​​आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी: "आसमान से गिरे, खजूर में अटके," है ना? बस, पार्थ और रागिनी का भी कुछ ऐसा ही हाल हो गया है। इस अनजान और सुनसान गाँव में रागिनी पर किसी अदृश्य शक्ति ने हमला किया और अब पार्थ और रागिनी  मंदिर के तहखाने में फंस गए हैं। अचानक से ज़मीन हिलने लगी। न जाने कहां से एक बड़ा सा पत्थर आया और बाहर जाने का रास्ता बंद हो गया। ज़मीन अभी भी हिल रही है और अब मिट्टी के साथ ऊपर से छोटे-छोटे पत्थर भी गिरने लगे हैं। 

रागिनी- आह! पार्थ, पत्थर.. पत्थर गिर रहे हैं। हम अब नहीं बच पाएंगे। 

पार्थ को इस समय खुद समझ नहीं आ रहा है कि ये सब अचानक से क्या हो रहा है उनके साथ। उसने रागिनी के सिर पर अपना हाथ रखा और उसे बचाने की नकाम कोशिश करने लगा। इस चक्कर में पार्थ को जगह-जगह चोटें लगने लगीं। उसके हाथ और सिर से खून भी निकलने लगा। तहखाने का माहौल पहले डरावना लग रहा था लेकिन अब जानलेवा बनाता जा रहा है। पार्थ के मोबाईल की टॉर्च, जो अब तक उन्हें अंधेरे से बचा रही थी, वो भी खराब हो गई। चारों तरफ़  बस गहरा अंधेरा है और रागिनी की दर्द भारी चीखें गूंज रही हैं। 

रागिनी- कोई है? बचाओ.. हम यहां तहखाने में फंस गए हैं। कोई है?? पार्थ, हम नहीं बचेंगे। मैं नहीं मरना चाहती, पार्थ। 

रागिनी मदद के लिए लगातार चिल्ला रही है लेकिन उम्मीद की एक किरण तक उन्हें नज़र नहीं आ रही। काफ़ी देर तक पार्थ ने उस रास्ते के पत्थर को हटाने की कोशिश की लेकिन उससे कुछ न हो पाया। तभी वो पत्थर अपने आप ही हिलने लगा! मानो कोई दूसरी तरफ़ से उसे धक्का देने की कोशिश कर रहा हो। पार्थ और रागिनी कुछ कदम पीछे हट गए। देखते ही देखते पत्थर उनके रास्ते से हट गया। एकदम से तहखाने की हलचल भी ऐसे रुक गई जैसे किसी ने उसकी दीवारों को अपने वश में कर लिया हो। पार्थ और रागिनी के सामने मंदिर का वही पुजारी खड़ा है। उसकी नीली आँखें चमक रहीं हैं। 

पार्थ- आपने..आपने ये कैसे किया? ये पत्थर और ये तहखाना.. अभी थोड़ी देर पहले तक तो सब हिल रहा था। 

पुजारी पार्थ और रागिनी को गुस्से से देख रहा है जैसे उन दोनों से कोई बहुत बड़ी गलती हो गई हो। उसने कहा, “तुम दोनों को यहां नहीं आना चाहिए था। जहां से आए हो वहां वापस चले जाओ। ये जगह मायावी है। ये गाँव मायावी है। 

पार्थ – मायावी? आप कहना क्या चाहते हैं?

पुजारी के मुंह से ये सुनकर, पार्थ के दिल की धड़कनें और तेज़ हो गईं थीं| उसे याद आने लगा कि कैसे उन्हें एक अजीब सी बस मिली थी और ड्राइवर ने बिना रुपए लिए ही उन्हें इस गाँव के पास उतार दिया था। पार्थ का सिर चकराने लगा। उसने अपने बैग से पानी की बोतल निकाली और घबराहट के मारे, एक ही सांस में पूरी बोतल खाली कर दी। रागिनी की नज़र अभी भी पुजारी पर ही है। उसके लिए ये सब कोई सपने जैसा है जिसके खत्म होने का उसे बेसब्री से इंतज़ार है। पुजारी ने फिर कहा, “मुंह मत देखो मेरा। अब निकलो यहां से।” 

पार्थ और रागिनी तुरंत सीढ़ियों से बाहर आ गए। तहखाने के कुछ घुटन भरे सेकंड्स ने उन्हें खुली हवा की कीमत समझ दी। पार्थ ने फिर जादुई डायरी अपने बैग से निकाली और पुजारी की तरफ़ बढ़ा दी। 

पार्थ- आप इसके बारे में कुछ जानते हैं? गाँव में हमें एक आदमी मिला था। उसने कहा कि ये कृष्ण की डायरी है और मुझे इसे संभालकर रखना चाहिए, लेकिन मेरे मन में अभी भी कई सवाल हैं। 

पुजारी उस डायरी को हाथ में लेकर गौर से देखने लगा और फिर उसने उस डायरी को अपने माथे से लगा लिया। “मैं तुम्हारे हर सवाल का जवाब दूंगा। कहा जाता है कि महाभारत के समय में कृष्ण भगवान ने इसमें कई ऐसी बातें लिखीं थीं जो इंसान को सही रास्ता दिखा सकती हैं। इसके ज़रिए इंसान हार को भी जीत में बदल सकता है, लेकिन ये इतना आसान नहीं है। कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद ये यहीं छूट गई और इसे हासिल करने की कोशिश तब से कई शक्तियां कर चुकीं हैं। दुनिया को अपनी मुट्ठी में करने का राज़ छिपा है इसमें।” 

पुजारी की बात सुनकर पार्थ और रागिनी के होश उड़ गए। पार्थ को लग रहा था कि ये डायरी सिर्फ उसकी प्रॉब्लम्स को सॉल्व करती है, लेकिन ये डायरी इतनी ज़्यादा शक्तिशाली है पार्थ को पहले इसका अंदाज़ा नहीं था। 

पार्थ- पर ये मुझे ही क्यों मिली? मैं न तो दुनिया मुट्ठी में करना चाहता हूँ और न ही मुझे कुछ और चाहिए। 

पुजारी पार्थ की बात सुनकर मुस्कुराने लगा और बोला, “इसीलिए ये तुम्हें मिली है। अर्जुन भी किसी को मारने के लिए नहीं लड़ रहे थे। वो धर्म के लिए लड़ रहे थे। अर्जुन के मन में धर्म था, कोई स्वार्थ नहीं। कृष्ण उसी पर कृपया करते हैं जिसके मन में स्वार्थ नहीं होता। तुम अलग हो पार्थ, तुम सबसे अलग हो। इस दुनिया को तुम ही बचा सकते हो। कृष्ण के दिखाये रास्ते से भटकना नहीं, उन पर विश्वास रखना। एक समय ऐसा भी आएगा जब तुम्हें सिर्फ अंधेरा दिखेगा। अपने तुमसे दूर हो जाएंगे। तुम तब भी डगमगाना नहीं। कृष्ण तुम्हारा भला करें।”

पुजारी की बातें सुन पार्थ की आँखों में आँसू आ गए। उसे यकीन ही नहीं हो रहा कि कृष्ण ने उसे चुना है। रागिनी पार्थ की फीलिंग्स समझ रही थी। उसने पार्थ का हाथ अपने हाथ में लिया और आँखों से उसे साथ होने का इशारा किया। पार्थ ने अपने आँसू पोंछे और पुजारी के आगे हाथ जोड़े। पार्थ की उलझन पर पड़ी धूल हट गई है, लेकिन एक सवाल अभी भी बाकी है। 

पार्थ- इस गाँव का सच क्या है?

पार्थ के इस सवाल पर पुजारी के चेहरे के भाव कुछ बदल गए। मानो ऐसी कोई बात है, जो वो नहीं चाहता कि पार्थ और रागिनी को पता चले। उसने बात घुमाते हुए कहा, “तुम सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान दो। ऐसे बहुत से जाल बिछाए जाएंगे। तुम्हारा काम उनसे बचना है, न कि उनका सच जानने में उलझ जाना।” 

पुजारी अपनी बात कहकर वहां से चला गया। पार्थ और रागिनी अभी भी कन्फ्यूज़न में खड़े एक दूसरे को देख रहे हैं। तभी उनके कानों में कुछ आवाज़ें पड़ीं। लोगों की चहल-पहल की आवाज़। पार्थ ने आसमान की ओर देखा तो सूरज ढल रहा था। वह समझ गया कि शाम हो गई है और शायद इसीलिए जो दिनभर से घरों में कैद थे, वो बाहर निकल रहे हैं। रागिनी और पार्थ भी मंदिर से निकल गए। जो गाँव कुछ घंटों पहले तक वीरान पड़ा था, वो अब लोगों से भरा नज़र आ रहा है। पार्थ और रागिनी गाँव वालों के बीच से निकलकर गाँव के बाहर आ गए। अब उन्हें वापस जाने का रास्ता ढूँढना है, लेकिन इसके लिए भी उन्हें ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। 

रागिनी- पार्थ, वो देखो। सामने से एक बस आ रही है। एक मिनट, ये.. ये तो वही बस है जो हमें यहां तक छोड़ गई थी। हैं न?

पार्थ- हाँ, ये बस और बस ड्राइवर तो वही लग रहे हैं। 

बस उनके पास आकर रुक गई और दरवाज़ा अपने आप ही खुल गया। दोनों बिना कुछ सोचे उस बस में बैठ गए। पिछली बार की तरह इस बार भी ड्राइव और उन दोनों के अलावा इसमें कोई और नहीं था। शायद, ये बस उन्हें उनके सवालों के जवाबों तक ले जाने ही आई थी। कुछ देर बाद उस बस ड्राइवर ने उन्हें उनके होटल के पास उतार दिया और पिछली बार की तरह बस पलक झपकते ही गायब हो गई। पार्थ और रागिनी काफ़ी थक गए थे, इसलिए दोनों अपने रूम्स में रेस्ट करने चले गए। 

दूसरी तरफ़ प्रकाश, पार्थ की गैरमौजूदगी में उसके कमरे की तिजोरी खोलने की कोशिश कर रहा था| काफी कोशिशों के बाद भी जब तिजोरी नहीं खुली, तो प्रकाश ने लोहा काटने वाले कटर का इंतज़ाम किया| जिसके बाद तिजोरी का एक पल्ला खुल गया। जैसे ही प्रकाश ने अंदर देखा, वो दंग रह गया! तिजोरी में सिर्फ कुछ रुपए ही पड़े थे, डायरी नहीं थी| प्रकाश ने अपना सिर पकड़ लिया। 

प्रकाश – जादुई डायरी तो यहां पर भी नहीं है| कहां जा सकती है वो डायरी? कहीं पार्थ डायरी अपने साथ तो नहीं ले गया? नहीं नहीं.. मुझे जल्द ही कुछ करना होगा। 

प्रकाश के दिमाग में डायरी हासिल करने की प्लैनिंग चालू थी। उसने किसी को कॉल किया और गुस्से में कहने लगा,

प्रकाश- विधि रुकनी नहीं चाहिए। डायरी मेरे हाथ नहीं आई है। पार्थ पर नज़र रखो और मुझे हर पल की खबर दो। डायरी उसके पास ही है। कोई और होता तो मैं उसकी जान लेने में एक बार भी नहीं सोचता, लेकिन पार्थ.. पार्थ बदकिस्मती से मेरा अपना है। अच्छा सुनों, उनका कॉल आए तो कह देना मैं बिज़ी हूँ। इस खेल को जीतने के लिए गधे को भी बाप बनाना पड़ेगा। इस बार मैं हार नहीं सकता। इस बार मेरा मकसद पूरा होकर ही रहेगा। 

आपने सुना होगा कि लोगों के कई चेहरे होते हैं। जो समय समय पर ही नज़र आते हैं। प्रकाश की असलियत पार्थ से अभी छिपी हुई है। वह तो रागिनी के साथ कुरुक्षेत्र में बैठा चाय पी रहा है और आज जो कुछ भी उस गाँव में हुआ उसको याद कर रहा है। 

पार्थ- रागिनी, मुझे अभी भी ये सब सपना लग रहा है। मुझे पिन्च करो ज़रा.. आह.. इतनी ज़ोर से करने को नहीं कहा था। 

रागिनी- हा हा हा, पार्थ आज जो हुआ वो सपना नहीं था। पता है, जब उस तहखाने की दीवारें और ज़मीन हिलने लगीं थीं न, तब मुझे लगा कि बस, सब खत्म होने वाला है। अब मैं कभी अपने मम्मी पापा और भाई से नहीं मिल पाऊँगी, लेकिन तुमने बचा लिया। 

पार्थ- मैंने कहां? पुजारी ने बचाया हम दोनों को। 

रागिनी- अरे बाबा, तुम्हारे साथ कृष्ण हैं। तुमको तो बचना ही था और तुम मेरे साथ हो तो मैं भी बच गई। थोड़ा क्रेडिट ले लोगे तो कुछ बिगड़ नहीं जाएगा तुम्हारा। 

पार्थ और रागिनी इस बात पर हंसने लगे। वो दोनों ही इस बात से अनजान थे कि अभी तो मुसीबतें ठीक से शुरू भी नहीं हुईं हैं। पुजारी ने पार्थ को आगाह किया था, लेकिन पार्थ अभी पूरी तरह से उनका सामना करने के लिए तैयार नहीं है। पार्थ और रागिनी कुछ देर और गपशप करने के बाद सोने चले गए। अगले दिन वो दिल्ली लौटने वाले हैं जहां उनका सामना नई मुसीबतों से होगा। 

क्या पार्थ को अपने मामा के खतरनाक प्लांस के बारे में पता चल जाएगा?

क्या पार्थ जादुई डायरी को गलत हाथों में पड़ने से बचा लेगा?

आखिर अब कौन सी नई मुसीबत पार्थ के रास्ते में आने वाली है?

आगे क्या होगा, जानेंगे अगले चैप्टर में!

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