​​रोहन और मीरा अपने मम्मी-पापा का आशीर्वाद लेकर अपने घर चले गए। दोनों बहुत खुश थे। सब कुछ बहुत अच्छे से चल रहा था। रोहन अपना ज़्यादातर समय मीरा को दे रहा था। उसने ऑफिस से भी दो दिन की छुट्टी ले ली थी। ये दो दिन उसने पूरा वक़्त मीरा के साथ ही बिताया। न किसी से मिल रहा था, न कोई और काम कर रहा था। दोनों डिनर डेट्स पर जा रहे थे, मूवी डेट्स पर जा रहे थे। कुछ दिन ऐसे ही खुशी-खुशी बीत गए। सब कुछ एकदम परफेक्ट चल रहा था। ​

 

​​रोहन बेडरूम में मीरा की गोद में सिर रखकर लेटा हुआ था। दोनों एक-दूसरे की आंखों में आंखें डालकर बातें कर रहे थे। ​

 

​​रोहन: ​

​​"राजन कह रहा था कि मैं, वह और समीर तीनों मिलकर गोवा ट्रिप पर चलते हैं। मैंने मना कर दिया क्योंकि ऑफिस में बहुत काम था उस वक़्त और तुम भी नहीं थी, तो मेरा मूड वैसे ही ऑफ रहता था। तो वह और समीर दोनों निकल गए ट्रिप पर।" ​

 

​​मीरा: ​

​​ "तुम्हें भी समय निकालकर उनके साथ जाना चाहिए था। कब तक ऐसे काम में बिजी रहोगे? वैसे तो मैं भी अगले महीने गोवा जाने का सोच रही हूँ।" ​

 

​​रोहन ने यह सुनकर चौंककर मीरा की ओर देखा। ​

 

​​रोहन: ​

​​"किसके साथ?" ​

 

​​मीरा: ​

​​ "निकिता  के साथ। इसी महीने जाना था पर वह ऑफिस से छुट्टी नहीं ले पाई, इसलिए अगले महीने।" ​

 

 

​​रोहन यह सुनकर कुछ देर के लिए चुप हो गया, फिर मन में कुछ सोचकर उसने मीरा से कहा। ​

 

​​रोहन: ​

​​"मत जाओ निकिता  के साथ। हम दोनों चलते हैं गोवा। इसी महीने।" ​

 

​​मीरा: ​

​​ "इस महीने तो अब मुझे भी टाइम नहीं है, और... पहले ही मैंने निकिता के साथ प्लान बना लिया है, तो मैं उसे अचानक से मना नहीं कर सकती।" ​

 

 

​​रोहन को यह बात अच्छी नहीं लगी कि मीरा उसके बिना गोवा जाना चाहती थी लेकिन वह तुरंत मीरा पर रोक भी नहीं लगा सकता था। ​

 

​​रोहन: ​

​​ "उसे मना कर दो न। हम चलते हैं साथ। वैसे भी साल भर से हम प्लान बना ही रहे थे, फाइनली चलते हैं अब।" ​

 

​​मीरा: ​

​​"ठीक है। देखते हैं..." ​

 

 

​​फिर कुछ दिन बीत गए। बीच-बीच में रोहन गोवा ट्रिप का ज़िक्र करता था, लेकिन मीरा उस पर कोई बात नहीं करती थी। रोहन ऑफिस के काम में बहुत व्यस्त हो गया था। उसका आधे से ज़्यादा समय ऑफिस में और बचा सारा समय मीरा के साथ चला जाता था। वह समय न मिलने के कारण गोवा की ट्रिप प्लान नहीं कर पा रहा था। ​

 

​​एक दिन ऐसे ही ऑफिस से घर लौटने के बाद, रोहन और मीरा आराम से बैठकर शाम की चाय का मज़ा ले रहे थे और एक-दूसरे के साथ क्वालिटी टाइम बिता रहे थे। तभी रोहन को कुछ याद आया और उसने मीरा को कुछ तस्वीरें दिखाने के लिए अपना फ़ोन निकाला। मीरा उसकी दिखाई हुई तस्वीरें देखने के लिए झांक रही थी कि अचानक उसके फ़ोन पर नताशा का कॉल आने लगा। यह देखकर मीरा की धड़कन दो पल के लिए थम-सी गई। उसकी सांस जैसे अंदर ही अटक गई लेकिन उसने कुछ भी नहीं कहा। दूसरी ओर, रोहन बेहद घबरा गया। उसने झट से नताशा का कॉल काट दिया लेकिन नताशा फिर से कॉल करने लगी। उसने फिर उसका कॉल काट दिया। फिर तीसरी बार, चौथी बार। रोहन ने वह भी कॉल्स काट दिए। ​

 

​​रोहन  : ​

​​ "इसे भी अभी कॉल करना था।" ​

 

​​मीरा : ​

​​"क्या है यह सब?" ​

 

 

​​रोहन ने सबसे पहले जाकर नताशा का फ़ोन नंबर अपने फ़ोन से ब्लॉक कर दिया और साथ ही उसका नंबर भी डिलीट कर दिया। ​

​​मीरा के सवाल का उसके पास कोई जवाब नहीं था। वह मन में जवाब ढूँढने की कोशिश कर रहा था। वह नहीं चाहता था कि उसके किसी जवाब से मीरा के साथ जो कुछ ठीक हुआ था, वह फिर से खराब हो जाए। मीरा भी पेशन्ट्ली उसके जवाब का इंतज़ार कर रही थी। वह उससे लड़ना या झगड़ना नहीं चाहती थी, बस जानना चाहती थी कि नताशा अब उसे क्यों कॉल कर रही थी और क्या ऐसा कुछ था जो मीरा से अब तक रोहन छिपा रहा था। ​

 

​​कुछ समय लेने के बाद, रोहन ने कहा। ​

 

​​रोहन: ​

​​ "मुझे पता है तुम्हारे लिए अभी मुझ पर विश्वास करना मुश्किल है, लेकिन प्लीज मुझ पर भरोसा करो। मुझे नहीं पता वह मुझे क्यों कॉल कर रही है। मैंने उससे पूरी तरह से संपर्क बंद कर दिया था। तुम्हारे जाने के बाद उसके और मेरे बीच तुम्हें लेकर बहुत बड़ी लड़ाई हो गई थी। अब... मुझे सच में नहीं पता वह मुझे क्यों कॉल कर रही है और मुझे जानना भी नहीं है।" ​

 

​​मीरा: ​

​​ "ठीक है।" ​

 

 

​​मीरा रोहन के जवाब से संतुष्ट नहीं थी, लेकिन फिर भी उसने आगे और कुछ नहीं कहा। उसने तय किया कि वह रोहन पर इस बार भरोसा करके देखेगी। ​

 

 

​​इतने में रोहन को उसकी मम्मी का कॉल आने लगा। कुछ इमरजेंसी हो गई थी, तो रोहन को तुरंत उनके घर जाना पड़ा। मीरा ने भी कहा कि वह पहले मम्मी के यहाँ जाकर आए, बाक़ी बात वह उसके वापस आने के बाद कर लेगी। ​

 

 

​​रोहन चला गया, लेकिन मीरा सोच में डूब गई। उसके मन में फिर से वही डर पैदा हो गया जो पिछले दो हफ्तों से गायब हो चुका था। उसके मन में तरह-तरह के सवाल आने लगे। रोहन की हर एक बात उसे झूठ लगने लगी। उसके मन में डर पैदा हो गया कि शायद रोहन उसे फिर से अंधेरे में रख रहा था। ​

 

 

​​उसने अपना फ़ोन हाथ में लिया और वह नताशा  का सोशल मीडिया चेक करने लगी। उसे उम्मीद थी कि शायद वहाँ उसे कोई सुराग मिल जाए, लेकिन वहाँ उसे कुछ नहीं मिला। ​

​​फिर निराश होकर वह रोहन के वापस लौटने का इंतज़ार करने लगी। ​

​​अब तो उसे यह भी शक हो रहा था कि वह अपने मम्मी से नहीं, बल्कि झूठ बोलकर नताशा से मिलने गया है। ​

 

​​तभी उसे रोहन का टेक्स्ट मैसेज आया। उसमें लिखा था: ​

 

 

​​"जितना जल्दी हो सके यहाँ का काम निपटा कर मैं तुम्हारे पास आ रहा हूँ। मेरा इंतज़ार करना।" ​

​​वह मैसेज देखकर मीरा के मन को जरा-सी राहत मिली। ​

 

 

​​उसके मन में चल रहे कुछ सवाल उसे चैन से नहीं बैठने दे रहे थे कि नताशा  आख़िर उसे बार-बार क्यों कॉल कर रही थी? क्या मीरा की गैरमौजूदगी में ऐसा कुछ हुआ था जो शायद नहीं होना चाहिए था? ​

 

 

​​मीरा ने घर का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनी। वह समझ गई कि रोहन वापस आ गया है। वह बेडरूम में बिस्तर पर लेटकर उसी का इंतज़ार कर रही थी। लेकिन रोहन के आते ही उसने अपनी आंखें बंद कर लीं और अपनी करवट दूसरी ओर बदल ली। ​

 

 

​​रोहन धीरे से कमरे में आया। उसने देखा कि मीरा आंखें बंद करके लेटी हुई थी। वह दबे पांव उसके पास आया और बहुत प्यार से उसने मीरा के गाल पर किस किया। उसके किस से मीरा ने धीरे से आंखें खोलकर रोहन की तरफ़ देखा। मीरा के चेहरे पर उस वक़्त बहुत हल्की-सी मुस्कान थी। ​

 

 

​​रोहन-​

​​गुस्सा हो? ​

 

​​मीरा-​

​​ गुस्सा नहीं, पर...​

 

​​रोहन-​

​​निराश? ​

 

​​मीरा-​

​​हाँ, निराश सही शब्द है। ​

 

​​रोहन-​

​​डिनर करने बाहर चले? ​

 

​​मीरा-​

​​ठीक है, चलते हैं। ​

 

 

​​रोहन तैयार होने के लिए चला गया और मीरा कुछ देर वहीं लेटकर सोचती रही। हर बार की तरह इस बार भी रोहन ने इस टॉपिक को आराम से टाल दिया। मीरा को इस बार भी कोई सफाई, कोई जवाब नहीं मिला और न अब उसमें रोहन से कुछ पूछने की इच्छा बची थी इसलिए वह भी उठकर तैयार होने लगी। ​

 

 

​​अगले दिन दोनों ही अपने-अपने ऑफिस के लिए निकल गए। शाम को ऑफिस के बाद रोहन घर आ गया, लेकिन मीरा को उस दिन देर होने वाला था। इसलिए रोहन ने बाहर से खाना ऑर्डर कर लिया। वह चाहता था कि मीरा के लिए अपने हाथों से खाना बनाए, लेकिन कुकिंग एक ऐसी चीज थी जो रोहन कभी नहीं सीख पाया। ​

 

 

​​रोहन, मीरा का इंतज़ार करते हुए टीवी पर कोई फ़िल्म देख रहा था। इतने में मीरा घर आई। उसके अंदर आते ही रोहन उसके पास गया और उसने उसे कसकर गले लगा लिया और उसके माथे पर चूम लिया। मीरा भी दिनभर से थकी हुई थी। उसकी सारी थकान रोहन के एक हग से पिघल गई। ​

 

​​रोहन-​

​​ फ्रेश हो जाओ। तब तक खाना ओवन में रख रहा हूँ। ​

 

 

​​रोहन ने उसके माथे पर फिर से किस किया और मीरा फ्रेश होने के लिए निकल गई। वह फ्रेश होकर वापस आई, तब तक रोहन ने ओवन से खाना निकालकर सर्व कर दिया था। मीरा के कुर्सी पर बैठते ही उसने उसके ग्लास में वाइन डाल दी। मीरा ने अपना ग्लास उठाया। ​

 

​​मीरा-​

​​ कुछ सेलिब्रेट कर रहे हैं हम आज? ​

 

​​रोहन-​

​​हाँ, हमारा प्यार...​

 

​​मीरा-​

​​वो तो रोज़ सेलिब्रेट करना चाहिए फिर। सिर्फ़ आज ही क्यों? आज क्या स्पेशल है? ​

 

​​रोहन-​

​​हाँ। ​

 

 

​​रोहन ने टेबल के नीचे से फ्लाइट टिकट निकालकर मीरा के सामने रख दी। ​

 

​​रोहन-​

​​ पैकिंग कर लो। कल सुबह हम गोवा निकल रहे हैं। ​

 

​​रोहन मुस्कुरा रहा था, लेकिन मीरा के चेहरे पर टेंशन थी। ​

 

​​मीरा-​

​​तुमने मुझसे पूछा भी नहीं और टिकट बुक कर लिए? ​

 

​​रोहन-​

​​मैं... तुम्हें सरप्राइज देना चाहता था। क्यों, तुम्हें अच्छा नहीं लगा? ​

 

​​मीरा-​

​​कल जो हुआ, नताशा के कॉल आए। क्या ये उसकी भरपाई करने के लिए कर रहे हो तुम? अगर वैसा है, तो तुम्हें ये सब करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि गोवा जाने से वह प्रॉब्लम सॉल्व नहीं हो जाएगी। ​

 

​​रोहन-​

​​हाँ, सही कहा तुमने। लेकिन... वैसे भी हम जाने ही वाले थे न और फिर अब तक इतना सबकुछ हो गया है हमारे बीच में। मैं चाहता हूँ गोवा जाकर, हमें अपने रिश्ते को एक रीस्टार्ट देना चाहिए। ​

 

​​मीरा-​

​​पर, तुम्हें फिर भी टिकट बुक करने से पहले बताना चाहिए था। मैं ऑफिस में क्या जवाब दूंगी। ​

 

​​रोहन-​

​​ उसकी फ़िक्र तुम मत करो। मैंने पहले ही तुम्हारे बॉस से बात करके तुम्हारी पाँच दिन की छुट्टी अप्रूव करवा ली है। ​

 

​​मीरा हैरान होकर हँसने लगी। ​

 

​​मीरा-​

​​ तुम सच में पागल हो। ​

 

​​रोहन-​

​​अब खाना ख़त्म करो। पैकिंग भी करनी है। ​

 

 

​​मीरा ने मन में सोचा कि एक बार और वह रोहन पर विश्वास करके देखेगी। शायद ये गोवा का ट्रिप सच में उनके रिश्ते को एक नया रंग-रूप दे और अब तक जो भी हुआ है उसे हमेशा के लिए उनके जहन से मिटा दे। ​

 

 

​​अगले दिन सुबह की फ्लाइट से दोनों गोवा पहुँच गए। गोवा पहुँचते ही रोहन ने कार रेंट कर ली। बारिश का मौसम था, उसमें गोवा की खूबसूरती और निखरकर आई थी। ऑफ सीजन होने की वज़ह से टूरिस्ट्स की ज़्यादा भीड़ भी नहीं थी। रोहन और मीरा के लिए ये एकदम परफेक्ट वेकेशन था। ​

 

 

​​उन्होंने एक अच्छी-सी जगह, बेहद आलीशान-सा रूम बुक किया और दिनभर बारिश में घूमने के बाद वह रात को आकर सो गए। ​

​​अगले दिन भी उन्होंने बहुत मजे किए। मीरा बहुत ज़्यादा खुश थी और रोहन उसे देखकर खुश था। मीरा को अपने साथ गोवा घुमाने में उसे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। ​

 

 

​​वो कहते हैं न, अच्छा वक़्त बीतते हुए महसूस नहीं होता। वैसे ही एंजॉय करते-करते उनके ट्रिप का तीसरा दिन भी आ गया। ​

​सुबह-सुबह रोहन और मीरा के बीच किसी बात को लेकर लड़ाई हो गई। लड़ाई इतनी बढ़ गई कि मीरा, रोहन को बिना बताए होटल के कमरे से बाहर निकलकर कहीं चली गई। बाहर बारिश हो रही थी और रोहन को पता नहीं था, वह कहाँ गई है। क्योंकि मीरा का फ़ोन भी होटल के कमरे में ही पड़ा हुआ था। ​

अब वो बात क्या थी की दोनों फिर लड़ पड़े? जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड। 

 

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