अंकित और उसकी वाइफ श्रुति, उदयपुर के एक खूबसूरत कैफे में बैठकर राजस्थानी फ़ूड इंजॉय करते हुए अपनी अगली डेस्टिनेशन के बारे में डिस्कस कर रहे थे। अंकित चाहता था पहले मानसून पैलेस देखना, लेकिन श्रुति का मन अब बोटिंग का हो रहा था।  

 

पर वो कहते है न कि हम अपनी डेस्टिनेशन के बारे में कितना ही क्यों न सोच ले. लेकिन कभी-कभी हम वहां पहुँच जाते है, जिसके बारे में हमने कभी सोचा भी नहीं था. कुछ ऐसा ही होने वाला था अंकित और श्रुति से साथ, क्योंकि कोई था जो उनकी अगली डेस्टिनेशन डिसाइड कर रहा था।  

 

अंकित और श्रुति, अपना लंच और थोड़ा रेस्ट करने के बाद कैफे से बाहर निकलने ही वाले थे कि, तभी अंकित के जीजा, मि. पारीख का कॉल आ गया। अंकित और श्रुति ने अपना सामान फिर से एक टेबल पर रखा और अंकित, मि.पारीख से बात करने लगा।  

अंकित : हैलो?  

 

मिस्टर पारिख ने क्युरियस होते हुए अंकित से पूछा “वेकेशन कैसा चल रहा है, अंकित? उदयपुर पसंद आया या नहीं?

 

अंकित : बहुत इंजॉय कर रहे है. श्रुति को भी बहुत पसंद आ रहा है उदयपुर, काफ़ी शांत जग़ह है। बस एक-दो दिन और, फिर दिल्ली आकर मिलता हूँ आपसे?

 

मिस्टर पारीख चौंक गए थे। उन्होंने अंकित से इतनी जल्दी वापस आने का रीज़न पूछा, तो अंकित ने कुछ बिज़नेस वर्क बताया। 

मिस्टर पारीख, अंकित से ग़ुस्सा होते हुए बोले, कैसा हस्बैंड है तू? श्रुति को इतने सालों बाद घुमाने लेकर गया और 2 दिन में वापस भी आ जायेगा? काम तो ज़िंदगी भर करना है साले साहब, अभी टाइम है दुनिया देखने का, तो देख लो।  

पारीख ने अंकित को एक जग़ह सज़ेस्ट करते हुए कहा, “अच्छा मैं तुझे एक जग़ह सज़ेस्ट करता हूँ। मेरे बिज़नेस पार्टनर ने मुझे बताई थी वो जगह। अगर तुम लोगों को एक बहुत ही shaat, पहाड़ों से घिरी हुई ख़ूबसूरत वादियों में घूमने का मन हो, तो तुम “नौकुचियाताल” जा सकते हो। बहुत खूबसूरत और शांत जग़ह है।”

 

अंकित नौकुचियाताल का नाम सुनकर थोड़ा चौंका, क्योंकि उसने पहले कभी उस जग़ह का नाम नहीं सुना था। उसने, अपने जीजाजी से नौकुचियाताल की थोड़ी और इन्फॉर्मेशन ली और कहा,  

 

अंकित - मामा, हम लोग डिसाइड करते है, अगर जाने का प्लान बना तो यहां से डायरेक्ट ही निकल जायेगे। ओके बाय.....  

 

कॉल ख़त्म होने के बाद, अंकित ग़हरी सोच में पड़ गया। दुनियाभर में घूमने के बाद भी न जाने क्यों नौकुचियाताल के नाम ने ही उसे कुछ अलग महसूस कराया। कुछ तो था इस जगह के बारे में, जिसने उसकी इक्साइटमेंट बढ़ा दी थी। उसने अपने ऑफिस में कॉल किया और अपनी मीटिंग की डेट एक्सटेंड करने को कहा। जैसे ही अप्रूवल मिला, उसने फौरन गूगल पर "नौकुचियाताल" सर्च किया।

 

स्क्रीन पर हरी-भरी, धुंध में लिपटी पहाड़ियों की तस्वीरें देखकर अंकित का मन नौकुचियाताल जाने के लिए मचल उठा। उसने फ़ोन को श्रुति की ओर घुमाया और उसे तस्वीरें दिखाईं।

 

श्रुति : वाउ! ये जगह कितनी खूबसूरत है, अंकित! चलो न चलते है।  

फ़ोटो देखने के बाद दोनों ने उदयपुर के बाद सीधे नौकुचियाताल जाना फ़ाइनल किया और इसके बाद अंकित और श्रुति ने उदयपुर की पिछोला झील में बोटिंग की और ,मानसून पैलेस जैसी कुछ खूबसूरत साइट एक्सप्लोर की. जिसके बाद  वे लोग सीधे अपने होटल आ गए । वो दोनों आज पूरे दिन घूमे थे और उनको सुबह जल्दी नौकुचियाताल निकलना था, इसलिए जल्दी ही सो गए।  

 

****

 

इधर होमस्टे पर पहुंचते ही पुलिस की गाड़ी रुक गई। आसमान पर घनी धुंध छाई हुई थी। होमस्टे के चारों तरफ सिर्फ अंधेरा और वीरानी फैली हुई थी।

 

होमस्टे का मेन गेट कुछ अज़ीब लग रहा था। जैसे ही उन्होंने दरवाज़ा खोला, एक तेज़ हवाओं का झोंका अंदर आया, और हर दिशा से खिड़कियों और दरवाजों के खटकने की आवाजें आने लगीं। अंदर घुसते ही उनके कदम भारी हो गए, जैसे कोई अदृश्य ताकत उन्हें रोकने की कोशिश कर रही हो।

पुलिस टीम ने अपने टॉर्च और हथियार संभाल लिए। वे चौकन्ने होकर धीरे-धीरे होमस्टे की तरफ बढ़े। बगीचे के पास से गुज़रते वक्त एक हल्की सी सिहरन उनकी रीढ़ से होकर गुज़री, लेकिन उन्होंने इसे नज़रअंदाज़ कर दिया। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि, वे जिस जगह की जांच करने आए हैं, वहाँ उन्हें कुछ ऐसा मिलेगा, जो उनके होश उड़ा देगा।

 

राजवीर ने अपनी टीम को कहा "इस जगह में कुछ तो अज़ीब है... ये सन्नाटा, ये हवा..." राजवीर ने हल्की आवाज़ में कहा, लेकिन उसे खुद अपनी बातों पर यकीन नहीं हो रहा था। उसने खुद को शांत किया और काम पर ध्यान दिया।

 

दो सिपाहियों ने ऊपर जाकर  कमरे की जांच शुरू की। उनमें से एक ने एक जर्जर अलमारी के पास पहुंचकर उसे खोलने की कोशिश की। अचानक अलमारी से एक पुरानी किताब गिरी। किताब गिरते ही एक ठंडी हवा का झोंका पूरे कमरे में फैल गया, जैसे कोई अदृश्य शक्ति किताब के गिरने से नाराज हो गई हो। एक सिपाही  ने झुककर किताब उठाई, और जैसे ही उसने किताब खोली, अंदर से सूखी गुलाब की पंखुड़ियाँ बाहर गिरने लगीं।

सिपाही ने चौंकते हुए कहा - "गुलाब की सुर्ख़ पंखुड़ियाँ? इतनी पुरानी किताब में ये कैसे...?"  

पंखुड़ियों का गिरना जितना साधारण लग रहा था, उतना ही उसमें कुछ भयानक भी था। जैसे ये जगह कुछ कहना चाह रही हो, लेकिन उसकी आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं था।

एक सिपाही बाहर के बगीचे की ओर बढ़ा। गुलाब की बेलें अब भी हवा में हिल रही थीं, लेकिन उनमें कुछ अजीब था। हवा का झोंका जैसे ही बगीचे से गुजरा, गुलाब की पंखुड़ियाँ पौधों से अलग होकर ज़मीन पर गिरने लगीं।

सिपाही ने देखा कि पंखुड़ियाँ हवा में तो उड़ीं, लेकिन एक जगह आकर ठहर गईं। ऐसा लगा जैसे कोई अदृश्य शक्ति उन्हें रोक रही हो। अचानक, उसकी पीठ पर किसी का हल्का-सा हाथ उसे महसूस हुआ। उसने पलटकर देखा—वहाँ कोई नहीं था।

सिपाही ने घबराकर खुद से कहा "ये... ये क्या था?"

वह समझ नहीं पा रहा था कि यह सब हो क्या रहा है। उसे महसूस हुआ कि वह अकेला नहीं है। लेकिन उसने खुद को संभाला और बाकी टीम को कुछ नहीं बताया। उसने इस घटना को दिमाग का भ्रम मान लिया।

 

होमस्टे के अंदर दो सिपाही धीरे-धीरे हर कमरे की तलाशी ले रहे थे। तभी अचानक से दरवाज़ा ज़ोर से बंद हो गया। आवाज़ इतनी तेज़ थी कि बाकी सिपाही भी चौंक गए। सभी ने इधर-उधर देखा, लेकिन कुछ समझ नहीं आया।

 

राजवीर ने खुद को शांत रखा और कहा "दरवाजा खुद बंद हो गया? ये पुरानी जगहें... कभी-कभी हवा से ये सब होता है।"

दरवाजे के अचानक बंद हो जाने को पुलिस वालों ने हवा का इत्तेफाक माना, लेकिन उनकी आँखों में हल्की-सी दहशत झलक रही थी। वह माहौल, उस पुरानी जगह की सड़ती हुई हवा... सब कुछ एक रहस्यमयी माहोल पैदा कर रहा था, लेकिन कोई भी इसे खुलकर मानने को तैयार नहीं था।

राजवीर, उनकी टीम के साथ उस होम-स्टे की तलाशी लेते रहे, लेकिन उनको एक भी ऐसा क्लू भी नहीं मिला, जिससे वे आर्यन और अन्नू की मौत के कारण का पता लगा सके. अजय ने बड़ी सफाई से सब कुछ साफ़ कर दिया था।  

 

राजवीर ने अपनी टीम को वापस चलने का इशारा किया। टीम बाहर निकल ही रही थी कि एक सिपाही को होम स्टे के पीछे वाले बगीचे में अजीब धुंध दिखाई दी। उस धुंध को देखकर वो रुका और जल्दी से झाड़ियों के पास गया. सिपाही घुटनों के बल बैठकर कुछ देख रहा था, तभी उसको ख़ून जैसे धब्बे दिखाई दिए। सिपाही की आंखें चमक उठी और उसने जल्दी से अपना कैमरा निकलकर, धीमे-धीमे उस पर ज़ूम करना शुरू किया।

 

सिपाही को वहां जो दिखा, उससे सिपाही की आँखें चौड़ी हो गयी। अचानक दिल तेज़ी से धड़कने लगा और वो तेज़ आवाज़ में चीख पड़ा।  

क्या सिपाही को आर्यन और उसकी वाइफ के खून का क्लू मिल गया था? क्या राजवीर इस रहस्य्मयी मौत का राज़ सुलझा पाएंगे? जानने के लिए पढ़ते रहिये “सूखे-गुलाब”।  

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