किसी हादसे का हमारे मन में कितना गहरा असर हो सकता है, ये कोई नहीं सोच सकता। रागिनी की लाइफ अभी तक आसानी से कट रही थी लेकिन जब से वह पार्थ के ज़रिए जादुई डायरी से जुड़ी, उसकी जान खतरे में पड़ना शुरू हो गई। रागिनी, हॉस्पिटल में एडमिट है। पार्थ, रागिनी को थोड़ी देर पहले रूम में अकेला छोड़कर उसके लिए कैन्टीन से जूस लेने गया था। वह जूस लेकर रूम के पास ही पहुंचा बस कि उसने रागिनी की चीख सुनी। एक पल के लिए पार्थ घबरा गया। उसके दिमाग में कई सवाल एक साथ घूमने लगे लेकिन वह बिना देर किए दौड़ते हुए रागिनी के रूम में पहुँच गया। पार्थ को रागिनी बेड के एक कोने में सिमटी हुई बैठी दिखी।
पार्थ- क्या हुआ रागिनी? तुम चीखीं क्यों?
रागिनी- पार्थ.. वो.. वो उधर, खिड़की के पास कोई है। वो वही है, वही परछाईं.. देखो, देखो वो मेरे करीब आ रही है। इस बार वो मुझे नहीं छोड़ेगी पार्थ। मुझे बचा लो। मुझे बचा लो पार्थ।
पार्थ- रूम में कहीं, कोई नहीं है रागिनी। तुम पहले शांत हो जाओ। मैं हूँ तुम्हारे पास।
पार्थ समझ गया कि रागिनी को वहम हो रहा है। उसने रागिनी को बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन रागिनी लगातार कांप रही थी। पिछली रात हुए हादसे ने मानो रागिनी की हिम्मत ही तोड़ दी थी। तभी रूम में रागिनी के मम्मी पापा भी आ गए। रागिनी के पापा ने उसे जब ऐसी हालत में देखा तो वह रोने लगे। फिर खुद को संभालते हुए बोले, “बेटा रागिनी, पापा तुम्हें कुछ नहीं होने देंगे।”
उन्होंने फिर रागिनी को गले लगा लिया। रागिनी भी अपने पापा से गले लग कर फूट-फूट कर रोने लगी। उसके अंदर डर भर गया है। जो शायद आसानी से नहीं निकलने वाला। पार्थ रागिनी की ओर देखने लगा और खुद को मन में कोसने लगा।
पार्थ- ये सब मेरी वजह से हुआ है। रागिनी की ये हालत मेरी वजह से है। मुझे न उसे डायरी के बारे में बताना चाहिए था और न ही उसे कुरुक्षेत्र लेकर जाना चाहिए था। रागिनी, आई एम सो सॉरी। मुझे नहीं पता मैं ये सब ठीक कैसे करूँ? लेकिन मुझे कुछ तो करना ही होगा। मैं रागिनी को ऐसे नहीं देख सकता।
अगले दिन सुबह रागिनी को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया लेकिन उसके हाथ और पैर में हेयर लाइन फ्रैक्चर होने की वजह से डॉक्टर ने उसे कम से कम एक महीने का बेड रेस्ट बोला। डॉक्टर ने पार्थ और रागिनी के पापा से ये भी कहा कि रागिनी से एक्सीडेंट वाली रात की कोई बात न की जाए। वह अभी सहमी हुई है और उसे नॉर्मल होने में वक्त लगेगा। पार्थ और रागिनी के पापा भी डॉक्टर से सहमत थे।
हॉस्पिटल से लेकर रागिनी के घर तक पार्थ उसके साथ ही रहा और घर पर भी पार्थ ने कुछ टाइम रागिनी के साथ स्पेंड किया। जब शाम को पार्थ वापस अपने घर जाने लगा तो रागिनी के पापा ने उसे रोक लिया और इमोशनल होते हुए बोले, “पार्थ, थैंक यू सो मच बेटा| जब से रागिनी के साथ वो हादसा हुआ है, तब से तुमने उसको एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोड़ा। तुम उसके सिर्फ़ दोस्त नहीं, हमारी फ़ैमिली का भी पार्ट हो। रागिनी तो अब कुछ दिनों तक घर पर ही आराम करेगी। मैं चाहूँगा कि तुम रोज़ उससे मिलने आना। उसको अच्छा लगेगा।
पार्थ – ये भी कोई कहने की बात है, अंकल| वैसे, अगर आधी रात को भी आपको मेरी ज़रूरत पड़े तो मुझे सिर्फ एक कॉल कर दीजिएगा। संकोच मत करिएगा। आपने मुझे फ़ैमिली का पार्ट कहा है।
इसके बाद, पार्थ रागिनी और बाकी सबको बाय बोलकर वहां से निकल गया। रागिनी उसे कुछ देर और अपने पास रोकना चाहती थी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। रागिनी समझ रही थी कि पार्थ के मन में कुछ चल रहा है। घर लौटकर परेशान पार्थ ने अपना बैग बेड पर रखा और सिर पकड़कर बैठ गया। उसका गिल्ट उसे खाए जा रहा है। इस समय उसे हिम्मत की ज़रूरत है। तभी पास में रखे उसके बैग से हल्की रोशनी निकलने लगी। पार्थ यह देखकर हैरान हो गया। उसने काँपते हाथों से बैग खोला, तो देखा कि रोशनी कृष्ण की जादुई डायरी से निकल रही थी। मानो वह डायरी खुद बताना चाह रही हो कि पार्थ के लिए उसमें कोई मेसेज है। पार्थ ने डायरी खोली और शब्द उभरने लगे।
“हे पार्थ! जानते हो, ब्रह्मांड का संतुलन बनाए रखना बहुत आवश्यक है। इस संतुलन को बनाए रखने के लिए परिवर्तन आवश्यक है। इसीलिए सुख के साथ दुख, धर्म के साथ अधर्म, जीवन के साथ मृत्यु जुड़े हुए हैं। मनुष्य जीवन में मिली कुछ असफलताओं के बाद, अपने सोचने समझने की शक्ति खो देता है और गलत निर्णय लेने लगता है। वह समझ नहीं पाता कि जो आज है, वो कल तो होगा ही नहीं। अंत में इतना ही कहूँगा कि जब बीज बो ही दिया है तो फल की चिंता छोड़ दो। आगे जो होने वाला है उसकी चिंता में आज को व्यर्थ मत करो। तुम धर्म के साथ रहोगे तो धर्म तुम्हें अकेला नहीं होने देगा। राधे राधे!”
पार्थ को एक बार फिर से कृष्ण की कही कोई बात समझ नहीं आई। वह पहले से ही उलझन में था, अब इस मेसेज ने उसकी उलझन को और बढ़ा दिया। काफ़ी देर तक सोचने के बाद भी उसे कुछ समझ नहीं आया। उसने डायरी साइड में रख दी और सोचने लगा कि उसे डायरी की सेफ़्टी के लिए कोई तरीका ढूँढना ही होगा।
पार्थ- क्या मुझे सच में इस डायरी को यहां से कहीं दूर छिपा देना चाहिए? ये यहां रहेगी तो क्या पता कोई वापस इसे हासिल करने की कोशिश करे। समझ नहीं आ रहा। घर पर नहीं तो कहाँ रखूँ इसे? कौन रख सकता है इसको संभालकर?
पार्थ सोच ही रहा था कि तभी उसे यश का कॉल आया और वह मुस्कुराने लगा। मानो उसे कोई इशारा मिल गया हो।
यश – कुरुक्षेत्र में तो तुमने बहुत बड़ी-बड़ी बातें कीं थीं कि मैं तुम्हारे लिए स्पेशल हूँ। ये दोस्ती नहीं टूटनी चाहिए। वगैरह.. वगैरह..
पार्थ- तुमने गुस्सा उतारने के लिए कॉल किया है?
यश- अरे, मैं कौन होता हूँ गुस्सा उतारने वाला? मैं तो पागल हूँ, जिसे दोस्त की याद आ जाती है। ठीक है, तुम्हें मुझसे बात नहीं करनी तो साफ़ मना कर दो, बल्कि मैं ही कॉल कट कर देता हूँ। बाय!
पार्थ- यार.. मज़ाक कर रहा था। सॉरी, गलती मेरी है जो मैंने इतने दिनों तक बात नहीं की। मैं कहीं बहुत बुरा फंस गया था। खैर, मेरी छोड़, अपनी बता। कैसा चल रहा है सब? जॉब मिली?
यश – हाँ, एक कंपनी में जॉब मिली है| पैकेज भी अच्छा दे रहे हैं| काम भी ठीक ठाक ही है। घर पर सब खुश हैं, ऐसा लग रहा है कि धीरे-धीरे ही सही लेकिन सब ठीक हो रहा है। बस, ऐसा ही चलता रहे। टचवुड!
यश खुश है, ये सुनकर पार्थ भी खुश हो गया। उसने यश को मिलने के लिए अपने घर बुलाया। शाम होते ही यश भी अपने ऑफिस का काम निपटाकर पार्थ के घर पहुँच गया। दोनों दोस्तों ने ढेर सारी बातें की। पार्थ ने उसे रागिनी की चोट के बारे में भी बताया। यश रागिनी को जनता था। उसे रागिनी की चोट के बारे में जानकर बुरा लगा। पार्थ ने फिर बात घुमाया दी और अपने रूम से कृष्ण की जादुई डायरी ले आया।
पार्थ- यश, सुन न.. ये डायरी कुछ दिन अपने घर पर संभालकर रख सकते हो?
यश – कैसी डायरी है ये? और मुझे इसे रखने के लिए क्यों कह रहे हो? तुम्हें क्या दिक्कत है?
यश को पार्थ पर हल्का सा शक हुआ। शक होना भी चाहिए क्योंकि कोई भी किसी को एक मामूली डायरी संभालकर रखने के लिए क्यों देगा? यश ने पार्थ से दोबारा वही सवाल पूछा।
पार्थ- अगर मैं जवाब न दूँ, तो क्या तुम ये डायरी अपने पास नहीं रखोगे? सच कहूँ तो अभी मेरे पास कोई जवाब नहीं है। मैं सब बताऊँगा लेकिन अभी मेरी हेल्प कर दो प्लीज़।
यश ने पार्थ को काफ़ी देर तक घूरा। फिर उसने उससे डायरी ले ली और बिना चेक किए ही बैग में रख लिया। दोस्त यही तो करते हैं न? सवाल जवाब के चक्कर में न उलझते हुए बस साथ निभाते हैं। पार्थ की आँखों में आंसू आ गए लेकिन उसने ज़ाहिर नहीं होने दिया। कुछ देर बाद यश अपने घर निकल गया।
अगले दिन पार्थ जल्दी उठा और उसने सबसे पहले अपने ऑफिस में एक महीने की लीव अप्लाई कर दी। जब तक रागिनी पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाती, पार्थ ने सोचा की वह उसको अकेला नहीं छोड़ेगा। दिनभर अपने सारे पेंडिंग काम निपटाकर पार्थ शाम को रागिनी के घर पहुँच गया। रागिनी अपनी फ़ैमिली के साथ टी.वी पर न्यूज़ देख रही थी। पार्थ ने भी उन सबको जॉइन किया। कुछ ही देर में चैनल पर ब्रेकिंग न्यूज़ फ्लैश होने लगी। जिसे देख पार्थ और रागिनी के होश ही उड़ गए। न्यूज़ में बताया जा रहा था कि शहर की एक रेज़िडेंशियल बिल्डिंग के फ़ोर्थ फ्लोर में अचानक से भयंकर आग लग गई है। आग लगने का कारण अभी पता नहीं चला है और कितने लोग अंदर फंसे हैं ये भी कहा नहीं जा सकता।
रागिनी- पार्थ.. पार्थ इस बिल्डिंग के फ़ोर्थ फ्लोर पर तो यश रहता है न?
पार्थ कुछ नहीं बोल पाया। उसने कांपते हाथों से जेब से अपना मोबाइल निकाला और यश को कॉल करने लगा। यश का नंबर बंद बताया रहा है। पार्थ ये न्यूज़ देखकर अंदर से बाहर तक पूरी तरह से डरा हुआ है। रागिनी ने उसे पानी पीने के लिए दिया और उसे समझाने लगी कि यश सेफ़ होगा। पार्थ ने काँपते होंठों से कहा,
पार्थ- रागिनी, उसके पास डा.. डायरी है..
क्या रागिनी के बाद, अब यश की जान खतरे में है?
क्या एक डायरी को बचाने के लिए पार्थ को देनी पड़ेगी अपने दोस्तों की कुर्बानी?
आगे क्या होगा, जानेंगे अगले चैप्टर में!
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