ये दुनिया बहुत खराब है, मेरी शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया गया है। लेकिन इस निपुन  ने भी एक गलती कर दी। मेरी शक्तियों का गलत इस्तेमाल करने के लिए मेरी शक्तियां मुझे रियलाइज करा दीं। उसने यह नहीं सोचा कि अगर मैंने उनो रिवर्स खेल दिया "तो तू तो गया निपुन  (3 इडियट्स स्टाइल)"। अब लड़ाई नहीं war होगी war  और यह तो सुना ही होगा एवरीथिंग इज फेयर इन लव एंड वार। अब बस... लंगोटिये अगर तेरी लंगोटी भी न बिकवा दी तो मैं भी इस कंपनी का जेनिटर नहीं। मेरा मतलब सीईओ नहीं। हां... मैं भी इस कंपनी का सीईओ नहीं। मैंने ऑफिस बॉय सनी को बुलाया और उसके कहा कि निपुन को तुरंत मेरे कैबिन में भेजे (बेल साउंड)

 

चाहता तो तभी एक झटके में इस निपुन  की नौकरी खा जाता, वो भी बिना किसी भी सवाल-जवाब के...  लेकिन मुझे सब के सामने एक example सेट करना था, सब मुझसे नाराज थे क्योंकि मैं उनसे कम पढ़ा-लिखा था। और इन सब के पास एक से एक वीआईपी कॉलेज की डिग्रियां थीं... फिर भी मैं सीईओ बन गया। यह तो वही बात हुई न कि हंस दाना चुग रहा है और कौवा मोती खा रहा है। इस निपुन ने तो सारी हदें ही पार कर दीं, मेरी मासूमियत का फायदा ही उठा लिया यार। सही कहते हैं विश्वास में ही विष का वास होता है। इसकी वजह से जितना विष सब ने मुझ पर उगला है, उस सारे विष का शरबत बनाकर इसे ही पिलाऊंगा मैं भी। 

 

(दरवाजे की आवाज) 

 

निपुन : आपने बुलाया सर? 

 

रवि: अरे काहे का सर, तुम तो मेरे दोस्त हो दोस्त। वैसे कैसा लगा मेरा डिसीजन? 

 

निपुन : बोल्ड मूव सर, बोल्ड मूव। 

 

रवि: पर लंगोटिये... अब एक काम और करना है तुम्हें। 

 

निपुन : क्या सर?

 

रवि: तुम्हें अब तक यह तो पता चल गया होगा कि डील कैंसिल हो गई है। तो अब तुम कोई डील ढूंढो। 

 

निपुन : ओके सर। 

 

रवि: हां... 55 करोड़ से कम नहीं।

 

निपुन  (परेशान): लेकिन 55 करोड़ की… 

 

रवि: अरे, जब क्रोनियस 55 करोड़ ऑफर कर सकता है तो कोई और भी करेगा, जाओ ढूंढो। 

 

निपुन : ओ… ओके। 

 

रवि: सुनो कल सुबह तक... 

 

निपुन  (डरा हुआ): लेकिन सर सुबह तक इतनी बड़ी डील कैसे मिलेगी? 

 

रवि: अरे तुम्हारी एक डील कैंसिल हुई थी उनसे बात कर लो। प्लीज... दोस्त के लिए इतना नहीं करोगे। 

 

निपुन की बोलती ऐसे बंद हुई जैसे किसी नेता से जनरल नॉलेज का क्वेश्चन पूछ लिया हो। निपुन  के बाहर जाते ही अनीता मैडम मेरे केबिन में आ गईं। 

 

अनीता: अब इस निपुन  की कौनसी नई एडवाइस पर काम कर रहे आप? 

 

अरे, शांत लेडी भीम शांत। कभी-कभी अनीता मैडम के बॉयफ्रेंड पर तरस आता है। बेचारा किस हालत में जिंदा होगा, और होगा भी या नहीं बोलना थोड़ा मुश्किल ही है। शायद इन्हें किसी ने बताया नहीं कि लाइफ में "वीर रस" के अलावा और भी "रस" होते हैं। भगवान ने इतना खूबसूरत चेहरा दिया है तो थोड़ा हंस लो मुस्कुरा लो, लेकिन शायद इन्हें तो वो कॉन्सेप्ट ही नहीं मालूम। अगर इनका फोटो खेत में लगा दो तो कोई जानवर डर कर फसल खराब नहीं करेगा।

 

रवि (थोड़ा डरा हुआ): मैं निपुन की किसी भी एडवाइस पर काम नहीं कर रहा अनीता मैडम. 

 

अनीता: सी मिस्टर रवि, मैंने इस क्रैप को बहुत सह लिया है। अगर अब कोई और गड़बड़ आपकी वजह से हुई तो मैं रिजाइन कर दूंगी। अनीता वर्मा के लिए जॉब्स की कोई कमी नहीं है। 

 

ये बोलकर इतनी जोर से अपने हाथ टेबल पर मारे कि एक छोटा सा अर्थक्वेक मेरे ऑफिस में आ ही गया होगा। फिर उनके आंसू बहने लगे। ये ठीक है यार, एक तो डांटा भी खुद ही, वो भी बॉस को, और फिर रो भी खुद ही ली। हद है, मतलब अब तो मैं रो भी नहीं सकता। सच बताऊं, उनकी डांट से इतना डर नहीं लगा जितना उनके आंसुओं से लग रहा था। मुझे आज तक किसी ने नहीं सिखाया था कि रोते हुए इंसान को कंसोल कैसे करते हैं। आज मैंने शालिनी मैडम को ऐसे याद किया जैसे मुसीबत में एक भक्त अपने भगवान को याद करता है... पर शालिनी मैडम कोई भगवान तो थी नहीं जो मेरी एक पुकार पर भाग कर चली आती। इसलिए मैंने ऐसा काम किया, जो इस सीईओ के काम से भी न जाने कितना ज्यादा मुश्किल था। उन्हें चुप कराने का। 

 

रवि: रोइए मत मैडम। 

 

वाह, क्या बात बोली है। एक बात बताओ, ये रोते हुए बंदे को चुप कराने के लिए "रोइए मत" बोलना जरूरी है क्या? मतलब रोने वाले इंसान के दिमाग में ये नहीं आया होगा कि ऐसे किसी के सामने न रोए? और किसी के "रो मत" बोलने से वो इंसान चुप हो जाएगा कि अब तो इसने "रो मत" बोल दिया अब चुप होना पड़ेगा... लेकिन जैसा मैंने बताया मुझे भी किसी भी और आदमी की तरह कंसोल करना नहीं आता। 

 

रवि: रोइए मत मैडम, सब ठीक हो जाएगा। मैं आपके लिए coffee लाता...

 

अरे यार एक तो पुरानी आदतें नहीं छूटती अब मैं ceo हूँ coffe क्या पूछ raha हूँ ? हे भगवान, मुझसे नहीं हो रहा i give up।  यह नहीं होने का...  इससे अच्छा तो मैं तोप के मुह में अपना सिर देकर, खुद ही गोला दाग दूँ। इसलिए मैंने मैडम को बस पानी का ग्लास देकर सॉरी बोला। पानी देते हुए भी मेरे हाथ कांप रहे थे। ईमानदारी से बोलते हुए, उस दिन का सबसे मुश्किल टास्क वही था। और अनीता मैडम को जैसे तैसे मैंने अपने केबिन से बाहर भेजा।

अगली सुबह, ऑफिस पहुंचते ही मैंने निपुन  को केबिन में हाजिर होने का फरमान सुना दिया। 

 

रवि: निपुन  वो डील की क्या अपडेट है? 

 

निपुन  (टेंस्ड): सर अभी कुछ और टाइम चाहिए। 

 

रवि (गुस्से में लेकिन शांत आवाज): यार निपुन  ऐसे कैसे काम चलेगा। एक तुम पर ही तो मैं भरोसा कर सकता हूँ, इसलिए तुमसे कहा मैंने। याद है न हम एक टीम हैं। 

 

निपुन  (सैड): हाँ सर, याद है। मैं ट्राई करता हूँ। 

 

रवि: हाँ करो, और सुनो आज थोड़ा ओवरटाइम कर लो पर आज कोई डील ढूंढ ही लो। 

 

निपुन  (सैड): लेकिन सर आज मुझे जल्दी जाना था। 

 

रवि: प्लीज, अपने दोस्त के लिए इतना नहीं कर सकते।

 

निपुन  ने मुझे ऐसे देखा जैसे मैंने उससे उसकी गैस सब्सिडी छीन ली हो। पर बेचारा क्या ही करता, चुपचाप ऑफिस से निकलकर काम पर लग गया। वैसे यह दोस्त वाला कार्ड अच्छा चल रहा था। पूरे एक सप्ताह मैंने निपुन  की जिंदगी में मैंने संपूर्ण तरीके से जहर घोल दिया। हर दिन उसे ओवरटाइम के लिए किसी न किसी बहाने से रोक लेता था। मुझे पूरा यकीन है निपुन  की लाइफ में संजय राव की पोजीशन में ले चुका था। पूरे एक सप्ताह ऐसा चला। एक दिन मैं घर जाने के लिए लेट हो गया। ऑफिस से सब लोग जा चुके थे। मैं अपने ऑफिस से बाहर निकलकर गेट की तरफ बढ़ा तब एक आवाज सुनाई दी। अंधेरा चारों तरफ फैल चुका था। मैंने ध्यान से सुना तो यह आवाज ऑफिस के एक कोने से आ रही थी... लेकिन ऑफिस में तो कोई था ही नहीं। उस दिन मैंने भगवान, अल्लाह, जीसस, वाहेगुरु सबको एक साथ याद कर लिया, कोई तो बचा ले। पर वो आवाज बंद नहीं हुई। मैंने सोचा कहीं भूत नास्तिक तो नहीं है। एक तो बचपन में मम्मी कहते कहते थक गई कि बेटा हनुमान चालीसा याद कर ले पर नहीं मुझे तो उस वक्त क्रिकेट खेलना था। अब शर्मा जी के बेटे को बुलाऊं क्या भूत भगाने को। मैं धीरे कदमों से आवाज की तरफ बढ़ा। वहां पर निपुन  खड़ा हुआ था। अबे… इसने कहीं सुसाइड तो नहीं कर ली? पक्का यह मुझसे बदला लेने के लिए वापस आया है। मैंने बहुत हिम्मत करके उससे पूछा यहां क्या कर रहे हो। तो उसने बताया काम बचा हुआ है। मैंने एक राहत की सांस ली कि चलो कम से कम जिंदा तो है। तब उसने जो किया उसके लिए मैं बिल्कुल रेडी नहीं था। (स्लो पेस) उसने अपने पॉकेट से एक (सस्पेंसफुल स्टॉप) रुमाल निकाला और रोने लगा। यार देखो वैसे मैं बहुत सख्त लौंडा हूं पर यहां मैं पिघल गया। उसे रोता देखकर, मैं भी थोड़ा सा सेंटी हो गया। 

 

रवि (इमोशनल): सुनो, रो मत। घर चले जाओ। 

 

निपुन  (रोते हुए): लेकिन काम बचा है। 

 

रवि: कोई बात नहीं बाद में हो जाएगा। वैसे भी डील के लिए क्लाइंट मिल चुका है।

 

ये सुनते ही निपुन का गुस्सा सातवें आसमान से भी ऊपर पहुंच गया। मुझे लगा कि कहीं इसमें अनीता मैडम की आत्मा तो नहीं आ गई। 

 

निपुन  (गुस्से में): तो आप मुझसे इतना काम क्यों करवा रहे थे, मैंने तो आपको अपना दोस्त माना था और आप… 

 

रवि (गुस्से में): दोस्त? तुमने दोस्त माना था मुझे? दोस्त तो मैंने तुम्हें माना था इसलिए तुम्हारी एडवाइस पर बिना सोचे समझे क्रोनियस के हेड से डील ब्रेक कर दी...  लेकिन तुमने तो मेरी पीठ पर छुरा घोंपा था। नहीं, नहीं, छुरा भी नहीं पूरी तलवार घुसा दी, वो भी प्यार से। मैंने तो तुम्हें कर्ण समझा था पर तुम तो शुकुनि निकले। सोचा तो था कि तुम्हें ऑफिस से ही निकाल दूं, पर मुझे किसी की नौकरी नहीं खानी। इसलिए सोचा कि थोड़े मज़े तुमने लिए तो थोड़े मज़े मैं भी लेलूं। चलो अब जाओ। हो गया तुम्हारा काम। 

 

निपुन  (डरा हुआ): अभी तो आपने कहा कि नौकरी नहीं खानी और अब… 

 

रवि: अरे , घर जाओ, रेस्ट लो और सुनो, काफी काम करा है तुमने इसलिए 3 दिन की छुट्टी लेलो। थोड़ा रेस्ट करना। 

 

कभी-कभी लगता है अपुन ही भगवान है, क्योंकि इतना अच्छा कोई इंसान तो नहीं हो सकता। जो भी हो, निपुन  की आंखों में छुट्टी सुनते ही एक नई चमक आ गई। वो ऐसे खुश हो गया जैसे किसी की 10 करोड़ की लॉटरी निकल गई हो। वो खुशी से अपना बैग उठाकर निकल गया। उसके बाद मैं भी ऑफिस से घर के लिए निकल गया। कहते हैं, सांप एक बार तुम्हें काटे तो वो सांप की गलती है, लेकिन अगर वही सांप उसी जगह पर तुम्हें दोबारा काटे तो वो सांप की नहीं तुम्हारी गलती है। अब देखना था कि ये निपुन  रूपी इक्षाधारी सांप अपना फन फैलाता हुआ वापस मुझे काटेगा या नहीं?

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