उस भारी आवाज़ को सुनते ही मैथली के साथ-साथ बाकी सभी लोग हैरान हो गए, कुमार की आंखों में एक अलग ही गुस्सा दिखाई देने लगा, क्योंकि सामने खड़ा शख़्स कोई और नहीं बल्कि जीतेंद्र था। जीतेंद्र वहां समझने की कोशिश कर रहा था कि आख़िर हो क्या रहा है? उसने जब कुमार को मैथली का हाथ पकड़े देखा, उसे हैरानी हुई। जीतेंद्र, कुमार को एक बार में पहचान गया, जिसके बाद उसने तपाक से पूछा,
जीतेंद्र: "क्या, मैं जान सकता हूं कि आख़िर यहां हो क्या रहा है?”
मैथली इसके ज़वाब में कुछ कहने ही वाली थी कि कुमार ने जीतेंद्र को शांत रहने का इशारा किया, वो इस वक्त ये भूल गया था कि जीतेंद्र स्कूल का स्पोर्ट्स टीचर है। इस वक्त 16 साल के कुमार के अंदर अपने प्यार को लेकर एक अलग तरह का जुनून दिखाई देने लगा था। मैथली ने कुमार को देखते हुए मन में कहा,
मैथली(घबराते हुए) : “मैंने कभी नहीं सोचा था कि कुमार इस तरह का कुछ करेगा, हमेशा से मैं उसे एक बेबस और लाचार लड़का समझती आई थी, जिसे क्लास में हर कोई तंग करता था, आख़िर इसे हुआ क्या है?”
मैथली मन में कहते हुए हैरान नज़रों से कुमार को देखे रही थी, वो अंदाज़ा नहीं लगा पा रही थी कि आख़िर कुमार करने क्या वाला है, रीमा का भी यही हाल था। “ना जाने हरदम शांत रहने वाला लड़का इतना बदतमीज कैसे हो गया है…” रीमा के मन में कुछ इस तरह के सवाल चल रहे थे। जीतेंद्र भी ख़ामोश खड़ा था कि ठीक उसी वक्त कुमार ने अपनी जेब से टूटी हुई चूड़ियों को निकाल कर कहा,
कुमार(एक जुनून के साथ) : "देखो मैथली... ये चूड़ियां तुम्हारी मन पसंद चूड़ियां थी न...इनके टूटने पर तुम बहुत रोई थी.... मैंने इन टूटी हुई चूड़ियों को अब तक संभाल कर रखा है... और ये देखो....(एक फटा हुआ दुपट्टा निकालते हुए).... ये भी अब तक मेरे पास है... तुम्हें भरोसा नहीं होगा.... लेकिन मेरे कमरे में जितना मेरा सामान नहीं है, उससे कहीं ज़्यादा तुम्हारा सामान रखा हुआ है.... मैंने तो अपने स्टडी टेबल को एक मंदिर बना लिया है... जिसकी देवी मैंने तुम्हें माना है मैथली.... अब तो तुम्हें विश्वास हो गया कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं...."
ये सारी बातें सुन कर मैथली के साथ साथ रीमा और जीतेंद्र भी हैरान थे। उनको ये सब किसी सपने से कम नहीं लग रहा था। मैथली के चेहरे पर इस वक्त कोई भी emotions नज़र नहीं आ रहे थे। मैथली को ख़ामोश देख, जीतेंद्र ने ही कड़क आवाज़ में पूछा कि कुमार ये सब बता कर क्या साबित करना चाहता है.... जिसके जवाब में कुमार ने जीतेंद्र को नज़र अंदाज़ कर दिया और मैथली की आंखों में देखते हुए कहा,
कुमार(पागलपन से) : "यही कि मुझसे ज़्यादा प्यार मैथली को कोई नहीं कर सकता....तुम भी नहीं.... मैथली मेरी है... सिर्फ़ मेरी... और एक दिन मैं इससे शादी करूंगा…”
रीमा ने आखिरी के शब्द थोड़ा कड़क लहज़े में कहा ताकि कुमार घबरा जाए मगर वो कहां इतनी आसानी से हार मानने वाला था। उसने मैथली की तरफ़ ही देखते हुए कहा, “भले ही मैथली मेरी teacher है मगर कहते हैं ना कि प्यार कभी भी…किसी से भी हो सकता है, बस मुझे मैथली से हो गया…. ये मेरी दर्द से भरी life में एक मरहम बनकर आई थी….”
जीतेंद्र(मज़ाक उड़ाते हुए): "आज कल के बच्चे भी न..मोबाईल में बेकार कंटेन्ट देख कर कुछ ज़्यादा ही बिगड़ गए हैं..."
जीतेंद्र ने हंसते हुए कहा, मगर मैथली अब भी सीरीअस होकर खड़ी थी। वो बार बार कुमार के चेहरे की तरफ़ देख रही थी। कुमार ने अगले ही पल मैथली के दोनों हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा,
कुमार(समझाते हुए) :"ये लोग हमारे प्यार को नहीं समझेंगे मैथली...तुम बस मुझे ज़वाब दो...क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो... बाकी मुझे किसी से कोई मतलब नहीं है... मैं आज यहां शादी में भी इसलिए ही आया हूं…. ताकि तुम्हारे मन की बात जान सकूं…”
इसी तरह कुमार अपने दिल की बात कहे जा रहा था, उसकी बातें सुन कर जीतेंद्र और रीमा की हंसी ही नहीं रुक रही थी, मगर मैथली को कुछ ना कहता देख कुमार को लग रहा था कि उसकी बात मैथली समझ रही है, इसलिए वो आगे और भी बातें कहे जा रहा था। बहुत देर हो जाने के बाद भी जब कुमार चुप नहीं हुआ तो अचानक से मैथली ने अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा,
मैथली(चिल्ला कर) : "बस बहुत हुआ... तब से मैं चुप हूं इसका ये मतलब नहीं कि तुम कुछ भी बकवास करो... और तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहां सबके सामने मुझसे ये सब कहने की.... अपने आप को और अपनी उम्र देख लो पहले... खबरदार अगर दोबारा तुमने मुझे ये सब कहा तो...इस बार बच्चा समझ कर छोड़ रही हूं..."
इतना कह कर मैथली वहां से पैर पटकते हुए जाने लगी, जीतेंद्र और रीमा चुप चाप उसे देख रहे थे मगर कुमार को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मैथली उसके प्यार को इस तरह ठुकरा कर जाएगी। अगले ही पल कुमार मैथली के सामने जाकर खड़ा हो गया और हाथ जोड़ते हुए कहने लगा,"
कुमार (गिड़गिड़ाते हुए) मैथली तुम मुझे गलत समझ रही हो... मैं तुमसे प्यार करता हूं...सच्चा प्यार... मैंने कभी भी तुम्हारे बारे में गलत नहीं सोचा है... तुम्हें एहसास नहीं कि तुम मेरे लिए क्या मायने रखती हो...."
कुमार ये सब कह ही रहा था कि अचानक से मैथली ने उसके हाथ से अपना फटा हुआ दुपट्टा लिया और ज़मीन पर फेंकते हुए कहा,
मैथली(गुस्से से) : "दोबारा मेरी किसी भी चीज़ को अपने पास मत रखना... नहीं तो अच्छा नहीं होगा....पहले मुझे लगा था कि तुम कोई शरारत कर रहे हो... मगर मुझे नहीं पता था कि तुम एक पागल हो....(Pause)... और भूलो मत मैं तुम्हारी क्लास टीचर हूं …ऐसा सबक सिखाऊंगी कि ज़िंदगी भर याद रहेगा…. पागल कहीं के…”
मैथली के मुंह से अपने लिए पागल शब्द सुनकर कुमार की पूरी दुनिया हिल गई, उसे गहरा सदमा लगा। वो अभी अपने आप को संभाल पाता कि तभी पीछे से जीतेंद्र ने उसके कंधे पर हाथ रखा और समझाते हुए कहा, "
जीतेंद्र: लड़के....मुझे लगता है कि तुम्हें समझ आ जाना चाहिए.... और अगर इसके बाद भी नहीं समझे तो और भी तरीके हैं…..”
कुमार की आँखें नम हो गई थी, मैथली वहां से जा चुकी थीं। कुछ लड़के लड़कियां जीतेंद्र और रीमा को वहां देख कर आए और पूछने लगे कि वहां क्या हो रहा था? तभी जीतेंद्र ने अपने दोस्तों को कुमार के बारे में बताते हुए कहा,
जीतेंद्र(मज़ाक उड़ाते हुए) : "आप सबने अब तक कई तरह की लव स्टोरी सुनी होगी... लैला मजनू, हीर रांझा...और ना जाने कौन कौन सी! मैं आज आप सबको मिलवाता हूं... एक चिंटू आशिक से... जो ख़ुद तो 16 साल का है और उसने प्यार कर लिया एक 21 साल की लड़की से….. वो भी कोई आम लड़की नहीं…बल्कि इसकी ही क्लास टीचर मैथली मैडम…”
इतना कहने के साथ ही जीतेंद्र अपने दोस्तों के सामने कुमार का मज़ाक उड़ाने लगा। रीमा भी उन लोगों का साथ दे रही थी, "अरे!...तुम सब को नहीं पता, इसने तो अपने घर में अपने प्यार का मंदिर भी बना रखा है... जिसमें इसने मैथली को मंदिर की देवी बनाया है.... क्या बचपना है यार...." कुछ इस तरह की बातें सारे लोग कुमार के लिए कर रहे थे, तभी रीमा ने देखा कुमार के चेहरा उतर गया है, आंखों में आंसु आ गए हैं। उसे कुमार के लिए बुरा लगने लगा, वो कुमार को समझाने ही वाली थी कि कुमार रोता हुआ, वहां से जाने लगा। जैसे जैसे कुमार वहां से जा रहा था, उसे अपनी एक पुरानी दर्दनाक घटना याद आ रही थी। उसकी आंखों के सामने कुछ पुराने दृश्य दिखने लगे थे।
कुमार को कुछ सालों पहले का सीन याद आने लगा था ! वह क्लास में जल्दी आ गया था और सबसे पहले वाले बेंच पर आकर बैठ गया था। कुमार काफ़ी excited नज़र आ रहा था, ठीक उसी वक्त कुछ लड़के क्लास के अंदर आए। उनमें से एक ने कहा, जिसका नाम मोहित था, “ए!!... चल उठ यहां से…जाकर पीछे बैठ…” कुमार को समझ नहीं आया कि आख़िर उसकी क्या गलती है, वो क्यों वहां नहीं बैठ सकता। उसने जब इसका कारण पूछा तो उस लड़के ने बताया, “बड़े घर के बच्चे आगे बैठते है! मजदूर का बेटा पीछे! अब समझ?…” मोहित की इस बात को सुन कर कुमार को गुस्सा आया, उसने अपनी मुट्ठियां भींचते हुए कहा,
कुमार(गुस्से से) : “मैं कहीं नहीं जाने वाला…. इस स्कूल में पढ़ने के लिए तुम जितना पैसे भरते हो, मेरे बाबा भी उतने ही पैसे भरते हैं, मैं यहीं बैठूंगा….”
देखते ही देखते कुमार और मोहित के बाकी दोस्तों के बीच बहस छिड़ गई, अगले ही पल वो सारे लड़के कुमार को क्लास के कोने में ले जाकर मारने लगे, अकेला कुमार चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहा था। इस लड़ाई में कुमार की शर्ट फट गई थी, वो अपने दोनों हाथों से शर्ट को पकड़ कर अपने शरीर को ढकने की कोशिश करने लगा। उसने देखा क्लास में सारे बच्चे उसकी हालत देख कर हंसे जा रहे थे। कुमार को ऐसा लग रहा था कि इसी वक्त धरती फट जाए और वो उसी में समा जाए। “आज के बाद कभी गलत पंगा मत लेना…नहीं तो….”
एक साथ पूरा क्लास हंसते हुए यही चिल्लाने लगा, कुमार की आँखें नम हो चुकी थी। ठीक उसी वक्त वहां पर एक शहद सी मीठी आवाज़ आई, “
मैथली (टीचर के अंदाज में)\: क्या हो रहा है यहां पर…क्यों हंस रहे हो तुम सब?”
अगले ही पल पूरा क्लास शांत हो गया और एक बेहद ही खुबसूरत लड़की क्लास के अंदर आई, जिसने सफ़ेद सूट पहन रखा था और बालों को समेट कर बांधा था। कुमार की नज़र जैसे ही उस चेहरे पर पड़ी, उसे अंदर से एक अलग ही एहसास होने लगा। वो कोई और नहीं बल्कि मैथली थी। मैथली ने जब कुमार को देखा, वो समझ गई कि कुछ बच्चों ने उसे परेशान किया है। वो कुमार के पास आई और अपने बैग से कुछ पिंस निकाल कर कुमार की शर्ट पर लगाने लगी।
जीतेंद्र ने जिस तरह शादी में कुमार का मज़ाक उड़ाया तो उसे अपनी क्लास में हुए उस हादसे की याद आ गई थी। कुमार ने रास्ते में चलते हुए ख़ुद से कहा,
कुमार(निराशा से) : “आज मेरे साथ ऐसा कुछ होगा, मैंने सोचा नहीं था…. सालों पहले क्लास में उन लड़कों ने जब मुझे परेशान किया था, उस वक्त तुम आई थी मैथली…मगर आज तुमने ही मुझे उल्टा पागल कह दिया…तुम मेरे प्यार को समझ नहीं पाई मैथली….नहीं समझ पाई…”
थोड़ी ही देर में कुमार घर आ गया। उसे कहीं ना कहीं अंदर से लग रहा था कि अब भी मैथली हो सकता है उसके पास आएगी और माफ़ी मांगेगी, इसी आस में कुमार दरवाज़े पर खड़ा होकर सामने सड़क की तरफ़ देखने लगा, मगर जब ऐसा कुछ नहीं हुआ तो वो बुरी तरह से भड़क गया। कुमार गुस्से से अपने कमरे में आया और सारा सामना उठा कर इधर उधर फेंकने लगा। उसने अब तक मैथली से जुड़ी हुई जितनी भी चीज़ों को सहेज कर रखा था, उन सब को एक साथ कूड़ेदान में फेंक दिया, मगर इसके बाद भी उसे चैन नहीं मिल रहा था। कुमार ये बर्दाश्त ही नहीं कर पा रहा था कि मैथली ने उसके प्यार को सबके सामने ठुकरा दिया है। उसे वो सारे शब्द अब भी सुनाई दे रहे थे, जो मैथली ने कुमार को कहे थे। तभी कुमार की नज़र मैथली की तस्वीरों पर पड़ी, उसने अगले ही पल उन तस्वीरों को देखते हुए कहा,
कुमार(गुस्से से) : "जीतेंद्र और बाकी लोगों ने मुझे जो कुछ भी कहा... मुझे इतना बुरा नहीं लगा, जितना तुम्हारी बात से लगा है मैथली....कल तक जिस मैथली को मैं अपनी पूरी दुनिया समझता था....तुमने एक बार में ही मेरी उस दुनिया उजाड़ दिया.... और तो और तुमने मुझे एक पागल कहा मैथली....क्या मैं तुम्हें पागल लगता हूं...."
यही सब कहते हुए कुमार बड़बड़ाए जा रहा था, वक्त के साथ उसका गुस्सा भी बढ़ रहा था। एक वक्त आया जब कुमार ने गुस्से से सामने दीवार पर टंगे शीशे को हाथ से मुक्का मार कर तोड़ दिया। उसका हाथ खून से भर गया था, मगर उसे अपने इस दर्द का एहसास नहीं था। अगले ही पल कुमार ने मैथली की सारी तस्वीरों को इक्कठा किया और एक एक करके माचिस से जलाने लगा। इस वक्त वो सिर्फ़ मैथली की तस्वीरों को जला रहा था, बाकी सामान अब भी कूड़ेदान में पड़ा हुआ था। कुमार की आंखों में एक अलग सा जुनून दिखाई दे रहा था। उसके चेहरे पर एक devil smile थी। अगले ही पल कुमार ने मैथली की एक आखिरी तस्वीर को अपने होंठों लगाया और फ़िर इसके तुरंत बाद माचिस के हवाले करते हुए कहा,
कुमार(cunning smile से) : "मैथली... अगर तुम मेरी नहीं तो किसी और की भी नहीं.... अब आगे देखो... तुम्हारे साथ क्या क्या होता है.... जिस कुमार को तुमने पागल कहा है ना....वो तुम्हें अब अपना असली पागलपन दिखाएगा....."
इतना कहते ही कुमार पागलों की तरह हंसने लगता है! अब क्या करेगा कुमार आगे? क्या वह मैथली को नुकसान पहुंचाएगा? जानने के लिए पढ़ें कहानी का अगला भाग।
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