कमरे में एक क्षण का सन्नाटा छाया हुआ था। शमशेर की आंखों में अचानक एक पुराना दर्द उतर आता है। वो चुपचाप विक्रम की ओर देखता है और पूछता है…"और… काजल? उसके बारे में कुछ पता चला क्या, विक्रम?"
विक्रम की नज़रें झुक जाती हैं। उसके चेहरे पर हार का एहसास साफ़ झलकता है।
विक्रम निराश स्वर में कहता है, "मैंने हर जगह ढूंढ़ा…रणवीर का हर ठिकाना, हर पुराना रूटीन, हर लिंक चेक किया…मगर काजल आंटी का कोई सुराग नहीं मिला।"
हल्का सा विराम, फिर गहरी सांस लेकर उसने अपनी बात जारी रखी, "ना जाने कहाँ छिपा रखा है रणवीर ने उन्हें। मुझे तो शक है कि…"
वो अचानक रुक जाता है, जैसे कुछ कहने से डरता हो। सुहानी तुरंत बीच में बोल पड़ती है, उसकी आवाज़ में घबराहट भी है और उम्मीद भी…“क्या?… क्या शक है तुम्हें विक्रम?”
सभी की नज़रें अब विक्रम की तरफ उठ गई थीं।
विक्रम धीरे मगर स्पष्ट स्वर में कहता है, "मुझे लगता है… शायद रणवीर वो इंसान है ही नहीं जिसने आंटी को किडनैप किया है।"
कमरे में हलचल होती है, सुहानी के चेहरे पर अविश्वास साफ़ झलक रहा होता है, और शमशेर और आरव के चेहरे पर आक्रोश।
विक्रम आगे कहता है, "अगर रणवीर ने ऐसा किया होता…तो उसके गार्ड्स बदले जाते, उनके रूटीन्स बदले जाते, उसके पुराने अड्डों पर हलचल होती, कोई ना कोई सुराग ज़रूर मिलता…मगर सबकुछ जैसे ज्यों का त्यों ही है।"
प्रणव सावधान हो कर पूछता है, "मतलब… कोई और है? जो रणवीर का नाम इस्तेमाल कर रहा है?"
विक्रम सिर हिलाते हुए, हामी भरता है, "शायद या फिर… रणवीर खुद किसी बड़े खेल में फंसा हुआ है। जहाँ वो काजल आंटी को तो बचाना चाहता है, मगर खुद भी किसी दबाव में है।"
शमशेर आँखें संकीर्ण करते हुए पूछता है, “तुम कहना क्या चाहते हो, विक्रम?”
विक्रम कहता है, "ये कि इस कहानी में एक और खिलाड़ी है…जो अब तक पर्दे के पीछे है। और हो सकता है… वही असली खतरा साबित हो।"
सभी कुछ पल के लिए चुप हो जाते हैं। कमरे की हवा भारी हो जाती है। और सुहानी की आँखों में चिंता की जगह अब चिंगारी दिखती है।
सुहानी कहती है, "तो हमें सिर्फ रणवीर पर नहीं — हर उस पर भी शक करना होगा जो अब तक छुपा हुआ है। क्योंकि मेरी माँ… अब और इंतज़ार नहीं कर सकती, विक्रम। और ना ही मैं।"
शमशेर की आँखों में संकल्प और चिंता की मिली-जुली परछाई थी।
वो विक्रम की ओर मुड़कर फिर बोलता है— "जो भी बात है, विक्रम…जल्दी से जल्दी पता लगाओ। हमें काजल के साथ की बहुत ज़रूरत है। वो बहुत स्ट्रॉन्ग है — ये मैं उसके साथ रहकर जान चुका हूँ…लेकिन उसे उनके चंगुल से निकालना अब ज़रूरी है…चाहे वो 'कोई भी' हो।"
फिर वो सुहानी की तरफ मुड़ता है, आवाज़ अब भी गंभीर मगर सीधी, "और बात रही… सुहानी…उन फाइल्स की…जो तुम्हें मरियम ने दी थीं, दिग्विजय और गौरवी के काले धंधों की असलियत बताने वाली फाइल्स। उनके बारे में क्या सोचा है तुम ने?"
सुहानी गहरी सांस लेती है, फिर ठोस और डरी नहीं बल्कि दृढ़ आवाज़ में कहती है, "उनकी बर्बादी के बारे में सोचा है मैंने, पापा…पूरी बर्बादी।"
एक पल को सभी चुप हो जाते हैं, उसकी आवाज़ में जलता हुआ गुस्सा है, पर संयमित, "उन्होंने जो किया है…उसकी कोई माफ़ी नहीं है। ना इंसानियत के हिसाब से, ना कानून के हिसाब से।"
वो फाइल्स की ओर इशारा करती है, “मैंने मरियम और उसकी टीम को काम पर लगा दिया है — इन अवैध ठिकानों का पता लगाने के लिए, जहाँ उन काले धंधों को अंजाम दिया जा रहा है। काफी ठिकाने मिल भी चुके हैं। और धीरे-धीरे वहाँ से बच्चों और मरीज़ों को बिना किसी को भनक लगे, निकालना शुरू कर दिया है हम ने।”
वो अब विक्रम और रमेश की ओर देखती है, और कहती है, "थैंक्स टू विक्रम एंड रमेश क्योंकि उन्होंने वहाँ के गार्ड्स पहले ही बदलवा दिए थे। इसी वजह से अब तक हम ने 500 से ज़्यादा लोगों को वहाँ से सुरक्षित बाहर निकाला है।"
शमशेर आँखें फैलाता है, स्तब्ध होकर, और कहता है, “500…?”
सुहानी धीरे मगर सख्त लहजे में कहती है, "और ये तो बस शुरुआत है, पापा। मेरा अनुमान है कि कम से कम 8000 मरीज़ उन लोगों की कैद में हैं। जिन पर वे अपने अवैध दवाईयों के एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। बीमार इंसानों को… guinea pig बना रखा है उन्होंने। हर उम्र, हर तबके के लोग हैं वहाँ।"
अब उसकी आवाज़ में आग थी, "और मैंने जांच-पड़ताल विभाग में काम करने वाले उन ईमानदार अफसरों को भी टिप दे दी है। सबूत इक्कठे हो रहे हैं। जल्द ही इन सब पर भी ताला लग जाएगा। बस, इनका ये काला धंधा, इतना फैला हुआ है, कि उसे समेटने में चाह कर भी हम जल्दी नहीं कर सकते, वरना गड़बड़ हो सकती है।"
"इन अवैध धंधों से जो काला धन इन्होंने कमाया है…उसकी भी पूरी जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट तक जल्द ही पहुँचने वाली है।"
कमरे में सन्नाटा पसर जाता है। शमशेर धीरे-धीरे सिर हिलाता है, उसकी आँखों में एक चमक झलक रही होती है।
शमशेर गर्व से भरी आवाज़ में कहता है, "तुम मेरी बहू नहीं… इस घर की क्रांति हो, सुहानी। और जब तक तुम हो… मुझे यकीन है कि इस हवेली से हर ज़ुल्म का पर्दा फटेगा।"
धुंधली रात…
एक पुरानी फैक्ट्री के भीतर चल रहा था एक अवैध मेडिकल सेंटर, सुरक्षा कड़ी थी। लेकिन बाहर के अंधेरे में छिपी है मरियम की स्पेशल टीम।
मरियम इयरपीस में धीरे बोलते हुए कहती है, "टीम A, ईस्ट विंग से एंट्री लो। टीम B, बच्चों का सेक्शन साउथ में है — ध्यान से। नो हंगामा, नो गोलीबारी… ये लोग पहले से ही डरे हुए हैं…"
टीम लीडर वॉकी में, “कॉपी दैट, इन पोज़िशन।”
सुहानी अभी भी शमशेर के उस वुडेन हवेली में होती है।
सुहानी अपने लैपटॉप पर लाइव फीड देख रही है — ड्रोन फुटेज, और बॉडी कैम फुटेज। उसके बगल में विक्रम और विशाल हैं। उसकी आँखें स्क्रीन पर जमी हुई हैं।
सुहानी धीरे से, खुद से कहती है, “भगवान करे, सब सही सलामत हो जाए…”
तभी फोन बजता है, स्क्रीन पर नाम आता है, ‘मरियम कॉलिंग’,
सुहानी फोन उठाती है, “Yes, मरियम?”
मरियम तेज़-तेज़ फुसफुसाती हुई आवाज़ में कहती है, "हमें पहले कमरे में 12 बच्चे मिले हैं। सब डरे हुए हैं, मगर होश में हैं। हमने मेडिकल टीम को बुला लिया है — और बच्चों को बाहर निकालना शुरू कर रहे हैं।"
सुहानी कहती है, “Great. और आगे?”
मरियम कहती है, "West सेक्शन में कुछ स्ट्रॉन्ग सिक्योरिटी है। हमारा शक है, वहाँ पर adult मरीज़ हैं — जिनपर अवैध ड्रग टेस्टिंग हो रही है। हम लोग इन कर रहे हैं — और कैमरा रिकॉर्डिंग एक्टिवेट कर दिया गया है।"
वो लोग सतर्कता से फैक्ट्री के अंदर घुसते हैं।
एक ऑपरेटिव लॉग बुक उठाता है — कैमरा पर दिखाई देता है “Test Subject 647-B: 2nd Phase Injection Done – Heart Palpitation Risk High”
मरियम इयरपीस में, बोलती है, “Record this. Send to Suhani.”
टीम लीडर: “Copy. Data transfer initiated.”
सुहानी की साँस खींचती है, "ये सब… कोर्ट में पेश करने लायक सबूत हैं मरियम… great job."
मरियम बोलती है, "हमने करीब 70 मरीज़ों को बाहर निकाल लिया है अभी तक…और क्लिनिक के पीछे एक अंडरग्राउंड चेंबर मिला है। वहाँ क्या है… हमें नहीं पता, पर smell अजीब है।"
सुहानी अचानक सतर्क होती है, “Careful मरियम। वहाँ गैस या biohazard हो सकता है…”
मरियम इस पर कहती है, "Already sent a hazmat suit team inside. और सुहानी… ये सिर्फ ‘एक’ ठिकाना है। जैसे-जैसे हम गहराई में जा रहे हैं… ये नेटवर्क और बड़ा होता जा रहा है।"
सुहानी गंभीर हो जाती है, "तो हम भी और सख्त हो जाएंगे। तुम ऑपरेशन जारी रखो… मैं यहाँ से मीडिया और लीगल एक्सपर्ट्स से भी कनेक्ट कर रही हूँ। इस बार, किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा।"
हवेली का सीक्रेट चेंबर, जो गौरवी और दिग्विजय का हाइडआउट ऑफिस है। हवेली के अंदर का वह गुप्त कमरा, जहाँ गौरवी और दिग्विजय अपनी अवैध गतिविधियों की निगरानी करते हैं। दीवारों पर CCTV, लैपटॉप्स और टेलीफोन लाइनें।
गौरवी टेबल पर बैठी है। उसके सामने बैठा है एक वफादार गार्ड – जयंत। गौरवी बोझिल आवाज़ में पूछती है, “खबर क्या है?”
जयंत डरते-डरते बताता है, "मैडम… डॉक्टर रॉयल… गिरफ्तार हो गए हैं। वो अंडरग्राउंड लैब में रेड पड़ी है, और पूरा ऑपरेशन एक गुप्त टीम ने संभाला है, ना जाने किसने खबर दी इसकी।"
गौरवी का चेहरा एकदम सुन्न पड़ जाता है। वो उठती है, पैरों से कुर्सी पीछे धकेलती है।
गौरवी गुस्से से लाल हो चुकी है, "नालायक! मैंने कहा था, हर कड़ी पर नज़र रखो। ज़रूर ऑफिस से किसी ने खबर लीक की है। ये सब उस सुहानी का प्लान है। और रणवीर ने इस ऑपरेशन रोकने की ज़रूरत भी नहीं समझी। अब सब धीरे-धीरे मेरे खिलाफ जा रहे हैं।"
वो पास रखी शराब की बोतल उठाकर ज़मीन पर दे मारती है। काँच के टुकड़े बिखर जाते हैं।
गौरवी खतरनाक ठंडे स्वर में कहती है, "अगर अब भी चुप रहे, तो अगला नाम मेरा होगा…तैयारी शुरू करो। हमारे गार्ड्स को सारी प्लानिंग डिटेल्स में बता दो। और इस बार… जो हमारे खिलाफ जाए, उसे वापस लौटने का मौका ना मिले, ये ध्यान रखना ।"
जयंत हिचकते हुए कहता है, "लेकिन मैडम, आप को कैसे मालूम वो सुहानी मैडम ही हैं? वो तो आज पूरे दिन साइट्स विजिट कर रही थी ना? वैसे मैडम जो भी हो, उन लोगों का साथ पुलिस भी दे रही है, इस बार, क्योंकि किसी ने भी हमें पहले से खबर नहीं दी।”
गौरवी नज़रों में आग लेकर कहती है, “तो हमें डराने की जरूरत नहीं है…हमें ऐसा करना है कि लोग हमारी आंखों में देखने से डरें। अब खेल बदलेगा… और मैं शिकार नहीं, फिर से शिकारी बनूंगी।”
तभी गौरवी के लैपटॉप स्क्रीन पर डॉक्टर रॉयल के सीसीटीवी फुटेज बंद हो चुके हैं, स्क्रीन ब्लैक है।
गौरवी आहिस्ता से कहती है, "डॉक्टर तो गया… अब निशाना हैं, मैं और दिग्विजय भाईसाब। ये लोग उन बाकी के ठिकानो पर ना पहुंच जाए, वरना दिक्कत हो जायेगी। मुझे दिग्विजय भाईसाब को जल्दी से खबर करनी होगी…वरना सब ख़तम हो जाएगा।”
रात का वक़्त हो चला था, और सुहानी अपने ऑफिस में होतीं है, ऑफिस में हल्की रोशनी, टेबल पर पड़ी फाइल्स, लैपटॉप स्क्रीन पर CCTV फुटेज की तस्वीरें, और एक खुला फोन उसके सामने पड़ा है। शमशेर राठौर ने आज उसे एक और फ़ोन दिया, जिसे ट्रैक नहीं किया जा सकता। फोन बजता है – और मरियम का कॉल आ रहा होता है।
सुहानी तेज़ी से अपनी कुर्सी से उठते हुए, बोलती है, “हाँ मरियम, सब ठीक है न?”
मरियम दूसरी तरफ से, थकी मगर संतोषजनक आवाज़ में, कहती है, "ऑपरेशन सफल रहा, सुहानी। सभी पेशेंट्स को सेफ हाउस में पहुँचा दिया गया है। डॉक्टर्स ने इलाज शुरू कर दिया है। कोई पीछे नहीं छूटा।"
सुहानी गहरी साँस लेते हुए कहती है, “थैंक गॉड… थैंक गॉड…”
मरियम थोड़ा रुककर, धीमे स्वर में बोलती है, "मगर एक बात और है…कुछ मरीजों की हालत बहुत नाज़ुक है, खासकर कुछ बच्चे। उन पर काफी बेरहमी से एक्सपेरिमेंट किए गए थे। अब भी कुछ की आँखों में डर है… और शरीरों पर कई जख्म।"
ये सुनते ही सुहानी की आँखों में आँसू भर आते हैं। वो अपना सिर दीवार से टिकाकर आंखें बंद कर लेती है।
सुहानी टूटे स्वर में बोलती है, "कितना सहा है इन मासूमों ने…इन लोगों ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है।"
अचानक, सुहानी के दूसरे फोन पर एक मैसेज नोटिफिकेशन आता है और जब वो पास जा कर देखती है, तो जो नाम रौशन कर रहा होता है, वो था दिग्विजय राठौर का नाम। स्क्रीन पर मैसेज फ्लैश होता है – लेकिन सुहानी उसे अभी तक खोल कर नहीं देखती। सुहानी चौकन्नी हो जाती है। वह सीधे बैठ जाती है, चेहरा सख्त हो जाता है।
सुहानी सोचती है, "दिग्विजय राठौर? अब इनका क्या प्लान है? क्या इन्हें ऑपरेशन के बारे में कुछ पता चल गया है क्या?"
वह कुछ पल उस मैसेज को घूरती है, फिर फोन को टेबल पर रख देती है।
सुहानी मन में ठानते हुए, कहती है, "जो भी हो… अब मैं पीछे नहीं हटूंगी। इन दरिंदों से उन मासूमों को हर हाल में बचाना है मुझे। और इस बार… पूरी दुनिया देखेगी, कि बुराई कितनी भी बड़ी हो, सच और इंसानियत उससे भी ज्यादा ताक़तवर होती है।"
कमरा शांत होता है। सुहानी धीरे से फोन उठाती है और दिग्विजय राठौर का मैसेज खोलती है।
मैसेज स्क्रीन पर फ्लैश होता है,
“मुझे तुम से मिलना है। मैं 20 मिनट में ऑफिस पहुंच रहा हूँ।”
— Digvijay Rathore
सुहानी थोड़ी देर के लिए स्क्रीन को देखती रहती है। उसकी आँखों में कोई डर नहीं, सिर्फ दृढ़ता होती है। उसके चेहरे के हाव-भाव सख्त हो जाते हैं।
सुहानी मन में सोचती है, “20 मिनट? आ रहा है शिकार इस बार खुद अपने आप शिकारी के पास…”
वो फोन रखती है, टेबल से अपनी ब्लैक डायरी उठाती है और एक फोल्डर में कुछ दस्तावेज़ रखती है। उसके बाद एक फाइल शेल्फ से एक रिकार्डर निकालती है और चालू करके अपने बैग में रखती है। ऑफिस में एक आइना होता है, वो उसके सामने खड़ी होकर, अपने बाल सलीके से बनाती है और अपनी आँखों में सीधे देखती है।
सुहानी धीमे मगर दृढ़ स्वर में खुद से कहती है, “आज डर नहीं, सिर्फ हिम्मत का चेहरा दिखाना है…आज वो खुद मेरे सामने आएगा, जिसने मेरी ज़िंदगी, मेरी माँ, और सैकड़ों मासूमों की ज़िंदगी बर्बाद करने की कोशिश की है। अब उसे जवाब मिलेगा – मेरे शब्दों से नहीं, सबूतों से।”
वो अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ जाती है, और दरवाज़े की तरफ एक ठंडी मुस्कान के साथ देखती है। उसकी उंगलियाँ टेबल पर हल्के से टैप कर रही हैं – जैसे कोई गेम शुरू होने को है।
आगे की कहानी जानने के लिए पढ़ते रहिये, रिश्तों का क़र्ज़।
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