​​अश्विन देर रात, लबों से सिगरेट लगाए हुए, अपने फ्लैट के हॉल में, बार कैबिनेट से चिपका हुआ था। एक हाथ में शराब से भरा ग्लास, और दूसरे हाथ में फोन लेकर शीना की पुरानी तस्वीरें देख रहा था। उन फ़ोटोज़ में वह शीना को नहीं, अपने-आप को देख रहा था। वह खुश नज़र आ रहा था। अचानक ही, शीना की उन हँसती-मुस्कुराती तस्वीरों को देखकर, अश्विन के दिल में एक कसक पैदा होने लगी, और साथ ही एक अजीब सा अपराध बोध। उसने जो शीना के साथ किया, वह अपराध नहीं तो और क्या था? ​

​​वह फोन पर अंगूठा फेरता रहा, और हर स्वाइप के साथ शीना से जुड़ी यादें सामने आती गईं। शीना की मुस्कुराहट, उसकी आँखों की चमक, वह सब कुछ जो उसने नष्ट कर दिया था। अचानक, उसकी नज़र एक ऐसे वीडियो पर गई, जिसकी वजह से उसका हाथ रुक गया, क्योंकि उसे लगने लगा कि उस वीडियो ने उसे जकड़ लिया हो - वह वीडियो शीना ने एक रात उसे भेजा था, जब वे दोनों रिलेशनशिप में आए ही थे, और उसमें शीना उसके लिए उसका पसंदीदा गाना गा रही थी, क्योंकि अश्विन का मन किसी बात को लेकर उदास था।​

​​कुछ समय तक उस वीडियो को देखने के बाद, वह अपने बिस्तर पर जाकर लेट गया, और उसने अपना फोन बिस्तर के एक तरफ फेंक दिया। उसके दिमाग में विचारों का तूफ़ान उठा हुआ था। क्या वह वास्तव में इतना स्वार्थी था? क्या वह खुद को बचाने के लिए शीना को डुबो रहा था? क्या उसने खुद को बचाने के लिए, सिर्फ़ शीना से पीछा छुड़ाने के लिए, शीना के सपनों को कुचल दिया था? अश्विन के शरीर में एक कंपकंपी की लहर दौड़ गई।​

​​अश्विन : “ये मैंने क्या कर दिया? मैंने शीना की हँसी, खुशी, सब कुछ छीन ली। पर मेरे साथ जो कुछ भी हो रहा है, वह ज़रूर कर्मा है। मुझे अपनी लाइफ को बदलना होगा।”​  

​अश्विन, जैसे ही सुबह-सुबह ऑफिस बिल्डिंग के पास पहुँचा, तो उसने अपना रुख चाय की टपरी की ओर किया। तभी अचानक उसकी नज़र बिल्डिंग में दाखिल होने वाले तीन लोगों पर पड़ी, जिन्हें देखकर उसके उदास-हताश चेहरे पर और भी ज़्यादा मायूसी छा गई, क्योंकि वह उन्हें जानता था। अचानक ही इतने दिनों के बाद, अपने आस-पास शीना को देखकर, वह अंदर ही अंदर सकपका सा गया, क्योंकि उसने कभी भी शीना को इतनी बुरी हालत में नहीं देखा था। शीना, जिसका चेहरा कभी खिला हुआ होता था, उसी शीना के चेहरे पर एक उदासी थी। उसके चेहरे को देखकर पता नहीं चल पा रहा था कि शायद वह वही शीना है भी या नहीं।​

​​अश्विन भी उसे पहचान नहीं पाता, अगर शीना के साथ उसके पापा, और उसकी रूममेट अदिति न होते, जिनके बारे में शीना ने पहले ज़िक्र किया तो था और उनकी तस्वीरें भी अश्विन को दिखाईं थीं। अश्विन उस टपरी के पास इस तरह से खड़ा था कि उसकी पीठ उनकी ओर थी, और उसने बस अपनी आँखों के कोनों से उन तीनों की एक झलक देखी थी।​

​​अचानक ही अश्विन के ज़हन में यह ख़याल आया कि कहीं अदिति को शीना ने उन दोनों के रिश्ते के बारे में बताया तो नहीं? वह उसकी रूममेट थी, शायद बताया होगा। जैसे ही यह ख़याल उसके ज़हन में आया, वह ऑफिस जाने के बजाय उल्टे पाँव अपने घर के लिए निकल पड़ा। उसे लगा कि वहाँ रुकना उसके लिए ख़तरे से खाली नहीं था, वहाँ कुछ भी हो सकता था। कुछ भी!​

​​अश्विन जैसे-तैसे फटेहाल हालत में अपने फ्लैट पहुँचा, वैसे ही अपने बिस्तर पर ढेर हो गया। बार-बार शीना का हँसता-खिलखिलाता चेहरा उसे याद आ रहा था, और साथ में उसके नज़रों के सामने, शीना का वह बेरंग सा चेहरा घूमने लगा, जिस चेहरे को उसने आज देखा। उन दोनों ही चेहरों में बहुत फ़र्क था।​

​​इतने में उसके फोन पर एक नोटिफिकेशन आया। उसने झट से अपने पैंट की जेब से मोबाइल निकाला तो दंग रह गया। ऑफिस के व्हाट्सएप ग्रुप से शीना को हटा दिया गया था। वह समझ चुका था कि शीना ने इस्तीफ़ा दे दिया है, अपने हेल्थ इशूज की वजह से। और इस सबका कारण वह खुद था। पर कहीं न कहीं, उसको इस बात से बड़ी राहत भी महसूस हो रही थी कि शीना अब ऑफिस वालों को कुछ भी नहीं बता पाएगी।​

​​अश्विन के मन में इस व्यक्त अलग अलग खयाल उमड़ रहे थे। कहीं शीना के लिए हमदर्दी, तो कहीं अपनी सलामती के लिए शीना की क़ुर्बानी! लेकिन, अगले ही पल कुछ ऐसा हुआ, जिससे अश्विन और भी ज़्यादा स्ट्रेस में आ गया। उसे एक बार फिर से उसकी माँ ने फोन किया। उसने फोन उठाया। पता चला कि अब डॉक्टरों ने भी हार मान ली है, और अब उसके बाबा शायद ज़्यादा दिन तक जीवित नहीं रहेंगे। अपनी आई से बात करने के बाद, उसने डॉक्टर से अपने पिता की जानकारी लेनी चाही। डॉक्टर साहब की बातों से उसे एहसास हुआ कि वाक़ई उसके बाबा की हालत बहुत गंभीर है।​

​​इस ख़बर ने उसे अंदर तक ऐसे झकझोर कर रख दिया जैसे कि कोई पेड़ को आँधी उसके जड़ से उखाड़ देती है। इससे उभरने के लिए ही वह काफ़ी देर पहले से ही पीने बैठ गया था। ​

​​शीना को ज़िंदगी से क्या चाहिए था? दरअसल, अश्विन ने जो इच्छा मांगी थी, वह काम तो कर गई, मगर उसकी क़ीमत, शायद शीना को चुकानी पड़ी। शीना और अश्विन आख़िरी बार अश्विन के फ्लैट पर साथ थे। एचआर विभाग में काम करने और कॉर्पोरेट सेक्टर की "नो डेटिंग पॉलिसी" के बावजूद, शीना अपने सहकर्मी के साथ रोमांटिक रूप से जुड़ गई थी। क्योंकि "दिल का क्या क़सूर", "दिल तो बच्चा है जी", "दिल पे किसका ज़ोर चला है" वगैरह-वगैरह! और जिसके ऊपर शीना का दिल आया, वो कोई साधारण लड़का नहीं था, वह पूरी एजेंसी का चहेता था, अश्विन म्हात्रे।​

​​मगर शीना का प्यार, प्यार नहीं था, वह तो अश्विन की पहली इच्छा के कारण उसकी ज़िंदगी में आई थी। अश्विन को वरुण का सब कुछ चाहिए था। और इसी वजह से शीना भी अश्विन के जीवन में आ गई, बिना उसकी सहमति के। शीना, अश्विन की इच्छाओं का शिकार बन गई! पहली इच्छा में शीना, अश्विन से मिली, और दूसरी इच्छा की वजह से शीना की ज़िंदगी उथल-पुथल हो गई थी।​

​​पिछले एक हफ़्ते से, शीना डिप्रेशन से जूझ रही थी। उसे पैनिक अटैक्स आने लगे थे। मगर इस सबके पीछे का कारण क्या था, यह किसी को नहीं पता था, सिवाय अश्विन के। क्योंकि शीना तो उस रात के बाद से सब कुछ भूल चुकी थी, जिस रात अश्विन ने अपनी दूसरी इच्छा ज़ाहिर की थी। उस इच्छा के बाद, जब पहले दिन शीना ऑफिस गई, तो न जाने क्यों, उसे अपने आस-पास के सभी लोग अनजाने से लगने लगे। बीतते दिनों के साथ-साथ, धीरे-धीरे शीना ने ऑफिस आना बंद कर दिया, और ऑफिस की एचआर टीम को उसकी सेहत की ख़बर दी गई। ऑफिस वालों को विश्वास ही नहीं हुआ कि शीना जैसी खुशमिजाज लड़की भी डिप्रेशन जैसी ख़तरनाक बीमारी की चपेट में आ सकती थी।​

​​शुरुआत में, शीना ने थोड़े-बहुत लोगों से बात-चीत की भी थी, मगर पिछले कुछ दिनों से डिप्रेशन की दवाइयाँ लेने के कारण उसकी ज़ुबान लड़खड़ाने लगी थी। इस वजह से उसने बातें करना भी बंद कर दिया था। बस एक अदिति ही थी, जो अब तक शीना का नियमित रूप से ध्यान रखती थी और उसे डॉक्टर के पास ले जाती थी।​

​​दिन-ब-दिन उसकी हालत बद से बदतर होती चली जा रही थी, इसी वजह से अदिति ने उसके माता-पिता को उसकी स्थिति के बारे में बताया। भले ही शीना के माँ-बाप उससे जितने भी नाराज़ क्यों न थे, मगर ऐसे वक़्त और हालात में अपनी बेटी को उसके हाल पर छोड़ना उन्हें सही नहीं लगा। इसलिए वे लोग उसे लखनऊ ले जाने के लिए दिल्ली आ गए। ​

​​अगले कुछ दिनों तक, अश्विन ने अपने आपको सबसे अलग-थलग कर लिया, क्योंकि उसे पता था कि अगर वह शीना या अपने बाबा की चिंता में लगा रहेगा, तो उससे काम नहीं होगा। मगर ऐसा कहाँ होने वाला था कि उसकी ज़िंदगी उसे चैन से जीने देती!​

​​अश्विन ने सोचा था कि अगर शीना उसकी ज़िंदगी से चली गई, तो उसकी ज़िंदगी से एक बड़ी समस्या दूर हो जाएगी, लेकिन क्या है न, उसकी ज़िंदगी में, उसके होते हुए, कोई दूसरा कैसे समस्या पैदा कर सकता था? वह ख़ुद ही अपनी सबसे बड़ी समस्या था, मगर उसे बस दूसरों पर इल्ज़ाम लगाना आता था। शीना के जाने के बाद, पिछले कुछ दिनों से उसकी ज़िंदगी में कोई ख़ास बदलाव नहीं आया था, जैसा कि उसने सोचा था। उल्टा, उसकी नींद और भी हराम हो चुकी थी, क्योंकि शीना की यादें उसका पीछा छोड़ने को तैयार ही नहीं थीं। ​

​​जब भी वह अपने वॉशरूम में जाता, तो उसे वहाँ शीना के कुछ हेयर क्लिप्स और हेयर बैंड्स नज़र आते। शीशे के कोने में शीना की लाल बिंदी पड़ी रहती। जब कभी अलमारी खोलकर अपने अंडरगारमेंट्स या कपड़े निकालता, तो उसकी नज़र शीना के कपड़ों पर पड़ती। ये चीज़ें शीना भूलकर नहीं, छोड़कर गई थी, क्योंकि ये अश्विन ने ही उसे गिफ्ट की थीं। यहाँ तक कि अश्विन का किचन भी, शीना द्वारा लाए गए राशन से अब भी भरा हुआ था।​

​​आए दिन ऑफिस के कुछ लोगों से अश्विन को शीना की ख़बर मिलती, और उसे शीना के लिए हमदर्दी महसूस होती। साथ ही, उसे ख़ुद पर गुस्सा भी आने लगता।​

​​आज अश्विन अपने ऑफिस से शाम को जल्दी घर लौट आया था। तभी न जाने क्यों, उसने सोचा कि इंसानियत के नाते ही सही, उसे एक बार शीना की ख़बर लेनी चाहिए। इस ख़याल के साथ, उसने जैसे ही शीना के नंबर पर फोन किया, तो शीना के पापा ने कॉल उठाकर पूछा, "आप कौन हैं?"​

​​अश्विन ने बताया कि वह शीना का कलीग है और यूँ ही उसकी ख़बर लेने के लिए फोन किया है। बातों-बातों में उन्होंने अश्विन से बहुत कुछ कहा। उन्होंने बताया कि शीना ने लोगों से अलग रहना शुरू कर दिया है। वह सारा दिन घर पर बैठकर किसी गहरी सोच में डूबी रहती है, न जाने किन ख़यालों में खोई रहती है। उसे किसी भी चीज़ में दिलचस्पी नहीं रही।​

​​जब कभी उसके माता-पिता उससे बातें करने जाते, तो उसकी माँ उसकी हालत देखकर रो पड़तीं। शुरुआत में शीना से मिलने उसके दोस्त उसके घर आते-जाते थे, मगर धीरे-धीरे कई दोस्तों का आना कम हो गया। कुछ दोस्त उसकी हालत देखकर परेशान हो जाते, तो कुछ अपनी-अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ने की कोशिशों में व्यस्त हो गए।​

​​यह सब कहते हुए,उनकी आवाज में दुख और बेबसी साफ झलक रही थी। अश्विन को उनकी आवाज़ से ही अंदाज़ा हो गया था कि शीना और उसके माता-पिता किन हालातों से गुज़र रहे हैं। उनकी बातें सुनकर अश्विन को बहुत ही बुरा महसूस होने लगा। उसके दिमाग में बार-बार यही विचार आने लगे कि शीना की ऐसी हालत का ज़िम्मेदार वह खुद है, अश्विन, जिससे शीना बेहद प्यार करती थी।​

​​ये सब जानने के बाद, अश्विन का दिमाग भारी हो गया। वह वॉशरूम गया और अपने मुँह पर ठंडे पानी के छींटे मारने लगा।​

​​तभी अचानक बाथरूम की लाइट हल्की सी फड़फड़ाने लगी, और अगले ही पल, अश्विन ने जो नज़ारा देखा, उससे उसकी रूह काँप उठी।​

​​आईने में उसकी शक्ल पर एक अजीब सी मुस्कान थी, जो धीरे-धीरे ढलने लगी। इसके बाद, उसने देखा कि सामने शीशे में जो अश्विन खड़ा है वह अपने बाल नोच रहा है और बिना किसी आवाज़ के चीख-चिल्ला रहा है। अगले ही पल, उसके प्रतिबिंब ने ज़ोर से दोनों हाथ आईने पर मारे, जिससे आईना टूटने लगा। इसी के साथ, उसका प्रतिबिंब किसी मिट्टी के पुतले की तरह टूटकर बिखरने लगा।

​​क्या अश्विन इस पाप से कभी मुक्ति पाएगा? जानने के लिए पढ़ते रहिए। ​ 

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