सुहानी झोपड़ी की दहलीज़ पर खड़ी थी, उसके सामने शमशेर का थका हुआ चेहरा तैर रहा था। भोर की पहली सुनहरी किरणें पेड़ों के बीच से छनकर आ रही थी, पर दोनों की दुनिया अब तक अँधेरे में ही उलझी हुई थी।
सुहानी की आवाज़ में हल्की कंपकंपी थी, “अंकल, मुझे आप से कुछ पूछना है… क्या आपको पहले से पता था कि प्रणव ज़िंदा है?”
शमशेर ने गहरी साँस ली, उसकी उम्रदराज़ आँखों में दर्द की परतें उभर आईं। “नहीं, बेटा…जब उस हादसे की ख़बर आई, तो सबने समझ लिया था कि पूर्वी के साथ-साथ प्रणव भी हमेशा हमेशा के लिए चला गया है….पर मेरा दिल कभी मान नहीं पाया। मैंने वो पेन-ड्राइव रमेश को दी थी—ताकि अगर सच बचा रहे, तो वह दिन भी आएगा जब कोई उसे सामने लाएगा। मुझे नहीं मालूम था कि वह तुम तक पहुँच पाएगी।”
सुहानी ने धीमे कदमों से पास आकर शमशेर का हाथ थामा, उसकी आवाज़ टूट रही थी।
“और मेरी माँ, उन्हें किसने अगवा किया? मैंने उन्हें सालों तक नहीं देखा और जब मुझे मालूम हुआ कि वह ज़िंदा हैं, तो आज फिर उन्हें मुझसे छीन लिया गया। मुझे डर लग रहा है कि अब उनकी जान को फिर से ख़तरा है…”
शमशेर का चेहरा सख्त हो गया, जैसे पुराने ज़ख्म खुल गए हो…“तुम्हारी माँ, मेरी पूर्वी की सबसे पुरानी दोस्त थी और उसे रणवीर ने उसी दिन अगवा कर लिया जिस दिन मैं और काजल—पूर्वी और प्रणव को श्रद्धांजलि देने के लिए वहां गए थे, जहां उनका एक्सीडेंट हुआ था। हमें मालूम हुआ कि तुम और आरव सावित्री से मिलने गए हो, हमें लगा तुम लोगों से भी मिल लेंगे। मगर रणवीर को इसी बात का इंतज़ार था। जैसे ही हम अपने अड्डे से बहार निकले, उसने तुम्हारी माँ को धर दबोचा, मगर मैं किसी तरह से बच निकला। काजल ने मुझे उस वक़्त कुछ भी करने से मना कर दिया, ये कहकर कि अगर हम दोनों उन लोगों के चंगुल में फंस गए तो फिर तुम्हें और आरव को जब हमारी ज़रूरत होगी, तो कौन उनकी मदद करेगा।
इसलिए मैं पहाड़ी के एक कोने में छुपकर, रणवीर और उसके आदमियों को, काजल और सावित्री को ले जाते बस चुप-चाप देखता रहा। मगर देखो ना, तुम्हें और प्रणव को तो बचा लिया, पर अपना एक बेटा फिर से खो दिया।”
सुहानी ने धीरे से शमशेर के हाथों पर अपना हाथ रखा, “अंकल, आरव बिलकुल ठीक होगा। वो बहुत हिम्मती है, वो इतनी आसानी से हार नहीं मानने वाला।”
शमशेर के शांत हो जाने के बाद, सुहानी ने अपना अगला सवाल किया।
“अंकल, किडनैप होने से पहले मेरी माँ कहाँ रहती थी? क्या करती थी?…वो कैसी थी? और मुझे बस एक बात समझ नहीं आ रही, इतने सालों तक प्रणव को उस हाल में रखने का क्या मतलब है? एक बच्चा ही तो था तब वो, उसने कितना कुछ झेला है।
…..जब हम बाहर अपना जीवन जी रहे थे, तब प्रणव उस तैखाने में एक अकेला सेहमा हुआ, घायल, भूखा-प्यासा…” ये कहकर सुहानी ने अपने मुँह पर हाथ रख लिया, वो प्रणव के संघर्षों, उसकी पीड़ा का अंदाज़ा भी नहीं लगा पा रही थी। उसके आँखें इस बात का प्रमाण थी।
“क्यों? क्यों किया उन सब ने ऐसा? किस तरह के हैवान लोग हैं वो?”
शमशेर ने उसे गर्व की एक मुस्कान के साथ देखा… और कहा, “तुम बिलकुल अपनी माँ जैसी हो। काजल भी तुम्हारी तरह हर किसी के दर्द को अपना समझ कर भावुक हो जाती थी, और हर वो कोशिश करती थी, जिससे वो उस जरूरतमंद इंसान की मदद कर सके।”
“वो एक्सीडेंट किसने करवाया था? और क्यों? किसी को क्या खतरा हो सकता है, माँ से, पूर्वी आंटी से, एक बच्चे से? विक्रम ने जो कहानी मुझे बताई थी, अब मुझे उसपर बिलकुल यकीन नहीं है। वो रणवीर से मिला हुआ है…. मेरी माँ, रणवीर जैसे इंसान से कभी प्यार नहीं कर सकती।” सुहानी ने दावे के साथ कहा।
“उसने तुम्हें जो भी बताया, वो सब सच है। काजल और रणवीर सिर्फ एक दूसरे से प्यार ही नहीं करते थे। काजल, रणवीर के लिए एक नशा थी, जुनून थी।
रणवीर के अंदर, एक राक्षस हमेशा से ही छुपा था, मगर काजल के प्यार की वजह से वो राक्षस कभी बाहर नहीं आया। मगर जब दिग्विजय और गौरवी ने उसकी और काजल की शादी नहीं होने दी। जब काजल को किडनैप कर लिया गया और काजल की शादी शिव प्रताप से करा दी गई, तब वो टूट गया….उसके अंदर का छुपा राक्षस इस कदर बाहर आ गया कि फिर उसे कंट्रोल करना मुश्किल हो गया था।
जब काजल आखिरी बार उससे मिलने आई, तब तक रणवीर बदल चुका था। उसके अंदर के प्यार की जगह, अब बदला लेने की भावना थी। काजल ने देखा कि रणवीर कुछ ऐसे कदम उठा चुका था, जिससे पीछे लेना अब बहुत मुश्किल हो गया था।”
“उन्होंने ऐसा क्या किया था, अंकल?” सुहानी ने पूछा।
“रणवीर ने ही हमारे बड़े भाई, दिग्विजय की प्रेमिका और उससे हुई उनकी नाजायज औलाद, ऋत्विक, को किडनैप कर लिया था।
“क्या?” सुहानी शॉक्ड थी।
"और जब ये बात काजल को पता चली, तो पहले तो उसने उससे बहुत विनती की, मगर जब वो नहीं माना तो काजल ने उससे नफरत करने की धमकी दी। मगर जिस बात ने काजल को सबसे ज्यादा तोड़ दिया था, वो ये थी कि रणवीर ने एक सेकंड के लिए भी नहीं सोचा, और उसने काजल को वहां से जाने को कहा।
….काजल समझ चुकी थी कि रणवीर को अब वो हमेशा के लिए खो चुकी है।" फिर कुछ देर आग को घूरते रहने के बाद शमशेर ने अपनी कहानी को आगे बढ़ाते हुए कहा।
"उस दिन रात को, काजल चुपचाप—दिग्विजय की प्रेमिका मंदिरा, और मंदिरा से हुए दिग्विजय के नाजायज़ बेटे ऋत्विक—को भी अपने साथ भगा कर ले गई। ताकि वो किसी की नज़र में ना आएं और वो उन्हें बचा सके।" शमशेर ने कहा।
"क्या? माँ उन दोनों को अपने साथ लेकर गई थी?" सुहानी ने सवाल किया।
"हाँ, मंदिरा भी दिग्विजय के पास वापस लौटना नहीं चाहती थी। वो अब अपने बेटे को इन सब से दूर रखना चाहती थी। तब काजल ने उससे वादा किया कि वो उसे और उसके बच्चे को कुछ नहीं होने देगी।
वो उन्हें लेकर चंडीगढ़ चली गई। शिव प्रताप ये देखकर खुश तो नहीं था, मगर वो काजल से प्यार करता था, इसलिए उसने किसी से कुछ नहीं कहा। और फिर एक दिन काजल और मंदिरा वापस लौट रहे थे, शायद दिग्विजय को सब बताने….जब मुझे पता चला कि ये रणवीर की एक चाल थी।
उसने गौरवी और दिग्विजय के साथ मिलकर काजल को मारने की प्लानिंग की थी। उसने, उन्हें यह कहकर मनाया था कि सुहानी पुलिस के पास जाने वाली है, और उसे रोकने की ज़रूरत है क्योंकि अब उसे भी राठौर प्रॉपर्टी में अपना हिस्सा चाहिए।
उसने उन्हें बताया कि वो अपने बाऊजी के इस फैसले के बिल्कुल खिलाफ था, कि सारी प्रॉपर्टी आरव और तुम्हारे नाम कर दी जाए अगर तुम दोनों की शादी हो गई तो….मगर गौरवी और दिग्विजय ने कोशिश करना नहीं छोड़ी, लेकिन अगर काजल ने पुलिस को सब कुछ बता दिया, तो सब कुछ धरा का धरा रह जाएगा।
रणवीर एक वार से दो शिकार करना चाहता था। उसने एक तरफ गौरवी और दिग्विजय को ये बताया कि उस गाड़ी में केवल काजल होगी, मगर दूसरी ओर जानता था कि उसमें काजल और मंदिरा दोनों हैं, पता नहीं किसने उसे ये बात बताई थी। ये तो आज तक काजल को भी नहीं पता।
और एक ओर, वो काजल को बचाना चाहता था, इसलिए बीच रास्ते में उसने गाड़ी रुकवाई और काजल को बाहर निकाल लिया। कुछ बात करने के बहाने वो उसे कुछ दूर ले गया। गाड़ी में मंदिरा अकेली ही थी, जब उस गाड़ी में आग लग गई।”
“वो लाश मंदिरा की थी?” सुहानी ने पूछा।
“हाँ, वो मंदिरा ही थी। मगर जैसे ही काजल ने दूर से अपनी गाड़ी को जलते हुए देखा, तो वो मंदिरा को बचाने के लिए दौड़ पड़ी। और जब तक रणवीर उसे रोक पाता, गाड़ी में ज़ोर का धमाका हुआ, और उस धमाके ने काजल और रणवीर को भी घायल कर दिया, दोनों मौके पर ही बेहोश हो गए थे।
जब रणवीर को होश आया तो, रणवीर ने काजल को बहुत ढूंढने की कोशिश की, मगर उसे वो नहीं मिली। क्योंकि मैं काजल को बचाकर अपने साथ ले आया था। मगर रणवीर भी जानता था कि वो मरी नहीं है…..कहीं ना कहीं छुपी हुई है।
वो इतने सालों से दोनों साइड से खेल, खेल रहा है। और जब उसे काजल के जिंदा होने की खबर मिली, तो उसने उसे किडनैप कर लिया, वो उसके पीछे बहुत दिनों से था। इसी बात पर तो उसने तुम्हारे पापा को, तुम्हारी और आरव की शादी के लिए मजबूर किया था।”
“पापा को रणवीर ने धमकाया था? पर क्यों?” सुहानी ने पूछा।
“ताकि तुम्हारी और आरव की शादी कराकर वो लोग आरव को फुसला लेंगे और प्रॉपर्टी के पेपर्स पर साइन करा लेंगे, और फिर रणवीर तुम्हारी माँ को मारने की धमकी देकर तुमसे भी पेपर्स पर साइन करा लेता।
इसलिए उसने विक्रम को तुम्हारे पास भेजा, ताकि वो तुम्हें अपने झांसे में ले सके, और फिर तुम सच के पीछे जाने के मोह में, वो डायरी टटोलो जो काजल की थी, क्योंकि उससे काजल के पते की खबर हो जाती और तुम ठीक उनके जाल में जाकर फंस गई।
“उसने काजल को किडनैप कर लिया, और फिर विशाल को मोहरा बनाया ताकि तुम्हारे बाऊजी बीच में ना आएं, और उन्हें फ्रॉड के केस में अंदर डलवा दिया गया, विशाल की गवाही पर।” शमशेर ने बड़े ही गुस्से में कहा।
"इन लोगों ने हमारी पूरी ज़िंदगी खराब कर दी है, अंकल। मैं किसी भी हाल में अपनी माँ को उस राक्षस के चंगुल से निकाल लाऊंगी, और उन सबको बर्बाद कर दूँगी।" सुहानी ने पुरे आक्रोश में आकर खुद से और अपने ससुर जी से वादा किया।
"इतना आसान नहीं होगा, इन लोगों का सबसे बड़ा हथियार जानती हो क्या है? अपनों को आपस में ही एक दूसरे के खिलाफ कर देना। Divide and rule."
"मतलब? मेरा कौन अपना मेरे खिलाफ होने वाला है, अंकल? इन लोगों ने तो सबको मुझसे छीन ही लिया है, माँ, बाऊजी, आरव और अब बस भाई ही है, जो मेरा अपना बचा है। पर वो मुझे कभी धोखा नहीं देगा। उसे तो मां का वीडियो दिखा कर फंसाया गया है।" सुहानी ने तर्क किया।
"वैसे अंकल, दिग्विजय की नाजायज़ औलाद का क्या हुआ? वो तो बेचारा टूट ही गया होगा।" सुहानी को अचानक से याद आया और उसने शमशेर से पूछा।
"शिव प्रताप ने अपनी पत्नी के जाने की खबर सुनकर खुद से एक वादा किया था कि वो कभी अपनी बेटी और मंदिरा के बेटे को नुकसान नहीं पहुंचने देगा। वो उसे भी अपने बेटे की तरह ही पालेगा, और कभी किसी को मालूम नहीं होने देगा कि वो कौन है।" शमशेर ने संभल कर कहा।
"आप कहना क्या चाहते हैं?" सुहानी की सांसें अब तेज़ थी, वो जानती थी एक और बड़ा राज़ खुलने वाला है।
"यही कि, मंदिरा का बेटा कोई और नहीं, दिग्विजय की वो नाजायज़ औलाद विशाल ही है। जो न विशाल को अब खुद याद है, न ही दिग्विजय इस राज़ से वाकिफ है।
बीते सालों में विशाल यानी ऋत्विक ने अपनी पहचान खो दी, वो शिव प्रताप को ही अपना पिता और काजल को अपनी मरी हुई माँ मानता है। वो केवल 6 साल का ही था, जब उससे उसकी माँ को छीन लिया गया।"
सुहानी अपना मुंह अपने हाथों से ढक लेती है। उसके अंदर से एक चीख बाहर निकलना चाहती थी, मगर वो खुद को रोक लेती है।
इतने राज़, एक के बाद एक, उसके अंदर जीने की इच्छा पर सवाल उठा रहे होते हैं।
सुहानी धीरे-धीरे अपने मुँह पर से अपने हाथों को हटाती है। उसकी आँखों में आंसू हैं, लेकिन उसने खुद को काबू में रखा हुआ है। उसके दिल में एक अजीब सी बेचैनी है। वह सोच रही है कि इतने सारे राज़, इतनी सारी सच्चाइयाँ, जिनसे उसकी दुनिया पलट सकती थी, वह अब इनका क्या करेगी?
"अंकल," उसने ठंडी आवाज में कहा, "अगर ये सब सच है, तो मुझे अब क्या करना चाहिए? मेरी माँ, बाऊजी, सब... इन सब को बचाने के लिए मैं क्या कर सकती हूँ?"
शमशेर कुछ पल के लिए चुप रहा, फिर उसने उसकी आँखों में देखा, "तुम्हें सबसे पहले ये समझना होगा कि इन लोगों के पास तुम्हारे खिलाफ ताकत है, लेकिन तुम्हारे पास भी एक ताकत है, और वो है सच्चाई की ताकत। तुम्हारे अंदर जो जुझारूपन है, वही तुम्हारी सबसे बड़ी ताकत है।"
सुहानी की आँखों में अब एक चमक थी…."मैं कभी हार नहीं मानूंगी, अंकल। अगर ये सब सच है, तो मैं अपनी माँ को उनके हाथों से निकाल लाऊंगी, चाहे कुछ भी हो जाए।"
शमशेर ने सिर हिलाया, "याद रखना सुहानी, तुम अकेली नहीं हो। अगर तुम ठान लो, तो तुम इन सबको हराकर दिखा सकती हो। लेकिन ये रास्ता आसान नहीं होगा।"
सुहानी ने एक गहरी साँस ली और धीरे-धीरे खड़ी हो गई। उसके दिल में एक नई उम्मीद का उजाला था, और अब उसे यह समझ में आ गया था कि उसे अपनी माँ और अपने परिवार को वापस पाने के लिए क्या कदम उठाने होंगे।
"मैं तैयार हूँ, अंकल," उसने दृढ़ता से कहा, "जो भी करना पड़े, मैं करूँगी।"
अपनी माँ को रणवीर के चंगुल से कैसे बचाएगी सुहानी?
क्या आरव अभी भी ज़िंदा है या फिर सुहानी एक ग़लतफहमी लेकर जी रही है?
विशाल का सच क्या रिश्तों के मायने बदल देगा?
आगे की कहानी जानने के लिए, पढ़ते रहिये ‘रिश्तों का क़र्ज़।’
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