ज़िंदगी हर पल हमें चौंका देती है। कभी खुशियों की बारिश कर के तो कभी दुखों भारी आंधी चला कर और कभी-कभी तो कुछ ऐसा हो जाता है जिसे समझ पाना आसान नहीं होता। रागिनी ने कुछ देर पहले ही पार्थ के बैग से निकलती रोशनी देखी थी। अब ये कोई नॉर्मल बात तो है नहीं। बैग से रोशनी निकलना कहाँ आम घटना है? पार्थ ने एक बार बैग को देखा और फिर रागिनी को। रागिनी की आँखों में पार्थ के लिए सवाल है कि आखिर उसके बैग से रोशनी कैसे निकलने लगी? रागिनी कुछ पूछती उससे पहले ही पार्थ ने उसे बताया कि ये रोशनी जादुई डायरी की है। पार्थ ने फिर बैग खोलकर डायरी निकाली और पढ़ने लगा। 

हे पार्थ, लोग कहते हैं कि मैं बालपन में बड़ा शरारती था| किसी के घर का माखन खा जाता था तो किसी की कीमती वस्तु छुपा देता था| मैंने भी अपनी एक कीमती वस्तु गोवर्धन पर्वत में छुपा दी थी और उसे वापस लेना ही भूल गया| वो वस्तु केवल कीमती ही नहीं है बल्कि शक्तिशाली भी है| मुझे डर है कि कहीं वो गलत हाथों में न पड़ जाए। ऐसा हुआ तो दुनिया को बचाना कठिन हो जाएगा पार्थ। तुम्हें पता है कि तुम्हें क्या करना है। राधे राधे।”

कृष्ण ने पहली बार पार्थ को किसी काम को करने का इतना साफ़ इशारा दिया है। इससे पहले वो हमेशा ही पार्थ की भलाई के लिए उसे रास्ता दिखाते थे। आज उन्होंने खुद से जुड़ी किसी वस्तु को ढूँढने का काम पार्थ को दिया है। 

पार्थ- रागिनी, क्या मैंने सही पढ़ा और समझा है? कृष्ण मुझसे कुछ करवाना चाहते हैं? 

रागिनी- हाँ पार्थ, मुझे भी ऐसा ही लगता है। उन्होंने तो जगह भी बात दी, गोवर्धन पर्वत। मैं तो सोच रही हूँ कि ऐसा क्या छुपाया होगा कृष्ण ने वहाँ? तुमने क्या सोचा है? जाओगे?

पार्थ- मुझे समझ नहीं आ रहा है। कृष्ण ने लिखा कि वो वस्तु बहुत पावरफुल है। कृष्ण ने ये ज़िम्मेदारी मुझे दी है तो मैं इसे निभाऊँगा भी। मैं कल ही मथुरा के लिए निकलूँगा। 

रागिनी- तुम नहीं, हम। मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगी। डायरी में लिखे शब्द ज़रूर तुम पढ़ रहे थे लेकिन ज़िम्मेदारी तुम्हारे अकेले की नहीं है। 

रागिनी साथ चलने की ज़िद्द पर अड़ गई। पार्थ के मना करने पर भी वो मानी ही नहीं। पार्थ ने कहा भी कि उसकी चोट अभी तक ठीक नहीं हुई है और अभी तो कुछ दिन पहले ही वह हॉस्पिटल से लौटी है। ऐसी हालत में पार्थ उसे लेकर मथुरा नहीं जा सकता। ऊपर से उसे खुद भी नहीं पता है कि वहाँ कैसा और कितना बड़ा खतरा उसका इंतज़ार कर रहा है। पार्थ ने रागिनी से साफ़ मना कर दिया। रागिनी भी कहाँ मानने वाली थी? उसने पार्थ को इमोशनल ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। आँखों में आँसू लिए वह बोली कि उसे अपने मन से डर भगाना है। अगर वो घर पर ही रही तो ऐसा नहीं हो पाएगा। रागिनी ने कहा कि अगर वो पार्थ के साथ मथुरा जाएगी तो अपने डर पर जीत हासिल कर पाएगी और उसकी सेफ़्टी के लिए पार्थ तो है ही। पार्थ ने अपना सिर पकड़ लिया और झुँझलाते हुए बोला,

पार्थ- तुम मेरी कभी सुनोगी ही नहीं। अच्छा चलो, लेकिन अपने मम्मी पापा से क्या कहोगी?? वो तुम्हें जाने नहीं देंगे और मुझे तो बहुत सुनाएंगे। तुम्हारे पापा सोचते हैं कि मैं तुमसे मिलने आता हूँ क्योंकि मुझे तुम्हारी फ़िक्र है। अब उन्हें लगेगा कि मैं उनकी बेटी का दिमाग घुमाने आता हूँ। तुम मेरी नाक कटवा के ही रहोगी, रागिनी। 

रागिनी- मम्मी पापा का स्ट्रेस तुम मत लो। मैं उन्हें समझा दूँगी। बोल दूँगी कि मुझे मथुरा में एक वैद्य जी का पता चला है जो बड़े से बड़ा फ्रैक्चर भी चुटकी में ठीक कर देते हैं। जहां मेरी तबीयत ठीक होने की बात आएगी, पापा तुरंत मान जाएंगे। चाहे तो शर्त लगा लो, मिस्टर पार्थ सैनी। 

पार्थ, रागिनी के बनाए बहाने को सुनकर हैरान रह गया। वह जानता था कि रागिनी थोड़ी सी सिरफिरी है लेकिन इतनी बड़ी ड्रामेबाज़ भी है, उसने ये सोचा भी नहीं होगा। रागिनी की बात मानते हुए पार्थ मथुरा जाने की तैयारी करने के लिए अपने घर के लिए निकल गया। रागिनी ने कहा था कि वह शाम तक अपने पापा से बात कर के बताएगी। पार्थ जैसे ही अपने घर लौटा, उसे याद आया कि कुछ दिनों पहले ही जब उसने सपने में कृष्ण को देखा था, वो भी गोवर्धन पर्वत पर, तब उन्होंने उसे अपनी बांसुरी दी थी। पार्थ सारे डॉटस मिलाने लगा। उसे समझ आ गया कि पार्थ का मथुरा जाना कृष्ण ने पहले ही तय कर दिया था। वह अपने रूम में गया और उसने कबर्ड के ऊपर रखे एक सूटकेस को उतारकर बेड पर रखा। जब उसने सूटकेस खोला, तो कुछ गर्म कपड़ों के नीचे से उसने वही बांसुरी निकाली। फिर वो बांसुरी उसने अपने बैग में डायरी के साथ रख ली। 

पार्थ- डायरी तो मुझे आगे का सही रास्ता दिखाएगी, क्या पता ये बांसुरी भी जादुई हो और हमारे किसी तरह काम आ जाए। 

पार्थ ने मथुरा जाने की पूरी तैयारी कर ली थी। तभी उसे रागिनी का कॉल आया और उसने पार्थ को बताया कि उसके पापा उसे पार्थ के साथ मथुरा भेजने के लिए मान गए हैं। पार्थ तो पहले से ही जानता था कि रागिनी जो चाहे वो किसी से भी करवा सकती है। रागिनी ने फिर आगे कहा कि उसके पापा पार्थ से बात करना चाहते हैं। इतना सुनकर पार्थ के चेहरे का रंग ही उड़ गया। उसे लगा कि शायद रागिनी के पापा उसे बहुत सुनाएंगे। कहेंगे कि उनकी बेटी को ऐसी हालत में भी घुमाने ले जा रहा हूँ। पार्थ ने मन में जैसी बातें सोच लीं, वैसा हुआ नहीं। रागिनी के पापा ने पार्थ से बड़े प्यार से कहा, “बेटा हमें तुम पर पूरा भरोसा है। तुम रागिनी के साथ रहोगे तो हमें लगेगा कि वो सेफ़ है। बस एक बात का ध्यान रखना। ये मेरी जो बेटी है न, ये ज़िद्दी बहुत है। तो अगर ये मथुरा में तुमसे कोई भी, किसी भी तरह की ज़िद्द करे न, तो मानना नहीं। मैं इसे तुम्हारे भरोसे भेज रहा हूँ और एक बात, इसको टाइम पर अपनी दवाईयां लेने को ज़रूर टोकते रहना।”

पार्थ बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था। वह जानता है कि रागिनी ज़िद्दी है और पार्थ कितना भी उसे समझा ले लेकिन वो किसी भी सूरत में उसकी बात तो नहीं मानेगी। रागिनी के पापा से बात खत्म कर के पार्थ उठा ही था कि उसके घर की डोर बेल बजी। पार्थ ने दरवाज़ा खोला तो सामने यश खड़ा था। 

पार्थ- अरे यश, तुम? दोपहर में ही तो हम मिले थे। सब ठीक न? तुम्हारी बिल्डिंग में सब नॉर्मल हो गया की नहीं?

यश-  हाँ, बस चल रहा है काम। अंदर आ जाऊं या यहीं खड़े-खड़े बात करनी है? या दोपहर में तुमसे मिल चुका हूँ तो अब तुम्हारा मेरी शक्ल देखने का कोई मूड नहीं है?

पार्थ ने यश को घर के अंदर आने के लिए रास्ता दिया और फिर से उसने सेम सवाल पूछा। इस बार यश ने जवाब देने की जगह पार्थ से ही सवाल कर लिया। 

यश- तुम कहीं जा रहे हो पार्थ? अब तुम कुछ बताते ही नहीं। 

यश ने पार्थ का पैक्ड बैग देखकर ये कहा। पार्थ, यश से अब और झूठ नहीं बोल सकता क्योंकि यश जितने सवाल करेगा, उतना ही पार्थ उलझता जाएगा। पार्थ ने जब कुछ नहीं कहा तो यश ने उससे डायरी के बारे में पूछा। 

यश- ज़रा वो डायरी दिखाना। मुझे कुछ चेक करना है। 

पार्थ- डा.. डायरी में? क्या चेक करना है?

पार्थ को समझ नहीं आया कि यश को जादुई डायरी में क्या देखना था। उसने बात घुमाने की भी कोशिश की लेकिन यश की सुई बार-बार डायरी पर अटक रही थी। यश पार्थ के बहाने समझ रहा था। उसका शक बढ़ता गया और उसने फाइनली पार्थ से कह दिया कि उसे वो डायरी नॉर्मल डायरी जैसी नहीं लगती। यश ने बताया कि जब वो डायरी उसके पास थी, तब उसे कुछ अजीब सा फ़ील होता था। जैसे उसकी हिम्मत बढ़ गई हो और अब सब वापस पहले जैसा हो गया। यश जानना चाहता है कि आखिर डायरी का सच क्या है और पार्थ के लिए वो इतनी इम्पॉर्टन्ट कैसे है?

पार्थ- ट्रस्ट मी यश, ऐसा.. ऐसा कुछ भी नहीं है उस डायरी में। मामूली सी तो है। और.. और तुमने खुद देखा था कि उसमें तो कुछ लिखा भी नहीं है। मैं.. मैं तुमसे क्यों कुछ छुपाऊँगा?

यश- नहीं पार्थ, मैं तुम्हें बचपन से जानता हूँ। जब तुम कुछ छुपाने की कोशिश करते हो तो हमेशा हकलाने लगते हो। सच बता दो वरना मैं प्रकाश मामा से पूछ लूँगा। 

यश ने पार्थ को प्रकाश के नाम की धमकी दे डाली। अब पार्थ बुरी तरह से फंस गया। यश को डायरी का सच बताएगा तो वह उसकी जान खतरे में डालेगा और अगर नहीं बताएगा तो उसकी अपनी जान खतरे में पड़ जाएगी क्योंकि प्रकाश मामा हर हाल में पार्थ से सच उगलवा लेंगे और डायरी का राज़, राज़ नहीं रहेगा। पार्थ टेंशन में आ गया और अपने हाथों के नाखून चबाने लगा। यश उसे घूरे ही जा रहा है। मानो आज बिना डायरी का सच जाने वो पार्थ के घर से हिलेगा भी नहीं। पार्थ, यश को हॉल में छोड़कर अपने रूम में चला गया और जब लौटा तो उसके हाथ में कृष्ण की जादुई डायरी थी। 

क्या यश को पार्थ बता देगा कि ये डायरी है किसकी?

क्या यश पार्थ की बात पर भरोसा करेगा?

क्या होगा जब पार्थ पहुंचेगा कृष्ण की खोई हुई प्रिय चीज़ ढूँढने?

आगे क्या होगा, जानेंगे अगले चैप्टर में!

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