कभी-कभी समय हमारा इम्तेहान लेता है और ये इम्तेहान आसान नहीं होता। पार्थ की लाइफ में जब से कृष्ण की जादुई डायरी आई है, तब से ही समय उसका इम्तेहान पर इम्तेहान ले रहा है। रागिनी, जिससे पार्थ बहुत प्यार करता है वह इस समय मुसीबत में है और पार्थ उसके पास पहुँच भी नहीं पा रहा। रागिनी को अपने रूम में एक परछाईं नज़र आ रही थी, जिससे पीछा छुड़ाने के लिए उसने अपने रूम की खिड़की से छलांग लगा दी। जैसे ही रागिनी खिड़की से नीचे कूदी वैसे ही उसके रूम का दरवाज़ा, जो थोड़ी देर पहले तक खुल नहीं रहा था, अचानक से खुल गया। रागिनी के मम्मी, पापा और भाई रूम के अंदर आए और जब उन्होंने देखा कि रागिनी खिड़की से कूद गई तो उनके होश ही उड़ गए।
वो तो भला हो की रागिनी का रूम फर्स्ट फ्लोर पर है और वो नीचे गार्डन एरिया में गिरी, वरना कुछ भी हो सकता था। रागिनी के मम्मी पापा और भाई तुरंत नीचे गए। दूसरी तरफ़ पार्थ को भी टैक्सी मिल गई थी और वह भी रागिनी के घर पहुँच गया।
पार्थ- क्या हुआ अंकल? रागिनी नीचे कैसे गिरी?
रागिनी बेहोश पड़ी थी, पार्थ को समझ नहीं आया कि वो नीचे कैसे आई। रागिनी के पापा ने पार्थ को पूरी बात बताई और रागिनी को होश में लाने की कोशिश करने लगे। पार्थ, रागिनी को बेहोश देख कर गिल्टी फ़ील करने लगा। उसे लगने लगा कि ये सब जो रागिनी को झेलना पड़ा, उसका ज़िम्मेदार पार्थ है। उसकी आँखों में आँसू आ गए। पार्थ ने आँसू पोंछे और एम्बुलेंस को कॉल किया। कुछ ही देर में एम्बुलेंस आ गई और रागिनी को अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टर ने तुरंत उसका ट्रीटमेंट शुरू कर दिया। पार्थ वहीं इमर्जन्सी वार्ड के बाहर बैठा रहा। थोड़ी देर बाद डॉक्टर बाहर निकले और उन्होंने बताया, “गिरने की वजह से रागिनी के हाथ और पैर में हेयर लाइन फ्रैक्चर आया है। कुछ समय लगेगा, ठीक हो जाएगा, लेकिन अभी रागिनी होश में नहीं आई है। हमें थोड़ा इंतेज़ार करना होगा।”
पार्थ मन ही मन खुद को कोसने लगा। उसे अभी भी यही लग रहा है कि रागिनी उसकी वजह से मुसीबत में पड़ी और आज हॉस्पिटल पहुँच गई। रात से सुबह हो गई थी लेकिन रागिनी को होश नहीं आया। पार्थ कुछ देर के लिए अपने घर गया था। उसके मामा प्रकाश आज दिल्ली से बाहर जा रहे हैं इसलिए उन्होंने पार्थ से मिलने के लिए बुलाया था। पार्थ उनसे मिलकर जल्द ही हॉस्पिटल लौट आया। फिर उसने रागिनी के मम्मी पापा और भाई को रेस्ट करने के लिए घर भेज दिया।
पार्थ अब रागिनी के पास बैठकर डॉक्टर रामानुजन की किताबें पढ़ने लगा जो वह अपने घर से ले आया था। पढ़ते-पढ़ते वह एक पेज पर पहुंचा जिसमें लिखा था, “कृष्ण की ज़िन्दगी में भी एक दुख ऐसा था जो उनके लिए सहना मुश्किल हो
गया था| वो उस घटना को इतिहास से हमेशा के लिए मिटाना चाहते थे| इस घटना के बारे में कलियुग में भी कुछ खास लोगों को पता है। मैं उन में से एक से मिला हूँ। वह खुद को कृष्ण भक्त कहता है लेकिन मुझे तो वह खुद ही कृष्ण लगता है। वह आदमी कृष्ण की भक्ति में इतना पागल है कि उसे दुनिया से कोई लेना देना ही नहीं। वह कहता है कि कृष्ण उससे बातें करते हैं। हाँ, मैं मानता हूँ कि कृष्ण उससे बातें करते होंगे। आज के समय में बहुत कुछ ऐसा है जो सामने होते हुए भी नहीं दिखता।”
पार्थ को समझ नहीं आया कि डॉक्टर रामानुजन ने उस आदमी के बारे में इतना कुछ कहा लेकिन अपनी किताब में उसका नाम या ठिकाना नहीं बताया। पार्थ सोचने लगा कि ऐसा कौन हो सकता है जो कृष्ण की भक्ति में पागल हो। तभी उसे राधा कृष्ण मंदिर के उस बूढ़े आदमी का खयाल आया। वह भी वैसा ही है जैसा डॉक्टर रामानुजन ने अपनी किताब में बताया। लोग उसे पागल मानते हैं और वह कहता है कि कृष्ण उससे बातें करते हैं।
पार्थ ने सोचा कि आज वह जान कर ही रहेगा सच क्या है।
कुछ ही देर में रागिनी का भाई हॉस्पिटल लौट आया और पार्थ मंदिर के लिए निकल गया।
मंदिर पहुँच कर पार्थ उस बूढ़े आदमी को ढूंढने लगा| आज वह उस बूढ़े आदमी के लिए कुछ खाने को भी साथ लाया है।
पार्थ मंदिर में इधर उधर हर जगह उस बूढ़े आदमी को ढूँढने लगा। तभी उसकी नज़र सीढ़ियों पर लाइन से बैठे कुछ भिखारियों पर पड़ी और उन्ही के बीच उसे वो बूढ़ा आदमी दिखाई पड़ गया।
पार्थ – चाचा जी.. चाचा जी सुनिए.. मैं आपके लिए कुछ खाने को लाया हूँ।
खाना देख कर वह बूढ़ा आदमी खुश हो गया और पार्थ के हाथ से खाना लेकर वहाँ से जाने लगा। पार्थ ने उसका पीछा किया। वो आदमी थोड़ी दूर एक सुनसान जगह पर जाकर बैठ गया और सुकून से खाना खाने लगा। पार्थ को उस पर दया आ रही थी और मन में एक बहुत बड़ा सवाल| एक आदमी जो मंदिर के बाहर भीख माँगता है, उसे कृष्ण की डायरी के बारे में और कृष्ण के बारे में इतना सब कुछ कैसे पता? पार्थ उस आदमी से पूछने लगा,
पार्थ – चाचा जी.. क्या आप जानते हैं, कृष्ण की ज़िन्दगी में ऐसी कौन सी घटना थी जो वो इतिहास से मिटाना चाहते थे?
बूढ़ा आदमी सिर हिलाने लगा। जैसे कहना चाह रहा हो कि उसे जवाब पता है, लेकिन इस वक्त उसके लिए प्रायोरिटी पार्थ के सवाल का जवाब देना नहीं बल्कि खाना खाना है। पार्थ ने भी दोबारा सवाल नहीं किया और उसके खाना ख़त्म होने का इंतज़ार करने लगा| पूरा खाना खा लेने के बाद बूढ़े आदमी ने बड़ी ज़ोर से डकार ली। फिर मुसकुराते हुए बोला, “खाना खा कर इतना तृप्त हुआ हूँ जितना कान्हा माखन खा कर होता था|”
उस आदमी के मुंह से कृष्ण का नाम सुन कर पार्थ को एक बात तो समझ आ गयी कि वो कृष्ण का भक्त तो ज़रूर है| पार्थ ने दोबारा कृष्ण की घटना के बारे में सवाल किया| इस बार वो आदमी सवाल सुन कर भागने लगा तभी पार्थ ने उसका हाथ पकड़ लिया।
पार्थ – मैं जानता हूँ आप के पास मेरे सवाल का जवाब है| आप को जवाब देना ही होगा|
बूढ़ा आदमी थोड़ा गुस्से में बोला, “जवाब सुन कर तुम्हें इंसानों से नफरत हो जाएगी| महाभारत के युद्ध के बाद कान्हा को लगा कि सब लोग खुश होंगे कि उसने धर्म को हारने नहीं दिया लेकिन ऐसा नहीं हुआ| जैसे सब लोग मुझे यहाँ गालियाँ देते हैं वैसे ही हस्तिनापुर की जानता कान्हा को गालियाँ देने लगी| सब लोग उसे कोसने लगे कि उसकी वजह से लाखों लोग मारे गए| कान्हा अपने मन की शांति के लिए द्वारका पहुंचा तो वहां भी जनता उसे कोस रही थी| कान्हा को पता चला कि चारों दिशाओं में उसे बुरा भला कहा जा रहा था। कान्हा के मन को बहुत ठेस पहुंची। सब कहते रहे कि कान्हा चाहता तो युद्ध ही न होने देता लेकिन महाभारत का युद्ध कितना ज़रूरी था ये कोई नहीं समझना चाहता था। कान्हा हमेशा से इस घटना को इतिहास से मिटाना चाहता था| अगर तुम लोगों का भला करो और लोग तुम्हें गालियाँ दे तो तुम्हें कैसा लगेगा? बताओ..”
पार्थ को आखिरकार उसके सवाल का जवाब मिल गया| हालाँकि उसे इस घटना के बारे में जानकर बहुत दुख हुआ| कृष्ण ने अपनी पूरी ज़िन्दगी लोगों की ख़ुशी चाही लेकिन बदले में उन्हें लोगों से सिर्फ बुरा भला सुनने को मिला| जितना त्याग कृष्ण ने किया उसका थोडा सा भी हम अपनी पूरी ज़िन्दगी में नहीं कर पाते| पार्थ के मन में एक और सवाल था।
पार्थ – चाचाजी, आप को इस घटना के बारे में कैसे पता? आप ने कौन सी किताब में पढ़ा?
बूढ़ा आदमी पार्थ को देख कर ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगा और पार्थ के कान में फुसफुसाते हुए बोला, “किसी को बताना मत| मुझे कान्हा के बारे में सब कुछ पता है| सब कुछ मतलब सब कुछ| उस दिन तुम मुझसे जादुई डायरी के बारे में पूछने आये थे। मुझे उसके बारे में भी पता था लेकिन मैंने तुम्हें जानबूझ कर कुरुक्षेत्र भेजा| ये बातें जो मैं तुम्हें बता रहा हूँ न, मुझे खुद कान्हा ने बताई हैं| वो अक्सर मुझसे मिलने आता है| मेरा दोस्त है वो माखन चोर।
बूढ़ा आदमी इतना बोल कर वहां से भाग गया| इस बार पार्थ ने उसको रोकने की कोशिश नहीं की| पार्थ अभी भी उसकी बात में खोया हुआ था| क्या सच में कृष्ण उस बूढ़े आदमी से बात करते हैं?
पार्थ को लगने लगा जैसे उसे एक सवाल का जवाब मिलता है तो तुरंत दूसरा सवाल उसे घेरने लगता है। वह अपनी सोच में डूबा ही हुआ था कि तभी रागिनी के पापा का फ़ोन आया| उन्होंने बताया कि रागिनी होश में आ गयी है। पार्थ तुरंत हॉस्पिटल के लिए निकल गया।
जैस ही पार्थ रागिनी के पास पहुंचा, उसे देख पार्थ के चेहरे पर सुकून वाली स्माइल आ गई।
पार्थ- थैंक गॉड रागिनी, तुम्हें होश आ गया। पता है हम सब कितना घबरा गए थे?
रागिनी- जानती हूँ।
रागिनी कमज़ोर महसूस कर रही थी। उसके मम्मी पापा और भाई वहाँ से चले गए और रूम में बस पार्थ और रागिनी बचे। पार्थ ने फिर रागिनी को बूढ़े आदमी की बात बताई। रागिनी उसकी बातें सुन हैरान हो गई।
रागिनी – उस बूढ़े आदमी से कृष्ण मिलते हैं? और उसे अपनी कहानी बताते हैं? ये कैसे हो सकता है? वैसे उस आदमी का नाम क्या है?
पार्थ - मैंने कभी उसका नाम तो नहीं पूछा| शायद कोई उसका नाम नहीं जानता।
पार्थ के लिए उस बूढ़े आदमी का नाम जानने से ज़्यादा इम्पॉर्टन्ट था, रागिनी का जल्दी से ठीक होना। उसने बातें बंद कर दीं। उसने रागिनी से रेस्ट करने को कहा और उसके लिए जूस लेने बाहर चला गया। पार्थ को लौटने में थोड़ी देर हो गई, रागिनी रूम में अकेली थी। पार्थ जैसे ही जूस लेकर उसके रूम के पास पहुंचा, उसे रागिनी की चीख सुनाई पड़ी।
क्या रागिनी के ऊपर किया बुरी शक्तियों ने फिर से हमला?
उस बूढ़े आदमी का कृष्ण से सच में कोई कनेक्शन है या ये सिर्फ़ उसकी बनाई कोई कहानी है?
आगे क्या होगा, जानेंगे अगले चैप्टर में!
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