था, मैचेस दुबई में ही होंगे, तभी एंकर ने कहा, “इस बार आईसीएल, दुबई में होगा, बोर्ड ने अभी-अभी की पुष्टि। हमारे रिपोर्टर प्रेस कॉन्फ्रेंस से हमारे साथ बने हुए है, हर पल की अपडेट के लिए बने रहिये हमारे साथ।”

अनिकेत का दिल बैठ गया था। उसने ग़ुस्से में TV बंद कर दी। उसने जल्दी से अपने बॉस को कॉल किया और घबराकर कहा,

Aniket (scared) - सर हमें अब बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता। अब सब ख़त्म हो चुका है।

“क्यों क्या हो गया?” बॉस ने घबराकर पूछा। उसने प्रेस कॉन्फ्रैंस के बारे में बताया। उसके बॉस ने उससे पूछा, “वो तो अप्रैल में है न? अभी जस्ट ही तो डेट अनाउंस की है, इंडियन बोर्ड ने। PCL के मैचेस मार्च में है और ICL के मैच अप्रैल में। हमें उससे क्या प्रॉब्लम हो सकती है?”

Aniket (lie) - सर मैं आपसे कुछ और बोल रहा हूँ। हमारी टीम के लोग हमारी कंपनी छोड़ चुके है। मेरी अभी सभी लोगों से बात हुई है, वे लोग ICL कवर करने वाली कंपनियों को जॉइन कर चुके है। अब हम इतनी जल्दी नयी टीम को हायर कर भी लेंगे, तो भी उनको इतनी जल्दी ट्रेनिंग देना पॉसिबल नहीं है सर।

अनिकेत ने तुरंत बात पलट दी थी। उसकी बात सुनकर उसका बॉस टेंशन में आ गया था। उसका बॉस कुछ भी बोलने की सिचुएशन में नहीं था, क्योंकि गलती उसी की थी। उसने न तो किसी को सैलेरी दी थी और न ही किसी से कोर्डिनेट किया था। “अनिकेत, आई एक्सेप्ट कि गलती मेरी है, पर मैं ये भी जानता हूँ कि तुम कुछ न कुछ सॉल्यूशन ज़रूर निकाल लोगे, मैंने इसलिए तो तुम्हें टीम लीडर बनाया था।

कुछ भी करो। बड़ी मुश्किल से ये ऑफर मिला है, इसको मैं हाथ से जाने नहीं दे सकता।” उसके बॉस ने उससे रिक्वेस्ट करते हुए कहा। उसकी आवाज़ कांप रही थी। उसने अनिकेत को इमोशनल कर दिया था।

Aniket (confident)  - ठीक है सर, मैं देखता हूँ। कुछ करता हूँ मैं। HR टीम के साथ कोर्डिनेट करके एक टीम हायर करता हूँ और उनको जितनी हो सकती है, ट्रेनिंग देने की कोशिश करता हूँ।

“ओके अनिकेत, थैंक्स, आज ही पोस्ट डाल दो और कल ही एक टीम हायर करके ट्रेनिंग देना स्टार्ट करो। मैं कुछ जुगाड़ करके VISA का अरेंजमेंट करवाता हूँ।” उसके बॉस ने VISA के बारे में बताकर उसको एक नई टेंशन दे दी थी। उसको पाकिस्तान की VISA प्रॉब्लम याद आ गयी और उसने घबराकर पूछा,

Aniket (scared) - सर कही ऐसा तो नहीं, पाकिस्तान की तरह इस बार भी हमें VISA ही न मिले?

“नहीं, नहीं इस बार ऐसा नहीं होगा, तुम फोन रखो, मैं अरेंजमेंट करता हूँ।” इतना बोलकर उसने फोन काट दिया। एक के बाद एक परेशानियों ने उसका पूरा एक्साइटमेंट ख़त्म कर दिया था। वो थोड़ी देर ख़ामोश होकर शून्य में देखता रहा और फिर तेज़ी से HR टीम की ओर बढ़ गया।

घड़ी में शाम के 6 बज चुके थे। अनिकेत ऑफिस से निकला और पार्किंग से अपनी बाइक लेकर अपने रूम पर जाने के लिए निकल गया था। आज पहले ही दिन उसके ऊपर इतना प्रेशर आ गया था कि उसका सर दर्द से फट रहा था। वो थोड़ी देर बाइक चलाता रहा, पर अब और आगे जाना उसके लिए मुश्किल होने लगा। उसने बाइक रोक दी और इधर देखा। एक मेडिकल स्टोर से उसने सर दर्द की टेबलेट ली, तब जाकर उसको थोड़ा आराम लगा था।

थोड़ी देर रुकने के बाद अभी वो बाइक स्टार्ट कर ही रहा था कि तभी कुछ सोचकर अचानक रुक गया। उसको याद आया, उसका रूम कूड़े दान की तरह स्मेल मार रहा था और उसमें रूम साफ़ करने की ताकत भी नहीं बची थी। उसने तुरंत अपने दोस्त वीरेंद्र को कॉल किया। उसके दोस्त ने फोन उठाकर पूछा, “हां भाई? कैसा है तू?”

Aniket (low voice) - बस भाई बढ़िया हूँ। आज ही इंदौर से नोएडा आया हूँ। अभी जस्ट ऑफिस से निकलकर तुझे कॉल किया। कहां है तू?

“मैं तो घर ही हूँ अभी, बस कुछ दिनों में आने वाला हूँ नोएडा, मिलते हैं फिर”, उसने कहा। अनिकेत आज रात उसके रूम पर रुकना चाहता था, पर वो अभी घर ही था, इसलिए उसने आगे कुछ नहीं कहा और कुछ दिन बाद मिलने का बोलकर फोन काट दिया। अब उसके पास होटल का ही ऑप्शन बचा था। वो होटल सर्च करने लगा, तभी उसके पास उसके मकान मालिक, सुनील गुप्ता का कॉल आ गया।

सुनील का कॉल देखकर वो हल्का सा चौंक गया था, क्योंकि उसका मकान मालिक उसको कभी कॉल करता नहीं था। उसने फोन उठाकर “हैलो” कहा। उसके मकान मालिक ने पूछा, “मेरे रूम के सामने 2 ट्रॉली बैग तुम्हारे रखे हैं क्या?

Aniket (agreed) - हाँ अंकल मेरे ही है। मैं आज मॉर्निंग में ही नोएडा आया हूँ। मेरा रूम स्मेल मार रहा है, इसलिए वहां रख दिये था। (pause) अंकल, आप वो बैग उठकर अंदर रख लेंगे क्या? एक्चुअली मुझे आज किसी होटल में ही रुकना पड़ेगा, मैं आ नहीं पाऊंगा रूम पर। कल मॉर्निंग में जल्दी किसी डस्टिंग वाले को बुलाकर साफ़ कर लूंगा।

उसने अपनी प्रॉब्लम बताई। उसके अंकल ने कहा, “होटल में रुकने की क्या ज़रूरत। मेरा घर कब आएगा? आ जा, आज रात मेरे कमरे पर ही रुक जाना।” अनिकेत यही तो चाहता था, लेकिन उसको थोड़ी हेज़िटेशन भी थी, इसलिए उसने थोड़ा हिचकिचाकर कहा,

Aniket (hesitate) - नहीं अंकल आप परेशान मत होइये। मैं होटल book कर लूंगा। कोई प्रॉब्लम नहीं है।

“ओके, जैसी तेरी इच्छा, वैसे मुझे तो कोई प्रॉब्लम नहीं है, अगर तूने होटल बुक नहीं की हो, तो यहां भी आ सकता है।” अंकल में फिर कहा। अनिकेत को अब मना करना ठीक नहीं लगा। उसने थोड़ा  सोचने का नाटक किया और बोला,

Aniket (confirmed) - ok then, आ रहा हूँ मैं।

“अच्छा, ये बता क्या खायेगा? तूने सही टाइम पर बोल दिया। मैं खाना बना ही रहा था।” उसके मकान मालिक ने पूछकर अनिकेत को फिर से चौंकाया। उनसे कन्फ्यूज़ होकर पूछा,

Aniket (confused) - मैं खाना बाहर से पैक करा कर ले पाऊंगा न? आप कब से खाना बनाने लगे?

“लॉक-डाउन ने सब सिखा दिया। अब मैं बाहर का नहीं खाता। फ्री ही तो रहता हूँ, बना लेता हूँ, तू अब ज़्यादा टाइम पास मत कर मेरा और अपना भी, फोन रख और बाइक स्टार्ट कर।” उसने डांटते हुए कहा। उसने “ok” कहा और बाइक स्टार्ट करके अपने रूम पर जाने के लिए आगे बढ़ गया।

अनिकेत रूम के सामने जाकर रुका। उसकी बाइक की आवाज़ सुनकर उसका मकान मालिक बाहर निकल आया था। दोनों लगभग एक साल बाद मिल रहे थे, इसलिए एक-दूसरें को देखकर ख़ुश हो गए थे। उसके अंकल ने एक्साइटमेंट में पूछा, “तू बोले तो तेरा कमरा अभी क्लीन करा देते हैं, डस्टिंग वालों को बुलाकर?” अनिकेत आज काफ़ी थक चुका था और उसका सर भी भारी था। उसने बाइक ऊपर चढ़ाते हुए कहा,

Aniket (tired) - आज मेरे अंदर बिलकुल एनर्जी नहीं बची है। हम कल मॉर्निंग में करते हैं न साफ़?

“ठीक है, जैसी तेरी इच्छा। चल आ जा, आज एक साल बाद मिल रहा है।” उसने कहा और कमरे के अंदर चला गया। अनिकेत को उसका बिहेवियर पहले से बदला हुआ लग रहा था। पहले उसका मकान मालिक उसको काफ़ी मिस्ट्रियस लगता था, लेकिन इस बार वो काफ़ी पोलाइटली बात कर रहा था।

Aniket (asking ) - आप लॉक-डाउन में यही पर थे क्या?

उसने सोफ़े पर बैठते हुए पूछा। “हां, और कहां जाऊँगा? (pause) तू खाना खायेगा या फिर पहले चाय पियेगा?” उसके अंकल ने पूछा। अनिकेत को चाय की ज़रुरत महसूस हो रही थी, but उसने सुनील को ज़्यादा परेशान करना सही नहीं समझा और डायरेक्ट मना कर दिया। सर दर्द की वजह से अनिकेत बार-बार अपना सर पकड़ रहा था। सुनील किचन में गया और चाय के दो कप लाते हुए हँसकर बोला, “मुझे पता था, तू मना कर देगा, इसलिए मैंने पहले ही बनाकर रखी थी।”

उसने मुस्कुराकर कप ले लिया। उसका बिहेवियर देखकर आज अनिकेत समझ नहीं पा रहा था कि उसका मकान मालिक आज उस पर इतना ज़्यादा मेहरबान क्यों हो रहा था? उसने चाय का घूँट लिया। उस घूँट से उसको काफ़ी रिलैक्स फील हुआ था। उसने पूरे कमरे में इधर-उधर नजऱ घुमाई और सोचा,

Aniket (thinking)  - हो सकता है शायद पूरे लॉक-डाउन में अकेले रहने की वजह से अंकल को समझ आ गया हो कि लाइफ का कोई भरोसा नहीं, कब, किसके साथ और क्या हो जाए? शायद सोचा हो कि लाइफ में एक न एक इंसान तो ऐसा होना ही चाहिए, जो बूरे वक़्त में काम आ जाए।  

Aniket (curious) -  आप पूरे लॉक-डाउन अकेले रहे। बोर नहीं हुए आप? और आपका वो बिज़नेस वगैरह?

उसने सुनील से पूछा। उसके पूछते ही उसके मकान मालिक के चेहरा सीरियस होने लगा था। वो थोड़ी देर ख़ामोश रहा और फिर सख़्त लहज़े में बोला, “यार तू सवाल बहुत पूछता है और मुझे ऐसे लोग पसंद नहीं है? तू अपनी बात क्यों नहीं करता मुझसे? ये बता हिना कैसी है?”

हिना का नाम सुनते ही वो सोफ़े से खड़ा हो गया था। उसको समझ नहीं आ रहा था, हिना के बारे में अंकल को कैसे पता चला? इधर कन्फ्यूज़ होकर अनिकेत अपने मकान मालिक को देख रहा था। उधर वो चाय के घूँट लेते हुए मुस्कुरा रहा था।

आख़िर हिना के बारे में कैसे जानता था उसका मकान मालिक, सुनील शुक्ला? ऐसा कौन सा राज़ छुपा रहा था वो अपने बारे में, जिसे समझ नहीं पा रहा था अनिकेत? उसके मुँह से किस हादसे की ख़बर सुनकर उड़ जाएगी हिना की नींद?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.