​​दुनिया में आप कहीं भी घूमने चले जाएं, लेकिन एक समय ऐसा ज़रूर आता है जब आपको आपका घर याद आता है। घर लौटने की खुशी भी कुछ अलग ही होती है। पार्थ और रागिनी कुरुक्षेत्र के अपने एडवेंचर से दिल्ली लौट आए हैं। पार्थ ने रागिनी को उसके घर ड्रॉप किया और अपने घर के लिए निकल पड़ा। उसने सोचा कि वह प्रकाश को सरप्राइज़ देगा क्योंकि प्रकाश को पार्थ के इतनी जल्दी लौटने की कोई खबर नहीं थी। वह तो किसी काम से घर से बाहर गया हुआ था। जैसे ही पार्थ ने देखा कि दरवाज़े पर ताला लटका हुआ है, वह समझ गया कि मामा जी तो घर पर हैं ही नहीं। डुप्लिकेट चाबी से पार्थ ने लॉक खोला और अपने रूम में रेस्ट करने चला गया, लेकिन जैसे ही उसकी नज़र खुली कबर्ड पर गई और उसने देखा कि तिजोरी का एक पल्ला है ही नहीं, तो उसके होश उड़ गए! वह तुरंत चेक करने के लिए कबर्ड के पास गया और जो सबसे हैरान करने वाली बात थी, वो ये थी कि उसमें रखे रुपए वैसे के वैसे ही पड़े थे।

पार्थ-  ये.. ये तिजोरी.. कोई चोर आया था क्या? लेकिन रुपए तो यहीं पड़े हैं और कुछ गायब भी नहीं है। यह कैसा चोर है, जिसने चोरी ही नहीं की? एक मिनट.. कहीं वह.. कहीं वह कुछ और तो नहीं ढूंढ रहा था? कहीं उसे कृष्ण की.. डायरी तो नहीं चाहिए थी?

पार्थ का दिमाग चलने लगा था कि आखिर किसी ने इतनी मेहनत कर के, लोहे की तिजोरी को काटने की कोशिश की और फिर भी चुराया कुछ भी नहीं। ऐसे कैसे हो सकता है? उसे शक तो हो ही गया कि शायद कोई डायरी के लिए यहां तक पहुंचा था। लेकिन कौन? पार्थ ने तुरंत प्रकाश को कॉल किया। 

पार्थ- मामा जी, आप कहां हैं? 

प्रकाश- मैं किसी काम से बाहर आया हूँ पार्थ। तुम्हारे दोस्त की शादी के फंक्शंस कैसे चल रहे हैं?

प्रकाश को कोई अंदाज़ा ही नहीं था कि पार्थ इतनी जल्दी दिल्ली लौट आएगा। उसने सोचा था कि वह आज ही तिजोरी ठीक करवा देगा लेकिन उससे पहले ही पार्थ आ गया। 

पार्थ- मामा जी मैं घर पर हूँ और यहां तिजोरी टूटी हुई है। लगता है कोई चोर आया था।

पार्थ की बात सुनकर प्रकाश सन्न रह गया। उसे समझ नहीं आया कि वह आगे क्या कहे। एक लंबे पॉज़ के बाद प्रकाश हड़बड़ाते हुए बोला,

प्रकाश- ऐसा कैसे हो सकता है पार्थ? मैं कुछ देर पहले ही घर से निकला हूँ और तब तक तो सब ठीक था। हो सकता है मेरे निकलते ही कोई घर में घुसा हो। कुछ चोरी हुआ क्या?

पार्थ- यही तो ताज्जुब की बात है मामा जी, कुछ चोरी नहीं हुआ। खैर, आप अपना काम खत्म कर लीजिए, मैं देखता हूँ इसका क्या कर सकते हैं। 

प्रकाश समझ गया कि पार्थ को उस पर दूर-दूर तक भी शक नहीं हुआ है। उसने राहत की सांस ली। वहीं पार्थ अभी भी उलझन में है। उसे पुजारी की बातें याद आ रही हैं। पुजारी ने कहा था कि बुरी शक्तियाँ डायरी के पीछे हैं और शायद अब पार्थ के भी। पार्थ को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ऐसे में वह करे क्या? उसने रागिनी को कॉल करने का सोचा लेकिन फिर वह रुक गया। उसे लगा कि रागिनी वैसे भी पिछली रात ठीक से सो नहीं पाई थी। इसलिए उसे रेस्ट करने देना चाहिए। पार्थ मोबाईल बेड पर रख कर वाशरूम जाने लगा कि तभी मोबाईल की घंटी बजी। उसने मुड़कर देखा तो रागिनी का कॉल था। थोड़ी देर पहले तक पार्थ के चेहरे पर टेंशन थी और अब रागिनी का कॉल आता देख उसके चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ गई। 

पार्थ- मैं तुम्हें ही कॉल करने की सोच रहा था रागिनी। 

रागिनी- अच्छा, तो फिर किया क्यों नहीं?

पार्थ की बोलती बंद हो गई और रागिनी ज़ोर से हंस पड़ी। फिर उसने बताया कि वह पार्थ को मिस कर रही थी। यह सुनकर पार्थ की स्माइल और बड़ी हो गई, लेकिन फिर उसको याद आया कि वह रागिनी को कॉल क्यों करने वाला था। पार्थ ने रागिनी को बताया कि कैसे जब वह घर आया तो तिजोरी टूटी मिली और उसके अंदर रखे रुपए वहीं पड़े थे। रागिनी को भी ये जानकर अजीब लगा कि लोहे की तिजोरी तोड़ने वाला चोर, बिना कुछ चुराए चला गया! पार्थ ने फिर रागिनी को अपने मन में चल रही बात बताई कि शायद कोई डायरी के चक्कर में उसके घर आया था। 

रागिनी- तुम सही कह रहे हो पार्थ। कोई डायरी ही लेने आया होगा और उसे पता ही नहीं था कि वो तुम्हारे पास है। एक काम करो, कुछ दिनों के लिए डायरी मुझे दे दो। मैं संभाल कर रखूंगी। 

पार्थ को रागिनी का यह आईडिया बिलकुल पसंद नहीं आया| अगर रागिनी डायरी को अपने पास रखती है तो उसे और उसके परिवार को बुरी शक्तियों से खतरा हो सकता है|रागिनी पर कुरुक्षेत्र में एक बार अदृश्य शक्तियों का हमला हो चुका था। अब पार्थ उसे और मुसीबत में नहीं डालना चाहता| 

पार्थ – नहीं, तुम अपने पास मत रखो| मैं ही कुछ करता हूँ| अब से जितना हो सके, तुम उतना इस डायरी से दूर रहो| तुम्हारे साथ तुम्हारी फैमिली भी मुसीबत में आ सकती है रागिनी| हमें नहीं पता कि ये शक्तियां कितनी ताकतवर हैं और इन से कैसे बचा जाए। 

रागिनी पार्थ की हेल्प करना चाहती थी लेकिन पार्थ उसे इन सबसे दूर रखना चाहता था| कृष्ण की डायरी  हेल्पफुल है लेकिन साथ ही मुसीबतों का खज़ाना भी बन रही है| रागिनी थोड़ा नाराज़ हो गई और उसने बिना कुछ कहे ही फोन काट दिया। पार्थ समझ गया कि रागिनी को उसकी बात पसंद नहीं आई लेकिन इस बार वह रागिनी की ज़िद्द नहीं मान सकता। उलझन में उसका दिमाग काम नहीं कर रहा। पार्थ ने सोचा कि क्यों न डायरी की मदद ली जाए। फिर उसने बैग से डायरी निकाली और पहला पन्ना खोला और शब्द उभरने लगे। 

हे पार्थ, जीवन में हमें कई सारी दुविधाओं का सामना करना पड़ता है| हम दुःख से भाग नहीं सकते| मनुष्य इश्वर से प्राथना करता है कि उसके जीवन में आने वाली सभी दुखद घटनाएँ हमेशा के लिए मिट जाएं, किन्तु इश्वर कभी भी ये प्राथना स्वीकार नहीं कर सकता| इश्वर दुःख सहने की शक्ति अवश्य दे सकता है किन्तु उसे मिटा नहीं सकता| दुःख को मिटाना प्रकृति की रचना से खिलवाड़ करने के बराबर है| मैंने भी अपने जीवन में कई दुखों का सामना किया है| मैंने कभी भी उन दुखों को मिटाने के बारे में नहीं सोचा| अगर दुःख को मिटा देता हूँ तो उसी समय मैं आने वाले सुख को भी मिटा रहा हूँ| मैंने कई तरह के दुखों को सहा है किन्तु एक घटना है जो हमेशा ही मेरे ह्दय को पीड़ा पहुंचाती है| अगर मैं अपने मन की कर पाता, तो मैं बिना विचार किये एक घटना को इतिहास से अवश्य मिटा देता।” 

पार्थ के दिल की धडकनें बढ़ने लगीं| उसको इस बात ने हैरानी में डाल दिया कि खुद श्री कृष्ण, जिन्हें पूरी दुनिया का पालनहार कहा जाता हैं, वह एक घटना से दुखी थे और उस घटना को इतिहास से मिटाना भी चाहते थे। आगे पढने के लिए पार्थ ने पन्ना पलटा तो उसमें कुछ भी नहीं लिखा था| वो हैरान था कि कृष्ण अपनी बात अधूरी कैसे छोड़ सकते हैं? पार्थ की समझ में कुछ नहीं आ रहा था। उसने फिर से रागिनी को कॉल किया। 

रागिनी- अब क्या है पार्थ? अब क्या तुमसे भी दूरी बना लूँ?

पार्थ- रागिनी, मेरी बात तो सुनो। मैंने अभी डायरी खोली थी। उसमें एक मेसेज था लेकिन अधूरा। 

रागिनी- अधूरा था? ठीक से पढ़ा था तुमने?

पार्थ- हाँ रागिनी, मेसेज अधूरा था। उसमें लिखा था कि कृष्ण पास्ट से कुछ मिटाना चाहते थे, लेकिन क्या.. ये नहीं लिखा। अब मैं कैसे पता करूँ? 

रागिनी भी पार्थ की बात सुनकर हैरान थी। उसने कुछ देर सोचा और पार्थ से कहा कि शायद कृष्ण चाहते हैं कि पार्थ खुद पता लगाए। पार्थ को भी ऐसा ही लगने लगा, लेकिन दिक्कत यह थी कि वह पता कैसे लगाएगा? पार्थ ने एक पल के लिए सोचा कि अपने मामा से इस बारे में पूछे क्योंकि उन्हें इतिहास का अच्छा ज्ञान है, लेकिन इससे पार्थ को अपने मामा जी को डायरी की सच्चाई बतानी पड़ सकती है। 

फिर पार्थ ने सोचा कि वह कई ऐसे हिस्टोरियन को जानता है, जिन्हें कृष्ण के बारे में बहुत जानकारी है। तभी उसे डॉक्टर रामानुजन की याद आई। पार्थ ने रागिनी को बताया कि डॉक्टर रामानुजन पार्थ के प्रोफेसर रह चुके हैं और वो दिल्ली में ही रहते हैं| उसने कॉल काट दिया और तुरंत डॉ.रामानुजन से मिलने निकल पड़ा। आधे घंटे बाद वह डॉक्टर रामानुजन के घर के बाहर पहुँच गया और डोर बेल बजाई। दरवाज़ा खुला और एक लड़का बाहर निकलकर आया। 

पार्थ – हेलो, जी डॉक्टर रामानुजन घर पर हैं क्या? मैं उनका स्टूडेंट हूँ, पार्थ। 

दरवाज़े पर खड़े लड़के ने पार्थ को घर के अंदर आने का इशारा किया और दोनों अंदर आ गए। पार्थ ने फिर से पूछा कि डॉक्टर रामानुजन घर पर हैं क्या? तो उस लड़के ने पार्थ को सोफ़े पर बैठने के लिए कहा और बताया कि डॉक्टर रामानुजन, 4 महीने पहले ही गुज़र चुके हैं। वो लड़का उनका बड़ा बेटा मानव है। पार्थ को यह खबर सुनकर झटका लगा है, लेकिन वह अब कर भी क्या सकता है। पार्थ कुछ देर सोफ़े पर शांत बैठा रहा, फिर धीरे से उठा और मानव से नमस्ते करते हुए घर से बाहर जाने लगा। तभी मानव ने उसे रोका और उसके आने की वजह पूछी। जिस पर पार्थ ने बताया कि उसे डॉक्टर रामानुजन से कृष्ण के बारे में कुछ जानना था। दरअसल, डॉक्टर रामानुजन ने कृष्ण पर बहुत रिसर्च की हुई थी और शायद ही कोई हो जो उनसे ज़्यादा कृष्ण के बारे में जानता हो। 

मानव ने पार्थ को कुछ देर देखा और फिर उसे एक कमरे में ले गया जहां चारों तरफ़ सिर्फ़ किताबें ही किताबें नज़र आ रही थीं। मानव ने फिर एक शेल्फ खोली और कुछ 4-5 मोटी-मोटी किताबें निकालीं और पार्थ को थाम दीं। पार्थ को कुछ समझ नहीं आया। वह मानव से कुछ पूछता, उससे पहले ही मानव ने कहा, “ये किताबें डैड की लास्ट लिखी कुछ किताबें हैं, जो पब्लिश नहीं हुईं थीं। डैड, गुज़रने से पहले कृष्ण पर डीप रिसर्च कर रहे थे और बहुत कुछ ऐसा है कृष्ण से जुड़ा, जो उन्हें समझ आया था। अब ये किताबें तुम्हारे काम की हैं या नहीं, ये तो मैं नहीं जानता लेकिन जो तुम ढूंढ रहे हो, शायद वो तुम्हें इन में मिल जाए।” 

पार्थ के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई। अभी कुछ देर पहले ही डॉक्टर रामानुजन के गुज़र जाने की खबर ने पार्थ की जिस उम्मीद को तोड़ दिया था। वो उम्मीद वापस जाग गई और पार्थ मानव को थैंक यू बोलकर, किताबें अपने साथ लेकर अपने घर लौट आया। 

क्या अब पार्थ जान पाएगा कि आखिर कृष्ण किस घटना को इतिहास से मिटाना चाहते थे?

क्या वह घटना पार्थ की लाइफ से जुड़ी हुई है?

और इन सब के बीच क्या प्रकाश, डायरी तक पहुँच पाएगा?

आगे क्या होगा, जानेंगे अगले चैप्टर में!

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