कहते हैं कि दिन भारी रहा हो तो रात को नींद बड़ी अच्छी आती है। कुरुक्षेत्र के होटल में, पार्थ और रागिनी भी एक भारी दिन के बाद गहरी नींद में सो रहे थे। अब ये नींद मीठी होती है या नही, इसका फैसला अगले कुछ पलों में होने वाला है। पार्थ की कुछ देर पहले ही आँख लगी थी। तभी कोई उसके रूम का दरवाज़ा ज़ोर-ज़ोर से खटखटाने लगा। पार्थ कच्ची नींद से हड़बड़ाते हुए उठ गया। उसने सोचा कि रागिनी तो सो रही है, तो इस वक्त कौन उसके रूम का दरवाज़ा खटखटा रहा है? वह गुस्से में बड़बड़ाते हुए दरवाज़े की ओर बढ़ा।
पार्थ- ये होटल ही बेकार है। बेड में खटमल और अब देर रात कोई दरवाज़ा खटखटाए पड़ा है। आ रहा हूँ भाई.. इस होटल को कसम से ज़ीरो स्टार दूंगा मैं।
पार्थ ने जैसे ही दरवाज़ा खोला, तो सामने रागिनी को देखा। वह हैरान था क्योंकि कुछ देर पहले ही वह रागिनी के रूम से अपने रूम में आया था और रागिनी को पहले से ही बहुत नींद आ रही थी। उसने देखा कि रागिनी के चेहरे पर पसीना है।
रागिनी– पार्थ, मेरे रूम का ए.सी काम नहीं कर रहा है। गर्मी से मरी जा रही हूँ| रूम में वेंटिलेशन के लिए कोई खिड़की भी नहीं है। तुम्हें कोई और होटल नहीं मिला था?
पार्थ, रागिनी को परेशान देख गुस्से से आग बबूला हो उठा और उसने तुरंत होटल रिसेप्शन पर कॉल किया। मैनेजर भी अगले 5 मिनट में टेक्नीशियन को लेकर रागिनी के रूम में पहुँच गया। पार्थ और रागिनी पहले से ही वहां थे। टेक्नीशियन ए.सी चेक करने लगा। काफ़ी देर तक जब कुछ नहीं हुआ, तो उसने पार्थ से कहा, “सॉरी सर! ये ए.सी ठीक नहीं हो सकता।” पार्थ, जो पहले से ही गुस्से में था क्योंकि रागिनी परेशान थी, उसका पारा तो मानो अब सातवें आसमान पर ही पहुँच गया।
पार्थ- आप लोग होटल चला रहे हैं या लोगों को पैसा लूट के उल्लू बना रहे हैं? हमें दूसरा रूम दीजिए, अभी के अभी।
पार्थ का गुस्सा देख, मैनेजर ने अपनी नज़रें नीचे करते हुए कहा, “सर, वो.. वो इस समय कोई रूम खाली नहीं है।”
मैनेजर खुद भी डरा हुआ था। मानो वो समझ गया था कि उसके इतना कहते ही पार्थ आपे से बाहर ही हो जाएगा। मैनेजर को जो डर था, वही हुआ। पार्थ ने पहले रागिनी को देखा, फिर मैनेजर को घूरा। टेक्नीशियन तो खुद को बचाने के लिए वहां से निकल गया। मैनेजर ने भी अपनी जान बचाने के लिए एक बार फिर से सॉरी कह दिया, लेकिन पार्थ उसके सॉरी से शांत होने वाला नहीं था। उसने अपनी उंगली उठाते हुए कुछ बोलना चाहा ही था कि मैनेजर तपाक से बोल उठा, “सर, हम आपको रिफन्ड कर देंगे। डोन्ट वरी!”
मैनेजर ने अपनी स्मार्टनेस में रिफन्ड वाली बात कह तो दी लेकिन उसे कहां ही पता था कि पार्थ इतने में मानने वाला नहीं है।
पार्थ- आपके रिफन्ड का मैं क्या करूंगा? पूरा दिन थक हार कर इंसान चैन की नींद सोना चाहता है। वो तो आपके होटल में पॉसिबल होता दिख नहीं रहा है। आधी रात होने को आई है। हम, अब कहीं और जा भी नहीं सकते। रात तो काली हो गई न हमारी?
रागिनी, जो इतनी देर से चुप बस पार्थ और मैनेजर के बीच की बातचीत को सुन रही थी, आखिरकार बोल ही पड़ी।
रागिनी- पार्थ, बहस करने से भी क्या हो जाएगा? एक काम करते हैं, मैं तुम्हारे रूम में शिफ्ट हो जाती हूँ। नो बिग डील!
पार्थ को रागिनी का ये आईडिया अच्छा लगा या यह कहें की उसके मन की बात पूरी हो रही थी इसीलिए वो बिना टाइम वेस्ट किये मान गया। मैनेजर ने चैन की सांस ली और वो भी बिना टाइम वेस्ट किये वहां से नौ दो ग्यारह हो गया। पार्थ और रागिनी, पार्थ के कमरे में आ गए। अब आ तो गए लेकिन सवाल ये है कि बेड पर कौन सोएगा और सोफ़े पर कौन? रागिनी ने पार्थ को इस बार भी कुछ नहीं कहने दिया और अपना पिलो लेकर सोफ़े पर बैठ गई।
पार्थ- ये क्या रागिनी? तुम सोफ़े पे नहीं सो सकतीं। चुपचाप बेड पर सो जाओ, मैं सोफ़े पर सो जाऊंगा।
रागिनी- अपनी ये तमीज़ किसी और को दिखाना पार्थ सैनी। अभी मुझसे लड़ो नहीं, मैं सोफ़े पर सोऊँगी और ये फाइनल है।
रागिनी की ज़िद्द के आगे पार्थ की मजाल ही क्या है? वह चुपचाप बेड पर लेट गया। रागिनी ने रूम की लाइट बंद कर दी और वो भी सो गई। पार्थ की आँखों में नींद दूर-दूर तक नहीं थी| उसने कृष्ण की डायरी निकाली और सोचने लगा कि आज इतना कुछ हुआ था, तो शायद उस डायरी में उसके लिए कोई मेसेज हो| पार्थ ने जैसा सोचा था, वैसा ही हुआ। डायरी का पहला पन्ना शब्दों से भरा हुआ था, लेकिन पार्थ ने जब पढ़ना शुरू किया तो वह समझ गया कि इस बार कोई मेसेज नहीं है, बल्कि एक कहानी लिखी थी। कृष्ण के बचपन की कहानी जिसे पढ़ते-पढ़ते पार्थ कृष्ण के बचपन में खो गया।
कहानी के अनुसार, राधा, वृंदावन की गोपियों के साथ यमुना नदी के किनारे जा रही थी। कृष्ण, चोरी छिपे उनका पीछा कर रहे थे। गोपियाँ, राधा से कृष्ण की बुराई करने लगतीं हैं। तभी एक गोपी बोली, “आजकल कृष्ण की शरारतें बहुत बढ़ गई हैं। अभी कल ही मैं माखन लेकर जा रहा थी और उसने मेरी मटकी फोड़ दी। सारा माखन ज़मीन पर गिर गया और बर्बाद हो गया, लेकिन कृष्ण की लीला तो सुनो, वह ज़मीन पर गिरा हुआ माखन चाटने लगा।”
राधा, उस गोपी की बात अनसुना करने की कोशिश कर रही थी| उसे कृष्ण की बुराई सुनना पसंद नहीं था| तभी दूसरी गोपी बोली, “यह तो मामूली बात है। कृष्ण, आज सुबह हमारे घर आया और सारा माखन खा गया। उसकी वजह से माँ ने मुझे बहुत डांटा। कृष्ण के पेट में तो कीड़े पड़ेंगे, कीड़े।”
राधा से अब रहा नहीं गया और आखिर वह गोपियों पर बरस ही पड़ी, “कीड़े पड़ें तुम सब के पेट में| कृष्ण को कुछ मत कहना। उसने सिर्फ माखन खाया है। किसी का सोना नहीं लूट लिया।”
सभी गोपियाँ राधा की इस बात पर गुस्सा होने लगीं| गोपियों की हमेशा से ही शिकायत रहती थी कि जब भी वो कृष्ण की बुराई करती हैं, तो राधा हमेशा कृष्ण का ही पक्ष लेती है| कुछ ही देर में वो सब यमुना किनारे पहुँच गईं। कृष्ण भी उनके पीछे किनारे पर पहुँच गए। वो थोड़ी दूर खड़े होकर गोपियों को परेशान करने का तरीका सोचने लगे। राधा और गोपियाँ, यमुना के ठंडे पानी में नहाने उतर गईं और आपस में हंसी ठिठोली करने लगीं। उनका ध्यान कृष्ण पर गया ही नहीं। कृष्ण ने चुपके से उन सभी के वस्त्र चुरा लिए और पास के एक पेड़ पर चढ़ गए।
कुछ देर बाद जब वो सभी पानी से बाहर आने वाली थीं, तभी एक गोपी की नज़र किनारे पर गयी| वो चिल्लाने लगी, “किनारे पर हमारे वस्त्र नहीं हैं! किसी ने हमारे वस्त्र चोरी कर लिए| अब हम सब बाहर कैसे निकलेंगे? घर कैसे जायेंगे?”
राधा ने नदी के आसपास देखा तो कोई नहीं था| तभी कृष्ण पेड़ से छलांग लगा कर नीचे कूदे| कृष्ण को देखकर राधा और गोपियाँ अपना बदन ढंकने के लिए पानी की गहराई में चली गईं| गोपियों को पूरा यकीन था कि उनके कपड़े गायब होने के पीछे कृष्ण का ही हाथ है| उनमें से एक गोपी कृष्ण को डांटते हुए बोली, “यह क्या शरारत है कृष्ण? हमारे वस्त्र लौटा दो|”
कृष्ण भी हंसते हुए बोले, “मैं नहीं लौटाऊंगा| तुम्हें अपने वस्त्र चाहिए, तो तुम खुद आकर ले लो|”
एक गोपी ने तो धमकी देते हुए कहा, “तुम ऐसे नहीं मानोगे| तुम्हारी मइया से तुम्हारी शिकायत करुँगी। तब तुम्हें समझ आएगा| अब अपने कृष्ण का पक्ष लो राधा| तुम्हारी वजह से ही ये इतना सिर चढ़ा बन गया है|”
राधा को यह ताना देना अच्छा नहीं लगा| राधा भोली सी सूरत बनाते हुए कृष्ण से बोली, “कृष्ण, मैं तो तुम्हारी सबसे प्रिय हूँ ना? तुम मेरी बात कभी नहीं टालते| हमारे वस्त्र लौटा दो|”
कृष्ण भी मुस्कुराये और बोले, “क्यों नहीं राधा| इस पूरे वृन्दावन में मुझे तुमसे ज़्यादा किसी से लगाव नहीं है| मैं तुम सब के वस्त्र केवल एक शर्त पर ही लौटूँगा, अगर तुम सभी आज से मेरी मइया से मेरी शिकायत लगाना बंद कर दोगी। चलो, खाओ कसम।”
कृष्ण की बात सुन कर राधा और सभी गोपियों ने कसम खाई और कृष्ण ने उन सब के कपडे लौटा दिए|
पार्थ, कृष्ण की कहानी में इतना खो गया था कि उसे पता ही नहीं चला की सुबह के 5 बजे गए हैं। कहानी ख़त्म होने में सिर्फ कुछ लाइन्स ही बाकी रह गयी थीं| आगे लिखा था, “पता है पार्थ, मेरी इस शरारत के बाद राधा के मन को ठेस पहुँच गई थी। मुझे भी बाद में इसका एहसास हुआ। इस कहानी से मैं तुमको यह सिखाना चाहता हूँ कि जीवन में कई बार ऐसा होगा, जब तुम्हारा कोई अपना तुम्हें ठेस पहुंचा देगा। फिर चाहे वो जान के हो या अनजाने में, और तुम समझ नहीं पाओगे कि ऐसे में तुम्हें क्या करना चाहिए। सोच समझकर निर्णय लेना। राधे-राधे।
हमेशा की तरह शब्द डायरी से गायब हो गए| पार्थ के मन में डायरी की आखिरी लाइन छप गयी। जिसमें लिखा था कि उसका कोई अपना उसे ठेस पहुंचा सकता है| वह सोच में पड़ गया कि कहीं ये कोई सिग्नल तो नहीं है? कहीं उसका कोई अपना ही उसका दुश्मन तो नहीं बन जाएगा? वह ये सोच ही रहा होता है कि अचानक से रागिनी ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाते हुए उठ गयी| उसके चिल्लाने से पार्थ की धड़कनें तेज़ हो गईं|
पार्थ – क्या हुआ रागिनी? कोई बुरा सपना देखा क्या? मैं हूँ तुम्हारे पास।
रागिनी ने अपने आसपास देखा तो वो रूम में थी| पार्थ ने उसका हाथ पकड़ा और सहलाने लगा| रागिनी का गला सूख गया था| पार्थ ने उसको पानी पिलाया|
रागिनी – मुझे ऐसा लगा कि कोई आदमी मेरे ऊपर बैठा है और मेरा गला दबा रहा है| वो बोल रहा था कि मैं जादुई डायरी को छुपाने की कोशिश कर रही हूँ इसलिए वो मुझे जान से मार देगा| मैं खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वो आदमी मेरे ऊपर पूरी तरह से हावी हो रहा था| मेरा दम घुटने लगा था, पार्थ| हमें जल्द से जल्द वापस दिल्ली जाना चाहिए। यहां अब मुझे सेफ़ नहीं फ़ील हो रहा है।
पार्थ भी रागिनी की बात से सहमत था| जब से वो दोनों कुरुक्षेत्र आये थे उन के साथ कुछ ना कुछ गलत हो ही रहा था| कुछ ही देर में दोनों रेडी हुए और दिल्ली के लिए निकल पड़े।
कहीं जादुई डायरी का इशारा, प्रकाश की तरफ तो नहीं था?
पार्थ जब अपने घर पहुंचेगा और तिजोरी को टूट हुआ देखेगा तो क्या होगा?
क्या पार्थ प्रकाश की चाल समझ पाएगा?
आगे क्या होगा, जानेंगे अगले चैप्टर में!
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