Luna और तारा आपस में बातें कर रही थी कि तभी अचानक से वहां पर आवाज़ आई, "किसे प्यार हो गया है?" इस आवाज़ सुनते ही तारा और luna ने हैरानी से एक दुसरे को देखा, उसके बाद जैसे ही उनकी नज़र सामने की ओर गई, उन्होने हवा में एक रौशनी को देखा, जिससे वो आवाज़ आई थी। दोनों हैरानी से खड़े हो गए और रौशनी को ध्यान से देखने लगे, उन्हें लग रहा था कि कहीं ये सब elders के जादू का असर तो नहीं है। दोनों को ख़ामोश देख, रौशनी से फिर आवाज़ आई, "क्या हुआ बताओ....किसे प्यार हो गया है...luna तुम्हें या तुम्हारी दोस्त को?"
इस बार luna ने जब ध्यान से उस आवाज़ को सुना, वो चौंक गई। उसने रौशनी को देखते हुए कहा, "Orion तुम... ये कैसे हो सकता है.... कहां हो तुम?" "वाह!!... तुमने मुझे पहचान लिया luna.... और ये मेरे बनाए device का first test है...." रौशनी से Orion की आवाज़ आई। Luna को अब भी यकिन नहीं हो रहा था कि वो अपनी दुनिया में रह कर Orion से बात कर पा रही थी।
तारा उसे हैरान नज़रों से देख रही थी। Luna को इस वक्त समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे react करे, वो बहुत खुश भी थी और हैरान भी। तभी अचानक से वो रोशनी गायब होने लगी। Luna कुछ कहती इससे पहले ही रौशनी से आवाज़ आई,
Orion: “luna.... शायद ये ज्यादातर देर तक काम नहीं करेगा....क्योंकि तुम्हारे पास इस वक्त device नहीं है...तुम portal खोल कर, मुझे उसी दुनिया में मिलो, जहां पर हम मिले थे। तुम्हारे लिए मेरे पास कुछ है...”
कहते कहते वो रौशनी पूरी तरह से गायब हो गई। Luna यहां वहां देखती रह गई। उसे Orion की बात याद आई, उसने तारा से कहा, "तारा... मैं उसी जगह...."
"पागल हो गई हो luna....इतनी रात गए तुम जंगल में उस बरगद के पेड़ के पास जाओगी... ये ठीक नहीं है।" तारा ने समझाते हुए कहा। मगर luna कहां सुनने वाली थी। उसने तारा से ज़िद करते हुए कहा,
Luna (zidd mein) : “नहीं तारा.... वहां Orion मेरा इंतज़ार कर रहा होगा... मैं नहीं चाहती कि वो उस दुनिया में अकेला मेरा इंतज़ार करते हुए बैठा रहे... क्योंकि वो दुनिया थोड़ी अलग है।”
तारा luna की ज़िद आगे कुछ भी बोल नहीं पाई। उसने जाने का इशारा किया। Luna तारा से गले मिलकर जा ही रही थी कि तभी तारा ने उसे रोकते हुए कहा,
Tara: “पैदल मत जाओ luna.... मेरा ये जादुई skateboard ले लो...जल्दी पहुंच जाओगी....(Pause)... और हां कोशिश करना कि सुबह होने से पहले आ जाओ... नहीं तो मैं भी यहां संभाल नहीं पाऊंगी।”
Luna ने हां में सिर हिलाया और skateboard लेकर वहां से चली गई। थोड़ी ही देर में जादूई skateboard की मदद से luna जंगल के अंदर, उस बरगद के पेड़ के पास आ गई, जहां पर portal खुलता था।
Luna की धड़कने तेज़ हो रही थी, उसने ख़ुद को संभालते हुए उस portal को खोला, luna के छूते ही portal में से रौशनी आने लगी, धीरे धीरे portal पूरी तरह से खुल गया और luna उसके अंदर समा गई।
Portal जैसे ही बंद हुआ, Arcadia में elders के घर पर जादूई कांच का गोला ज़मीन पर गिर कर टूट गया।
आवाज़ सुन कर Marko की जैसे ही नींद खुली, उनकी नज़र अपने जादूई गोले पर पड़ी।
"इसका गिरना शुभ संकेत नहीं है... ज़रूर कुछ हुआ होगा ..." कहते हुए marko उठे और उस कांच के गोले को अपनी जादू से जोड़ने की कोशिश करने लगे, मगर बार बार वो गोला बिखर जा रहा था।
Marko को एहसास हो गया था कि ज़रूर luna के कारण ही कुछ हुआ है। उन्होंने अगले ही पल उस टूटे हुए कांच के गोले को उठाया, और उसके एक कांच में देखने की कोशिश करने लगे आखिर हुआ क्या?
इस वक्त marko अपनी जादूई शक्तियां जागृत कर चुके थे, वो हवा में आसन लगा कर बैठे हुए थे और उस कांच के टुकड़े में देखने की कोशिश कर रहे थे। तभी अचानक से उन्हें कांच के शीशे में portal खुलता हुआ दिखाईं पड़ा।
"ये... ये फिर से कैसे खुल सकता है... आख़िर किसने खोला होगा?" कहते हुए marko उस शख़्स को देखने की कोशिश करने लगे मगर ना चाहते हुए भी वो luna का चेहरा नहीं देख पा रहे थे।
Marko के मन में अचानक से luna का ख्याल आया। उन्होंने दांत पीसते हुए कहा, "उस लड़की ने ही ज़रूर वो दरवाज़ा फिर से खोला होगा....मतलब हम चारों के इतना समझाने के बाद भी उसकी ये मजाल....अब मुझे ही कुछ करना होगा।"
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इधर दूसरी तरफ़ Luna ने जैसे ही अपनी आंखें खोली, उसने देखा वो उसी जगह पर आ गई है, जहां वो पहली बार Orion से मिली थी। उसके सामने Orion खड़ा था।
दोनों ही इस वक्त earth पर थे। इस बार, दोनों के बीच एक अलग सी chemistry थी, जैसे दोनों एक-दूसरे के बारे में ज्यादा सोच रहे हों। दोनों ने जैसे ही पहली बार एक दुसरे को देखा, दोनों के दिल की धड़कनें तेज़ हो गई।
एक पल के लिए किसी को समझ नहीं आने लगा कि वो बात की शुरुवात कैसे करें, दोनों के बीच एक awkward moment आ गया था।
काफ़ी देर चुप रहने के बाद, Orion ने ही सामने से कहा, "क्या हुआ....क्या सोच रही हो?"
"वो... तुमने मुझे यहां इस तरह अचानक क्यों बुलाया?" Luna ने इधर उधर देखते हुए कहा।
Orion को भी लगा कि उसे थोड़ी मस्ती करनी चाहिए, उसने ज़मीन से फल उठाते हुए कहा, "मैंने तुम्हें यहां ये फल खिलाने के लिए बुलाया है..."
"इसे तुम्हीं खाओ...तुम्हारी दुनिया में फीका खाना मिलता है... मेरी दुनिया में नहीं...." Luna ने मूंह बनाते हुए कहा।
तभी Orion ने हंसते हुए अपने belt में लगे button को दबाया, अगले ही पल उसका digital box खुल गया। Orion ने उसके अंदर से एक छोटा digital cube box निकालते हुए कहा, "तुम्हारे लिए एक तोहफा है...."
Luna उस cube box को हाथ में लेकर ध्यान से देखने लगी। उसे समझ नहीं आया कि वो आख़िर है क्या, luna दिमाग लगा ही रही थी कि उसे एक छोटा सा button दिखाई पड़ा, luna ने जैसे ही button को दबाया, वो cube box बड़ा होकर phone के आकार में बदल गया।
Luna: (hairaani se) : "ये...ये क्या है Orion... कोई नई machine है क्या?"
Orion: (मुस्कुरा कर जवाब दिया) : “हां ये मेरा बनाया हुआ device है, इस device से हम दोनों अपनी-अपनी दुनिया में रहते हुए भी एक-दूसरे से बात कर सकते हैं।”
Luna को अपने कानों पर यकिन नहीं हुआ था। वो अंदर से काफ़ी ज़्यादा खुश थी मगर Orion के सामने जाहिर नहीं कर रही थी। काफ़ी देर तक उस device को देखने के बाद, luna ने पूछा,
Luna (jaise kuch pata hi na ho): “ये कैसे काम करता है..... और तुम जानते हो ना कि Arcadia में ये सब काम नहीं करता.... जब तुम Arcadia में आए थे, याद है तुम्हारा बनाया पूरा system hang हो चुका था।”
Luna की चिंता सही थी, मगर वो इस बात से अभी बेखर थी कि Orion ने इस परेशानी का समाधान भी कर दिया है।
उसने luna को device के बारे में बताते हुए कहा,
Orion (samjhaate huye) : “यह क्रीना और Atlas के code के मेल से बना है। अब यह दोनों दुनियाओं के बीच signal भेज सकता है। इसलिए तुम जैसा सोच रही हो...वैसा कुछ नहीं होगा।”
आधे घण्टे तक Orion luna को अपनी device के बारे में बताता रहा। दोनों ने देखा, पृथ्वी पर सुबह हो रही है। दोनों जिस जगह पर खड़े थे, वहां से कुछ दूरी पर एक बड़ी सी building के पीछे से सूरज निकल रहा था। दोनों सुबह का ये नज़ारा देखकर, चहक उठे थे। Luna ने उगते हुए सूरज को देख कर कहा, "पृथ्वी भी बहुत सुंदर है Orion... कभी हम आराम से यहां के जगहों को explore करेंगे..."
"हां बिल्कुल करेंगे... आख़िर इसी पृथ्वी के कारण हम दोनों मिले... इसी जगह पर तो हमारी दोस्ती हुई..." Orion ने अपने मन की बात कही, उसकी ये बात सुन luna चौंक गई।
Luna ने Orion को घूरते हुए कहा, "एक मिनट.... तुम्हें किसने कहा कि हम दोनों दोस्त हैं..."
इस सवाल को सुनते ही Orion के होश उड़ गए। उसे समझ नहीं आने लगा कि वो luna को क्या जवाब दे?
इस वक्त Orion मन में भी कुछ नहीं सोचना चाहता था क्योंकि वो जानता था कि वो जो भी सोचेगा, अपनी आदत से मजबूर उसकी जुबान से वो बात निकल जायेगी।
Orion को चुप देख luna ने फिर से पूछा, "बताओ Orion.... क्या हम दोस्त हैं?"
"हां मेरा मतलब है कि Atlas और क्रीना जब दोस्त बन सकते हैं...तो फ़िर हम क्यों नहीं....(Pause)... नहीं मतलब ऐसा कहीं rule नहीं है...मगर मैंने बस...." कहते कहते Orion चुप हो गया। उसकी हालत देख luna मन ही मन मुस्कुरा रही थी।
Luna ने मुस्करा कर कहा, "तुम कह रहे हो कि क्रीना और Atlas दोस्त बन गए हैं... चलो मान लिया मगर हम कौन से दोस्त हैं और ये कब हुआ?"
Orion एकदम से शरमा कर लाल हो गया था। उसने बात को संभालते हुए कहा, "luna तुम समझ नहीं रही हो...मेरा मतलब... मतलब हम साथ में थे, इतना वक्त बिताया तो...."
Orion को बड़बड़ाता हुआ देख कर, luna ने उसे देख, हंसकर कहा, "देखा, तुम भी confuse हो गए!"
"तुम मेरा exam ले रही हो क्या.... तुम्हें तो मैं...." कहते हुए Orion luna के पीछे दौड़ा।
Luna भी कम नहीं थी, वो पेड़ों के बीच छकाते हुए आगे आगे भागने लगी।
दोनों के बीच कहीं ना कहीं एक कहानी बनने लगी थी। दोनों एक दुसरे के लिए कुछ feel करने लगे थे, मगर इसका एहसास किसी को नहीं था।
Luna आगे भाग ही रही थी कि अचानक से उसने देखा, Orion उसके पीछे नहीं है। Luna एक जगह रुक कर, आस पास देखने लगी।
"Orion.... Orion कहां गए तुम?" Luna ने चिल्लाते हुए कहा।
मगर Orion उसे कहीं भी नज़र नहीं आया और ना ही उसकी बात का कोई ज़वाब दिया।
Luna ने serious होकर कहा, "Orion अगर तुम कहीं छुपे हो तो सामने आ जाओ...मुझे ऐसा मज़ाक नहीं पसन्द है।"
Luna यहां वहां देख कर Orion को आवाज़ लगा रही थी मगर वो उसे कहीं भी नज़र नहीं आ रहा था।
Luna बुरी तरह से परेशान हो गई, उसके दिल की धड़कनें बढ़ गई थी। Luna को समझ नहीं आने लगा कि वो अब क्या करे?
वो जिस जगह पर इस वक्त थी, वहां आस पास कोई इंसान भी नहीं दिखाई दे रहा था।
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काफ़ी देर तक आवाज़ लगाने के बाद जब Orion नहीं आया, luna की आंखों से आंसु बहने लगे।
वो वहीं एक पेड़ के पास बैठ कर रोने लगी, मगर तभी अचानक पेड़ के पीछे से Orion बाहर आया।
उसने हंसते हुए कहा, "देखा....देखा...मुझसे पंगा ले रही थी.... नहीं ढूंढ पाई...."
कहते कहते Orion चुप हो गया, उसने देखा luna रो रही है। Orion पहली बार luna को रोता हुआ देख रहा था।
Orion को तभी एहसास हुआ कि उसने जो किया, उसके कारण luna बहुत ही ज़्यादा डर गई थी। अपनी गलती मानते हुए Orion ने हाथ जोड़ते हुए कहा, "luna I am sorry.... मुझे नहीं पता था कि मेरा ये मजाक तुम्हें पसंद नहीं आयेगा..."
मगर luna थी जो Orion से बात ही नहीं कर रही थी। Orion को ये हरगिज अच्छा नहीं लग रहा था कि luna उसे ignore कर रही है।
Orion अपनी तरफ़ से कोशिश कर रहा था, मगर luna नहीं मान रही थी।
आख़िर में Orion ने luna की तरफ़ देखते हुए कहा, "अच्छा तुम मुझे सजा दे दो...बोलो उठक बैठक करूं... या मुर्गा बनूं... बोलो..."
मगर luna ने मुंह बना लिया। Orion उसके सामने मुर्गा बनकर बैठ गया और मुर्गे के जैसे बांग लगाने लगा। उसकी हरकतें देख luna को अंदर ही अंदर हंसी आ रही थी मगर सामने वो rude होकर बैठी हुई थी।
धीरे धीरे वक्त बीत रहा था, सामने सड़क पर लोग jogging करने के लिए निकले थे। वो सारे लोग Orion को मुर्गा बना देख, हंस रहे थे।
"अरे!!!!... मेरी मां... लोग इतने बड़े scientist पर हंस रहे हैं.... थोड़ी तो दया करो...." Orion ने ये कहा ही था कि सामने से एक 12 साल के बच्चे ने हंसते हुए कहा, "अरे!... अंकल... इस उम्र में मुर्गा बनते हुए शर्म नहीं आती...."
"तूझे क्या है... जा अपना काम कर..." Orion ने मुंह बनाते हुए कहा, ये सब देख कर luna से control नहीं हुआ और वो ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी।
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थोड़ी ही देर बाद, दोनों के बीच बातचीत शुरू हो गई। Orion ने luna से कहा, "यार... नाराज़ हो जाया करो मगर बात करना बंद मत किया करो.... तुम्हें नहीं पता एक पल को मुझे कैसा लगने लगा था..."
"अच्छा.... कैसा लगने लगा था...?" Luna ने Orion की आंखों में देख कर पूछा, जिसके बाद वो पूरी तरह से चुप हो गया। Luna उसके कहने का इंतज़ार कर रही थी, मगर Orion की दिल की धड़कनें तेज़ हो चुकी थी।
Orion ने बात बदलते हुए कहा, "वो बाद में जानना, पहले तुम मुझे बताओ...तुम तारा से क्या बात कर रही थी... किसे प्यार हुआ है?"
"क्यों...तुम जान कर क्या करोगे?" Luna ने छेड़ते हुए आगे कहा, "ये दो दोस्तों के बीच की बात थी..."
ये सुनते ही Orion luna को घूरने लगा।
उसे तभी device का ख्याल आया, Orion ने device के बारे में बताते हुए कहा,
Orion: "luna मैं तुम्हें बताता हूं कि ये device कैसे काम करता है...इसमें बस एक signal भेजना है, इसके बाद क्रीना और Atlas इसे decode करके दूसरी दुनिया में भेज देंगे।"
Luna: (impressed) : "तुमने इसे बहुत अच्छे से बनाया है, Orion। मुझे लगता है कि अब हम एक-दूसरे से हमेशा जुड़े रहेंगे, फिर चाहे हम अपनी अपनी दुनिया में ही क्यों न हों।" “मगर तुम्हें लगता है Arcadia जाने के बाद, ये सच में काम करेगा?”
Luna को अपने सामने देख, Orion ने ख़ुद को संभालते हुए कहा, "हाँ, बिलकुल करेगा.....मुझे उम्मीद है।" दोनों को अंदर ही अंदर बहुत खुशी हो रही थी। दोनों एक दुसरे की आंखों के सामने थे, मगर अब भी वो अपने मन की बात नहीं कह पा रहे थे। थोड़ी देर बाद काफी सोचने के बाद, Luna ने कहा, "अब हम दूर होते हुए भी करीब रह सकते हैं।" Orion ने तपाक से ज़वाब दिया, "हाँ, अब दूरी कोई मायने नहीं रखती luna."
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