पार्थ- रागिनी, उसके पास डा.. डायरी है..
टी.वी की एक न्यूज़ ने पार्थ को अंदर से बाहर तक हिला कर रख दिया है। यश, पार्थ का बचपन का दोस्त, जिसे पार्थ ने कृष्ण की जादुई डायरी संभालकर रखने के लिए पिछली रात ही दी थी, उसकी बिल्डिंग में अचानक से आग लग गई। पार्थ को समझ नहीं आ रहा है कि वह इस समय करे क्या? यश से उसकी बात भी नहीं हो पा रही। ऊपर से पार्थ को शक होने लगा कि कहीं बुरी शक्तियों ने यश को अपना निशाना तो नहीं बना लिया? पार्थ अपने सिर को पकड़े बैठा है और रागिनी उसके कंधे को बार-बार हिलाकर उससे सवाल किए जा रही है।
रागिनी- क्या बोल रहे हो पार्थ? डायरी यश के पास कैसे है? क्या तुमने उसे डायरी दी थी? पार्थ.. बोलो!
पार्थ- अगर मेरी वजह से यश या उसकी फ़ैमिली को कुछ हो गया तो मैं खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाऊँगा। मुझे यश को.. यश को वो डायरी देनी ही नहीं चाहिए थी। मुझसे इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई??? मैं अपने ही दोस्तों का दुश्मन बन गया हूँ। मैं.. मैं क्या.. क्या करूँ अब?
पार्थ को इस समय डायरी से ज़्यादा यश की फ़िक्र हो रही है। वह एकदम से उठ खड़ा हुआ और रागिनी के घर से कहीं चला गया। रागिनी भी उसके साथ जाना चाहती थी लेकिन वह अपनी चोट की वजह से मजबूर थी। रागिनी यश का नंबर डायल करने लगी लेकिन लगा नहीं। रागिनी ने हाथ जोड़े और कृष्ण से प्रार्थना करने लगी।
रागिनी- कृष्ण भगवान, प्लीज़ प्लीज़ यश को कुछ न हुआ हो। प्लीज़ आप सब ठीक कर दो।
सच्चे मन से की हुई प्रार्थना कभी भी खाली नहीं जाती। रागिनी के मोबाइल की घंटी बजी। उसने आंखें खोलीं, तो वह यश का कॉल देखकर चौंक गई। रागिनी ने तुरंत कॉल रिसीव करके यश से पूछा,
रागिनी- यश.. तुम.. तुम सेफ़ तो हो न? कहाँ हो तुम? टी.वी पर न्यूज़ है कि तुम्हारी बिल्डिंग में आग लग गई। सब ठीक है न?
यश- हाँ रागिनी, मैं ठीक हूँ। मैं पार्थ को कॉल ट्राई कर रहा हूँ लेकिन उसका नंबर नहीं लग रहा। वह तुम्हारे घर में है क्या? मेरी बात करवा दो प्लीज़।
रागिनी- नहीं, नहीं पार्थ यहां नहीं है। मतलब यहीं था लेकिन अभी वह न्यूज़ देखकर तुम्हारे घर की लिए निकला है। शायद, पहुँचने भी वाला हो और तुम्हारा कॉल क्यों नहीं लग रहा?
यश- वो मोबाइल ऑफ हो गया था। ठीक है मैं यहीं उसका वेट करता हूँ।
यश ठीक है। रागिनी ये जानकर बहुत खुशी हुई। उसने पार्थ को भी कॉल करने की कोशिश की लेकिन अब पार्थ का नंबर आउट ऑफ रीच बताने लगा। रागिनी ने तुरंत कृष्ण भगवान को थैंक यू बोला। वहीं दूसरी तरफ़ पार्थ, यश की बिल्डिंग के नीचे पहुँच गया। वहाँ बहुत भीड़ लगी थी और दो फायर ब्रिगेड की टीमें आग बुझाने के काम में लगी हुईं थीं। पार्थ, पुलिस वालों से यश की फ़ैमिली के बारे में पूछने ही जा रहा था कि पीछे से किसी ने उसके कंधे पर हाथ रख दिया।
यश- पार्थ, मैं यहां हूँ।
यश को सही सलामत अपनी आँखों के सामने देख, पार्थ की जैसे जान में जान आई। उसने यश को गले लगाया और काफ़ी देर तक गले लगाए रखा। मानो अपनी पूरी तसल्ली कर रहा हो कि उसका बचपन का दोस्त बिल्कुल ठीक है।
यश- मैं ठीक हूँ पार्थ और तेरी वो डायरी भी ठीक है।
यश के चक्कर में पार्थ ये भूल ही गया था कि कृष्ण की जादुई डायरी तो यश के पास ही थी। जब बिल्डिंग में आग लगने की खबर पार्थ ने सुनी थी तब भी पार्थ को डायरी का ध्यान नहीं था। यश ने फिर पार्थ को पूरी बात बताई कि कैसे उसके बगल वाले फ्लैट में अपने आप ही शॉर्ट सर्किट हुआ और आग लग गई। यश के फ्लैट तक भी आग की लपटें पहुँच गईं थीं। वो तो अच्छा था कि उस समय यश के अलावा घर में कोई और नहीं था। यश ने आगे बताया,
यश- मैं अपने ऑफिस के लिए रेडी होकर निकलने ही वाला था। तभी मुझे मेन डोर से धुयाँ अंदर आता दिखा। जैसे ही मैंने दरवाज़ा खोला, बाहर गैलेरी पूरी काले धुएं से भरी थी। मैं स्टेयर्स की तरफ़ दौड़ा, तभी मुझे तेरी डायरी याद आई।
पार्थ- यश तुम पागल हो क्या? अपनी जान बचाने की जगह तुम डायरी बचाने गए?
यश- लो! पहले तुमने ही कहा था कि मुझे उस डायरी को संभालकर रखना है और अब खुद ही मुझे बातें सुना रहे हो? एक तो मैंने अपनी जान जोखिम में डाली, अब बातें भी सुनुं?
पार्थ ने एक बार फिर यश को गले लगा लिया। वह सोचने लगा कि यश को तो पता भी नहीं है कि ये डायरी असल में किसकी है और ये इतनी इम्पॉर्टन्ट क्यों है। उसके बावजूद यश ने सिर्फ़ इसलिए डायरी बचाई क्योंकि वो पार्थ के लिए ज़रूरी है। पार्थ के मन में एक बार को आया भी कि वह यश को सब सच बता दे। बता दे कि ये कोई आम डायरी नहीं है बल्कि श्री कृष्ण की जादुई डायरी है, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। पार्थ रागिनी के बाद यश को भी इन सब में शामिल नहीं करना चाहता था। पार्थ ने यश को उसके साथ घर चलने को कहा। तभी यश ने बताया कि उसे पिछले रात से ही कुछ अजीब लग रहा था। जैसे कि कोई उस पर नज़र रखे है। रात को उसे अपने फ्लैट की बालकनी में किसी की परछाईं भी दिख रही थी लेकिन जब उसने चेक किया तो वहाँ कुछ भी नहीं था। पार्थ को ये बातें अजीब नहीं लगीं क्योंकि रागिनी के साथ भी ऐसा ही हुआ था। पार्थ समझ गया कि जैसे ही उसने यश को डायरी की ज़िम्मेदारी दी, वैसे ही बुरी शक्तियों ने यश को घेर लिया। पार्थ के लिए अब हर कदम फूँक-फूँक के रखने जैसा हो गया है। वह अपने लोगों की जान खतरे में नहीं डाल सकता और डायरी को भी गलत हाथों में नहीं जाने दे सकता है। पार्थ, यश के साथ अपने घर आ गया। यश, फ्रेश होने चला गया और पार्थ उसके लिए नाश्ता बनाने लगा। तभी रागिनी का कॉल आया। पार्थ ने रागिनी को यश के साथ जो कुछ भी हुआ, वो सब बताया। रागिनी भी हैरान थी और उसके सामने फिर से वो काली रात घूमने लगी जब उस परछाईं ने रागिनी को अपना निशाना बनाया था। रागिनी ने खुद को संभालते हुए पार्थ से कहा कि उसे एक बार जादुई डायरी की हेल्प लेनी चाहिए। पार्थ को रागिनी की बात सही लगी।
पार्थ ने बैग से डायरी निकाली और अपने मन में चल रही दुविधायों को दोहराया। डायरी का पहला पन्ना कोरा ही रहा। तभी पीछे से यश आ गया।
यश- ये डायरी तो अंदर से खाली है, लेकिन बाहर से तो काफ़ी पुरानी सी लगती है। तुमने मुझे एक खाली डायरी को संभालने के लिए कहा था? पार्थ, तुम ठीक तो हो न? पुरानी चीजें ढूँढने के चक्कर में, लगता है तुम्हारा दिमाग ही खराब हो गया है।
पार्थ के पास यश की बातों पर हंसने के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं था। उसे समझ आ गया कि शायद यश घर पर है इसीलिए जादुई डायरी ने कोई मेसेज नहीं दिया। दोनों दोस्त फिर नाश्ता करने बैठ गए और सोचने लगे कि यश के घर में जो थोड़ा बहुत भी नुकसान हुआ है, उसको रिपेयर कैसे करवाएंगे। बातों बातों में टाइम कब गुज़र गया पता ही नहीं चला। यश अपने घर वापस जाने लगा। पार्थ को भी रागिनी से मिलने जाना था क्योंकि सुबह वह रागिनी को यश के चक्कर में ज़्यादा टाइम नही दे पाया था।
वहीं रागिनी दिनभर आराम करने के बाद अब बोर हो रही है। उसकी रिश्तेदारी में कोई फ़ंक्शन था इसलिए रागिनी के मम्मी पापा और भाई वहां गए हुए थे। उन्होंने रागिनी को अकेला छोड़ने के लिए मना किया था लेकिन रागिनी नहीं मानी। रागिनी अपना फोन चला रही थी कि तभी उसके घर की डोर बेल बजी। उसे लगा शायद पार्थ आ गया। वह धीरे से अपने एक पैर के सहारे उठी और दरवाज़ा खोलने के लिए आगे बढ़ी। जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला, सामने कोई नहीं दिखा। रागिनी ने सोचा कि कोई बच्चा होगा जो शैतानी कर रहा होगा। वह वापस रूम में जाने लगी कि एक बार फिर से डोर बेल बजी। इस बार रागिनी को गुस्सा आ गया। उसने दरवाज़ा खोला तो उसके पैरों तले जमीन ही खिसक गई। दरवाज़े की दूसरी तरफ़ दीवार पर किसी की परछाईं थी। रागिनी डर के मारे लड़खड़ाते हुए गिर गई और उठने की नकाम कोशिशें करने लगी। वह चिल्लाने लगी और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी।
रागिनी- छोड़ दो मुझे, प्लीज़.. छोड़ दो।
रागिनी की आँखें बंद थीं और वो रोए जा रही थी। तभी किसी ने उसके गाल पर थपकी मारी।
पार्थ- रागिनी, क्या हुआ? उठो रागिनी।
रागिनी ने आँख खोलकर देखा तो सामने पार्थ खड़ा था। कुछ देर पार्थ को देखने पर रागिनी को एहसास हुआ कि वो अपने बेड पर लेटी है और अभी-अभी गहरी नींद से जागी है। उसने जो कुछ भी देखा, वो सच नहीं बल्कि उसका सपना था। पार्थ के पास रागिनी के घर की दूसरी चाबी थी इसीलिए वह बिना उसे परेशान किये अंदर आ गया था। पार्थ ने रागिनी को पानी पिलाया और समझाने लगा।
पार्थ- रागिनी कब तक ऐसा चलेगा? मैंने पहले ही कहा था तुमसे कि इन सब चीजों से दूर रहो। देखो, अब तो तुम्हें दिन दहाड़े बुरे सपने आने लगे हैं। ये सब सही नहीं है।
रागिनी को भी पता है कि उसका डर उस पर हावी हो रहा है लेकिन वह कोशिश पूरी करती है न डरने की। उसने पार्थ का मूड ठीक करने के लिए कहा कि चलो कोई मूवी देखते हैं। पार्थ ने भी उसकी बात मान ली और दोनों मूवी देखने लगे। तभी पार्थ के बैग, जो की वो हमेशा अपने साथ रखता है, उससे रोशनी निकलने लगी। पार्थ समझ गया कि जादुई डायरी उससे कुछ कहना चाहती है।
अब कौन सा नया मेसेज लिखा होगा डायरी में पार्थ के लिए?
क्या सच है इस परछाईं का जो रागिनी और यश दोनों को दिखती है?
आगे क्या होगा, जानेंगे अगले चैप्टर में!
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