इंसान को चाहे जितनी खुशियां मिल जाएं, वो तकलीफों को हमेशा के लिए भुला नहीं सकता। पार्थ भी, कृष्ण की डायरी मिलने पर इतना खुश नहीं था, जितना वो लाइफ़ में चल रही प्रॉब्लेम्स के बारे में सोचकर उदास था। उसे लग रहा था कि जब से वो डायरी उसे मिली है, उसकी प्रॉब्लेम्स बढ़ती जा रही हैं।
पार्थ कुरुक्षेत्र में काम ख़त्म कर, दिल्ली अपने घर आ गया था| वो इतना थका हुआ था कि बेड पर लेटते ही उसकी आँख लग गयी। फिर जब उसकी आँख खुली तो वह अपने कमरे की जगह, एक ऐसी दुनिया में पहुँच गया, जहां न कोई बिल्डिंग थी, न इंसान और न ही हरियाली। जहां तक नज़र घुमाओ वहां तक सिर्फ़ बंजर ज़मीन नज़र आ रही थी। उस जगह को देख कर ऐसा लग रहा था मानो उस ज़मीन पर बरसों से कोई नहीं आया। अगर वहां इंसानों का आना-जाना होता तो शायद उस जगह का ऐसा हाल ना होता। वहां शरीर को झुलसा देने वाली गर्मी थी और प्यास की वजह से पार्थ का गला सूखा जा रहा था, लेकिन उसके पास, पीने के लिए एक बूंद पानी तक नहीं था। पार्थ यहां-वहां भागते हुए पानी के लिए चिल्लाने लगा। काफ़ी देर तक भागने के बाद भी, उस बंजर ज़मीन का कोई अंत ही नहीं दिखा| आखिरकार, वो थक कर एक जगह बैठ गया।
पार्थ को समझ नहीं आ रहा था कि वो कुछ देर पहले, दिल्ली में, अपने घर पर था। अचानक से वो इस बंजर ज़मीन पर कैसे पहुँच गया? उसकी प्यास बढ़ती ही जा रही थी| अब उसमें चलने की बिल्कुल भी हिम्मत नहीं बची थी, तभी पीछे से किसी की शहद जैसी मीठी आवाज़ सुनाई पड़ी..
“पार्थ, तुमने तो शीघ्र ही पराजय को स्वीकार कर लिया। बिना परिश्रम किये तो मुझे भी कुछ नहीं मिला। मनुष्य का जन्म ही परिश्रम करने के लिए हुआ है। उठो! उठो पार्थ!|”
पार्थ ने मुड़कर देखा तो उसके सामने, एक साँवले रंग का, सामान्य कद-काठी वाला, सफ़ेद धोती पहने, एक लड़का खड़ा था। उसकी उम्र का ही लग रहा था। उसके चेहरे पर एक अलग ही तेज था। पार्थ तो उस लड़के को एक टक देखे ही जा रहा था।
पार्थ – तुम कौन हो? और यहां क्या कर रहे हो? तुम्हें मेरा नाम कैसे पता? क्या मेरी तरह कहीं तुम भी तो नहीं फंस गए यहां? तुम्हारे चेहरे को देखकर ऐसा लग रहा है कि मैं तुम्हें देखता ही रहूँ।
उस लड़के से मिलकर पार्थ ये भी भूल गया कि उसे थोड़ी देर पहले तक बहुत प्यास लगी थी। पार्थ काफ़ी देर तक कुछ और नहीं बोला। फिर उस लड़के न अपनी मीठी आवाज़ में पूछा, “पार्थ तुम्हें प्यास लगी थी न? भूल गए?
पार्थ – हाँ, लगी तो थी। तुम में कुछ तो है जो मैं तुमसे नजरें नहीं हटा पा रहा हूँ। पता है, मैं तो अपना काम ख़त्म कर के दिल्ली पहुंचा था और अपने घर में रेस्ट कर रहा था, लेकिन पता नहीं यहां कैसे पहुँच गया.. यहां बहुत गर्मी है.. प्यास से मेरा गला सूखा जा रहा है.. कहीं पानी की एक बूंद तक नहीं मिल रही है। क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?
उस लड़के ने पार्थ से कहा, “किस ने कहा यहां पानी की एक बूंद भी नहीं है? ज़रा अपने पीछे देखो - पानी का पूरा तालाब है। तुम जितना चाहो उतना पानी पी सकते हो, पार्थ।”
पार्थ ने जब पीछे देखा तो उसके होश उड़ गए| वहां सच में पानी का तालाब था! उसमें एकदम साफ़ पानी था। उसे अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था कि वहां अचानक से इतना बड़ा तालाब कहां से आ गया? पार्थ दौड़ कर तालाब के पास गया। उसने जी भरकर पानी पिया और अपनी प्यास दूर की| पार्थ वापस उस लड़के के पास आया।
पार्थ – तुम जो भी हो मुझे यहां से बाहर निकालो, प्लीज़। पहले से ही मेरी लाइफ़ में बहुत सारी प्रोब्लेम्स हैं और मैं यहां आकर फंस गया हूँ।
वो लड़का पार्थ को देखकर ज़ोर से हंसने लगा और बोला, “तुम्हारी ऐसी कोन सी तकलीफ़ें हैं जो तुम इतने परेशान हो? मुझे बताओ।”
पार्थ – तुम को बताने से क्या होगा? ऐसी प्रॉब्लेम्स तुम ने भी फेस नहीं कि होंगी कभी। मैं सिर्फ 5 साल का था जब मेरे माँ-बाप गुज़र गए थे| मैंने पूरा बचपन अपने मामाजी के सहारे निकला। एक बचपन का दोस्त है वो भी मुझसे नाराज़ हो गया था। बड़ी मुश्किल से उसको मनाया। एक लड़की है जिससे बहुत प्यार करता हूँ मैं, लेकिन काम की वजह से, उसे भी टाइम नहीं दे पाता हूँ और न ही उससे अपने दिल की बात कह पाया हूँ - आज तक।
मैंने सोचा था कि ईमनदारी से काम करूँगा लेकिन मेरी टीम के लोग भी मुझे पसंद नहीं करते| सब को लगता है मुझ में कोई काबिलियत ही नहीं है। मैं जो हूँ, अपने मामा जी की वजह से हूँ| मुझे हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं मेरी जॉब ना चली जाए। अब तुम बताओ, तुम ने कभी इतनी तकलीफ़ें झेली हैं?
वो लड़का मुस्कुराने लगा और दो कदम आगे पार्थ की ओर बढ़ा। उसने पार्थ के सिर को, अपने हाथ से सहलाते हुए कहा, “मैं जन्म के साथ ही अपने माता-पिता से अलग हो गया था। मुझे नए माता-पिता मिले, नया घर मिला। बचपन में ही मुझे बार-बार जान से मारने की कोशिश की गयी। ग्यारह साल की उम्र में ही मुझे दोबारा अपने माता-पिता को छोड़कर जाना पड़ा। मैं कभी अपने प्रेम को पा नहीं सका। लाखों लोगों ने मुझे कोसा क्योंकि मैं उनकी तरफ़ नहीं था| जब पूरा विश्व धर्म की जीत का उत्सव मना रहा था, तब मैं ख़ुशी-ख़ुशी खुद पर श्राप ले रहा था| ये तो मेरे जीवन की केवल आधी तकलीफ़ें हैं| कठिनाइयों से डरना बंद करो और उनका सामना करो, पार्थ|”
पार्थ हैरान था ये जान कर कि कोई उससे भी ज़्यादा तकलीफ़ें झेल चुका है। वह जानना चाहता था कि उसके सामने जो खड़ा है.. जो इतना प्रभावशाली है.. वह असल में कौन है?
पार्थ – तुम कोई आम आदमी तो नहीं लगते! तुम्हारे पास ज़रूर कोई जादुई शक्ति है। तुम मेरा नाम भी जानते हो! कौन हो तुम? तुम्हारी बातें सुनकर मुझे किसी की याद आ रही है.. ये सब जो तुमने मुझे बताया वो मैं पहले कहीं सुन चुका हूँ.. किसी की कहानी में.. कृष्ण! हाँ! ये तो श्री कृष्ण के साथ हुआ था! कहीं.. कहीं आप.. कृष्ण तो नहीं? सच बताइए, आप कृष्ण हैं, न?
देर से ही सही, लेकिन पार्थ समझ गया था कि उसके सामने कोई साधारण व्यक्ति नहीं, बल्कि श्री कृष्ण खड़े थे! कृष्ण बिना कुछ बोले, आशीर्वाद देते हुए, अपना विशाल स्वरुप धारण करने लगे! कृष्णे के अद्भुत स्वरूप को देखते समय पार्थ की आँखें हैरानी से चौड़ी होती चली गईं और उसका मुंह खुला का खुला रह गया! तभी उसके कानों में एक लड़की की आवाज़ पड़ी।
रागिनी – उठो पार्थ, उठो! दोपहर के बारह बज गए हैं, कब तक सोते रहोगे?
ये आवाज़ पार्थ की कॉलेज फ्रेंड, रागिनी की थी। वही रागिनी जिससे पार्थ प्यार करता था, लेकिन कभी बता नहीं पाया। रागिनी के पास पार्थ के घर की डुप्लिकेट चाबी थी| जैसे ही उसे पता चला था कि पार्थ दिल्ली वापस आ गया है, वो बिना देर किये उससे मिलने चली आई थी। रागिनी के बार-बार आवाज़ लगाने पर पार्थ झटके से नींद से उठा और हांफने लगा| पार्थ को हांफता देख रागिनी घबरा गई। वो पार्थ की पीठ पर हाथ फेरने लगी।
रागनी – काम डाउन पार्थ, काम डाउन। कुछ नहीं हुआ है। शायद कोई बुरा सपना देख लिया है तुमने। मैं पानी लेकर आती हूँ|
पार्थ पूरी तरह होश में नहीं आया था। उसे अब भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उसने साक्षात् श्री कृष्ण को सपने में देखा था! उनसे बातें की थीं। पार्थ ने देखा कि वो जादुई डायरी उसके बगल में ही पड़ी है। उसे याद आया कि वो रात को डायरी बगल में रख कर ही सो गया था। रागिनी पार्थ के लिए पानी लेकर आई। पार्थ ने एक प्यासे कि तरह, पूरा ग्लास गटक गया!
पार्थ - रागिनी! पता है, मैंने सपने में श्री कृष्ण को देखा! उन्होंने मुझसे बात भी की!
पार्थ ने फिर वो जादुई डायरी रागिनी को दिखाया।
पार्थ- ये डायरी देख रही हो? ये डायरी मुझे कुरुक्षेत्र में, सर्वे के दौरान मिली थी| तुम यकीन नहीं मानोगी लेकिन ये डायरी श्री कृष्ण की है! इसमें कृष्ण की बातें खुद-ब-खुद उभरकर आती हैं और वो सारी बातें मेरी लाइफ़ से जुड़ी हुई होती हैं!
रागिनी, जो ग़ौर से पार्थ की बातें सुन रही थी, अचानक ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगी। उसे पार्थ की बातों पर यकीन ही नहीं हुआ। रागिनी क्या, इस बात पर तो किसी को भी यकीन नहीं होता! कृष्ण की डायरी? एक नॉर्मल आदमी के पास? ऐसा कैसे हो सकता है?
रागिनी – पार्थ, लगता है तुम्हारी नींद अभी तक पूरी नहीं हुई है। मैं भी कृष्ण भगवान की बहुत बड़ी फ़ैन हूँ.. मेरा मतलब है कि मैं भी उनकी भक्त हूँ, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं ऐसी किसी भी बात में आ जाऊं। इट्स इम्पॉसिबल! चलो, अभी जल्दी से तैयार हो जाओ। हम मंदिर चलते हैं।
पार्थ बार-बार रागिनी को अपनी बात समझाने की कोशिश कर रहा था लेकिन रागिनी हर बार हंसकर उसकी बात को मानने से इनकार कर रही थी। फिर पार्थ ने गिवअप कर दिया और कुछ देर बाद वह तैयार होकर आया और दोनों राधा कृष्ण के मंदिर के लिए निकल गए। मंदिर पहुँचकर आज पार्थ श्री कृष्ण की मूर्ती देखकर उसमें खो गया था। पार्थ, कृष्ण से मन ही मन मांग रहा था कि उसके सवाल का जवाब मिल जाए कि आखिर वो डायरी उसे ही क्यों मिली? रागिनी और पार्थ दर्शन करने के बाद मंदिर के आँगन में पहुंचे। वहां एक बूढ़ा आदमी, पार्थ को देखकर ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा, “बहुत सारी तकलीफें आएंगी। तुम हिम्मत नहीं हारना। बहुत सारी तकलीफें आएंगी।”
पार्थ गौर से उसकी बातें सुन रहा था और वह हैरान भी था कि वो आदमी पार्थ को देखकर ऐसा क्यों कह रहा है? कुछ लोग आकर उस आदमी को वहां से भगाने लगे। पार्थ ने अपने बगल से जा रहे दो लोगों को उस बूढ़े आदमी को पागल कहते सुना। वो मंदिर में पिछले कई सालों से रह रहा था और वहीं भीख मांग कर, अपना गुज़ारा करता था| कोई नहीं जानता था कि वो कब और कहां से यहां आया था। लोगों को तो उसका नाम तक भी पता नहीं था। उस बूढ़े आदमी से अपना ध्यान हटाकर, पार्थ और रागिनी मंदिर से बाहर आ गए| दोनों कार में बैठने ही जा रहे थे की तभी रागिनी को याद आया कि उसे पंडित जी से कुछ बात करनी थी और वो वापस मंदिर के अंदर चली गई।
तभी पार्थ के पास वो बूढ़ा आदमी, अचानक से आ गया और उसे घूरने लगा| पार्थ भी चुप होकर उसे देख रहा था| वह आदमी पार्थ के और करीब आया और धीरे से उसके कान में बोला “तुम्हारी ज़िन्दगी में भी बहुत बड़ी मुसीबत आने वाली है| उसे संभाल कर रखना और उसके शब्दों को सिर्फ़ पढ़ना नहीं, बल्कि मानना.. वरना तुम बर्बाद हो जाओगे|”
वह बूढ़ा आदमी इतना बोलकर वहां से चला गया| पार्थ के तो मानो जैसे होश ही उड़ गए! उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे कृष्ण की डायरी के बारे में कैसे पता चला? पार्थ उसका पीछा करने लगा, लेकिन वो उसकी नज़रों से ओझल हो गया। थोड़ी देर में रागिनी भी लौट आयी और उसने पार्थ से घर चलने को कहा। दोनों घर के लिए निकल गए, लेकिन पार्थ, रास्ते भर, उस बूढ़े आदमी के बारे में ही सोचता रहा।
आखिर कौन था वो बूढ़ा आदमी?
और वो डायरी के बारे में कैसे जानता था?
कृष्ण का पार्थ के सपने में आना, क्या सिर्फ़ एक इत्तेफ़ाक़ था?
आगे क्या होगा, जानेंगे अगले चैप्टर में!
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