वो इतना खामोश कैसे रह सकते हैं?
नीचे उन लोगों ने इतना कुछ कहा, इतना सब हुआ, और फिर भी आरव इतने emotionless कैसे हो सकते हैं?
सुहानी मन ही मन खुद से सवाल करती रही। नीचे जो भी हुआ था, उसने उसे अंदर तक झंझोड़ दिया था, और सबसे ज़्यादा वो आरव से परेशान थी।
उनके मुँह से एक लफ्ज़ तो क्या, उनके चेहरे पर किसी तरह के emotions तक नहीं आये। वो बस एक रोबोट की तरह वहाँ खड़े रहे, जैसे यह सब उनके लिए कोई मायने ही नहीं रखता। क्या ये वही इंसान हैं जो बाहर एक इतना बड़ा बिज़नेस चला रहे हैं? या फिर वो अपने इस भावहीन चेहरे के पीछे कोई गहरा राज़ छुपा कर बैठे हैं?
सुहानी के दिल में सवालों की एक लंबी कतार खड़ी हो गई थी।
"वो सब मुझसे इतनी नफरत क्यों करते हैं? मैंने इनका क्या बिगाड़ा है?" उसने ये सवाल खुद से पूछा।
इन सवालों का जवाब उसे चाहिए था, लेकिन उससे पहले उसे अपनी आँखों से देखा सच समझना था—आरव के दिल में जगह किसी और की थी।
मीरा!
वो नाम जिसे सोचकर सुहानी को अंदर कुछ टूटता महसूस हुआ। मीरा, जो अभी भी उसी घर में रहती थी, बिना किसी रोक-टोक के, जैसे उसकी वहां मौजूदगी एक आम बात हो।
सुहानी को एहसास हुआ कि वो बस एक अवसर थी, एक कानूनी ज़रूरत, जिसे आरव ने पूरा किया था। लेकिन उसके लिए मीरा ही उसका प्यार थी। अगर आरव मीरा से प्यार करते थे, तो उन्होंने इस शादी के लिए हाँ क्यों कहा?
और सबसे महत्वपूर्ण बात, उसके पिता ने ऐसा क्या कर्ज़ लिया था, जिसके बदले में उसे इस अनचाही शादी का शिकार बनना पड़ा?
सुहानी के भीतर बेचैनी बढ़ रही थी। वो इस हाल में नहीं जी सकती थी, उसे सच जानना था।
सुहानी ने खुद को संभाला और तय किया कि अगले दिन सुबह, वो आरव से सीधे बात करेगी।
अगली सुबह…
कमरे में कदम रखते ही, उसने देखा कि आरव बालकनी में खड़ा था, ठंडी हवा सीधा उसके चेहरे को छू रही थी, लेकिन वो फिर भी किसी पत्थर की तरह बस खड़ा था। कुछ देर यूँ ही चुप चाप उसे देखते रहने के बाद उसने उसके पास आकर कहा।
"आप मुझसे बात क्यों नहीं करते, आरव?" सुहानी की आवाज़ में सख्ती थी।
आरव ने हल्का सा सिर घुमाया, लेकिन उसकी आँखें अभी भी बेजान थीं।
“क्या बात करनी है?”
“मुझे सच जानना है। आप मुझसे इतनी नफरत क्यों करते हैं? मीरा अब भी इस घर में क्यों है? और सबसे जरूरी बात, मेरे पापा का आप लोगों से क्या लेना-देना था, जो आप लोगो ने मुझे सूली पर चढ़ा दिया।”
आरव ने गहरी सांस ली। कुछ देर के लिए कमरे में सन्नाटा छा गया। फिर उसने धीमी आवाज़ में कहा,
“क्या तुम वाकई, सच सुनने के लिए तैयार हो?”
सुहानी के दिल की धड़कन तेज़ हो गई। ये वो लम्हा था, जब परत-दर-परत राज़ खुलने वाले थे।
आरव की आँखें सुहानी की आँखों से टकराईं, लेकिन वो गहरी, बेजान लेकिन रहस्यमयी थीं—जैसे उनमें समंदर जितनी गहराई हो। किसी ऐसे समंदर की गहराइयाँ, जिसमें उतरने के बाद वापस लौटना नामुमकिन हो जाता है।
उसने धीरे से कहा, “अगर तुम सच जानना चाहती हो, तो इसे सहने के लिए भी तैयार रहो, सुहानी।”
सुहानी की उंगलियाँ मुट्ठी में कस गईं। "मैं तैयार हूँ," उसने दृढ़ता से कहा।
आरव ने एक पल के लिए आँखें बंद कीं, जैसे अपने अंदर की बेचैनी को काबू कर रहा हो, फिर उसने वो सच बताना शुरू किया जिसे सुनने के बाद सुहानी के होश उड़ गए।
—
“तुम्हारे पिता ने मेरी फैमिली को धोखा दिया था, सुहानी।”
ये सुनते ही सुहानी के पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
"क्या?" उसकी आवाज़ किसी तरह फुसफुसाहट में बदल गई।
आरव आगे बढ़ा, उसकी आँखों में हल्का सा दर्द था, लेकिन वो अपनी भावनाओं को दबाने की पूरी कोशिश कर रहा था।
"तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हारे साथ नाइंसाफी कर रहा हूँ, तुम्हें ठुकरा रहा हूँ, लेकिन सच तो ये है कि, तुम्हारे पापा के उन्हीं गुनाहों की भरपाई करने के लिए तुम यहाँ हो। तुम्हारी और कोई वैल्यू नहीं।”
सुहानी को लगा जैसे उसके दिल पर किसी ने खंजर मार दिया हो।
“मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा... आप कहना क्या चाहते हैं?”
आरव ने कड़वाहट से हँसते हुए कहा, “तुम समझना चाहती हो? तो सुनो... सालों पहले तुम्हारे पापा ने हमारे बिज़नेस को बर्बाद करने की साजिश रची थी। उन्होंने हमारे साथ पार्टनरशिप की, लेकिन अंदर से वो हमें खत्म करने का प्लान बना रहे थे। और जब उन्हें ये लगा कि उनका सच सामने आ सकता है, तो वो गायब हो गए।”
सुहानी का सिर चकरा रहा था।
“नहीं... ये सच नहीं हो सकता! मेरे पापा ऐसे इंसान नहीं हैं!”
आरव के होंठों पर एक और कड़वी हँसी आई। “सच अक्सर वैसा नहीं होता, जैसा हम देखना चाहते हैं, सुहानी। तुम्हारे पिता ने सिर्फ हमें धोखा ही नहीं दिया था... उन्होंने हमारी पूरी फैमिली को बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा दिया। और इस शादी की एकमात्र वजह ये थी कि तुम्हें इस घर में लाकर, तुम्हारे पिता को मजबूर किया जाए कि वो अपने गुनाहों को कबूल करें। उन गुनाहों को, जिसने मेरे पिता की जान ले ली।”
सुहानी को लगा जैसे किसी ने उसकी पूरी दुनिया पलट कर रख दी हो।
“क्या?” उसकी आवाज़ काँप उठी। उसका दिल इतना तेज़ धड़क रहा था कों जैसे अभी बाहर आ जाएगा। “ये सब… ये सब सच कैसे हो सकता है? मेरे बाउजी की वजह से तुम्हारे पिता की जान चली गई?” सुहानी की साँसे तेज़ चलने लगी थी। “तो, ये शादी, मुझे मेरे बाउजी के गुनाहों की सज़ा देने के लिए की गई है? “
आरव ने एक लंबी सांस ली, फिर ठंडे स्वर में बोला—
"हाँ, और ना भी।” आरव ने सोचते हुए कहा। “तुम्हारे ‘बाउजी’ के गुनाहों की सज़ा तो उन्हें मिलकर रहेगी। बस तब तक उनकी सबसे चहीती चीज़ के साथ थोड़ा खेल लिया जाए। ये उनके घाव पर नमक रागड़ने जैसा होगा।
“उन्हें जितनी चोट पहुंचेगी, हमारे जख्म उतनी ही जल्दी भरेंगे। समझी?” आरव ने सुहनी के बिलकुल करीब आकर कहा।
सुहानी की आँखों में आँसू आ गए। उसके हाथ काँप रहे थे। ये सब जो उसे अभी मालूम हुआ था, वो सच में इसके लिए तैयार नहीं थी। मगर वो जानती थी कि बात सिर्फ इतनी सी नहीं है। आरव के घर वाले उसे जिस तरह से treat कर रहे थे, उसे ऐसा लगा जैसे राज़ बहुत हैं, जिनका शायद आरव को भी उसका अंदाजा नहीं। जैसे कि उसकी माँ…
"और मीरा?" उसने खुद को संभालते हुए पूछा।
इस बार आरव की आँखों में पहली बार हल्का सा दर्द चमका, लेकिन उसने जल्दी ही उन भावनाओं को छिपा लिया।
“मीरा इस घर का हिस्सा हमेशा से थी, और हमेशा ही रहेगी। तुम कभी उसकी जगह नहीं ले सकती, सुहानी।”
ये शब्द सुनकर सुहानी अंदर से टूट गई थी। उसकी आँखों के सामने अंधेरा छाने लगा।
आरव ने अपना फैसला सुना दिया था।
और अब, सुहानी के पास सिर्फ दो ही रास्ते थे—या तो वो इस रिश्ते को एक मजबूरी मानकर जिए, या फिर इस खेल के नियम खुद बदल दे।
सुहानी को अब तक जितना पता चला था, वो सिर्फ सतह थी—हकीकत की गहराई इससे कहीं ज्यादा थी। आरव ने जो सच बताया, वो उसकी दुनिया को हिला देने के लिए काफी था, लेकिन एक सवाल अब भी उसके दिमाग में गूंज रहा था—वो रहस्यमयी कमरा जहाँ किसी को भी जाने नहीं दिया जाता था, आखिर क्या राज़ छुपा है वहां?
एक रात, जब पूरी हवेली सन्नाटे में डूब चुकी थी, सुहानी को गलियारे से धीमे-धीमे कदमों की आहट सुनाई दी। उसने बाहर आकर देखा तो एक कमरे का दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था।
“ये तो वही कमरा है, जिसे हमेशा बंद रखा जाता है...”
नौकरों से उसने पिछले दो दिनों में ये बात कई बार सुनी थी—कोई इस कमरे में जाने की हिम्मत नहीं करता।
उसका दिल तेजी से धड़कने लगा, लेकिन वह अपने कदम पीछे नहीं खींच सकी।
जैसे ही उसने कमरे के भीतर कदम रखा, हल्की सी धूल उड़ी। कमरे में धुंधला सा उजाला था, लेकिन दीवारों पर टंगी पुरानी तस्वीरें साफ नजर आ रही थीं। उसने जब ध्यान से उन तस्वीरों को देखने की कोशिश की, तो उसकी सांसें अचानक से थम गईं।
वहाँ उसकी माँ की तस्वीरें थीं।
“ये... ये यहाँ कैसे हो सकती हैं?”
उसकी माँ के चेहरे पर वही कोमल मुस्कान थी, जो उसे हमेशा से याद थी। लेकिन तस्वीरें अकेली नहीं थीं—उनके साथ राठौर परिवार के पुराने सदस्यों की तस्वीरें भी थी।
सुहानी को लगा जैसे उसके पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई हो।
“मेरी माँ का इस परिवार से क्या रिश्ता था? अगर ये लोग उन्हें जानते थे, तो मुझसे कभी इसका ज़िक्र क्यों नहीं किया किसी ने?”
वह तस्वीरों को छू भी नहीं पाई थी कि अचानक, उसे पीछे से हल्की सी सरसराहट सुनाई दी। उसने मुड़कर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था।
कमरा अचानक से ही ठंडा पड़ने लगा था।
और तभी—
एक जानलेवा हमला
एक झटके से छत पर लगा पुराना झूमर हिलने लगा। पहले धीरे-धीरे, और फिर तेज़ी से।
“ये कैसे हिल रहा है?”
अगले ही पल, ज़मीन हिलने लग गई, और झूमर सीधा उसकी ओर गिर पड़ा।
सुहानी ने एक झटके से खुद को पीछे खींचा—
धड़ाम!
झूमर ज़मीन पर आ गिरा, बस उससे कुछ इंच की दूरी पर।
धूल के बादल हवा में फैल गए। सुहानी काँप रही थी। ये महज़ एक हादसा नहीं था—कोई उसे मारने की कोशिश कर रहा था।
उसने चारों ओर घूमकर देखा, लेकिन वहाँ और कोई भी नहीं था।
ये कौन कर सकता है।
अब ये सिर्फ एक शादी या बिज़नेस डील का मामला नहीं था।
इस घर में कोई था, जो सच बाहर नहीं आने देना चाहता था। कोई था, जो उसे जिंदा नहीं देखना चाहता था।
सुहानी को अब यकीन हो गया था—उसकी शादी के पीछे सिर्फ एक सौदा नहीं, बल्कि एक बहुत बड़ा राज़ छिपा था।
झूमर के गिरने की जोरदार आवाज़ पूरे घर में गूंज गई थी, लेकिन हैरानी की बात ये थी कि कोई यह देखने तक नहीं आया कि आखिर हुआ क्या? ऐसा कैसे हो सकता है? क्या इस घर के सभी लोग इस साज़िश में शामिल थे?
सुहानी का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसे इस घर में हर कदम अब फूँक फूँक कर रखने की ज़रूरत थी। उसने अपने कपड़ों से धूल झाड़ी, खुद को संभाला और कमरे से बाहर निकल आई।
कमरे में आरव इधर उधर भटक रहा था। जैसे ही सुहानी ने कमरे में कदम रखा, आरव चौंक गया। उसकी नजरें सुहानी से टकराईं, और अगले ही पल वह तेजी से उसकी ओर बढ़ा। उसकी आंखों में एक अजीब सी बेचैनी थी, कुछ ऐसा जो सुहानी ने पहले कभी नहीं देखा था।
उसने सुहानी के बाजू पकड़कर उसे झंझोड़ा, मानो यह यकीन करना चाहता हो कि वह सही-सलामत है। उसकी आवाज़ कांपी, मगर उसमें गहराई थी—"तुम आखिर थी कहाँ? इतनी रात को कहाँ चली गई थी?"
आरव के इस रवैये से सुहानी चौंक गई थी। यह वही आरव था, जो अब तक उससे बेरुखा बर्ताव कर रहा था? उसकी आंखों में हमेशा की तरह एक ठहराव था, मगर आज उसके रवैये में एक अजीब-सी घबराहट भी थी।
क्या यह चिंता थी? क्या उसे सच में सुहानी फिक्र हो रही थी या फिर आरव को उम्मीद नहीं थी कि सुहानी सही सलामत लौटेगी?
लेकिन सुहानी के लिए यह सब अब कोई मायने नहीं रखता था। उसका दिल इस घर और इसके हर शख्स से छलनी हो चुका था। उसने झटके से अपनी बाजू छुड़ा ली और दो कदम पीछे हट गई, उसकी आंखों में आंसू तैरने लगे, मगर उसने खुद को संभालते हुए कहा।
"ये चिंता जताने का नाटक मत करिए आप!" उसकी आवाज़ अब तीखी और दर्दभरी थी। “आपको कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं कहां थी, और मेरे साथ क्या हो रहा है। आपको तो बस वही देखना है, जो आपको दिखाया जाता है।”
आरव की आंखों में कुछ पिघलता सा महसूस हुआ, लेकिन सुहानी नहीं रुकी।
“अगर आपको मेरी परवाह होती, तो आज मैं अकेले इस अंधेरे में नहीं भटक रही होती। लेकिन कोई बात नहीं... अब मुझे आदत हो रही है, अकेले रहने की।”
उसकी आवाज़ अब धीमी हो गई थी, मगर उसमें दर्द की एक गूंज बरकरार थी।
आरव ने कुछ कहना चाहा, मगर शब्द गले में अटक गए।
“गुड नाइट, आरव!”
इतना कहकर सुहानी बाथरूम में चली गई और दरवाज़ा बंद कर लिया।
आरव वही जमा रह गया था। उसकी मुट्ठियाँ कस गईं, मगर उसने कुछ नहीं कहा। शायद कहने को कुछ था भी नहीं। वह चाहता था कि सुहानी उसकी आँखों में झांककर देखे और समझे कि वह झूठ नहीं बोल रहा था, लेकिन उसने पहले ही फैसला कर लिया था।
जैसे ही सुहानी बाथरूम में चली गई, आरव ने गहरी सांस ली। "क्या सच में मुझे उसकी फिक्र नहीं है?" उसने खुद से सवाल किया। पर जवाब तो उसे पहले से ही पता था…
सुहानी के कपड़े धूल से सने हुए थे, लेकिन इस वक्त उसे नहाने से ज्यादा जरूरत थी खुद को संभालने की। उसके दिमाग में सवालों का तूफान उमड़ रहा था। कमरे में अब सिर्फ सन्नाटा था—और उन दोनों के दिलों में अधूरी बातें।
उसकी माँ की तस्वीर इस हवेली में क्या कर रही थी?
अगर उसके पिता सच में गुनेहगार थे, तो क्या होगा उनके साथ?
आखिर उस कमरे में और कितने रहस्य दफन हैं?
और कौन कर रहा है सुहानी के मरने की साजिश?
जानने के लिए पढ़ते रहिए… 'रिश्तों का क़र्ज़'!
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